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सिकंदर के साम्राज्य को दुनिया के इतिहास में सबसे बड़े एकल साम्राज्यों में से एक माना जाता है। उसके विशाल साम्राज्य की सीमाएं मैसेडोनिया (Macedonia) से मिस्र तक और यूनान (Greece) से लेकर हमारे भारत के कुछ हिस्सों तक फैली हुई थीं। सिकंदर के युद्धों और भारत की यात्राओं का वर्णन उसकी मृत्यु के तीन सौ साल बाद 323 ईसा पूर्व में लिखी गई दो पुस्तकों में किया गया है। दोनों किताबों का शीर्षक ग्रीक भाषा में “इंडिका” (Indica) अर्थात ‘इंडिया’ है । इसमें से एक पुस्तक मेगस्थनीज़ द्वारा और दूसरी एरियन द्वारा लिखी गई है। आइए, आज हम एरियन द्वारा रचित इंडिका पर गहराई से नज़र डालें। “इंडिका" दूसरी शताब्दी ईसवी में एक यूनानी दार्शनिक “एरियन” (Arrian) द्वारा लिखी गई एक प्रसिद्ध किताब है, जिसमें “सिकंदर" के भारत अभियान की यात्रा का वर्णन किया गया है। यह पुस्तक मुख्य रूप से सिंधु घाटी पर सिकंदर की विजय के बाद, उसके एक अधिकारी “निअर्चस” (Nearchus) की भारत से फारस की खाड़ी तक की यात्रा का वर्णन करती है। यह पुस्तक हमें प्राचीन भारत के इतिहास, भूगोल और संस्कृति के बारे में भी बहुत कुछ बताती है।
इस पुस्तक के लेखक एरियन (86 से 160 ईसवी) एक यूनानी इतिहासकार, सैन्य कमांडर और दार्शनिक थे। उन्हें उनकी पुस्तक “द अनाबसिस ऑफ अलेक्जेंडर” (Anabasis of Alexander) के लिए भी जाना जाता है, जिसे सिकंदर की यात्राओं और अभियानों से जुड़ा सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है। “द अनाबासिस ऑफ अलेक्जेंडर" में एरियन ने भारत के भूगोल का वर्णन किया है और इस क्षेत्र को दक्षिणी एशिया के चार सबसे बड़े भागों के रूप में वर्णित किया है। एरियन की एनाबसिस की सबसे पुरानी मौजूदा प्रति 1200 ईसवी में लिखी गई एक पांडुलिपि है जो वियना में संग्रहित है। हालांकि, उसके भी कुछ महत्वपूर्ण हिस्से नष्ट अथवा गायब हो चुके हैं ।
एरियन का जन्म निकोमेडिया (Nicomedia), जो तुर्की के कोकेली प्रांत का केंद्रीय जिला आधुनिक इज़मित, है, में हुआ था। एरियन एक रोमन नागरिक थे और स्टोइक (Stoic) दार्शनिक एपिक्टेटस (Epictetus) के छात्र भी थे। एरियन द्वारा लिखित ‘इंडिका’ का पहला भाग मेगस्थनीज (Megasthenes) के काम पर आधारित है, और दूसरा भाग निअर्चस द्वारा लिखित पत्रिका पर आधारित है। मेगस्थनीज यूनान का एक राजदूत था जो चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में आया था। मेगस्थनीज द्वारा लिखित पत्रिका का मूल खंड अब खो गया है, लेकिन इसके अवशेष बाद के ग्रीक (Greek) और लैटिन (Latin) लेखन में अभी भी संरक्षित हैं। इनमें से कुछ शुरुआती रचनाएँ डियोडोरस सिकुलस (Diodorus Siculus), स्ट्रैबो (Strabo), प्लिनी (Pliny) और एरियन (Arrian) की हैं।
इंडिका नामक अपनी पुस्तक में एरियन ने सिंधु नदी का वर्णन करते हुए लिखा है कि गंगा नदी के बाद यह एशिया (Asia) और यूरोप (Europe) की सबसे बड़ी नदी है। वह भारत की नदियों की तुलना डेन्यूब (Danube) और नील (Nile) नदी से भी करता है। सिकंदर अपनी सेना के साथ दिन के समय सिंधु नदी को पार करके ही भारत देश में आया था। हालांकि, मेगस्थनीज़ द्वारा लिखी गई इंडिका में दो अन्य प्रमुख भारतीय नदियों, हाइडेस्पीज (अब झेलम नदी) और हाइफैसिस (अब ब्यास नदी) (Hydaspes and Hyphasis) का भी उल्लेख किया गया है। एरियन ने कभी भी भारत का दौरा नहीं किया। इसलिए उन्होंने अपनी पुस्तक इंडिका को प्रचलित किंवदंतियों और अन्य लेखकों के ग्रंथों के आधार पर लिखा था। सिकंदर और मध्य एशिया के बारे में सभी प्राचीन यूनानी अभिलेखों में एरियन के ग्रंथ ही सबसे अधिक प्रामाणिक माने जाते हैं।
इंडिका में वर्णित है कि सिकंदर ने सिंधु घाटी तक पहुंचने के बाद, वापस अपने साम्राज्य “बेबीलोन” (Babylon) की तरफ लौटने की योजना बनाई। लेकिन इसके बाद भी सिकंदर सिंधु के मुहाने तथा भारत और बेबीलोन के बीच के समुद्री मार्ग के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहता था। इसलिए उसने तट का पता लगाने के लिए अपने अधिकारी “निअर्चस” को इस यात्रा पर भेजा। इंडिका के अधिकांश पन्नों में इसी बात का वर्णन है कि निअर्चस ने अपनी यात्रा के दौरान भारत में क्या-क्या देखा। इसलिए यह किताब प्राचीन भारत के भूगोल और संस्कृति के बारे में मूल्यवान जानकारी प्रदान करती है। इस पुस्तक की शुरुआत भारत के भूगोल, नदियों और सहायक नदियों सहित विविध परिदृश्य के वर्णन के साथ होती है। इसके बाद लेखक भारत में ग्रीक पौराणिक कथाओं के देवता हेराक्लीज और डायोनिसस (Heracles and Dionysus) के बारे में बताने लगते हैं।
“इंडिका” भारतीय व्यवसायिक वर्गों और सामाजिक संरचना का भी वर्णन करती है, साथ ही भारत में उस समय प्रचलित शिकार करने के तरीके और युद्ध करने का भी वर्णन है। इसमें भारत में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के जानवरों का भी वर्णन किया गया है।
इसके बाद सिकंदर महान की विजय के बाद यह किताब भारत से बेबीलोन तक निअर्चस की यात्रा की कहानी की ओर बढ़ती है। इस बिंदु से आगे के अधिकतर पाठों में निअर्चस के अनुभवों का वर्णन किया गया है। हालाँकि, यहां से आगे एरियन समय-समय पर मुख्य कहानी से हटकर निअर्चस के रास्ते में पड़ने वाले विभिन्न समुदायों के बारे में भी विस्तार से बताते हैं। साथ ही इसमें वह स्थानीय समुदायों के साथ हुई निअर्चस के सैनिकों की लड़ाई का भी वर्णन करते हैं। अंत में निअर्चस और सिकंदर की मुलाकात के साथ ही यह पुस्तक भी समाप्त हो जाती है। यह पुस्तक इस बात की अंतर्दृष्टि भी प्रदान करती है कि प्राचीन यूनानी और रोमन लोग भारत के बारे में क्या सोचते थे! आखिर में सिकंदर निअर्चस को सुरक्षित यात्रा के लिए बधाई देता है, और उसे उसके प्रयासों के लिए पुरस्कृत भी करता है। एरियन ने इंडिका की रचना करने के लिए कई अन्य प्राचीन स्रोतों का भी सहारा लिया। इसमें उनका मुख्य स्रोत निअर्चस द्वारा लिखा गया वह यात्रा वृत्तांत भी है, जो अब लुप्त हो चुका है। साथ ही इसके लिए एरियन ने इरेटोस्थनीज (Eratosthenes) और मेगस्थनीज (Megasthenes) सहित कई अन्य प्राचीन लेखकों से भी प्रेरणा ली।
संदर्भ
https://tinyurl.com/4s9cf25p
https://tinyurl.com/mr4afv3c
https://tinyurl.com/ewzw2dkf
https://tinyurl.com/yusdbt7y
https://tinyurl.com/8zutfhuk
चित्र संदर्भ
1. सिकंदर के कूच को दर्शाता एक चित्रण (worldhistory, wallpaperflare)
2. मौर्य साम्राज्य को दर्शाता एक चित्रण (worldhistory)
3. एरियन की यात्रा को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. सिंधु घाटी सभ्यता को दर्शाता एक चित्रण (Wikimedia)
5. सिंधु नदी को दर्शाता एक चित्रण (Wallpaper Flare)
6. सिकंदर के भारतीय मार्ग को दर्शाता एक चित्रण (Wikimedia)
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