वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिए या शौकिया तौर पर तितलियाँ एकत्र करना कितना नैतिक है?

तितलियाँ व कीड़े
15-07-2023 09:50 AM
Post Viewership from Post Date to 14- Aug-2023 31st
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
3090 503 3593
वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिए या शौकिया तौर पर तितलियाँ एकत्र करना कितना नैतिक है?

एक छोटा बच्चा जब तितलियां पकड़ता है, तो तितली के हाथ न आने पर वह निराश हो जाता है। लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं है कि आप तितली पकड़ने के बचकाने शौक को अपने जीवन का लक्ष्य ही बना लें। खासतौर पर तब, जब आपका यह शौक इन रंग बिरंगे कीटों की प्रजातियों का ही सफाया कर दे। आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन एक समय था जब ब्रिटेन में तितली पकड़ना बहुत ही लोकप्रिय शौक हुआ करता था, जापान में तो आज भी तितलियों को मारकर इकट्ठा करना आम बात है। हालांकि आज इंटरनेट (Internet) के समय में जब आप किसी तितली की तस्वीर खींचकर उसके अस्तित्व को अमर कर सकते हैं, तब भी लोग इन्हें मारकर ही इकठ्ठा कर रहे हैं। क्या वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिए तितलियों को इकट्ठा करना नैतिक है? इस सवाल ने वैज्ञानिकों और शौक़ीन लोगों के बीच गरमागरम बहस छेड़ दी है। तितली संग्राहक, “लेपिडोप्टेरिस्ट (Lepidopterist)” अपने अध्ययन के लिए तितली के नमूनों को पकड़ने और संरक्षित करने के लिए पारंपरिक रूप से विभिन्न उपकरणों का उपयोग करते है। इनके द्वारा एकत्रित संग्रहों ने बहुमूल्य वैज्ञानिक डेटा प्रदान किया है, जिसमें पंखों के आकार में बदलाव, आनुवंशिकी और नई प्रजातियों की खोज की अंतर्दृष्टि भी शामिल है। हालाँकि, हाल के वर्षों में, "तितली" नामक एक आंदोलन उभरा है, जिसके तहत तितलियों को पकड़ने के बजाय उनकी पहचान करने और फोटोग्राफी (Photography) करने पर बढ़ावा दिया जा रहा है। इस दृष्टिकोण के समर्थकों का तर्क है कि तितलियों को इकट्ठा करने की तुलना “ट्रॉफी शिकार” (Trophy Hunting) से की जा सकती है, जिस कारण तितलियों की आबादी में भारी गिरावट आ सकती है। अध्ययनों से संकेत मिलता है कि दुनिया भर में कीड़ों की आबादी में काफी कमी आई है। कुछ लोग इसे "कीट सर्वनाश" कह रहे हैं। जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के नुकसान को देखते हुए कई लोग, कीड़ों के नमूने एकत्र करने की नैतिकता पर सवाल उठा रहे हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका (United States Of America) में मनोरंजक उद्देश्यों के लिए तितली संग्रह की आम तौर पर अनुमति है, लेकिन इसके बजाय वैज्ञानिक संग्रह को गंभीरता से विनियमित किया जाता है, कुछ राज्यों में परमिट (Permit) की आवश्यकता होती है और क्षेत्रों में अलग-अलग कानून होते हैं। शौकिया संग्राहकों ने नमूनों के दान के माध्यम से संग्रहालय संग्रह में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हालांकि, दुर्लभ प्रजातियों को एकत्र करने से, उनकी पहले से ही कमजोर आबादी के लिए और अधिक जोखिम पैदा हो सकता है। कुछ प्रजातियाँ, जैसे मिशेल स्क्विड तितली (Mitchell's Squid Butterfly), को निवास स्थान के नुकसान और निजी संग्राहकों द्वारा अत्यधिक संग्रहण के कारण गिरावट का सामना करना पड़ा है। इस विषय पर अलग-अलग विशेषज्ञ अलग-अलग राय रखते हैं। कुछ लोगों का तर्क है कि तितलियों को इकट्ठा करना वैज्ञानिक अनुसंधान और भविष्य के वैज्ञानिकों को प्रेरित करने के लिए महत्वपूर्ण संवेदी विवरण और ठोस डेटा प्रदान करता है। उनका मानना है कि तितली संग्रहण के लाभ, पर्यावरण को होने वाले संभावित नुकसान से कहीं अधिक हैं। दूसरों का मानना है कि डीएनए प्रौद्योगिकी (DNA Technology) में प्रगति, जैसे “पर्यावरणीय डीएनए विश्लेषण”, भौतिक नमूनों की आवश्यकता को कम कर सकती है। डीएनए विश्लेषण पर्यावरण में छोड़ी गई आनुवंशिक सामग्री का विश्लेषण करके जीवों की पहचान करने की अनुमति देता है। इस विधि का उपयोग तितलियों का अध्ययन करने के लिए किया गया है, लेकिन इसकी भी कुछ सीमाएँ हैं। हालांकि आवास संरक्षण और उत्सर्जन में कमी जैसे बड़े लक्ष्यों को बढ़ावा देकर, मूल्यवान वैज्ञानिक अनुसंधान करते हुए भी तितली आबादी को संरक्षित करना संभव हो सकता है। 20वीं सदी के दो ब्रिटिश राजनेताओं, नेविल चैम्बरलेन (Neville Chamberlain) और विंस्टन चर्चिल (Winston Churchill) ने शौक के तौर पर खूब तितलियाँ एकत्र कीं। कहा जाता है कि चर्चिल ने अपने स्कूल के दिनों में और भारत, क्यूबा (Cuba) और दक्षिण अफ्रीका जैसे विभिन्न देशों में तितलियों का बहुत पीछा किया था। वहीं चेम्बरलेन ने ब्रिटेन और बहामास (Bahamas) दोनों जगह से तितलियाँ एकत्र कीं। हालाँकि चर्चिल, बाद में भी अपने बगीचे में तितलियाँ रखने का अभ्यास करते रहे, और चेम्बरलेन ने भी इस रुचि को बनाए रखा।
यदि डेविड कैमरून (David Cameron) या टोनी ब्लेयर (Tony Blair) जैसे आधुनिक राजनेता भी तितली संग्रह में लगे होते, तो उनका मज़ाक उड़ाया जाता। हालाँकि, उस समय में, यह सामाजिक रूप से स्वीकार्य था और तितली पकड़ना भी मछली पकड़ने या तीतर को मारने की तरह ही एक सामान्य शौक माना जाता था। प्रथम विश्व युद्ध से पहले तितली संग्रह की लोकप्रियता चरम पर थी, इस दौरान, तितली नीलामी और तितली संग्रहण के शौक को समर्पित कई पत्रिकाएँ और किताबें लोकप्रिय थीं। यहां तक कि उस दौरान तितली फार्म और उपकरण तथा आपूर्ति प्रदान करने वाले डीलर भी थे। हालाँकि, आज समय बदल गया है और प्रकृति के साथ हमारा रिश्ता भी बदल गया है। आज बच्चों का प्रकृति से सीधा संपर्क कम हो गया है, लेकिन वे इसकी नाजुकता के प्रति अधिक जागरूक हो गए हैं। पर्यावरणीय चिंताओं और प्राकृतिक दुनिया को नुकसान पहुँचाने के प्रति अपराध बोध की भावना ने तितली संग्रहण की लोकप्रियता को कम कर दिया है। संरक्षण प्रयासों और संग्रहण पर प्रतिबंधों ने भी भूमिका निभाई है। आज, दुनियां फोटोग्राफी और प्रौद्योगिकी के माध्यम से तितलियों की गिनती और अध्ययन पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।
तितलियों की आबादी में गिरावट और मानव गतिविधियों के कारण आवास के नुकसान ने इनके संग्रह के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव में बहुत बड़ा योगदान दिया है। हालाँकि संग्रहण अवैध नहीं है, लेकिन अब इसे कई स्थानों पर विनियमित (सरकार द्वारा नियंत्रित) किया जाता है, और प्राकृतिक आवास मेंकीड़ों को पकड़ने को हतोत्साहित किया जाता है।
तितली संग्रह को एक पुराने और भुला दिए गए शौक के रूप में देखा जाता है। पहले के अधिकांश संग्रह खराब हो गए हैं या गायब हो गए हैं। संग्रहालयों में अच्छी तरह से संरक्षित संग्रह होते तो हैं, लेकिन वे अक्सर जनता की पहुंच से बाहर होते हैं। तितली संग्रह में यह गिरावट कई अन्य कारणों से भी आई है, जिसमें बदलते सामाजिक मूल्य, पर्यावरणीय चिंताएँ और पारंपरिक संरक्षण विधियों की अनुपलब्धता शामिल है। आज, तितलियों का उनके पारिस्थितिक महत्व और जलवायु परिवर्तन के संकेतक के रूप में अध्ययन किया जाता है। हाल ही में विक्टोरियन युग (Victorian-Era) का एक मूल्यवान तितली संग्रह, ब्रिटेन के लियोमिन्स्टर (Leominster) में भी नीलाम किया गया था। इस संग्रह, जिसे 1880 और 1920 के बीच इकट्ठा किया गया था, में ब्रिटिश तितलियों की 58 प्रजातियाँ शामिल थीं। तितली संग्रह वाली अलमारियाँ अखरोट की लकड़ी से बनी थीं। इन्हें पूर्वी लंदन के व्हाइटचैपल-स्ट्रैटफ़ोर्ड (Whitechapel-Stratford) जिले में स्थित फ़र्निचर बनाने वाली कंपनी जे थॉर्न (J Thorne,) द्वारा तैयार किया गया था। यह संग्रह बर्नार्ड और अलेक्जेंडर एडम्स (Bernard And Alexander Adams) नामक दो शौकिया लेपिडोप्टरिस्ट द्वारा एक साथ जमा किया गया था। संग्रह का मुख्य आकर्षण लगभग 140 बड़ी नीली तितलियाँ थीं, जिनमें से अधिकांश 1979 में विलुप्त हो गई थीं लेकिन बाद में पुनः प्रस्तुत की गईं। संग्रह में सभी नमूनों और उनके अधिग्रहण की तारीखों को सूचीबद्ध करने वाली एक हस्तलिखित पुस्तक भी शामिल थी। बड़ी कैबिनेट £21,000 में बेची गई, जो £5000-8000 की अनुमानित कीमत से अधिक थी। कुल मिलाकर, इस नीलामी ने तितली प्रेमियों और संग्राहकों के बीच काफी उत्साह पैदा किया, जिससे इन नाजुक प्राणियों के प्रति स्थायी आकर्षण का प्रदर्शन हुआ। भारत में भी तितलियों के जीवन मूल्यों के प्रति जागरूकता फ़ैलाने के उद्देश्य से 2019 में भारत के तिरुचि शहर में ट्रॉपिकल बटरफ्लाई कंजर्वेटरी (Tropical Butterfly Conservatory) में तितलीयों के विषय पर एक डाक टिकट प्रदर्शनी का आयोजन किया गया था। इस आयोजन का उद्देश्य विभिन्न तितली प्रजातियों के बारे में डाक टिकट संग्रहकर्ताओं के बीच जागरूकता बढ़ाना था। कार्यक्रम के लिए वन विभाग ने भी सहायता प्रदान की थी। उत्साही डाक टिकट संग्रहकर्ता पी. विजय कुमार के अनुसार ऐसे आयोजन फायदेमंद होते हैं क्योंकि वे तितलियों के जीवन चक्र, खाद्य स्रोतों और व्यवहार के बारे में बहुमूल्य ज्ञान प्रदान करते हैं।

संदर्भ
https://tinyurl.com/bdhnfapk
https://tinyurl.com/53rsfd3h
https://tinyurl.com/5xyxvs22
https://tinyurl.com/2b3f485v

चित्र संदर्भ
1. तितलियों के संग्रह को दर्शाता चित्रण (Pixabay)
2. तस्वीरें खींचते फोटोग्राफरों को दर्शाता चित्रण (Wallpaper Flare)
3. एक संग्रहालय में तितलियों के संग्रह को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. मिशेल स्क्विड तितली को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
5. तितलियों के संग्रह को निहारती युवती को दर्शाता चित्रण (pexels)
6. दिवार पर चिपकाई गई सुंदर तितलियों को दर्शाता चित्रण (Pixabay)
7. फूल पर बैठी तितली को दर्शाता चित्रण (pexels)
8. अलग-अलग डिब्बों में रखी गई तितलियों को दर्शाता चित्रण (flickr)

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.