आगरा हो या अवध, मुगल कला में स्पष्टता से देखा जा सकता है फूलों के रूपांकनों का प्रचलन

बागवानी के पौधे (बागान)
20-06-2023 10:32 AM
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आगरा हो या अवध, मुगल कला में स्पष्टता से देखा जा सकता है फूलों के रूपांकनों का प्रचलन

जब भी मुगल कला और वास्तुकला की बात आती है, तब अक्सर फूल, पत्तियों और बेलों के समान दिखने वाली आकृतियां या रूपांकन हमें याद आते हैं।मुगल सम्राट जहाँगीर की पौधों और जानवरों में गहरी रुचि थी।यह रूचि इतनी अधिक थी कि मुगल सम्राट ने राजशाही के वनस्पतियों और जीवों के संग्रह की विस्तृत और वैज्ञानिक रूप से सटीक छवियों का उत्पादन करने के लिए, दरबारी चित्रकार मंसूर को नियुक्त किया। दुर्भाग्य से इनमें से बहुत कम वानस्पतिक अध्ययन आज मौजूद हैं। हालांकि लघुचित्रों या सुलेखों में सजावटी पैटर्न के रूप में,शीशे के कार्य में,वस्त्रों पर मुद्रित या बुने हुए या कशीदाकारी के रूप में,यहां तक कि धातु, मोती, और कीमती पत्थरों से बने गहनों और हथियारों पर भी, मुग़ल काल में, फूल वाले पौधे दिखाई देने लगे। सोलहवीं शताब्दी में, मुगल डिजाइन ने दक्षिण एशियाई (South Asian) और फारसी डिजाइनों पर भारी प्रभाव डाला। दक्षिण एशियाई और फारसी डिजाइनों के कालीनों, वस्त्रों और अन्य कलात्मक सामानों पर घुमावदार,आपस में गुंथी हुई अरबी संरचनाएं (Arabesque) और फूल-पत्तियों की आकृतियां दिखाई देने लगी।प्रत्येक फूल और पत्तियों को पूर्णता के साथ चित्रित किया गया था। फूलों की प्रत्येक पंखुड़ी को खिलता हुआ दिखाया गया ताकि कलाकार की सर्वश्रेष्ठ क्षमता को दर्शकों के सामने प्रस्तुत किया जा सके। जैसा कि आप सब जानते ही हैं, ईरान (Iran), अफगानिस्तान (Afghanistan),पाकिस्तान (Pakistan) और उत्तरी भारत का अधिकांश भाग शुष्क है। इन क्षेत्रों के लिए पानी एक बहुमूल्य संसाधन है।इसलिए उद्यान या एक विस्तारित फूलों से भरे बगीचे की कल्पना कलाकारों और कवियों का पसंदीदा विषय था। और बाबर से लेकर सभी मुग़ल बादशाओँ का भी! पांचवें मुगल सम्राट, शाहजहाँ (1628-58) के शासनकाल के दौरान, फूल विभिन्न कला रूपों का एक प्राथमिक डिजाइन तत्व बन गए। चित्रों, कालीनों और वस्त्रों में इनका बहुतायत से उपयोग किया जाने लगा।1635 में निर्मित ताजमहल में, और विभिन्न वस्तुओं पर फूलों की चित्रकारी फूलों के प्रति शाहजहां के प्रेम को दर्शाती है। उनके शासनकाल के दौरान दो प्रकार की पुष्प रचनाएँ प्रचलित थीं: पहला पुष्प स्प्रे (Floral sprays) या गुलदस्ता और दूसरा ट्रेलिस पैटर्न (Trellis patterns) या बेल । विभिन्न किस्मों के बीच आइरिस (Iris), गुलाब, लिली और पिओनीस (Peonies) फूलों को आसानी से पहचाना जा सकता था तथा ट्रेलिस पैटर्न पर खिले हुए फूलों को दर्शाया गया था। मुगल शासकों ने 16वीं शताब्दी में आज के भारत और पाकिस्तान में अटेलियर (Ateliers) या चित्रालय स्थापित किए। मुगल शासक स्थानीय बुनकरों को कालीन बुनाई के डिजाइन और तकनीक सिखाने के लिए मध्य एशिया से कालीन बुनकर लाए और इस प्रकार एक अनूठी स्वदेशी शैली विकसित हुई।
भारतीय उपमहाद्वीप में विशाल जंगली और खेती की जाने वाली अमेरिकी (American) या पूर्वी एशियाई (East Asian) वनस्पतियों को मुगल काल के दौरान पेश किया गया था।इनमें से कुछ को लगातार मुगल कला में चित्रित किया गया। इन पौधों में से कुछ मुख्य पौधे : पॉपी (Poppy), लार्क्सपुर (Larkspur), कॉक्सकॉम्ब्स (Cockscombs), नार्सिसस टेज़ेटा (Narcissus tazetta) और गेंदा है। पॉपी या अफीम पोस्ता वह पौधा है जिससे अफीम और पोस्त के बीज निकाले जाते हैं। यह एक वार्षिक शाक है, जो 1-2 फीट लंबी होती है। इसकी मूसला जड़ खड़ी और लगभग शंक्वाकार होती है। तना सीधा, चमकीला, बाल रहित होता है। वैकल्पिक रूप से व्यवस्थित पत्तियां अंडाकार या आयताकार होती हैं। इसके फूल प्रायः अकेले खिलते हैं तथा गहरे कप के आकार के होते हैं। इनका व्यास 5-12 सेंटीमीटर तक होता है। फूलों की कलियाँ पहले झुकी हुई होती हैं, लेकिन जैसे ही कली पूरी तरह से खिलना शुरू होती हैं, यह सीधी हो जाती हैं। लार्क्सपुर,बटरकप परिवार (Buttercup family) का एक आकर्षक सदस्य है, जिसके फूल काफी जटिल होते हैं क्यों कि यह विभिन्न रंगों के स्पेक्ट्रम जैसे सफेद,नीले और बैंगनी रंग को आवरित करता है। जब यह खिलते हैं, तो बड़े फूल बगीचे में बहुत प्यारे लगते हैं। फूलों का रंग हल्का और गहरा गुलाबी, नीला, सफेद आदि हो सकता है।तना मुख्य रूप से 30-80 सेंटीमीटर का होता है तथा पत्तियां 1-5 सेंटीमीटर चौड़ी होती हैं। पुष्पक्रम 6-30-फूल वाले, सरल या 3 या उससे कम शाखाओं वाले होते हैं।लार्क्सपुर,यूरोप (Europe) से लेकर पश्चिमी हिमालय और मध्य एशिया का मूल निवासी है। कॉक्सकॉम्ब (Cockscomb) एक वार्षिक शाक है और बगीचे के पौधे के रूप में बहुत आम है। कहा जाता है कि आपस में अच्छी तरह से जुड़े गुच्छेदार फूल एक मुर्गे की कलगी के समान दिखाई देते हैं। ये फूल प्रायः लाल, पीले, नारंगी, गुलाबी आदि रंगों के होते हैं। मुगल कला में सामान्य रूप से दिखने वाला अन्य फूल गेंदा है। विभिन्न प्रकार की मिट्टी और जलवायु परिस्थितियों में यह फूल आसानी से उग सकता है। यह एक वार्षिक शाक है, जो 1 फीट से 3 फीट तक बढ़ती है। पत्तियां कुल मिलाकर 3-12 सेंटीमीटर की होती हैं। फूल प्रायः 3-10 सेंटीमीटर लंबे डंठल पर एकल रूप से खिलते हैं।गेंदा मेक्सिको (Mexico) का मूल निवासी हैं, तथा इसे दुनिया भर में उगाया जाता है।विभिन्न संस्कृतियों में इसका उपयोग अनुष्ठानों में किया जाता है।

संदर्भ:
https://t.ly/y1UJa
https://t.ly/xAEPZ
https://t.ly/YN80d
https://t.ly/RhFd
https://t.ly/x-WR
https://t.ly/mJ7K

चित्र संदर्भ
1. ताजमहल में फूलों के रूपांकन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. मुग़ल वास्तुकला में फूलों के अलंकरण को दर्शाता चित्रण (Wallpaper Flare)
3. ताजमहल के प्रवेश द्वार को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. ताजमहल के मार्बल में फूलों के रूपांकन को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
5. पॉपी फूल को दर्शाता चित्रण (Pixabay)
6. लार्क्सपुर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
7. कॉक्सकॉम्ब्स को दर्शाता एक चित्रण (Pixabay)

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