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आज, जब हम इंटरनेट की बात करते हैं, तो हम उन अरबों वेब पेजों (Web Page) के बारे में बात करते हैं, जो वर्ल्ड वाइड वेब में मौजूद हैं। जिसे हम इंटरनेट संबोधित करते हैं, वह दरअसल, वर्ल्ड वाइड वेब और इंटरनेट का संयोजन है। वेब उन सभी वेबसाइटों(Website), वेब पेजों और संसाधनों का संग्रह है, जिन पर हम ऑनलाइन संचालन करते हैं। जबकि, इंटरनेट वह धागा है, जो सभी वेब पेजों और वेबसाइटों को जोड़ता है। आप वेब के, ‘www’ इस रूप को तो जानते ही होंगे! वास्तव में, यही वर्ल्ड वाइड वेब का रुप है।
आज, 1 अगस्त का विशेष दिन, दुनिया में वर्ल्ड वाइड वेब(World Wide Web) दिवस के रुप में मनाया जाता है। यह दिन एक वैश्विक उत्सव है, जो वेब ब्राउज़िंग(Web Browsing) के लिए समर्पित है। साथ ही, यह दिन वेब का उपयोग करके, स्वतंत्र रूप से कोई जानकारी ब्राउज़ या खोज करने की हमारी क्षमता के सम्मान में मनाया जाता है। वर्ल्ड वाइड वेब वास्तव में, एक विश्वव्यापी सूचना माध्यम है। हम इंटरनेट पर जाकर इस तक पहुंच सकते हैं। जबकि, वेब ब्राउज़िंग, दरअसल, हमारे द्वारा इंटरनेट(Internet) पर खोज करने की गतिविधि है। यह मानो हमारे लिए, ज्ञान के खजाने की एक कुंजी ही है।
वेब का मूल विचार कंप्यूटर, डेटा नेटवर्क(Data Network) और हाइपरटेक्स्ट(Hypertext) की विकसित प्रौद्योगिकियों को, एक प्रभावशाली और उपयोग में आसान, वैश्विक सूचना प्रणाली में विलय करना था। वेब का आविष्कार, वर्ष 1989 में एक अंग्रेजी कंप्यूटर वैज्ञानिक टिम बर्नर्स-ली(Tim Berners-Lee) ने किया। तब वह स्विट्जरलैंड(Switzerland) में यूरोपीय परमाणु अनुसंधान संगठन(CERN) में कार्यरत थे। मूल रूप से, वेब की कल्पना और विकास, दुनिया भर के विश्वविद्यालयों और संस्थानों के वैज्ञानिकों के बीच स्वचालित सूचना साझा करने हेतु किया गया था। बर्नर्स-ली ने इस संगठन में काम करते हुए, वेब की कुछ अन्य आवश्यक चीजें, जैसे कि– HTTP(एचटीटीटीपी), HTML( एचटीएमएल), वर्ल्डवाइडवेब ब्राउज़र(WorldWideWeb browser), एक सर्वर(Server) एवं प्रथम वेबसाइट भी विकसित की थी।
इस आविष्कार के दो वर्षों बाद, वेब के विकास को सबसे पहले अन्य अनुसंधान संस्थानों और संगठनों के साथ साझा किया गया। लेकिन, तभी वेब को जनता के साथ भी साझा किया गया, क्योंकि परमाणु अनुसंधान संगठन ने एक संहिता साझा की और वर्ष 1993 में वेब के उपयोग पर, रॉयल्टी(Royalty) माफ कर दी। फिर कुछ ही महीनों में, सैकड़ों वेबसाइटें बनाई गई और वेब का विकास तेजी से होता गया।
बर्नर्स-ली ने वेब के लिए, पहला प्रस्ताव मार्च 1989 में रखा, जबकि दूसरा प्रस्ताव मई 1990 में रखा था। इसके पश्चात, बेल्जियम(Belgium) के तंत्र अभियंता रॉबर्ट कैलीयू(Robert Cailliau) के साथ मिलकर, इस प्रस्ताव को नवंबर 1990 में एक प्रबंधन प्रस्ताव के रूप में, औपचारिक रूप दिया। इस प्रस्ताव में, प्रमुख अवधारणाओं को रेखांकित किया गया था और वेब से संबंधित महत्वपूर्ण शब्दों को परिभाषित किया गया था। वर्ष 1990 के अंत तक, बर्नर्स-ली ने अपने विचारों को प्रदर्शित करते हुए, यूरोपीय परमाणु अनुसंधान संगठन में, पहला वेब सर्वर(Web Server) और वेब ब्राउज़र(Web Browser)चालू कर दिया।
जबकि, वेब के आविष्कार के कुछ वर्ष पहले ही, वर्ष 1986 में भारत में, इंटरनेट की शुरुआत हुई। हालांकि, तब इंटरनेट केवल शैक्षिक और अनुसंधान उद्देश्यों के लिए उपलब्ध था। फिर, विदेश संचार निगम लिमिटेड यानी वीएसएनएल(VSNL) ने पहली बार 15 अगस्त 1995 को भारत में इंटरनेट का प्रारंभ किया।
इसके बाद, जल्द ही रेडिफ.कॉम(Rediff.com) ने मुंबई शहर में हमारे देश के पहले साइबर कैफे(Cyber cafe) का उद्घाटन किया। वर्ष 1998 में नैसकॉम(NASSCOM) की स्थापना हुई, और निजी इंटरनेट सेवा प्रदाताओं(Internet Service Provider) को इंटरनेट सेवा प्रदान करने की अनुमति दी गई। अतः यह एक महत्त्वपूर्ण वर्ष था। हालांकि, इसी वर्ष पहली वेब हैकिंग(Web Hacking) की घटना भी दर्ज हुई थी। फिर वर्ष 1999मेंदेशभर में रेलवे आरक्षण प्रणाली को इंटरनेट से जोड़ा गया।
वर्ष 2000 भारत में इंटरनेट का ऐतिहासिक वर्ष था। इस वर्ष केबल इंटरनेट(Cable Internet) की सुविधा एवं सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम का कार्यान्वयन हुआ। और साथ ही, याहू(Yahoo), ईबे(eBay) और एमएसएन(MSN) जैसी बेबसाइटों को प्रदर्शित एवं हमारी सेवा में समर्पित किया गया। साथ ही, भारतीय रेल खानपान एवं पर्यटन निगम अर्थात आईआरसीटीसी(IRCTC) द्वारा ऑनलाइन आरक्षण हेतु बेवसाइट भी शुरु की गई। जबकि, विमानन क्षेत्र को ऑनलाइन आरक्षण प्रणाली को शुरु करने में, दो साल लग गए। 2004 में गूगल(Google) ने भी भारत में, अपने कार्यालय का शुभारंभ किया। इसी वर्ष भारत संचार निगम लिमिटेड(BSNL) ने ब्रॉडबैंड(Broadband) सेवाएं भी शुरु की। देश में 2005 में, ऑर्कुट(Orkut) के साथ, सोशल नेटवर्किंग(Social Networking) की शुरुआत हुई। फिर वर्ष 2006 में, फेसबुक(Facebook) का आरंभ हुआ। 2008 में इंटरनेट का 2जी स्पेक्ट्रम(2G spectrum) और 2009 में 3जी स्पेक्ट्रम(3G spectrum) देश में आम बन गया।
वर्ष 2011 में मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी(Mobile Number Portability) सेवाएं पेश की गईं। 2012 में, भारती एयरटेल(Bharti Airtel),डोंगल(Dongle) पर आधारित 4जी स्पेक्ट्रम(4G spectrum) सेवाएं प्रदान करने वाला पहला इंटरनेट ऑपरेटर(Internet Operator) था। फिर थोड़े अधिक विकास के साथ, 2014 में, एयरटेल ने मोबाइल 4जी सेवाएं पेश की, जिसे हम आज तक प्रयुक्त कर रहे हैं। 2016 में, रिलायंस जियो(Reliance Jio) द्वारा सेवाओं की शुरुआत की गई। उसी वर्ष, रेलवे स्टेशनों पर मुफ्त वाईफाई(WiFi) सेवाएं भी उपलब्ध कराई गई थी। और इंटरनेट सेवाओं में इस विकास के साथ, भारत 2019 में 50 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ताओं का घर बन गया!
दूसरी ओर, कोविड–19 लॉकडाउन(Covid–19 Lockdown) के कारण, भारत में इंटरनेट का उपयोग बढ़ गया। अब तो हम 5जी(5G) स्पेक्ट्रम को भी अपनाने के लिए तत्पर है। एक अनुमान था कि, 2023 तक भारत में 90 करोड़ से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ता होंगे। शायद अब, यह अनुमान सच होने में कुछ ज्यादा देर नहीं होगी।
भारत सरकार ने इंटरनेट-आधारित पारिस्थितिकी तंत्र के विकास में तेजी लाने के लिए, कई परियोजनाएं भी शुरू की हैं। आज, भारत में इंटरनेट सेवा सार्वजनिक और निजी कंपनियों द्वारा, विभिन्न तकनीकों और मीडिया माध्यमों द्वारा प्रदान की जाती है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/3srr9brp
https://tinyurl.com/fsbpw3dk
https://tinyurl.com/yyzr46yt
https://tinyurl.com/3rzavjau
चित्र संदर्भ
1. भारतीय इंटरनेट उपभोक्ताओं को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. वर्ल्ड वाइड वेब को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. ऊपर चित्र में दिए गए NeXT कंप्यूटर का उपयोग CERN में सर टिम बर्नर्स-ली द्वारा किया गया था और यह दुनिया का पहला वेब सर्वर बन गया। को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. 2014 में देशों के आधार पर वेब इंडेक्स वैश्विक मानचित्र को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
5. मोबाइल चलाती महिला को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
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