आज के युग में क्यों बढ़ रहा हैं, सांकेतिकता (Semiotics) का महत्त्व?

संचार एवं संचार यन्त्र
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आज के युग में क्यों बढ़ रहा हैं, सांकेतिकता (Semiotics) का महत्त्व?

जब–कभी भी हम, कहीं पर कुछ विशिष्ट चिन्ह या संकेत देखते हैं, तब सबसे पहले, हमें उस संदर्भ को समझने की आवश्यकता होती है, जिसमें इस चिन्ह या संकेत का वास्तविक अर्थ छुपा होता है। सांकेतिकता (Semiotics) का सिद्धांत, यह सुनिश्चित करने हेतु एक महत्वपूर्ण उपकरण है कि, संकेत का इच्छित अर्थ प्राप्तकर्ता व्यक्ति द्वारा स्पष्ट रूप से समझा जाए। अर्थात, सांकेतिकता हमें किसी संकेत के अर्थ को सुलझाने में मदद कर सकती है।
सांकेतिकता की शुरुआत शब्दों के अर्थ (भाषा विज्ञान) की, एक शैक्षणिक जांच के रूप में हुई थी। हालांकि, फिर यह लोगों के व्यवहार (मानव विज्ञान और मनोविज्ञान) की जांच में बदल गई। इसके पश्चात, संस्कृति और समाज (समाजशास्त्र और दर्शन) का एक घटक बनने के बाद, अब इसका संदर्भ सांस्कृतिक उत्पादों (फिल्में, साहित्य, कला– गंभीर सिद्धांत) के विश्लेषण के साथ, अंततः उपभोक्ता व्यवहार और ब्रांड(Brand) संचार पर शोध और विश्लेषण के रूप में लिया जाने लगा हैं। भाषाविज्ञान में संकेत प्रक्रियाओं (लाक्षणिकता) या अभिव्यंजना तथा संप्रेषण, लक्षणों तथा प्रतीकों का अध्ययन सांकेतिकता अथवा संकेतविज्ञान (Semiotics या Semiotic studies या Semiology) कहलाता है।
इसे आम तौर पर निम्नलिखित तीन शाखाओं में विभाजित किया जाता है:
अर्थ-विज्ञान (Semantics): संकेतों एवं उनके संदर्भों के बीच संबंध और उनका निर्देश।
वाक्य-विज्ञान (Syntactic): औपचारिक संरचनाओं में संकेतों के बीच संबंध। और
संकेतप्रयोगविज्ञान (Pragmatics): संकेत और उनका उपयोग करने वालों (लोगों) पर उनके प्रभाव के बीच संबंध।
सरल अर्थ में, सांकेतिक विश्लेषण प्रतीकों या चिह्नों का अनुसंधान और अध्ययन होता है। हमारी संस्कृति, सामाजिक मानदंडों, उपभोक्ता अंतर्दृष्टि और ब्रांड विश्लेषण में इसका काफ़ी महत्त्व है। किसी भी संकेत या चिन्ह को दरअसल, दो प्रकार से देखा जा सकता है –
1.वाचक या संकेतक (Signifier): यह भौतिक संकेतों को दर्शाता है। इनका अर्थ अक्षर, ध्वनि आदि गैर-अमूर्त संकेतों में छुपा होता हैं, जो एक विशेष संदेश देते हैं। संकेतक को निम्नलिखित तीन विशेष शैलियों में विभाजित किया जा सकता है –
प्रतीक (Icon): वे चिन्ह या प्रतीक, जिनमें भौतिक समानताएं होती हैं, उदाहरण के लिए, चित्र या मानचित्र।
चिन्ह (Symbol): ये गैर-भौतिक संकेत होते हैं, जैसे कि, शौचालय के लिए दिशा-निर्देश, चेतावनी संकेत, आदि।
सूचकांक (Index): यह संकेतक से उत्पन्न होता है, उदा. आग।
2.अभिव्यंजना या संकेतित (Signified): ये संकेत या प्रतीक हमारे अर्थात लोगों द्वारा की गई उनकी व्याख्याओं पर आधारित होते हैं।
इन्हें भी, निम्नलिखित तीन रूपों में विभाजित किया जा सकता है –
संकेतन (Denotation): यह किसी संकेत का सटीक अर्थ होता है।
गुणार्थ (Connotation): यह इस बात पर निर्भर करता है कि कोई व्यक्ति किसी प्रतीक को कैसे समझता है।
मिथक (Myth): ये वह संकेत होते हैं, जो किसी सामाजिक मानदंड या सांस्कृतिक कहानी को व्यक्त करते हैं।
सबसे बुनियादी स्तर पर, सांकेतिकता इस बात का अध्ययन है कि, किसी चीज का अर्थ कैसे बनाया जाता है। हम अकसर ही, सुनते हैं कि, सांकेतिकता संकेतों का अध्ययन है, लेकिन, यह केवल तभी संभव होता है, जब हम कोई संकेत क्या है? इसके बारे में बहुत व्यापक दृष्टिकोण रखते हैं। उदाहरण के लिए, गुलाब शब्द एक संकेत है, जो फूल को सूचित कर सकता है, और फूल (लाल गुलाब) एक संकेत हो सकता है, जो प्यार या जुनून को दर्शाता है।
कृत्रिम भाषा प्रसंस्करण के विपरीत, विभिन्न प्राणियों द्वारा अपने स्तर पर आधारभूत (जैविक) भावों के आदान-प्रदान के लिए मूल संकेतों का प्रयोग किया जाता है। इसके लिए, वे विभिन्न प्रकार की संकेत व्यवस्थाओं का प्रयोग करते हैं। इसी प्रकार हमारे द्वारा कुछ अन्य जीवन क्षेत्रों, जैसे- यातायात आदि में भी सीमित संकेतों के माध्यम से विशेष प्रकार के कार्य किए जाते हैं, जिनसे छोटी संकेत व्यवस्थाओं का निर्माण होता है। वैसे तो, हम सभी अपने जीवन में हर दिन संकेतों की व्याख्या करते हैं। हम मानवीय संबंधों, खरीदारी, काम, यात्रा आदि में प्रयुक्त संकेतों पर बातचीत करते हैं। सांकेतिकता विपणक, बाजार शोधकर्ताओं और अंतर्दृष्टि पेशेवरों के लिए उपयोगी होती हैं। उदाहरण के लिए, एक ब्रांड अपना एक नया उत्पाद बाजार में प्रमोचित करना चाहता है, जो उन लोगों पर लक्षित है, जो अपने पाचन स्वास्थ्य में सुधार करना चाहते हैं। सांकेतिकता तब यह निर्धारित करने में मदद कर सकती है कि, किन संकेतों या संदेशों का उपयोग किया जाना चाहिए तथा क्या प्रस्तावित विकल्पों का वांछित प्रभाव पड़ने की संभावना है या नहीं?
अब प्रश्न यह उठता है कि, आजकल सांकेतिकता का महत्व क्यों बढ़ रहा है? आइए, इसके कुछ मुख्य कारक पढ़ते हैं।
बिग डेटा का पूरक: सांकेतिकता, बिग डेटा (Big data) या व्यापक डेटा के पूरक के रूप में कार्य करती है। यह लोगों को यह समझाने में मदद करती है कि, किसी चिन्ह या संकेत का अर्थ कैसे आकार लेता है।
सामाजिक श्रवण का पूरक: आजकल सामाजिक श्रवण, डिजिटल (Digital) मंचों पर खुले मंच, समूहों और अन्य स्रोतों से हमारे संचार का विश्लेषण करके हमें बहुत सारी अंतर्दृष्टि प्रदान कर रहा है। सांकेतिकता हमें सामाजिक श्रवण के माध्यम से ध्वनि तथा भावनाओं की गहरी समझ प्रदान करती है।
ब्रांड और विज्ञापन में अंतर: ब्रांड और विज्ञापन में अंतर करने की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है और इसमें भी सांकेतिकता हमारी मदद करता है।
सामाजिक परिवर्तन: आज उपभोक्ता व्यवहार, संस्कृति, हमारी जीवन शैली, मानसिकता और विचारधारा में भी काफ़ी परिवर्तन हो रहा हैं। कुछ अध्ययनों से पता चला है कि, लोगों में वस्तुओं का उपभोग करने की इच्छा में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। ऐसी स्थिति में, उपभोक्ताओं को सांकेतिकता के माध्यम से प्रभावित किया जा सकता है।
विपणन में अमूर्त वस्तुओं का नई मूर्त वस्तुओं में परिवर्तन: आज विपणन का परिप्रेक्ष्य स्पष्ट और मूर्त (उत्पाद और सेवाएं) से वस्तुओं के बजाय, क्षणभंगुर और अमूर्त (संकेत और अर्थ) वस्तुओं की ओर स्थानांतरित हो रहा है।
उत्पादों में बढ़ती जटिलता: उन्नत फोन, कारों (Cars) और अन्य नवाचार वाले उत्पादों, जैसी पेशकशों की जटिलता में हो रही वृद्धि के साथ यह समझना और भी महत्वपूर्ण है कि, उपभोक्ता किसी संकेत या चिन्ह की व्याख्या और उपयोग कैसे करता है।
वैश्वीकरण और स्थानीयकरण के बीच संतुलन: वैश्विक ब्रांडों को स्थानीय संयोजन एवं उपभोक्ताओं को प्रभावित करने के लिए सांस्कृतिक बारीकियों को संप्रेषित करना महत्वपूर्ण है।
इंटरनेट मार्केटिंग और अव्यवस्था से मुक्ति: आज कंपनियां इंटरनेट और डिजिटल माध्यम पर अपना खर्च और उपस्थिति बढ़ा रही हैं। इंटरनेट पर बढ़ते विज्ञापन लोगों में अव्यवस्था पैदा कर रहे हैं। इसलिए, सांकेतिकता इस अव्यवस्था से अलग होने में मदद कर सकती है।

संदर्भ

https://tinyurl.com/2f3wtmkm
https://tinyurl.com/yk6y7uu5
https://tinyurl.com/54w89rht
https://tinyurl.com/3xa55ztr
https://tinyurl.com/4k7hhwy6

चित्र संदर्भ 
1. सांकेतिकता को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. रसोई की लाक्षणिकता को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. नैतिक एकाधिकार बोर्ड को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. यूसीबी अलकेमिकल प्रतीक को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

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