समय के साथ लखनऊ की सबसे पुरानी स्विस घड़ी निर्माता कंपनी, बेचलर की विरासत को भुला न दें

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11-10-2023 09:54 AM
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समय के साथ लखनऊ की सबसे पुरानी स्विस घड़ी निर्माता कंपनी, बेचलर की विरासत को भुला न दें

1870 के दशक में इलाहाबाद और मसूरी में अपनी दुकान स्थापित करने वाले स्विट्जरलैंड(Switzerland) के घड़ी निर्माता और जौहरी बेचलर (Bechtler ) की कहानी को आज भुला दिया गया है।इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सभा कक्ष(senate hall)में स्थापित घड़ी इनकी ही एक विरासत है, जिसे 1912 में स्‍थापित किया गया था। इस घड़ी की निर्माता कंपनी ‘मेसर्स बेचलर सन एंड कंपनी’ (Messrs. Bechtler Son & Co. ) को 1887 में संयुक्त प्रांत के लेफ्टिनेंट-गवर्नर (Lieutenant-Governor ) के लिए जौहरीके रूप में नियुक्त किया गया था। इस कंपनी की शाखाएं इलाहाबाद, लखनऊ और मसूरी में खोली गयी। प्रारंभ में यह व्यवसाय जौक्विन कार्ल बेचलर (Jouquin Carl Bechtler) द्वारा इलाहाबाद में आभूषण और चांदी के बर्तनों के निर्माण के लिए छोटे पैमाने में स्थापित किया गया था, और प्रेसीडेंसी शहरों के अलावा भारत में स्थापित होने वाला यह इस तरह का पहला व्यवसाय था। इस व्यवसाय का तेजी से विस्तार हुआ, और दस वर्षों में यह व्यवसाय इतना आगे बढ़ गया कि इसके लिए बड़े बड़े शोरूम बनाना आवश्यक हो गया।
आज इस फर्म के द्वारा सभी प्रकार की अंगूठियों-आभूषणों, प्रतियोगिता कप, ढालों, पदकों और विभिन्‍न खेल पुरस्कारों, आभूषणों आदि के निर्माण में उच्च प्रतिष्ठा हासिल कर ली गई है। इनके पास हीरे, माणिक, मोती और हर प्रकार के कीमती पत्थरों से जड़ित आभूषणों का भंडार है।जे.सी. बेचलर स्विट्जरलैंड के मूल निवासी थे, और यहां इन्‍होंने घड़ी बनाने के व्यापार में प्रशिक्षण हासिल किया था। अपनी पांच साल की प्रशिक्षुता पूरी करने के बाद उन्होंने अपने व्यापार में निपुणता हासिल करने के लिए फ्रांस (France), ऑस्ट्रिया (Austria) और स्विट्जरलैंड (Switzerland) की यात्रा की। फ़िर 1880 में वह भारत आये और यहां उन्होंने अपने व्‍यवसाय में सफलता हासिल की। वह अपने व्यवसाय के सभी विभागों में विशेषज्ञ थे। 1889 में मसूरी में ‘मेसर्स बेचलर सन एंड कंपनी’ की दूसरीशाखा खोली गई, और विभिन्न कीमती पत्थरों और आभूषणों केविनिर्माण उद्देश्यों के लिए एक सुसज्जित कार्यशाला भी बनी। कंपनी के द्वारा विभिन्न प्रकार के खेलों के लिए ट्राफियों के लिए कप, शील्ड आदि का भी निर्माण किया जाता है।लेकिन यह कंपनी केवल अपने गहनों के लिए ही प्रसिद्ध नहीं हुई है। इनके ठोस चांदी, प्रशंसापत्र प्लेट, घड़ियां आदि का शानदार प्रदर्शन अतुलनीय है। इसका एक बड़ा विनिर्माण विभाग है, जिसमें आभूषण और चांदी का काम किया जाता है, और एक विशेष तकनीक का उपयोग किया जाता है। यह पूरा संयंत्र विद्युत चालित होने के कारण इनकी उच्च फिनिश और कम लागत के साथ अपने ऑर्डर को तेजी से पूरा करने में सक्षम बनाता है। इस फर्म द्वारा समय-समय पर नए डिजाइन और दिलचस्प वस्तुओं से शानदार तलवारें, बेल्ट और अन्य आभूषण, हावड़ा, राज कुर्सियां, खेल पुरूस्‍कार, ढाल, पता ताबूत आदि तैयार किए जाते हैं। मेसर्स जे.सी. बेचलर एंड कंपनी का निर्मित एक पदक, जिसे उन्होंने प्रिंस अल्बर्ट विक्टर(Prince Albert Victor) की भारत यात्रा की स्मृति चिन्ह के रूप में डिजाइन और प्रदर्शित किया था, बेहद सुंदर डिजाइन एवं कारीगरी के लिए बहुत सुर्खियों में आया था। इस स्मृति चिह्न के अग्र भाग पर युवा राजकुमार का एक बड़ा चित्र बनाया गया था, और पृष्ठ भाग पर एक शिलालेख में पदक का कारण अंकित था, जिसके आधार पर बाघ और देशी वनस्पतिया उकेरी गई थी।
अभी हाल ही में इनके द्वारा निर्मित एक पॉकेट घड़ी की नीलामी की गई, जिसकी कीमत करीब 404 डॉलर तक तय की गई थी। यह घड़ी 70 मिलीमीटर गोलियथ केस(goliath case ) में एक बार में 8 दिनों तक काम करती है। अत्यंत पुरानी होने के बावजूद यह घड़ी अत्यंत शानदार है जिसके लिए करोड़ों की बोलियाँ लगाईं गई। इस घड़ी को सुंदर तरीके से सोने की चेन की लड़ी में जड़ा गया था, जिससे इसकी शोभा और भी अधिक बढ़ गयी। टॉवर घड़ियाँ भी इस फर्म की एक विशेषता है, और इस काम के कई बेहतरीन उदाहरण भारत के विभिन्न हिस्सों में बनाए और लगाए गए हैं। इनके द्वारा निर्मित टावर घड़ी का एक शानदार उदाहरण इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सभा कक्ष में स्थिति घड़ी है। 1912 में स्‍थापित इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सभाकक्ष(senate hall) में स्थापित घड़ी इनकी ही एक विरासत है। हालांकि, 1999 में जब यह घड़ी बंद हो गई थी, तो स्थानीय कटरा बाजार के एक विशेषज्ञ, मुस्तफा भाई ने इसकी मरम्मत की। और यह घड़ी फिर से कार्य करने लगी। उसके बाद 2012 में, जे.के. इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लाइड फिजिक्स (JK institute of applied physics) के प्रोफेसर सी.के.द्विवेदी और उनकी टीम ने घड़ी के यांत्रिक भागों को सफलतापूर्वक परिवर्तित कर दिया था। बाद में, विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने इसके चारों किनारों के पुरानी ग्लास शीटों को बदल कर इसे नया रूप दिया। हालाँकि, तमाम कोशिशों के बावजूद, घड़ी काम करने में विफल रही। कार्य वाहक कुलपति प्रोफेसर आर.आर. तिवारी की हालिया पहल से उम्मीद की किरण जगी है कि घड़ी एक बार फिर से टिक-टिक करना शुरू कर सकती है!
इसके अलावा मेसर्स जे.सी. बेचलर एंड कंपनी स्टेशन और कार्यालय घड़ियों के बड़े निर्माता हैं । रेसिंग क्रोनोग्रफ़ और जटिल घड़ियाँ भी उनके व्यवसाय की एक प्रमुख विशेषता हैं। कलकत्ता टर्फ क्लब द्वारा सभी महत्वपूर्ण दौड़ों के समय के लिए उपयोग की जाने वाली क्रोनोग्रफ़ घड़ियाँ पिछले कई वर्षों से इस कंपनी द्वारा प्रदान की जाती रही हैं।

संदर्भ:
https://shorturl.at/cfLPZ
https://shorturl.at/ainpG
http://surl.li/lzfpq
http://surl.li/lzfpt

चित्र संदर्भ
1. एक विंटेज घडी को दर्शाता एक चित्रण (pxhere)
2. 1908 में ली गई इलाहाबाद में जे.सी. बेचटलर, सन एंड कंपनी के परिसर की एक छवि को दर्शाता एक चित्रण (925-1000.)
3. जौक्विन कार्ल बेचलर के एक लेखपत्र को दर्शाता एक चित्रण (925-1000)
4. विंटेज पॉकेट घड़ियों को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
5. लखनऊ शहर में हुसैनाबाद क्लॉक टावर को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)

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