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विश्व की आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं को बिजली शक्ति प्रदान करती है। हालांकि आज बिजली की मांग पर जलवायु परिवर्तन का मौलिक प्रभाव पड़ रहा है। दुनिया में चरम तापमान वाला यह समय, ठंड के मौसम में गर्मी की आवश्यकता को बढ़ाता है; और गर्मी के मौसम में ठंडक की मांग को बढ़ाता है, जिससे विभिन्न भौगोलिक स्थानों तथा देशों में बिजली की खपत पर अलग-अलग प्रभाव पड़ रहा है। बढ़ता तापमान आर्थिक क्षेत्रों में बिजली की मांग में बढ़ोतरी कर आर्थिक विकास की संभावनाओं को प्रभावित करता है। अनुमान है कि सामाजिक, आर्थिक, जनसांख्यिकीय और तकनीकी परिवर्तनों के साथ-साथ तापमान परिवर्तन के समय और तीव्रता की परस्पर क्रिया भविष्य में बिजली की मांग और ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाएगी।
क्या आप जानते हैं कि विश्व में न्यूनतम बिजली खपत के लिए तापमान का औसत बिंदु लगभग 14.6° सेल्सियस होना चाहिए। शहरी और विकसित औद्योगिक क्षेत्रों के लिए यह बिंदु अत्यधिक महत्वपूर्ण है। आज दुनिया का औसत तापमान पहले ही इस बिंदु को पार कर चुका है। बिजली की खपत पर बढ़ते तापमान का सीधा-सीधा प्रभाव पड़ता है। आइए इस संदर्भ में, हमारे शहर लखनऊ के परिदृश्य के बारे में भी जानते हैं। दरअसल, लखनऊ का बिजली नेटवर्क खतरे में है। क्योंकि, पिछले कुछ दिनों में तेज गर्मी के कारण, शहर में बिजली की मांग बहुत बढ़ गई है। इसके परिणामस्वरूप, हाल ही में, ‘लखनऊ बिजली आपूर्ति प्रशासन’ (Lucknow electricity supply administration (LESA) ने उत्तर प्रदेश में पिछले ४ वर्षों की तुलना में इस वर्ष सबसे अधिक बिजली की खपत दर्ज की है। बिजली विभाग के अनुसार, इस वर्ष लखनऊ में 1688.93 मेगावॉट (Megawatt) बिजली की अधिकतम खपत दर्ज हुई है। सबसे अधिक खपत गोमती नगर के 220 किलोवोल्ट (Kilovolt) सब-स्टेशन में183.40 मेगावॉट दर्ज की गई। इसके बाद महताब बाग के 132 किलोवोल्ट सब–स्टेशन में 130 मेगावॉट की मांग और कानपुर रोड 220 किलोवोल्ट सब–स्टेशन में 113 मेगावॉट की मांग दर्ज की गई थी।
इससे पहले जून 2020 में 1247 मेगावॉट, जून 2021 में 1339 मेगावॉट और जून 2022 में 1644 मेगावॉट बिजली की रिकॉर्ड खपत दर्ज की गई थी। बिजली विभाग ने यह भी बताया कि विभाग ने बिजली चोरी के भी कई मामलों को पकड़ा है, जो ओवरलोडिंग (Overloading) का कारण बन रहे थे।
यदि मौसम की स्थिति में सुधार नहीं होता है, तो बिजली की मांग और बढ़ सकती है, क्योंकि लोग गर्म दिनों में ठंडक पाने के लिए, एयर कंडीशनर (Air conditioner) का अधिक उपयोग करेंगे। बिजली विभाग के ट्रांस गोमती (Trans Gomti) कंपनी के आंकड़ों से पता चलता है कि 13 जून तक कंपनी ने अपने 10 प्रभागों में बिजली की चोरी के 1,219 मामले पकड़े हैं। इनमें से ज्यादातर मामले (1,150) बख्शी-का-तालाब क्षेत्र के थे। इसी तरह, विभाग के लखनऊ बिजली आपूर्ति प्रशासन के आंकड़ों से पता चलता है कि इस वर्ष अब तक 52 बिजली की चोरी की घटनाएं दर्ज हुई हैं। इनमें से ज्यादातर चोरियां मलिहाबाद के एक मिनार, कैसरबाग, सिद्धार्थ नगर, पारा गांव और रेसीडेंसी क्षेत्र के मास्कगंज में थीं।
वैसे तो, तकनीकी रूप विभाग के पास आपूर्ति के लिए पर्याप्त मात्रा में बिजली उपलब्ध है, लेकिन बिजली की चोरी के कारण इसके बुनियादी ढांचे पर भार पड़ता है। इससे बिजली के तार (Cable) पिघल जाते हैं, ट्रिपिंग (Tripping) होती है और ट्रांसफार्मर क्षमता से अधिक भार के कारण गर्म (Overheat) हो जाते हैं। विभाग ने यह भी बताया कि जब बिजली चोरी के खिलाफ कार्रवाई की जाती है, तब कंपनी के संघों पर हमला किया जाता है, और उनका पीछा भी किया जाता है। अंततः बिजली चोरी वास्तविक और नियमित उपभोक्ताओं को प्रभावित करती है, जो समय पर बिल का भुगतान करते हैं। अतःहमें ऐसी घटनाओं को कम करने के बारे में सोचना होगा।
बिजली खपत में वृद्धि, न केवल हमारे शहर लखनऊ के लिए बल्कि हमारे देश के लिए भी एक संकट के रुप में उभर रही है। 2022 में, भारत में बिजली की मांग वर्ष 2021 की तुलना में लगभग 8% अर्थात 149.7 टेरावॉट (Terawatt) प्रतिघंटे की दर से अधिक दर्ज की गई थी, जो एशिया प्रशांत क्षेत्र की बिजली की खपत की लगभग दोगुनी है। और इस वर्ष गर्मी शुरू होने के पहले दो ही महीनों में, यह मांग 2022 की तुलना में 10% अधिक बढ़ गई है। सरकारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि 2022 में बिजली की मांग में सबसे अधिक वृद्धि वाले राज्य राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र थे, जहां देश के कई उद्योग केंद्रित हैं। 2022 में मानसून समाप्त होने के बाद पांच महीनों में ही छत्तीसगढ़ राज्य में बिजली खपत में 16.6% की वृद्धि हुई, जबकि इसी अवधि में राजस्थान में बिजली की मांग 15.1% बढ़ी थी। पंजाब में भी यह दर अधिक थी, जहां कृषि क्षेत्र में, राज्य के कुल बिजली उपभोग का बड़ा हिस्सा खपत होता है। साथ ही, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और बिहार में आवासीय मांग के कारण बिजली खपत पर अधिकांश भार था।
विशेषज्ञों का मानना है कि बिजली की इस बढ़ती मांग के लिए उच्च आर्थिक गतिविधियां प्रमुख रूप से जिम्मेदार हैं। देश में बिजली के वार्षिक खपत का आधे से अधिक हिस्सा औद्योगिक और वाणिज्यिक गतिविधियों द्वारा उपयोग में लाया जाता । इसमें एक चौथाई हिस्सा घरेलू उपयोग में लाया जाता है, जबकि कृषि कार्यों के लिए कुल खपत का 6% उपयोग होता है। हालांकि बिजली के उपभोग की प्रवृत्ति प्रत्येक राज्य में और मौसम के अनुसार अलग-अलग समय पर अलग-अलग है। बिजली मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि गर्मी की लहर और कोविड-19 के प्रतिबंधों में ढील के कारण 2022 की पहली छमाही में बिजली की मांग काफ़ी बढ़ गई थी। जबकि, पिछले साल की दूसरी छमाही में बिजली की खपत में उच्च वृद्धि के पीछे अनियमित मौसम और कृषि गतिविधियों में बदलाव कुछ प्रमुख कारण थे।
उत्तरी हरियाणा और दक्षिण में तेलंगाना में, अप्रत्याशित सूखे ने नवंबर और दिसंबर महीनों के दौरान कृषि क्षेत्र में बिजली की उच्च खपत में योगदान दिया; जबकि आंध्र प्रदेश में उद्योग क्षेत्र में बिजली की अधिक खपत थी। बेंगलुरु में कोविड–19 के बाद तकनीकी कर्मचारियों के कार्यालयों में लौटने से भी बिजली का उपयोग बढ़ा। दूसरी तरफ, केरल में, ‘फुटबॉल विश्व कप’ मैचों (Match) की लाइव स्ट्रीमिंग (Live streaming) के कारण भी संभावित रूप से बिजली की खपत में 4.1% की बढ़ोतरी हुई थी। इसके अलावा कुछ राज्यों में सरकारी नीतियां भी बिजली की खपत में बढ़ोतरी का कारण बनी हैं। उदाहरण के लिए पंजाब में, कुछ उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली प्रदान करने की नीति ने बिजली की खपत को बढ़ावा दिया, जबकि राजस्थान में कृषि उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति की समय सीमा बढ़ाने के निर्णय के परिणामस्वरूप नवंबर में 22% और दिसंबर में 15% बिजली की खपत में वृद्धि हुई।
यदि वैश्विक स्तर पर देखा जाए, तो जलवायु परिवर्तन के कारण चरम मौसम की घटनाओं के कारण पूरे विश्व में बिजली की खपत बढ़ती जा रही है। एक अनुमान है के अनुसार, सहारा रेगिस्तान के पास स्थित दक्षिण अफ्रीकी (South Africa) देशों को, बिजली की कमी, जलवायु परिवर्तन के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील बनाती है। इन देशों में अगर तापमान में 1° सेल्सियस की भी वृद्धि होती है, तो उनकी बिजली की मांग औसतन 6.7% बढ़ जाएगी। यही स्थिति अन्य देशों के साथ भी है। जिन देशों में मौसम अत्यधिक गर्म है वहां ठंडक के लिए बिजली की मांग में वृद्धि हो रही है तथा जिन देशों में मौसम अत्यधिक ठंडा है वहां गर्मी बनाए रखने के लिए बिजली की मांग में दिन-प्रतिदिन वृद्धि हो रही है।
अतः यह बस बोलने और पढ़ने का समय न होकर, निजी स्तर पर बिजली का उपयोग कम करने का समय है। हमारा आपसे अनुरोध है कि अगर जरूरत न हो, तो बिजली का उपयोग कृपया कम करें तथा अन्य लोगों को भी प्रेरित करें।
संदर्भ
https://rb.gy/ks8tk
https://rb.gy/nk6cc
https://rb.gy/6lqmq
चित्र संदर्भ
1. मीटर के सामने खड़े बच्चे को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. एक आम भारतीय गली को दर्शाता चित्रण (flickr)
3. कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र (2 x 1000 मेगावाट) को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. इंदिरा सागर बांध को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
5. गोमती नगर से लखनऊ स्काईलाइन को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
6. राजस्थान में एक थर्मल पावर प्लांट को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
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