समयसीमा 229
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 963
मानव व उसके आविष्कार 757
भूगोल 211
जीव - जन्तु 274
Post Viewership from Post Date to 05- Oct-2023 (31st Day) | ||||
---|---|---|---|---|
City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
1888 | 421 | 2309 |
ग्रेनेड (Grenade) या हथगोला, एक विस्फोटक उपकरण है, जिसे आमतौर पर या तो हाथ से फेंका जाता है या फिर ग्रेनेड लॉन्चर (Grenade launcher) से लॉन्च किया जाता है। हथगोले का एक विविध इतिहास है और ये विभिन्न प्रकार के होते हैं, जिनमें से प्रत्येक हथगोला एक विशिष्ट उद्देश्य को पूरा करता है। एक उल्लेखनीय प्रकार का ग्रेनेड, “शिवालिक ग्रेनेड” भी है। भारत ग्रेनेड उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है तथा यह ग्रेनेड विनिर्माण का एक महत्वपूर्ण केंद्र है।
हाथ से फेंके जाने वाले आधुनिक ग्रेनेड में आम तौर पर एक “फिलर” (Filler विस्फोटक चार्ज), एक डेटोनेटर तंत्र (Detonator mechanism), डेटोनेटर को ट्रिगर करने के लिए एक आंतरिक स्ट्राइकर (Striker), ट्रांसपोर्ट सेफ्टी (Transport safety) से सुरक्षित एक आर्मिंग सुरक्षा (Arming safety) होती है। उपयोगकर्ता ग्रेनेड को फेंकने से पहले ट्रांसपोर्ट सेफ्टी को हटा देता है। जब ग्रेनेड हाथ से छूट जाता है, तो आर्मिंग सुरक्षा अलग हो जाती है, जिससे स्ट्राइकर, प्राइमर को ट्रिगर करता है। प्राइमर को ट्रिगर करने से फ़्यूज़ (Fuze – जिसे अंतिम या विलंब तत्व भी कहा जाता है) प्रज्वलित होता है। अंत में जब फ़्यूज़, डेटोनेटर तक पहुंचता है, तब मुख्य चार्ज का विस्फोट हो जाता है। इतिहास के सबसे पहले हथगोले 8वीं शताब्दी ईस्वी के बीजान्टिन काल (Byzantine) के माने जाते हैं। इन्हें “ग्रीक फायर” (Greek Fire) के नाम से जाना जाता था, क्योंकि इनसे आसानी से आग लगाई जा सकती थी। अगली कुछ शताब्दियों में ग्रेनेड के विकास ने इसे बनाने की तकनीक का इस्लामी दुनिया और सुदूर पूर्व में प्रसार किया। प्रारंभिक चीन (China) के हथगोले में एक धातु आवरण और एक बारूद भराव किया जाता था तथा फ्यूज के रूप में मोमबत्तियों की छड़ें इस्तेमाल की गई थीं। “ग्रेनेड” शब्द की उत्पत्ति लैटिन शब्द “ग्रेनाटस” (Granatus) से हुई है, जिसका शाब्दिक अर्थ है, "“ग्रेन (grain) या अनाज से भरा हुआ”"। असल में, ग्रेनेड में मौजूद "ग्रेन", धातु के कनस्तरों में निहित, अनाज के समान दिखने वाले, विस्फोटक मिश्रण और यौगिक को संदर्भित करते थे, जिन्हें चिंगारी, फ्यूज, यांत्रिक प्रज्वलन द्वारा जलाया जाता था। ग्रेनेड में मौजूद ग्रेन धातु के कनस्तरों में निहित विस्फोटक मिश्रण और यौगिक थे, जिन्हें चिंगारी, फ्यूज, यांत्रिक प्रज्वलन द्वारा जलाया जाता था। कुछ स्रोतों के अनुसार यह शब्द स्पैनिश (Spanish) शब्द ग्रेनाडा या अनार से लिया गया है। क्योंकि ग्रेन अनार जैसे दिखाई देते थे। युद्ध में हथगोले पहली बार कब उपयोग किए जाने लगे, इस बात का पता अभी तक नहीं चल पाया है। लेकिन, माना जाता है कि पहला ग्रेनेड जीवित सांपों की एक प्रजाति वाइपर (Viper) का एक छोटा बक्सा था, जिसे प्राचीन योद्धाओं ने दुश्मन के शिविर में फेंक दिया था।
ऐसा माना जाता है कि “ग्रेनेड” शब्द का पहली बार उपयोग 1536 में राजा फ्रांसिस-प्रथम (King Francis-I) के अधीन फ्रांसीसी सेना द्वारा दक्षिणी फ्रांस में आर्ल्स (Arles) की घेराबंदी के साथ हुआ था। शुरुआती ग्रेनेड को कांच के ग्लोब, जार, कैग्स (Kegs) और फायरपॉट (Firepots) से बनाया गया था। 1665 के एक संदर्भ के अनुसार ग्रेनेड को पॉकेट में रखा जाता था, जिसे ग्रेना-डायर (Grena-diere) कहा जाता था। प्रज्वलन प्रणाली के आधार पर ग्रेनेड दो प्रकार के होते हैं। पहला “टाइम डीले ग्रेनेड” (Time Delay Grenade) तथा दूसरा “इम्पेक्ट ग्रेनेड” (Impact Grenade)। टाइम डीले ग्रेनेड का प्राथमिक कार्य दुश्मन सैनिकों को मारना या घायल करना है। इसे इस तरीके से डिजाइन किया गया है कि, ग्रेनेड को फेकने के बाद के विस्फोट होने तक थोड़ा समय लगता है, फिर बिस्फोट होने पर अधिकतम क्षति होने के साथ ही हर दिशा में दर्जनों छोटे धातु के टुकड़े फैल जाते हैं। इसके अलावा “इम्पेक्ट ग्रेनेड” हवाई जहाज से छोड़े गए बम की तरह काम करते हैं, अर्थात यह अपने लक्ष्य पर लगते ही फट जाते हैं।
हाल ही में भारत ने “शिवालिक ग्रेनेड” विकसित किया है, जो भारत का स्वदेशी ग्रेनेड है। इसे टर्मिनल बैलिस्टिक रिसर्च लेबोरेटरी (Terminal Ballistic Research Laboratory - TBRL), रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (Defence Research and Development Organization, DRDO) की एक प्रयोगशाला द्वारा विकसित किया गया था, जो चंडीगढ़ के पास शिवालिक पहाड़ों की तलहटी में स्थित है। इसलिए, इसका नाम शिवालिक ग्रेनेड रखा गया है। यहां हम आपको ग्रेनेड के प्रकार के बारे में बता रहे हैं। मल्टी मोड हैंड ग्रेनेड मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं, जिनमें विखंडन (Fragmentation), रोशनी (Illumination), रासायन (Chemical) और इंकैंडीयरी (Incendiary) शामिल है। इन मल्टी-मोड हाथ से चलाए जाने वाले ग्रेनेड (Multi-Mode Hand Grenades - MMHG) का निर्माण रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation - DRDO) के सहयोग से नागपुर स्थित इकोनॉमिक एक्सप्लोसिव लिमिटेड (Economic Explosive Ltd - EEL) द्वारा किया गया है। यह शायद पहली बार है, जब भारतीय सेना के लिए गोला-बारूद का निर्माण भारत में किया जा रहा है। इकोनॉमिक एक्सप्लोसिव लिमिटेड, जो कि सोलर इंडस्ट्रीज इंडिया लिमिटेड (Solar Industries India Ltd) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है, ने पिछले महीने ही सशस्त्र बलों को ग्रेनेड की डिलीवरी शुरू कर दी है। मल्टी-मोड हैंड ग्रेनेड (Multi-Mode Hand Grenade) की खेप सेना को सौंप दी गई है। यह भारत में निजी उद्योग द्वारा गोला-बारूद निर्मित करने का पहला उदाहरण है। म्यूनिशन्स इंडिया (Munitions India) के अनुसार कंपनी को भारतीय सशस्त्र बलों के लिए 10 लाख से अधिक तथा निर्यात के लिए 3,000 करोड़ रुपये से अधिक के ऑर्डर मिले हैं।
संदर्भ:
https://tinyurl.com/39xd4d77
https://tinyurl.com/y5s9nb7x
https://tinyurl.com/msh45fdd
https://tinyurl.com/2xa6eepu
https://tinyurl.com/2devsev6
https://tinyurl.com/2s4j5trd
https://tinyurl.com/bderph29
https://tinyurl.com/2c33kj6y
चित्र संदर्भ
1. ग्रेनेड के साथ भारतीय सेना को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
2. दिखाने के लिए रखे गए हैंड ग्रेनेड को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
3. भीतर से ग्रेनेड को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
4. खोखले ग्रेनेड के साथ भारतीय सैनिकों को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
5. ग्रेनेड फेंकते सैनिक को दर्शाता चित्रण (Wallpaper Flare)
6. शिवालिक ग्रेनेड को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.