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भगवान विष्णु को नारायण और हरि के नाम से भी जाना जाता है। वह हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं (त्रिदेवों) में से एक हैं। उन्हें हिंदू धर्म की वैष्णववाद परंपरा में सर्वोच्च स्थान दिया जाता है। त्रिमूर्ति (ब्रह्मा-विष्णु-महेश) देवताओं में भगवान विष्णु को संरक्षक देवता के रूप में जाना जाता है। प्राचीन भारतीय धार्मिक ग्रंथ ऋग्वेद में भगवान विष्णु को सर्वोच्च स्थान दिया गया है।
ऋग्वेद में 33 देवों का वर्णन किया गया है, जिनमें से कुछ प्रकृति की शक्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं और कुछ नैतिक मूल्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं। ऋग्वेद को हिंदू धर्म के चार वेदों में से सबसे प्राचीन माना जाता है। ऋग्वेद की रचना लगभग 3500 वर्ष पूर्व हुई थी और इसमें एक हजार से अधिक (1,028) स्तुतियाँ वर्णित हैं, जिन्हें ‘सूक्त’ कहा जाता है।
इनमें से अधिकांश सूक्त या श्लोक अलग-अलग देवताओं को समर्पित हैं। इन सभी देवताओं में सबसे प्रमुख देवता इंद्र हैं, इसके बाद क्रमशः अग्नि और सोम इत्यादि देव हैं। ऋग्वेद के सभी 1028 सूक्तों में से लगभग एक तिहाई में कहीं न कहीं “इंद्र” देव का संदर्भ मिल ही जाता है।
कुछ सूक्तों में युग्मित देवताओं का वर्णन किया गया है, जैसे कि इंद्र-अग्नि, मित्र-वरुण, सोम-रुद्र। विश्वेदेवों अर्थात सभी देवताओं का एक साथ का 70 बार आह्वान किया गया है।
ऋग्वेद में वर्णित कुछ देवताओं के नाम और उनके वर्णन की संख्या निम्न प्रकार है:
इन्द्र - 250
अग्नि - 200
सोम - 123
अश्विन - 56
वरुण - 46
मरुत्स - 38
मित्रा - 28
उषास - 21
वायु - 12
सवित्र - 11
रभुस - 11
पूषन - 10
बृहस्पति - 8
सूर्य - 8
द्यौष पितृ और पृथ्वी मातृ - 6, जिनमें 5.84 अकेले पृथ्वी को समर्पित हैं
अपास - 6
आदित्य- 6
विष्णु - 6;4 और 2 युग्मित भजन 1.155 विष्णु-इंद्र को समर्पित और भजन 6.69 इंद्र-विष्णु को समर्पित। कुल 6 भजन
महालक्ष्मी - श्री सूक्त
ब्राह्मणस्पति - 6
रुद्र -4, 3 और एक युग्मित भजन 6.74 जो सोम-रुद्र दोनों को समर्पित है। कुल 4 भजन
दधिक्रस - 4
यम - ४
सरस्वती- 3
पर्जन्य - 3
वास्तोस्पति - 2
विश्वकर्मन् - 2
मन्यु - 2
कपिंजला - 2
इनके अलावा कुछ अन्य देवी देवताओं का भी वर्णन किया गया है । भले ही ऋग्वेद में देवराज इंद्र का वर्णन सबसे अधिक बार किया गया हो, लेकिन इसमें “भगवान विष्णु” को सर्वोच्च स्थान दिया गया है। हालांकि, ऋग्वेद के 1028 सूक्तों में से केवल 5 सूक्त विष्णु को पूर्ण रूप से समर्पित हैं, लेकिन उनका उल्लेख अन्य देवताओं के साथ अन्य सूक्तों में भी मिलता है। भगवान विष्णु के सर्वव्यापक चरित्र (सर्वव्यापकता) को ऋग्वेद में एक से अधिक सूक्तों में उल्लेखित किया गया है।
ऋग्वेद संहिता के पहले मंडल में आठ छंद हैं, जिनमे भगवान विष्णु के उन तीन कदमों का बार-बार उल्लेख किया गया है, जिनसे उन्होंने पूरे ब्रह्मांड को माप दिया था। ऋग्वेद में तीन पग वाले विष्णु का वर्णन होना, प्रतीकात्मक रूप से यह दर्शाता है कि यह संपूर्ण ब्रह्मांड भगवान विष्णु द्वारा व्याप्त है। सामान्य भाषा में इसका तात्पर्य है कि भगवान विष्णु द्वारा रचित यह संपूर्ण ब्रह्मांड स्वयं भगवान विष्णु में ही निहित है।
सबसे महत्वपूर्ण सूक्त भगवान विष्णु के शाश्वत निवास या ‘परमपद’ का वर्णन करते हुए बिना किसी संदेह के भगवान विष्णु की सर्वोच्चता स्थापित करता है। सूक्त में कहा गया है: “संपूर्ण ज्ञान से संपन्न प्रबुद्ध द्रष्टा (सूरी) हमेशा विष्णु के उस सर्वोच्च निवास को प्राप्त करते हैं, जैसे चमकता हुआ सूरज पूरे आकाश में व्याप्त है जैसे कि वह स्वर्ग में लगी हुई आंख हो"। इस भजन में विष्णु शब्द ‘पर-ब्रह्मा’ को संदर्भित करता है क्योंकि शाश्वत रूप से विद्यमान सर्वोच्च निवास सर्वोच्च व्यक्ति का होना चाहिए। परमपद शब्द का अर्थ विष्णु का स्वरूप या स्वभाव भी है, और इसी अर्थ में उन्हें प्राप्त भी किया जा सकता है।
भगवान् विष्णु के तीन चरणों का दार्शनिक महत्व ‘शतपथ ब्राह्मण' में अधिक स्पष्ट रूप से सामने लाया गया है। शतपथ ब्राह्मण शुक्ल यजुर्वेद का ब्राह्मण ग्रन्थ है, परंतु यह हर जाति व वर्गों के लिए है। इस परिच्छेद में वर्णित है कि “भगवान विष्णु ही यज्ञ हैं।” उन्होंने अपने पहले चरण से संपूर्ण भौतिक पृथ्वी, दूसरे चरण से संपूर्ण अंतरिक्ष और तीसरे चरण से स्वर्ग की व्यापकता को माप दिया।
ऋग्वेद के खंड 7.99 में, भगवान् विष्णु को ऐसे देवता के रूप में वर्णित किया गया है, जो स्वर्ग और पृथ्वी को प्रथक करते हैं। इंद्र देव की भी यही विशेषता है। वेदों के कुछ प्राचीन टीकाकारों और कुछ पश्चिमी विद्वानों के अनुसार, भगवान विष्णु ही सूर्य देव हैं, जहां सुबह का उगता सूरज, दोपहर का सूरज और शाम का डूबता सूरज उनके तीन चरणों का प्रतिनिधित्व करता है। इन तीन चरणों की व्याख्या सूर्य के तीन अलग-अलग रूपों में प्रकट होने के रूप में भी की जाती है। इनमें से पहला सांसारिक क्षेत्र में अग्नि के रूप में प्रकट होता है, दूसरा ऊपरी क्षेत्र (अंतरिक्ष) में विद्युत (बिजली) के रूप में और तीसरा उच्च आकाशीय क्षेत्र में (दिवि) सूर्य के रूप में प्रकट होता है।
भगवान विष्णु को सर्वव्यापी, सभी प्राणियों में व्याप्त और पूरी सृष्टि का आधार बताया गया है। ये गुण भगवान विष्णु को सर्वोच्च देवता के रूप में प्रदर्शित करते हैं, हालांकि, इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट सहमति नहीं है। जो लोग मानते हैं कि विष्णु सर्वोच्च देवता नहीं हैं, वे तर्क देते हैं कि ऋग्वेद में इंद्र और अग्नि जैसे अन्य देवताओं का उल्लेख उनसे अधिक बार किया गया है, और उनका भी समान गुणों के साथ वर्णन किया गया है। उनका यह भी तर्क है कि सर्वोच्च ईश्वर की अवधारणा हिंदू धर्म में बहुत बाद में विकसित हुई है।
जब भी दुनिया में बुराई, अराजकता और विनाशकारी शक्तियों का विस्तार होता है, तब-तब भगवान विष्णु ब्रह्मांड को व्यवस्थित करने और धर्म की रक्षा करने के लिए एक अवतार के रूप में जन्म लेते हैं। दशावतार भगवान विष्णु के दस प्राथमिक अवतार माने जाते हैं। इन दस अवतारों में से प्रभु श्री राम और श्री कृष्ण सबसे महत्वपूर्ण माने जाते हैं। हालांकि, आपने भी गौर किया होगा कि भगवान राम और श्री कृष्ण का वर्णन वेदों में कहीं भी नहीं मिलता है। इसी तथ्य को आधार बनाकर कई लोग प्रभु श्री राम और भगवान कृष्ण की पूजा करने पर सवाल उठाते हैं। लेकिन विशेषज्ञ इस तर्क का विरोध करते हुए कहते हैं कि “भगवान राम और श्री कृष्ण, भगवान् विष्णु के ही अवतार हैं और भगवान विष्णु का उल्लेख वेदों में कई बार किया गया है।”
भारतीय परंपरा में यह माना जाता है कि वेदों की उत्पत्ति भी संसार की उत्पत्ति के साथ ही हुई है। प्रभु श्री राम और श्री कृष्ण क्रमशः द्वापरयुग और त्रेतायुग में अवतरित हुए थे। श्री राम और श्री कृष्ण से संबंधित इतिहास या ऐतिहासिक ग्रंथ: रामायण और महाभारत से पता चलता है कि वेदों का निर्माण इन दोनों के अवतरण से बहुत पहले हुआ था। शायद इसीलिए वेदों में इन दोनों का वर्णन नहीं मिलता है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/5n7wuzye
https://tinyurl.com/2ypmwus5
https://tinyurl.com/3938dyx4
https://tinyurl.com/4t3bj6h4
https://tinyurl.com/2sy2tysh
https://tinyurl.com/32bfzwxk
चित्र संदर्भ
1. श्री हरी विष्णु को दर्शाता एक चित्रण (look&learn)
2. श्री हरी विष्णु को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. ऋग्वेद पाण्डुलिपि को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. वामन और भगवान् विष्णु को दर्शाता एक चित्रण (PICRYL)
5. भगवान् विष्णु के दशावतारों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. प्रभु श्री राम को दर्शाता एक चित्रण (creazilla)
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