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अवध के शुरुआती नवाबों के शासनकाल से, हमें इस राज्य, शासक या साम्राज्य का कोई भी विशिष्ट प्रतीक ज्ञात नहीं है। उनके जो चित्र उपलब्ध हैं, उनमें वे शानदार भारतीय शैली वाली पोशाक और सिर पर विभिन्न प्रकार की टोपी पहने हुए हैं। यह प्रतीत होता है कि, अंग्रेजों और अन्य दुश्मनों के खिलाफ नवाबों के अभियानों की कोई तस्वीर या चित्र उपलब्ध नहीं है। अतः हम तब इस्तेमाल किए गए मानकों और ध्वजों के बारे में भी कुछ नहीं जानते हैं। परिणामस्वरूप, अवध के सैन्य प्रतीकवाद या चिन्ह तथा वंश के चिन्ह के बारे में हम बहुत कम जानते हैं।
हालांकि, राजकीय चिन्ह के पश्चिमी अर्थ में, अवध में शाही प्रतीक उन्नीसवीं शताब्दी की शुरुआत से दिखाई दिए थे। माना जाता है कि, ऐसे अधिकांश प्रतीक रॉबर्ट होम(Robert Home) नामक ब्रिटिश कलाकार द्वारा डिजाइन(Design)किए गए थे।रॉबर्ट होम ने ही वर्ष 1819 में ब्रिटिशों के राज्याभिषेक वस्त्रों को डिजाइन किया था। ये चिन्ह पूरी तरह से उस समय की यूरोपीय साम्राज्य शैली से प्रेरित थे। फिर भी, शाही उपलब्धियों में कई भारतीय और बौद्ध प्रतीक शामिल हैं, जो एक तरह से यूरोपीय वंशवाद से प्रेरित थे।
अवध क्षेत्र की उपलब्धि अपने सबसे विस्तारित रूप में मौजूद थी। उनका प्रतीक, दो मछलियों के बीच नीचे की ओर मुड़ी हुई एक कटार से बना था।इसके समर्थक दो बाघ थे।चिन्ह में एक दीप्तिमान सूर्य, एक शाही मुकुट और एक हार से सुसज्जित, दो स्वर्गदूतों और प्रशंसक भी देखे जा सकते हैं।इसके शिखर पर एक शाही छतरी भी थी।
यह चिन्ह एक बौद्ध प्रतीक था, जिसका अर्थ– “संयम द्वारा मुक्ति” और “जल के जीवन देने वाले गुण” था। वह भारत की प्रमुख नदियां यमुना और सिंधु का भी प्रतीक हैं।
अवध के संदर्भ में वे, माही मुरतीब अर्थात मछली के आदेश (फ़ारसी और अरबी में “मछली की गरिमा”) के प्रतीक हैं।यह एक सम्मानित गरिमा का विषय है, जिसका आकार मछली जैसा है।यह मछली मुगल भारत में रोहू मछ्ली थी। कहा जाता है कि यह यौवन, बहादुरी, दृढ़ता और ताकत का प्रतीक है। चिन्ह पर मौजूद मछलियां, धनुष से लटकी हुई दो सुनहरी मछलियों के आकार को दर्शाती है। यह प्रतीक, प्रतिष्ठित रूप से ईरान के राजा खुसरू परविज़(591-628 ई.) द्वारा स्थापित किया गया था, और वहां से यह दिल्ली के मुगल सम्राटों और अवध के दरबार में चला गया।
दूसरी तरफ, कटार, सशस्त्र सत्ता का प्रतीक है। इस प्रतीक पर दो बाघों को देखा जा सकता है,जिन्होंने ध्वज पकड़ा हुआ है। यह ध्वज द्विभाजित है।यह राज्य की सेना का प्रतीक होता था।यहां, बाघ सेना के योग्य और साहसी सैनिकों के प्रतीक है।नतीजतन, अवध के नवाब को यहां राजा के बराबर दर्जा दिया गया है।जबकि,चिन्ह पर बनाई गई छतरी मुगलया नवाबों के आध्यात्मिक नेतृत्व का प्रतीक है।
इसके अलावा,अवध के नवाब के मुकुट में 12 हीरे जड़े हुए थे और उनके बीच में एक बड़ा माणिक जड़ा था। मुकुट के केंद्रीय बिंदु पर एक पंख मौजूद था और मुकुट एक ऊंची लाल मखमली टोपी से सुसज्जित था।
वर्ष 1737 में “मुहम्मदाबाद बनारस” के नाम से बनारस में एक सिक्के बनाने का कारखाना अथवा टकसाल खोली गई। इस टकसाल में अवध के नवाब के अधीन मुगल सम्राटों के नाम पर सिक्के बनाए गए। फिर 1819 में नवाब गाजीउद्दीन हैदर ने, अंततः अपने नाम से सिक्के चलाना शुरू कर दिया। इसके तुरंत बाद, अवध के सिक्कों पर राज्य के यूरोपीय शैली के चिन्ह दिखना शुरू हो गए। साथ ही,अवध रियासत के सिक्कों में भी भारी और नाटकीय बदलाव देखने को मिले।
अवध के नवाब मोहम्मद वाजिद अली शाह का चांदी का प्रतीक और हथियार इसी से मिलता जुलता था। इस चिन्ह की लंबाई 22.2 सेंटीमीटर, ऊंचाई 15.3 सेंटीमीटर तथा वजन: 225 ग्राम था।यह प्रतीक चांदी की प्लेटों(Plate) से घिरा हुआ और ढली हुई चांदी का है। यह प्रतीक संभवतः किसी राजकीय गाड़ी, पालकी, कुर्सी या शायद फर्नीचर(Furniture) जैसे कि किसी बिस्तर, कुर्सी या शायद किसी सिंहासन कुर्सी को सुशोभित करने के लिए बनाया गया था।यह प्रतीक, मोहम्मद वाजिद अली शाह का प्रतीक है।
नवाबों के प्रतीक के विभिन्न संस्करण हैं, आमतौर पर उन्हें प्रत्येक नए नवाब के लिए संशोधित किया गया था।फिर इसी चिन्ह की कुछ अलग–अलग डिजाइनों से बने चिन्ह अवध राज्य के अन्य कई महत्त्वपूर्ण जगहों पर एवं लक्ष्यों में प्रयुक्त किए गए थे।
संदर्भ
https://tinyurl.com/26cwfupf
https://tinyurl.com/5hxapjmn
https://tinyurl.com/3rsndydf
https://tinyurl.com/3xczuukd
चित्र संदर्भ
1. दो मछलियों के प्रतीक को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. रॉबर्ट होम(Robert Home) नामक ब्रिटिश कलाकार को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. लखनऊ की एक इमारत में मछलियों के प्रतीक को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. वाजिद अली शाह के दौर के सिक्कों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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