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प्रिंटर के आविष्कार से पहले, किताबों को हाथों से ही लिखा और कॉपी (Copy) किया जाता था। यह एक बेहद धीमी और थकाऊ प्रक्रिया होती थी। लेकिन मूवेबल टाईप (Movable Type) मुद्रण और टाइपोग्राफी की प्रणाली के अविष्कार ने सब कुछ बदल कर रख दिया। दरअसल मूवेबल टाइप एक मुद्रण तकनीक है, जिसमें अलग-अलग ब्लॉकों (Blocks) (लकड़ी या धातु से बने टुकड़ों) का उपयोग किया जाता है, जिनमें से प्रत्येक ब्लॉक पर एक ही अक्षर या प्रतीक उकेरा हुआ होता है। मूवेबल टाइप प्रिंट को ब्लॉक प्रिंटिंग (Block Printing) जैसे पुराने तरीकों की तुलना में एक बहुत तेज़ और अधिक कुशल तरीका माना जाता है।
पहली ज्ञात मूवेबल टाइप मुद्रण प्रणाली को, सोंग राजवंश (990-1051 ईस्वी) के दौरान बी शेंग (Bi Sheng) नामक एक चीनी आविष्कारक द्वारा बनाया गया था। बी शेंग के इस आविष्कार को प्राचीन चीन के चार सबसे महान आविष्कारों में से एक माना जाता है।
इस प्रणाली के निर्माण हेतु:
- उन्होंने चिपचिपी मिट्टी या धातु के अलग-अलग ब्लॉक या टुकड़े बनाए, जिनमें से प्रत्येक टुकड़ा एक ही अक्षर या प्रतीक का प्रतिनिधित्व करता था।
- इसके बाद उन्होंने इन मिट्टी के प्रतीको को उपयोग हेतु, सख्त बनाने के लिए मिट्टी को पकाया।
- प्रतीकों को मुद्रित करने के लिए, उन्होंने इन्हें पाइन राल (Pine Resin), मोम और कागज की राख के मिश्रण से ढकी हुई लोहे की प्लेट पर व्यवस्थित किया।
- एक बार जब फ्रेम भर गया, तो इससे एक प्रकार का ठोस ब्लॉक बन जाता था।
- उन्होंने इसे आग के पास तब तक गर्म किया जब तक कि पीछे का पेस्ट थोड़ा पिघल न जाए।
- फिर ब्लॉक को समतल करने के लिए सतह पर एक चिकने बोर्ड को दबाया जाता था।
- उनके पास बहुपयोग के लिए प्रत्येक प्रतीक के लिए कई प्रकार थे, जो अब कागज़ पर छपाई के लिए तैयार थे ।
- छपाई के बाद, एक बार कागज़ सूख जाने पर, बी शेंग, टाइप के ब्लॉक को हटा देते थे और इसके बाद दूसरे पृष्ठ को प्रिंट करने के लिए ब्लॉक का पुन: उपयोग किया जा सकता था। इस नई प्रक्रिया से पुस्तकों को पहले की तुलना में अधिक तेजी से और अधिक सस्ते में छापना संभव हो गया।
इस तकनीक के विकसित होने से पहले, प्रतीकों / पात्रों को एक बड़े ब्लॉक पर उकेरा जाता था, जिसमे काफी समय लगता था । इसके अलावा प्रत्येक ब्लॉक का उपयोग केवल एक ही पुस्तक के लिए किया जा सकता था, जिससे यह प्रकिया अप्रभावी और महँगी साबित होती थी। साथ ही, यदि नक्काशी करते समय कोई गलती हो जाए , तो आपको सब कुछ दुबारा फिर से शुरू करना पड़ता था। बी शेंग के इस आविष्कार ने मुद्रण प्रकिया को काफी सस्ता और अधिक कुशल बना दिया।
उनका यह आविष्कार इतना कुशल था कि यह बड़ी ही तेज़ी के साथ चीन के बाहर दुनिया के बाकी हिस्सों में भी फैल गया। जिक्जी (Jikji) नामक पुस्तक को चल प्रकार से मुद्रित सबसे पुरानी मौजूदा पुस्तक माना जाता है, जिसे 1377 में कोरिया में मुद्रित किया गया था। इस तकनीक का उपयोग अधिकांशतः पूर्वी एशिया में किया जाता था, लेकिन व्यापारियों और मिशनरियों के माध्यम से यह शीघ्र ही यूरोप में भी पहुँच गई ।
लगभग 3000 ईसा पूर्व, प्राचीन सुमेर में, लोगों ने प्रतीकों या ग्लिफ़ (Glyphs) की कई प्रतियाँ छापने के लिए धातु पंच प्रकारों (Metal Punch Types) का उपयोग करना शुरू कर दिया था। कुछ पुरातत्वविदों का मानना है कि प्राचीन मेसोपोटामिया (Mesopotamia) के शहरों की ईंट की मोहरों पर असमान दूरी वाले छापों से पता चलता है कि उन्हें संभवतः मूवेबल टाइप प्रणाली का उपयोग करके बनाया गया था।
हान राजवंश के दौरान चीन में कागज के आविष्कार के बाद, लेखन सामग्री अधिक वहनीय और किफायती हो गई। हालाँकि, किताबों को हाथ से कॉपी करना अभी भी श्रमसाध्य काम साबित हो रहा था। लेकिन 8वीं शताब्दी के आसपास तांग राजवंश के दौरान वुडब्लॉक प्रिंटिंग (WoodBlock Printing) का आविष्कार हो गया था। इस पद्धति में अक्षरों या प्रतीकों को एक बोर्ड (Board) पर उकेरा जाता और फिर कागज पर मुद्रित करने के लिए इन उभरे हुए क्षेत्रों पर स्याही लगाईं जाती थी। 800 ईस्वी में चीन में लोगों ने पाठ के एक पूरे पृष्ठ को लकड़ी के ब्लॉक पर तराश कर, उस पर स्याही लगाकर और ब्लॉक के सामने पृष्ठों को दबाकर प्रिंट करना शुरू कर दिया। इस प्रणाली की मदद से उन्होंने 130,000 खंडों का उपयोग करके त्रिपिटक नामक एक विशाल बौद्ध पुस्तक भी छापी। 1440 के दशक में, जोहान्स गुटेनबर्ग (Johannes Gutenberg) नामक एक जर्मन सुनार ने जर्मनी में पहली बार मूवेबल टाइप से प्रेरित प्रिंटिंग प्रेस मशीन (Printing Press Machine) का आविष्कार किया ।
इस मशीन से पहले, लोगों को सब कुछ हाथ से ही लिखना पड़ता था, जो कि काफी धीमी प्रक्रिया थी और प्रति दिन केवल 40 पृष्ठ ही तैयार कर पाती थी। लेकिन गुटेनबर्ग की प्रेस प्रति दिन 3,600 पृष्ठ तक छाप सकती थी। गुटेनबर्ग ने प्रिंटिंग प्रेस मशीन के हिस्से बनाने के लिए अपने सुनार के अनुभव का उपयोग किया। उन्होंने सीसा, टिन और सुरमा की मिश्र धातु से टाइप (वे टुकड़े जिन पर अक्षर होते हैं) बनाए। उस समय यह एक बड़ी बात थी क्योंकि ये प्रकार टिकाऊ होते थे और उच्च गुणवत्ता वाले प्रिंट छापते थे। माना जाता है कि उनके टाइप केस “Type Case” (वह बॉक्स जिसमें वह टाइप रखते थे) में विभिन्न वर्णों, विराम चिह्नों आदि के लिए लगभग 290 अलग-अलग अक्षर बॉक्स थे। इन सबके अलावा, गुटेनबर्ग को तेल-आधारित स्याही की खोज करने का भी श्रेय दिया जाता है, जो पहले इस्तेमाल की जाने वाली पानी-आधारित स्याही की तुलना में अधिक टिकाऊ थी। उन्होंने कागज और वेल्लम (एक उच्च गुणवत्ता वाला चर्मपत्र), दोनों पर भी मुद्रण संभव बना दिया। प्रसिद्ध "गुटेनबर्ग बाइबिल (Gutenberg Bible)" का मुद्रण भी उनकी इसी मशीन का उपयोग करके किया गया था।
मुद्रण के इन्हीं आविष्कारों का पूरे विश्व पर व्यापक प्रभाव पड़ा। आविष्कार से पहले, किताबें महंगी थीं और विलासिता मानी जाती थीं, क्योंकि उन्हें हाथ से कॉपी करना पड़ता था। लेकिन मुद्रण ने पुस्तकों को सस्ता और सभी के लिए अधिक सुलभ बना दिया। आज हमारे लिए यह कल्पना करना भी कठिन है कि छपाई के बिना जीवन कैसा होता। मुद्रण ने न केवल पुस्तकों के उत्पादन के तरीके में क्रांति ला दी, बल्कि जानकारी को साझा करने और उस तक पहुंचने के तरीके में भी क्रांति ला दी।
संदर्भ
https://tinyurl.com/55swcv3s
https://tinyurl.com/ym7tsnpe
https://tinyurl.com/yhkutw2d
https://tinyurl.com/2wnz63u4
https://tinyurl.com/32d39wcv
चित्र संदर्भ
1. राष्ट्रीय संग्रहालय में मूवेबल टाइप मुद्रण प्रणाली को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. बीजिंग प्रिंटिंग संग्रहालय में बी शेंग और उनके आविष्कार को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. मूवेबल धातु टाइप को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. जिक्जी (Jikji) नामक पुस्तक को चल प्रकार से मुद्रित सबसे पुरानी मौजूदा पुस्तक माना जाता है, जिसे 1377 में कोरिया में मुद्रित किया गया था। जिसकी प्रतिलिपि को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रण संग्रहालय कैलिफोर्निया में पुनः निर्मित गुटेनबर्ग प्रेस को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. प्रसिद्ध गुटेनबर्ग बाइबिल के प्रदर्शन को दर्शाता एक चित्रण (PICRYL)
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