मनमोही राग: भारतीय शास्त्रीय संगीत के आधार स्तंभ

ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि
28-07-2023 09:42 AM
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मनमोही राग: भारतीय शास्त्रीय संगीत के आधार स्तंभ

आपने कभी न कभी पंडित जसराज, शंकर महादेवन, अलका याग्निक, जगजीत सिंह जैसे गायकों द्वारा गया गाना "सौ रागिनियों से सजा, भारत अनोखा राग है" तो सुना ही होगा, यहां रागों को बहुत ही महत्वपूर्ण बताया गया है। दरअसल,भारतीय संस्कृति के इतिहास में हमारा शास्त्रीय संगीत, "रागों" की नींव पर ही मजबूती से खड़ा है। आज भले ही भारतीय संगीत अपनी संस्कृति की चमक खोकर केवल मनोरंजन के स्तर तक ही सीमित रह गया है, लेकिन हमारे पूर्वज "रागों" के संयोजन से ऐसे उत्कृष्ट संगीत निर्माण करने में सक्षम थे, जहां वे चाहें तो आपको गुदगुदाने पर मजबूर कर दें, या चाहें तो आपके आंखों से अंसुवन की धारा बहा दें। हालांकि, कुछ चुनिंदा कलाकार आज भी रागों को छेड़कर आपकी मनोदशा को प्रभावित कर सकते हैं। अब यहां सबसे बड़ा प्रश्न ये उठता है कि, आखिर ‘राग’ क्या है? तो हम आपको बता दें कि राग सुरों के आरोहण (बढ़ने) और अवतरण (घटने) का ऐसा नियम है, जिससे संगीत की रचना की जाती है। रागों को भारतीय शास्त्रीय संगीत में मधुर धुनें बनाने का एक विशेष तरीका माना जाता है। यह एक संगीत विधा की तरह होते हैं, जिसके माध्यम से संगीतकार अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में सक्षम होते हैं। प्रत्येक राग में सुधार के लिए स्वर और नियमों का अपना सेट होता है। यूं तो सैकड़ों राग हैं, लेकिन, मुख्य रूप से लगभग 30 राग आमतौर पर उपयोग किए जाते हैं। रागों का अपना ही अनोखा भावनात्मक महत्व होता है, और ये श्रोताओं में अलग-अलग भावनाएं पैदा कर सकते हैं। प्राचीन काल में, "राग" शब्द का अर्थ सामंजस्यपूर्ण स्वर और भावना होता था। रागों को दैवीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण माना जाता था और हिंदू धर्म में इनका उपयोग आध्यात्मिक गतिविधियों और मनोरंजन के रूप में किया जाता था। आज राग हिंदू, जैन, सिख और यहां तक कि इस्लामी संगीत परंपराओं का भी एक अनिवार्य हिस्सा बन गए हैं। प्रत्येक संस्कृति में इन्हें अपने अनूठे तरीके से उपयोग किया जाता है।
सिख धर्म में धर्मग्रंथों को विशिष्ट रागों के अनुसार गाया जाता है। भारतीय शास्त्रीय संगीत में राग केवल एक मधुर नियम-समूह से कहीं अधिक माने जाते हैं। यह एक जटिल और अद्वितीय संगीत इकाई है, जो एक विशिष्ट मनोदशा या वातावरण का निर्माण करते हैं। हालांकि, इसे पश्चिमी संदर्भ में आसानी से परिभाषित नहीं किया जा सकता। राग से भली भांति परिचित श्रोता ही सहजता से इसके प्रदर्शन को पहचान और सराह सकते हैं। हालांकि, प्रारंभिक यूरोपीय विद्वानों ने औपनिवेशिक काल के दौरान, रागों को समझने का भरपूर प्रयास किया। उन्होंने इसे "मोड (Mode)" या मूड (mood) और ट्यून (Tune) के संयोजन के रूप में वर्णित किया। भारतीय पौराणिक कथाओं में रागों को विभिन्न प्रतीकों, देवी-देवताओं से जोड़ने के अलावा विशिष्ट मौसमों, या भावनाओं से भी जोड़ा गया है। भारतीय परंपरा में राग के गायन के लिए विशेष ऋतु निर्धारित है। सही समय पर गाया जाने वाला राग अधिक प्रभावी होता है।
यहां हम आपको राग और उनकी ऋतुओं के बारे में बता रहे हैं-

राग ऋतु
भैरव शिशिर
हिंडोल बसंत
दीपक ग्रीष्म
मेघ वर्षा
मालकौंस शरद
श्री हेमंत
16वीं शताब्दी में रागों के व्यवस्थितकरण और विश्लेषण पर गणितीय अध्ययन शुरू हुआ। संगीतशास्त्र में रागों का कम्प्यूटेशनल अध्ययन (Computational Studies) सक्रिय रूप से खोजा जा रहा है। भारतीय शास्त्रीय संगीत के दो मुख्य रूपों (हिंदुस्तानी और कर्नाटक) में वर्गीकृत है। और दोनों में ही रागों का उपयोग किया जाता है। कर्नाटक संगीत (दक्षिण भारतीय) में 72 मुख्य राग होते हैं, जिन्हें मेलाकर्ता राग कहा जाता है। इन रागों में आरोहणम (बढ़ते हुए क्रम) और अवरोहणम (घटते हुए क्रम) दोनों में सभी 8 स्वर होते हैं, और इन्हें मूल राग के रूप में जाना जाता है। इन मूल रागों से ही हमें अन्य राग मिलते हैं, जिन्हें जन्य राग कहा जाता है। प्राचीन तमिलसाई में इसे तालम के नाम से भी जाना जाता है । जन्य राग मूल रागों से प्राप्त होते हैं।लेकिन, उनमें (आरोहणम और अवरोहणम दोनों में) सभी 8 स्वर नहीं हो सकते हैं। इसलिए, सभी मेलाकर्ता राग, राग होते हैं, लेकिन सभी राग, मेलाकर्ता राग नहीं होते हैं ।कर्नाटक संगीत में जन्य राग 72 मौलिक मधुर संरचनाओं से प्राप्त होते हैं, जिन्हें मेलाकर्ता राग कहा जाता है। इन्हें कुछ विशेषताओं के आधार पर विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है। जन्य रागों की गणना नहीं की जाती है।
इन्हें 5 प्रमुख श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है।
1. जन्य संपूर्ण राग (वरजमाराग)
2. वरजाराग
3. वक्रराग
4. उपंगा, पशांगा साम्राज्य
5. निशादंडिया, तैवतंडिया और पंचमंथिया राग आशा करते हैं कि इस लेख के माध्यम से आपने रागों और उनके महत्त्व के बारे में जाना होगा। वैसे तो रागों का वर्णन शब्दों के माध्यम से करना असंभव है फिर भी हमने यहां आपको कुछ प्रचलित राग के बारे में बताने का प्रयास किया है। अगली बार जभी आप कोई शास्त्रीय संगीत का अनद लें तो ये जानने कि कोशिश ज़रूर कीजिये कि वह किस राग में गाया गया है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/35kpvju5
https://tinyurl.com/mvdts45a
https://tinyurl.com/jyfnkjv5
https://tinyurl.com/3s6sp6b3

चित्र संदर्भ
1. प्रसिद्ध भारतीय शास्त्रीय गायिका गिरिजा देवी जी, को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. एक भारतीय शास्त्रीय संगीत आयोजन को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3.मेलाकार्ता कर्नाटक संगीत (दक्षिण भारतीय शास्त्रीय संगीत) में मौलिक रागों (संगीत के पैमाने) का एक संग्रह है। को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. क्रेम्स, ऑस्ट्रिया में पंडित ऋत्विक सान्याल को अपने बेटे रिभु सान्याल के साथ दर्शाता चित्रण (wikimedia)

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