लखनऊ के पीजीआई केजीएमयू में एआर-वीआर लैब करेंगे भविष्य के डॉक्टरों को प्रशिक्षित

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24-06-2023 10:29 AM
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लखनऊ  के पीजीआई केजीएमयू में एआर-वीआर लैब करेंगे भविष्य के डॉक्टरों को प्रशिक्षित

हमारे उत्तर प्रदेश राज्य की सरकार अब हमारे शहर लखनऊ के ‘संजय गांधी स्नातकोत्तर चिकित्सकीय विज्ञान संस्थान’ (Sanjay Gandhi Post Graduate Institute of Medical Sciences) और ‘किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय’ (King George’s Medical University) से एक विशेष चिकित्सा थेरेपी (Therapy) शुरू करने की योजना बना रही है। यह चिकित्सा एक कंपनी ‘माइंडमेज़’ के माध्यम से दी जाएगी, जो कई देशों में स्ट्रोक (Stroke) के रोगियों को विशेष चिकित्सा सुविधा प्रदान कर रही है। यह थेरेपी स्ट्रोक के रोगियों और मस्तिष्क में चोटों या जख्मों वाले रोगियों को शीघ्र स्वस्थ होने में मदद करती है। यह रोगियों को स्वस्थ करने हेतु थेरेपी से जोड़े रखने के लिए वर्चुअल रियलिटी (Virtual Reality (VR) गेम का उपयोग करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि मानसिक बीमारी के इलाज में वीआर एक प्रभावी उपकरण हो सकता है। वीआर आपके मस्तिष्क में लाभकारी परिवर्तन करने में मदद करता है। इससे लचीलेपन, विश्राम, स्वास्थ्य लाभ और परिणामों को बढ़ावा मिलता है। हमारे मस्तिष्क में आमतौर पर किसी चोट या जख्म तथा बीमारी के विरुद्ध नए तंत्रिका पथ बनाकर खुद को पुनर्गठित करने की क्षमता होती है जिसे न्यूरोप्लास्टिसिटी (Neuroplasticity) कहा जाता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि जब मनुष्य एक ही केंद्र पर पर्याप्त ध्यान केंद्रित करते हैं, तब मस्तिष्क धीरे-धीरे इन तंत्रिका पथ को फिर से ठीक कर सकता है। इस बात का फायदा उठाकर, यह कंपनी कई देशों में सेवा प्रदान कर रही है और हमारी राज्य सरकार के सहयोग से उत्तर प्रदेश में भी लोगों को सेवा प्रदान करने का इसका इरादा है।
अलग-अलग क्षेत्रों में विभिन्न सॉफ्टवेयर (Software) बनाने में भी भारत की क्षमताएं एक नए चरण में प्रवेश कर रही हैं। अतः भारतीय स्टार्टअप अब उन्हें वैश्विक स्तर पर ले जाने की उम्मीद में, चिकित्सकीय शिक्षा जैसे क्षेत्रों के लिए विशिष्ट सॉफ्टवेयर उत्पाद बना रहे हैं। उदाहरण के तौर पर, एक वीआर प्रशिक्षण कार्यक्रम ‘मेटा प्लेटफॉर्म इंकस् क्वेस्ट 2 हेडसेट’ (Meta Platforms Inc’s Quest 2 headset), जो देश के दक्षिण में स्थित चेन्नई के कुछ युवा तकनीकी-उद्यमियों द्वारा डिजाइन किया गया है, हमें, चिकित्सकीय शिक्षा प्रदान कर सकता है। यह कंपनी शहर के ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी’ (Indian Institute of Technology) के अनुसंधान उद्यम द्वारा शुरू किए गए 200 से अधिक स्टार्टअप्स में से एक है। हालांकि यह सरकार द्वारा समर्थित उद्यम है, लेकिन पूर्व छात्रों और कंपनियों द्वारा वित्त पोषित है। इसी तरह मेडिसिम वीआर (MediSim VR) भी काफ़ी प्रगति कर चुका है। यह वर्तमान में 2,000 छात्रों को चिकित्सा और नर्सिंग विद्यालयों की प्रयोगशालाओं में प्रशिक्षण दे रहा है। हाल ही में, मेडीसिम वीआर ने हार्वर्ड मेडिकल स्कूल (Harvard Medical School) के जियानलुका डे नोवी (Gianluca De Novi) को एक सलाहकार के रूप में नियुक्त किया है। साथ ही, इसने हार्टफोर्ड हेल्थकेयर कॉर्प (Hartford HealthCare Corp’s) के सेंटर फॉर एजुकेशन, सिमुलेशन एंड इनोवेशन ( Center for Education, Simulation and Innovation) के साथ करार भी किया है। इन तकनीकों का उपयोग करके जन्मजात बीमारियों का भी इलाज किया जा सकता है। उत्तर प्रदेश की ‘पीडियाट्रिक ऑर्थोपेडिक सोसाइटी’ (Paediatric Orthopedic Society) के सहयोग से विश्वविद्यालय के बाल रोग विभाग द्वारा आयोजित दूसरे क्लबफुट कार्यक्रम के दौरान चिकित्सकों ने बताया कि अब किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में, बच्चों के पैर को प्रभावित करने वाली एक सामान्य जन्मजात विसंगति ‘क्लबफुट’ (Clubfoot) से पीड़ित बच्चों को भी बेहतर इलाज मिलने की उम्मीद है, क्योंकि जल्द ही इस विश्वविद्यालय के बाल चिकित्सा विभाग में प्रशिक्षण और उपचार प्रयोजनों के लिए ‘ऑगमेंटेड वर्चुअल रियलिटी लैब’ (Augmented Virtual Reality Lab (AVR Lab) स्थापित की जाएगी। क्लबफुट एक जन्मजात विकार है, जो प्रत्येक 1000 जीवित बच्चों में से एक बच्चे को होता है। एआर और वीआर तकनीक पर आधारित यह प्रयोगशाला आर्थोपेडिक चिकित्सकों और सहायक कर्मचारियों को पोंसेटी (Ponseti) पद्धति पर व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करेगी। इस तकनीक के माध्यम से चिकित्सकों को प्रभावी ढंग से प्रशिक्षित किया जा सकेगा और इस बीमारी के साथ विश्वविद्यालय में आने वाले बच्चों की बेहतर देखभाल भी की जा सकेगी। हालांकि वर्तमान में क्लबफुट बीमारी का पूरा इलाज प्लास्टर कास्ट (Plaster casts) और शल्य-चिकित्सा के जरिए उपलब्ध है। हाल ही में ‘किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय’ और ‘क्योर इंटरनेशनल इंडिया ट्रस्ट’ (CURE International India Trust) के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। यह दुनिया में पहली प्रयोगशाला हो सकती है, और यह प्रयोगशाला अक्टूबर-नवंबर तक बालचिकित्सा विभाग में स्थापित की जाएगी।
इस प्रयोगशाला के माध्यम से, चिकित्सक डिजिटल इमेजरी (Digital imagery) के माध्यम से देख सकते हैं और ठीक से चिकित्सा कर सकते हैं।

संदर्भ
https://rb.gy/g9hyk
https://rb.gy/sg54j
https://rb.gy/899ao

चित्र संदर्भ

1. ऑपरेशन कक्ष में चिकित्सकों को दर्शाता चित्रण (Wallpaper Flare)
2. वीआर गेमिंग को दर्शाता चित्रण (Trusted Reviews)
3. ‘मेटा प्लेटफॉर्म इंकस् क्वेस्ट 2 को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. टेलीमेडिसिन परामर्श को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
5. ऑगमेंटेड वर्चुअल रियलिटी लैब’ को दर्शाता चित्रण (pixabay)

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