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हाल ही में भारत के पूर्वी क्षेत्र में भारत और चीन (China) के बीच हुए सैन्य तनाव के बाद भारत का रूझान ताइवान की तरफ कुछ बढ़गया है। कुछ लोगों का मानना है कि भारत को अपनी 'वन चाइना पॉलिसी' (One China Policy)के बारे में एक बार फिर सोचना चाहिए। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? इसे जानने के लिए सबसे पहले हमें ‘वन चाइना पॉलिसी’के बारे में समझना होगा।
वन चाइना पॉलिसी से तात्पर्य एक ऐसी नीति से है, जो यह मानती है कि चीन नाम का केवल एक ही देश है तथा ताइवान (Taiwan) एक अलग देश नहीं, बल्कि उसका ही प्रांत है। एक समय में ताइवान,चीन का हिस्सा हुआ करता था, किंतु दोनों के बीच विभिन्न मतभेदों के कारण लंबे समय तक युद्ध चला। परिणामस्वरूप 1949 में“पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना” (People's Republic of China), जिसे आम तौर पर चीन कहा जाता है, का निर्माण हुआ।1949 से पूर्व चीन पर रिपब्लिक ऑफ़ चाइना (Republic of China)का कब्ज़ा था, लेकिन अब उसके पास केवल ताइवान और कुछ द्वीप समूह हैं, जिसे आम तौर पर ताइवान कहा जाता है।चीन की कम्युनिस्ट सरकार ताइवान को अपने देश का हिस्सा बताती है तथा चीन इस द्वीप को फिर से अपने नियंत्रण मेंलेना चाहता है।वन चाइना पॉलिसी का मतलब है कि जो देश पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना या चीन के साथ कूटनीतिक रिश्ते रखना चाहते हैं, उन्हें रिपब्लिक ऑफ़ चाइना या ताइवान से सारे आधिकारिक रिश्ते तोड़ने होंगे। इस नीति के कारण ही दुनिया के अधिकांश देश ताइवान के बजाय चीन से आधिकारिक रिश्ते रखते हैं। हालांकि अमेरिका (America) और भारत सहित कुछ अन्य देश ऐसे हैं, जो ताइवान के साथ अनाधिकारिक किंतु मज़बूत सम्बंध बनाए हुए हैं। भारत इस मामले में तटस्थ है।भारत पहले चीन की वन चाइना पॉलिसी का समर्थन करता था, किंतु गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद इस नीति को लेकर भारत का रुख कुछ बदल गया है।
हालांकि भारत और ताइवान औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं रखते हैं, लेकिन 1995 में दोनों पक्षों ने नई दिल्ली में एक ताइपे आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र (Taipei Economic and Cultural Center- TECC) और ताइपे (Taipei) में एक "भारत ताइपे एसोसिएशन" (India Taipei Association) खोलने का फैसला किया। यह भारत और ताइवान के संबंधों को बढ़ावा देने हेतु एकमहत्वपूर्ण कदम था। इस फैसले की सफलता को देखते हुए ताइवान ने 2012 में चेन्नई में अपना दूसरा राजनयिक कार्यालय खोला।दोनों देशों में राजनयिक कार्यालय खुलने सेताइवानऔर भारत के बीच अर्थशास्त्र और व्यापार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, महत्वपूर्ण आपूर्ति श्रृंखला, संस्कृति, शिक्षा और पारंपरिक चिकित्सा सहित कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति देखी गई है।हालांकि चीन, ताइवान को लेकर संवेदनशील है, लेकिन 1995 और 2012 में भारत में ताइवान के राजनयिक कार्यालयों के खुलने से भारत-चीन संबंधों पर ज्यादा असर नहीं पड़ा, क्यों कि भारत ने बीजिंग (Beijing) को यह आश्वासन दिया कि कार्यालय आधिकारिक नहीं होंगे और दोनों सरकारों की इसमें कोई सहभागिता नहीं होगी।ताइवान एक प्रमुख आर्थिक और व्यापारिक इकाई है और इसलिए भारत का उद्देश्य केवल व्यापार और निवेश संबंधों को बढ़ावा देना है।हाल ही में भारत में ताइवान ने अपना तीसरा राजनयिक कार्यालय खोलने की घोषणा की है। ताइपे आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र नामक यह कार्यालय मुंबई में खोला जाना है, ताकि दोनों देशों के बीच आदान-प्रदान और सहयोग को और गहरा किया जा सके। भारत से ताइवानी और विदेशी नागरिकों को वीजा, शिक्षा और दस्तावेजीकरण संबंधी सुविधा प्रदान की जाएगी।चेन्नई में ताइपे आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्रकी स्थापना के बाद से भारत में निवेश करने और कारखाने खोलने वाले सभी ताइवानी व्यवसायों में से लगभग 60% व्यवसायों ने दक्षिण भारत में अपना परिचालन विकसित करने का विकल्प चुना है।
चेन्नई और उसके आसपास के क्षेत्रों को ताइवान के विनिर्माण उद्योगों द्वारा किए गए निवेश से लाभ हुआ है। मुंबई में ताइपे आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्रकी स्थापना से पश्चिमी भारत में भी ऐसा ही प्रभाव देखने की उम्मीद की जा रही है।ऐसी अपुष्ट खबरें भी आई हैं कि फॉक्सकॉन (Foxconn), जो कि ताइवान का बहुराष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स अनुबंध निर्माता है,भारत में उद्यम के लिए ताइवान के सेमीकंडक्टर दिग्गज TSMC और जापान (Japan) की टीएमएच (TMH) के साथ मिलकर काम करना चाहती है। यदि ऐसा होता है, तो भारत की चिप-निर्माण केंद्र बनने की महत्वाकांक्षा को बहुत बड़ा बढ़ावा मिलेगा।
चूंकि चीन,ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और किसी अन्य देश के साथ उसके संबंधों का विरोध करता है, इसलिए ताइवान की भारत में अपना तीसरा राजनयिक कार्यालय खोलने की घोषणा से चीन के हतोत्साहितहोने की पूरी संभावना है। ऐसा इसलिए भी है क्यों कि पूर्वी भारत और चीन के बीच सैन्य गतिरोध के बादताइवान को भारत में अधिक सुर्खियाँ मिल रही हैं तथा 'वन चाइना पॉलिसी' पर भारत के रुख में संशोधन करने की मांग की जा रही है।
संदर्भ:
https://tinyurl.com/cpkz5sas
https://tinyurl.com/4w9n5d5x
https://tinyurl.com/yhvdpjbr
चित्र संदर्भ
1. ग्लोब और ड्रैगन को दर्शाता एक चित्रण (Hippox)
2. प्राचीन चीन को दर्शाता चित्रण (World History Encyclopedia)
3. यांगशान डीप वॉटर पोर्ट-3 को दर्शाता चित्रण (wikipedia)
4. गेटवे के iMET सेंटर में फॉक्सकॉन की घोषणा को दर्शाता चित्रण (flickr)
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