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आमतौर पर यदि बहुत अधिक जरूरी हो या कोई मजबूरी पड़ जाए, तो केवल उसी स्थिति में किसी और से पैसे मांगने को सही ठहराया जा सकता है। लेकिन, कई बार बड़ी-बड़ी कंपनियां या खुद सरकारें भी कुछ विशेष परिस्थितियों में दूसरे या आम लोगों से पैसे उठाती हैं। और पैसे के लेनदेन की यह प्रक्रिया आम देनदारी से बिलकुल अलग होती है।
“ऋण” (Debt) एक ऐसी स्थिति होती है, जब एक व्यक्ति या समूह पर किसी दूसरे व्यक्ति या समूह का पैसा बकाया या देनदारी हो जाती है। ऋण को आप एक प्रकार से उधार का ही विस्तृत स्वरूप मान सकते हैं, जहां कोई व्यक्ति या कंपनी, लिए गए ऋण का उपयोग बड़ी खरीदारी करने के लिए करती है, जिन्हें वह केवल अपने पैसे से वहन नहीं कर सकती थी। जब तक ऋणदाता द्वारा, ऋण माफ नहीं किया जाता है, तब ऋण लेने वाले पक्ष को यह पैसा ब्याज (अतिरिक्त पैसे सहित।) वापस लौटाना पड़ता है। “ऋण (Debt)” और “लोन (Loan)” शब्द मूलतः एक ही हैं और हम उनका परस्पर उपयोग करते हैं। लेकिन, आसान शब्दों में समझें तो ऋणदाता से उधार लिया गया धन “लोन” होता है, वहीं बांड (Bonds) या डिबेंचर (Debentures) आदि के माध्यम से जुटाया गया धन “ऋण” होता है।
ऋण कई प्रकार के होते जिनमें गृह ऋण, छात्र ऋण, क्रेडिट कार्ड (Credit Card) या व्यक्तिगत ऋण आदि शामिल हैं। अधिकांश ऋणों को सुरक्षित या असुरक्षित समूह में वर्गीकृत किया जा सकता है, जिसके बाद इसे चक्रीय या किस्त रूपों में विभाजित कर सकते हैं।
चलिए, अब ऋण की विभिन्न श्रेणियों और इनकी कार्यशैली के बारे में जानते हैं:
सुरक्षित ऋण बनाम असुरक्षित ऋण (Secured Debt Vs Unsecured Debt): सुरक्षित ऋण का मतलब होता है कि, आप बैकअप (Backup) के रूप में किसी मूल्यवान चीज के बदले में पैसा उधार लेते हैं। यदि आप वापस भुगतान नहीं करते हैं, तो ऋणदाता वह मूल्यवान चीज़ को अपने पास रख सकता है। वहीं असुरक्षित ऋण के तहत बैकअप के रूप में किसी दूसरी मूल्यवान चीज की आवश्यकता नहीं होती है। इस श्रेणी में ऋणदाता को भरोसा होता है, कि आप अपने वादे के अनुसार समय पर भुगतान कर देंगे। हालांकि इनका ब्याज भी अधिक पड़ता है।
चक्रीय या किस्त ऋण: चक्रीय (Revolving) ऋण एक तरह से क्रेडिट कार्ड की तरह ही होता है। इसके तहत आप एक निश्चित राशि का उपयोग कर सकते हैं, बाद में उसका भुगतान कर सकते हैं और फिर दोबारा उसका उपयोग कर सकते हैं। वहीं किस्त ऋण निश्चित होता हैं। यानी इसमें आपको एकमुश्त राशि मिलती है और इसे मासिक रूप से समान मात्रा में चुकाना पड़ता है।
बड़े व्यवसाय और सरकारें, ऋण साधन (Debt Instruments) का उपयोग करके धन उधार लेती हैं। वे इनका उपयोग पूंजी प्राप्त करने के लिए करते हैं। ऋण साधन विभिन्न प्रकार के होते हैं, लेकिन इनमे क्रेडिट उत्पाद, बांड (Bonds) या लोन (Loans) सबसे आम होते हैं। पैसे वापस करने के लिए प्रत्येक के अलग-अलग नियम होते हैं। ये नियम आमतौर पर अनुबंध में लिखे होते हैं।
हालांकि, ये बात बहुत कम लोग जानते हैं, किंतु विभिन्न देशों की सरकारें भी बांड के रूप में अपने नागरिकों से भी ऋण लेती हैं। सरकारी बांड केंद्र या राज्य सरकार द्वारा जारी ऋण उपकरणों की एक लोकप्रिय श्रेणी है। सरकार इन बांड्स में निवेश करने वाले लोगों से पैसा उधार लेती है और ये उधार लिया गया पैसा ब्याज सहित वापस करने का वादा करती हैं। ये बांड सरकारी प्रतिभूतियों का हिस्सा होते हैं, जिनकी देखरेख भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India) द्वारा की जाती है। इन बांड पर ब्याज दर को कूपन दर (Coupon Rate) कहा जाता है, जिसमें कि निर्धारित दर या समय के साथ परिवर्तन हो सकता है।
यदि किसी बड़ी कंपनी को अपने किसी काम (निवेश या प्रगति) के लिए कहीं से पैसा उठाना हो तो, अधिकांश कंपनियां मुख्यतः "ऋण पूंजी" का प्रयोग करती हैं। ऋण पूंजी किसी कंपनी द्वारा उधार ली गई धनराशि होती है, जिसे कंपनी को बाद में वापस चुकाना पड़ता है। यह किसी कंपनी को आगे बढ़ने में मदद करने के लिए ऋण लेने जैसा है। ये ऋण भी अस्थायी ऋण की तरह थोड़े या लंबे समय की सीमा हेतु, लिए जा सकते हैं। जब कोई कंपनी ऋण पूंजी के रूप में पैसा उधार लेती है, तो इससे सीधे तौर पर उस कंपनी के मालिक का स्वामित्व प्रभावित नहीं होता है। लेकिन, कंपनी को उधार लिया गया पैसा, कुछ अतिरिक्त पैसे (ब्याज) के साथ चुकाना पड़ता है। किसी भी कंपनी को अपने लाभ का हिस्सा अपने मालिक को देने से पहले ऋण पूंजी का ब्याज चुकाना पड़ता है। इसलिए, ब्याज का भुगतान करना कंपनी के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता बन जाती है।
क्या आप जानते हैं कि यदि कोई कंपनी खुद को दिवालिया घोषित कर देती है, किंतु ऐसा करने से पहले वह अपने सारे कर्ज चुका देती है, तो कई बार उसका सीधा फायदा उस कंपनी के शेयर धारकों को भी "इक्विटी (Equity)" के रूप में होता है।
दरसल "इक्विटी वह धनराशि होती है, जो किसी कंपनी के शेयरधारकों (Shareholders) को तब मिलती है, जब कंपनी की सभी संपत्तियां बेच दी जाती हैं, या कंपनी दिवालिया हो जाती और उसके द्वारा सभी ऋण चुका दिए जाते हैं।" इसे शेयरधारकों की इक्विटी या मालिकों की इक्विटी (Shareholders' Equity Or Owners' Equity) भी कहा जाता है। इक्विटी को कंपनी की बैलेंस शीट (Balance Sheet) पर दिखाया जाता है और इससे निवेशकों को यह पता रहता है कि कंपनी वित्तीय रूप से कितनी स्वस्थ है। इक्विटी शेयरों (Equity Shares) में निवेश करना एक लोकप्रिय विकल्प माना जाता है, क्योंकि ये शेयर उच्च रिटर्न (High Returns) देते हैं।
संदर्भ
https://tinyurl.com/mr3cvcf7
https://tinyurl.com/y7chxkfb
https://tinyurl.com/2p9sdwze
https://tinyurl.com/y9bcrx28
https://tinyurl.com/y9bcrx28
https://groww.in/p/equities
चित्र संदर्भ
1. एक बिज़नस मीटिंग को संदर्भित करता एक चित्रण (Wikimedia)
2. ऋण-संपत्ति अनुपात के उदाहरण को दर्शाता चित्रण (FREE-VECTORS)
3. क्रेडिट स्कोर को दर्शाता चित्रण (Loanways)
4. कूपन दर को दर्शाता चित्रण (Picpedia)
5. इक्विटी बनाम समानता को दर्शाता चित्रण (flickr)
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