समयसीमा 229
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 963
मानव व उसके आविष्कार 757
भूगोल 211
जीव - जन्तु 274
Post Viewership from Post Date to 15- Sep-2023 31st Day | ||||
---|---|---|---|---|
City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
2041 | 476 | 2517 |
भारतीय संविधान को “देश की आत्मा” कहा जा सकता है। हमारे संविधान की खूबसूरती इस बात में नजर आती है कि यह बिना किसी जातिगत या नस्लीय भेदभाव के सभी नागरिकों को समान अधिकार देता है। अपना पक्ष सही होने पर भारत के आखिरी गाँव का अंतिम व्यक्ति भी सरकार के फैसले तक को चुनौती दे सकता है। हालांकि यह जानना बड़ा ही दिलचस्प है, कि भारतीय संविधान को इस स्तर तक सक्षम और परिपक्व बनाने में दुनियां के अन्य देशों के संविधानों ने अहम् योगदान दिया है, जिनमें से विश्व के सबसे पुराने “(यू.के. (U.K) के मैग्ना कार्टा (Magna Carta)” से प्रेरित होकर भारतीय संविधान में जो अनुच्छेद जोड़े गए हैं, वह वाकई सराहना के योग्य हैं।
मैग्ना कार्टा जून 1215 में जारी किया गया था और यह ऐसा पहला दस्तावेज़ था, जिसमें लिखा गया था कि "कोई भी राजा और उसकी सरकार कानून से ऊपर नहीं है।" मैग्ना कार्टा, को "महान चार्टर (Great Charter)" के रूप में भी जाना जाता है। इस घोषणा पत्र पर 15 जून 1215 के दिन रनीमेड (Runnymede) में इंग्लैंड के राजा जॉन प्रथम (King John I) द्वारा सहमति व्यक्त की गई थी। इसका निर्माण राजा और विद्रोही सरदारों के बीच विवादों को निपटाने के लिए किया गया था। मैग्ना कार्टा, में किंग जॉन प्रथम के खिलाफ जाकर अंग्रेजी नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण अधिकारों को मान्यता दी गई थी। इस सिद्धांत ने इंग्लैंड में कानून के शासन की नींव रखी।
चार्टर में चर्च के अधिकारों, बैरन (Baron) या कुलीन वर्ग को अवैध कारावास से बचाने, त्वरित न्याय प्रदान करने और क्राउन (Crown) या राजघराने को भुगतान सीमित करने का वादा किया गया था। हालांकि माना जाता है कि आगे चलकर तत्कालीन पोप (Pope) ने इसे रद्द कर दिया, लेकिन इसके तुरंत बाद ही इसकी वापस बहाली के लिए संघर्ष (प्रथम बैरन्स युद्ध (First Barons' War) शुरू हो गया।
किंग जॉन की मृत्यु के बाद, दस्तावेज़ को कुछ बदलावों के साथ 1216 में फिर से जारी किया गया, लेकिन फिर भी इसे विरोध का सामना करना पड़ा। 1217 में यह एक शांति संधि का हिस्सा बन गया। इस दस्तावेज के लिए "मैग्ना कार्टा" नाम का उपयोग, इसे एक साथ जारी किए गए छोटे चार्टर (Charter) से अलग करने के लिए किया गया था। इसे बार-बार फिर से जारी किया गया और 1297 में किंग एडवर्ड प्रथम (Edward I) के तहत पूर्ण रूप से कानूनी दर्जा प्राप्त हुआ, हालांकि समय के साथ इसका व्यावहारिक महत्व कम हो गया।
16वीं शताब्दी के दौरान, मैग्ना कार्टा में लोगों की नए सिरे से रुचि पैदा हुई। लोगों का मानना था कि, इसने एंग्लो-सैक्सन (Anglo-Saxon) काल से चली आ रही अंग्रेजी स्वतंत्रता की रक्षा की है। इसने राजाओं के सर्वोच्च अधिकार को भी चुनौती देने में बड़ी भूमिका निभाई। आगे चलकर मैग्ना कार्टा के विचार ने अमेरिका के संविधान को भी प्रभावित किया। मूल 1215 चार्टर के कुछ खंड 1297 में पुनः जारी मैग्ना कार्टा के माध्यम से इंग्लैंड और वेल्स (England and Wales) में अभी भी मान्य हैं।
1215 में लिखे गए, मैग्ना कार्टा को आज सबसे पुराने संविधानों में से एक माना जाता है, लेकिन इसके आज मूल 63 भागों में से केवल चार ही प्रभावी हैं, जिससे कई लोग इसकी प्रासंगिकता पर सवाल उठाते हैं।
इस लेख में आगे स्टेटिस्टा (Statista) के आधार पर उन देशों की सूची दी गई है, जहां बेहद पुराने संविधान अभी भी उपयोग में हैं:
1. सैन मैरिनो (San Marino) - 1600 से
2. संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) - 1789 से
3. नॉर्वे (Norway) - 1814 से
4. नीदरलैंड (Netherlands) - 1815 से
5. बेल्जियम (Belgium) - 1831 से
6. न्यूजीलैंड (New Zealand) - 1852 से
7. अर्जेंटीना (Argentina) - 1853 से
8. कनाडा (Canada) - 1867 से
9. लक्समबर्ग (Luxembourg) - 1868 से
10. टोंगा (Tonga) - 1875 से
11. ऑस्ट्रेलिया (Australia) - 1901 से
ये देश अपने संविधान को काफी लंबे समय तक लागू रखने में कामयाब रहे हैं।
सबसे पुराना संविधान माना जाने वाला मैग्ना कार्टा आज भी स्वतंत्रता का प्रतीक बना हुआ है। ब्रिटिश और अमेरिकी कानूनी समुदायों में यह बेहद सम्माननीय संविधान माना जाता है। इसे मनमाने प्राधिकार के विरुद्ध व्यक्तिगत स्वतंत्रता की नींव के रूप में देखा जाता है। कुछ मूल वर्ष 1215 की प्रतियां अभी भी मौजूद हैं, और 2015 में इसकी 800वीं वर्षगांठ मनाई गई थी। इसकी प्रासंगिकता और प्रभावशीलता के कारण मैग्ना कार्टा के विचार बड़ी ही तेजी से अन्य स्थानों पर भी फैल गये। संयुक्त राज्य अमेरिका में, इसने 1791 में अधिकारों के विधेयक और 1776 में स्वतंत्रता की घोषणा को प्रभावित किया।
हालांकि इसने न केवल अमेरिकी राजनीति बल्कि भारतीय लोकतंत्र को भी प्रभावित किया है। भारत में मैग्नाकार्टा, भारत के संविधान का भाग III, 1950 (इसके बाद "संविधान" के रूप में संदर्भित), अमेरिकी अधिकारों के विधेयक पर आधारित है। संविधान के भाग III में भारत के नागरिकों और गैर-नागरिकों को दिए गए कुछ मौलिक अधिकार शामिल हैं। ये अधिकार संविधान की मूल संरचना का हिस्सा माने जाते हैं। और इस प्रकार इन्हें संसद के अधिनियम द्वारा भी छीना नहीं जा सकता है।
संविधान का भाग III इसकी प्रस्तावना पर आधारित है जिसमें भारत के लोगों ने “भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने और अपने लिए न्याय, स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सुरक्षित करने” का संकल्प लिया है। ये अधिकार पवित्र, अहस्तांतरणीय और अनुल्लंघनीय हैं।
दुनिया में जो कुछ भी हो रहा है, उससे मेल खाने के लिए भारत की सर्वोच्च अदालत ने समय के साथ इन अधिकारों का विस्तार भी किया है। उदाहरण के लिए, अदालत ने माना कि एलजीबीटीक्यू (LGBTQ) रिश्ते ठीक हैं, और उन्होंने उस कानून को भी हटा दिया जो कुछ मामलों में पतियों और पत्नियों को समान अधिकार नहीं दे रहा था। तो, सरल शब्दों में, भारतीय संविधान का भाग III हमारे लिए मैग्ना कार्टा की तरह है, जो देश में सभी के लिए वास्तव में महत्वपूर्ण अधिकारों को सूचीबद्ध करता है, और इन अधिकारों को आसानी से बदला या छीना नहीं जा सकता है।
हालाँकि यह भी ध्यान में रखना जरूरी है कि भारत में ये मौलिक अधिकार पूरी तरह से अप्रतिबंधित नहीं हैं। यह सुनिश्चित करना सरकार का काम है कि सभी के अधिकारों की रक्षा की जाए, लेकिन उन्हें सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने की भी ज़रूरत है। इसलिए, भले ही संविधान का भाग III इन अधिकारों की गारंटी देता है, लेकिन दुरुपयोग को रोकने के लिए उन पर कुछ सीमाएं भी लगाता है।
संविधान द्वारा सुरक्षित मौलिक अधिकारों को निम्नलिखित शीर्षकों के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है: -
‣समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से 18)
‣स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19 से 22)
‣शिक्षा का अधिकार (अनुच्छेद 21ए)
‣शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23 और 24)
‣धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28)
‣सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार (अनुच्छेद 29 और 30)
‣संवैधानिक उपचार का अधिकार (अनुच्छेद 32)
अनुच्छेद 13 संविधान के भाग III को शक्ति देता है। यह सुनिश्चित करता है कि अदालतें इन अधिकारों को लागू कर सकें। इसमें यह भी कहा गया है कि कोई भी कानून, चाहे वह संविधान से पहले बनाया गया हो या उसके बाद बनाया गया हो, अगर वे इन मौलिक अधिकारों के खिलाफ जाते हैं तो वे कानून ही अमान्य कहलायेंगे।
संदर्भ
https://tinyurl.com/4j554tda
https://tinyurl.com/tsrfbpnk
चित्र संदर्भ
1. ‘मैग्ना कार्टा दस्तावेज के लेखन दर्शाता चित्रण (wikipedia)
2. मैग्ना कार्टा के एक कढ़ाई से विवरण को दर्शाता चित्रण (wikipedia)
3. मैग्ना चार्टा की पुष्टि करते हुए किंग जॉन को दर्शाता चित्रण (wikipedia)
4. लैटिन मैग्ना कार्टा नामक महान चार्टर (1542) को दर्शाता चित्रण (wikipedia)
5. मैग्ना कार्टा (1297 संस्करण, संसद भवन, कैनबरा, ऑस्ट्रेलिया) को दर्शाता चित्रण (wikipedia)
6. भारत के संविधान को दर्शाता चित्रण (wikipedia)
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.