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1895 में ‘थियोसोफिकल सोसायटी’ (Theosophical Society) की सह-संस्थापक रही हेलेना ब्लावात्स्की (Helena Blavatsky) की शिष्या ‘ऐलिस क्लिथर’ (Alice Cleather) ने ‘द म्यूज़िक ऑफ़ कलर्स’ (The Music of Colors) नामक एक लेख लिखा। यह लेख पहली बार ‘द पाथ’ (The Path) नामक पत्रिका की पृष्ठ संख्या 249-251 में प्रकाशित हुआ था।
‘थियोसोफी’ अर्थात अध्यात्मविद्या का अनुसरण करने वाले लोगों का मानना है कि “हमारी सभी इन्द्रियाँ आपस में जुड़ी हुई हैं, और इस अंतर्संबंध का अध्ययन करने से हमें हमारी उच्च चेतना को जागृत करने में मदद मिल सकती है।” इस लेख में रंगों और ध्वनि के बीच संबंधों की भी बड़ी ही गहनता के साथ जांच की गई थी। इस लेख में ऐलिस क्लिथर एक रूसी संगीतकार अलेक्जेंडर स्क्रिऐबन (Alexander Scriabin) (1872-1915) के काम का विशेषतौर पर उल्लेख करती हैं, जो खुद भी एक अध्यात्मविद्यावादी थे। संगीत जगत में स्क्रिऐबन का सबसे बड़ा योगदान यह माना जाता है कि उन्होंने “संगीत और रंगों के संयोजन के लिए समर्पित कई रचनाएँ बनाईं।”
1890 के दशक तक, शोपेनहावर (Schopenhauer), कांट (Kant) और नीत्शे (Nietzsche) सहित कई पश्चिमी यूरोपीय लेखकों और दार्शनिकों की कृतियों का रूसी भाषा में अनुवाद किया जा चुका था। इन अनुवादों का रूसी प्रतीकवाद के विकास पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा। इस साहित्यिक-दार्शनिक बदलाव ने रूसी संगीत को भी गहराई से प्रभावित किया।
अलेक्जेंडर स्क्रिऐबन भी एक रुसी संगीतकार और पियानोवादक थे, जिनका व्यक्तित्व और रचनात्मक शैली बड़ी ही उत्कृष्ट होने के साथ-साथ बड़ी ही जटिल भी मानी जाती थी। उस समय कई लोग उन्हें मानसिक तौर पर विकृत मानते थे। उनका मानना था कि उनकी कला दुनिया को बचा सकती है।
एक ओर जहां व्लादिमीर एशकेनाज़ी (Vladimir Ashkenazy), वासिली सफोनोव (Vassili Safonov) जैसे कुछ लोग उन्हें एक प्रतिभाशाली कलाकार मानते थे, वहीं दूसरी तरफ सर्गेई प्रोकोफिव (Sergei Prokofiev) और रिमस्की कोरसाकोव (Rimsky Korsakov) जैसे कई अन्य कलाकारों ने उनकी कठोर आलोचना भी की। वह उन्हें अक्खड़ और अहंकारी व्यक्तित्व वाला कलाकार मानते थे। जब स्क्रिऐबन ने ‘पियानो कॉन्सर्टो इन एफ-शार्प माइनर, ऑप. 20’ (Piano Concerto in F-sharp minor, Op. 20) नामक अपनी पहली कृति प्रकाशित की, तो कई लोगों ने तो इसे सराहा, जबकि कई लोगों ने इसकी आलोचना भी की।
अपने विवादित व्यक्तित्व के बावजूद, स्क्रिऐबन की रचना शैली बड़ी ही अनूठी मानी जाती थी। उनका संगीत विशिष्ट उतार-चढ़ाव से भरा होता था, जिसमें उनकी अध्यात्मविद्या में रुचि साफ़-साफ़ झलकती थी। दरअसल, थियोसोफी अर्थात अध्यात्मविद्या एक आध्यात्मिक दर्शन है जो सभी धर्मों, दर्शन और पंथों में छिपे ज्ञान या बुद्धिमत्ता को उजागर करना चाहता है। थियोसोफिकल सोसायटी (Theosophical Society) का मिशन लोगो के बीच गहरी समझ‚ शाश्वत ज्ञान‚ आध्यात्मिक आत्म-परिवर्तन तथा जीवन की एकता की अनुभूति विकसित करके मानवता की सेवा करना है। स्क्रिऐबन अध्यात्मविद्या की ओर इसलिए आकर्षित हुए क्योंकि इसने उन्हें दुनिया के बारे में सोचने का एक नया तरीका सिखाया।
स्क्रिऐबन के संगीत को अक्सर रंग, सुगंध, कल्पना, नृत्य और भ्रम से परिपूर्ण माना जाता है। स्क्रिऐबन के संगीत को अक्सर ‘अवास्तविक’ और ‘स्वपनो के समान’ संदर्भित किया जाता है। स्क्रिऐबनका संगीत रंग और गंध के अनूठे मिश्रण के लिए भी जाना जाता है।
1904 में, स्क्रिऐबन ने एक दार्शनिक सम्मेलन में भाग लिया जहाँ वे शोपेनहावर और नीत्शे के विचारों से परिचित हुए। इस सम्मेलन के बाद उनकी नीत्शे द्वारा प्रदत्त ‘जरथुस्त्र' (Zarathustra) और ‘उबेरमेंश’ (Ubermensch) की अवधारणा में रुचि काफी बढ़ गई।
नीत्शे के लिए, उबेरमेंश एक ऐसा व्यक्ति है, जो पूरी तरह से जीवन की पुष्टि करने में सक्षम है। कोई ऐसा व्यक्ति जो अपने रास्ते में आने वाले हर कार्य के लिए ‘हां' कहता है। एक ऐसा प्राणी जो अपने मूल्य का स्वयं निर्धारक बनने में सक्षम है। इस अवधारणा से परिचित होने के बाद स्क्रिऐबन भी खुद को एक प्रकार के उबेरमेंश के रूप में देखने लगे, जो संगीत, रंग, नृत्य और सुगंध की शक्ति के माध्यम से मानवता को एक नई और बेहतर स्थिति की ओर ले जाना चाहते है। “स्क्रिऐबन द्वारा इस मानसिक स्थिति की अवधि के दौरान रची गई रचनाओं को अक्सर ‘रहस्यमय’ या ‘परमानंद’ संगीत की संज्ञा दी जाती है।” उनका मानना था कि संगीत लोगों में परिवर्तनकारी बदलाव ला सकता है, और वह खुद भी ऐसा संगीत बनाना चाहते थे, जो लोगों को चेतना की उच्च अवस्था तक ले जाए।
इस अवधि के दौरान अपनी रचनाओं को स्क्रिऐबन ने ‘लि डिवाइन पोएम’ (Le divin poème), लि पोएम ऑफ एक्स्टसी’ (Le poème de l’Extase/Poem of Ecstasy’ और ‘लि पोएम डि फ्यू’ (‘Le poème du feu/Poem of Fire’) जैसे शीर्षक दिए। ‘लि पोएम डि फ्यू’ कविता के वास्तविक मंचन को आप नीचे दिए गए वीडियो लिंक पर क्लिक करके भी देख सकते हैं:
माना जाता है कि स्क्रिऐबन‘सहसंवेदनशीलता’ (synesthesia) से भी जूझ रहे थे। यह एक ऐसी स्थिति मानी जाती है जिसमें आप किसी एक इंद्री का अनुभव किसी दूसरी इंद्री से कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, सहसंवेदनशीलता से पीड़ित व्यक्ति संगीत सुनते-सुनते इसकी शैली के आधार पर अलग-अलग रंगों को देख सकता है। इस तरह उन्होंने संगीत नोट्स और कुंजियों को रंगों से जोड़ दिया। उदाहरण के लिए, कुंजी ‘डी’ (D) चमकीले पीले रंग का प्रतिनिधित्व करती है, जबकि ‘ए’ (A) गहरे हरे रंग की तरह दिखती है, और ‘डी फ्लैट’ (D Flat) उन्हें गहरे बैंगनी रंग की तरह महसूस होती है। स्क्रिऐबन ऐसा संगीत बनाना चाहते थे जो श्रोताओं में एक संश्लेषणात्मक अनुभव पैदा कर सके, ताकि वे न केवल संगीत सुनें, बल्कि उसके रंग भी देखें और अन्य संवेदनाओं को भी महसूस करें।
1905 की असफल क्रांति के बाद, कई रूसी कलाकार मानसिक तौर पर उथल पुथल का सामना कर रहे थे, जिस कारण वे संगीत पर नए प्रयोग करना चाह रहे थे। इसी कारण इन कलाकारों में, स्क्रिऐबन के समान ही, एक इगोर स्ट्राविंस्की (Igor Stravinsky) भी थे। स्ट्राविंस्की ने इस विषम स्थिति से प्रेरित होकर, पुरातत्वविद् निकोलस रोरिक (Nicholas Roerich) की मदद से ‘द राइट ऑफ स्प्रिंग’ (The Rite of Spring) नामक एक बैले संगीत (ballet music) बनाया। यह अनोखा बैले पारंपरिक कथानक के बजाय, प्राचीन स्लाव या पूर्वी योरोपी अनुष्ठानों पर केंद्रित था। इस बैले के निर्माण के लिए स्ट्राविंस्की ने रचना के कई नियमों को तोड़ा, और एक शक्तिशाली, अभूतपूर्व संगीत का निर्माण किया। इसमें असंगत ध्वनियों और जटिल लयों का प्रयोग किया गया था। लेकिन इसमें कई गाने योग्य धुनें भी शामिल की गई थी। यह बैले प्रकृति के साथ मौलिक संबंध दर्शाते हुए “भय और आनंद" दोनों का अनुभव प्रदान करने में सक्षम था। “स्ट्राविंस्की के प्रदर्शन के बाद से गेर्गिएव (Gergiev) के ‘द राइट ऑफ स्प्रिंग’ के प्रदर्शन को विश्व की सबसे असाधारण रिकॉर्डिंग माना जाता है।" इसे बजाना और रिकॉर्ड करना बहुत कठिन है। लेकिन फिर भी यह एक अद्भुत और रोमांचक प्रदर्शन साबित होता है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/5n6n3a3n
https://tinyurl.com/3p3tsh89
https://tinyurl.com/3j529jaj
https://tinyurl.com/yn432mfk
https://tinyurl.com/z7cxs9dp
https://tinyurl.com/37ywajcv
चित्र संदर्भ
1. पियानो बजाते अलेक्जेंडर स्क्रिऐबन को दर्शाता एक चित्रण (getarchive)
2. अलेक्जेंडर स्क्रिऐबन को उनके सह कलाकारों के साथ दर्शाता एक चित्रण (getarchive)
3. यूरी खानन और अलेक्जेंडर स्क्रिपियन (Yuri Khanon & Alexander Scriabin) को दर्शाता एक चित्रण (Wikimedia)
4. संगीत के चिन्हों को दर्शाता एक चित्रण (Rawpixel)
5. थियोसोफिकल सोसायटी, अड्यार, भारत की स्मारक पट्टिका का एक चित्रण (wikimedia)
6. पियानो बजाते अलेक्जेंडर स्क्रिऐबन की पेंटिंग को दर्शाता एक चित्रण (Wikimedia)
7. इगोर स्ट्राविंस्की को दर्शाता एक चित्रण (PICRYL)
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