ए-आई वास्तुकारों की दोस्त बनेगी या दुश्मन?

वास्तुकला 1 वाह्य भवन
09-06-2023 09:41 AM
Post Viewership from Post Date to 10- Jul-2023 31st
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2876 579 3455
ए-आई वास्तुकारों की दोस्त बनेगी या दुश्मन?

भारत के प्राचीन मंदिरों एवं स्मारकों की अद्भुत और अविश्वसनीय वास्तुकला शैली को देखकर, बड़े से बड़े आधुनिक वास्तुकार भी दंग रह जाते हैं! हमारे शहर लखनऊ से महज 5 घंटे की दूरी पर मौजूद, बनारस शहर इस तथ्य का जीवंत प्रमाण है। लेकिन दुर्भाग्य से वास्तुकला की इन शानदार शैलियों को, पत्थरों पर उकेरने का ज्ञान और धैर्य भी हमारे पूर्वजों के साथ ही पीछे छूट गया! लेकिन हाल के समय में, तेजी से उभरती प्रौद्योगिकियों, विशेषतौर पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence (AI) से हमारी प्राचीन वास्तुकला शैलियों को पुनर्जीवित करने की उम्मीद की जा रही है। क्या यह संभव है, चलिए जानते हैं कैसे? अन्य क्षेत्रों की तरह, वास्तुकला की दुनिया में भी कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) की क्रांतिकारी तकनीक ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है। विशेषज्ञों का मानना है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता वास्तुकला और निर्माण के क्षेत्र में क्रांति ला सकती है। व्यापार और अर्थशास्त्र अनुसंधान फर्म, मैकिन्से (Mckinsey) की एक रिपोर्ट के अनुसार, ए-आई इंसानों द्वारा दोहराए जाने वाले कई कार्यों को स्वचालित कर सकती है। यह कंप्यूटर आधारित कार्यों से लेकर, लैंडस्केप्स डिजाइनरों (Landscape Designers) और वेल्डरों (Welders) के काम को भी प्रभावित कर सकती है। ब्रिटेन में लंदन से छपने वाली एक साप्ताहिक पत्रिका, “द इकोनॉमिस्ट” (The Economist) ने भी अनुमान लगाया है कि साल 2037 तक, कृतिम बुद्धिमत्ता द्वारा संचालित रोबोट (Robot), इंसानों द्वारा की जाने वाली 47% से अधिक नौकरियों को करने में सक्षम हो जायेंगे। हालांकि, ‘यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन’ (University College London) के एक अध्ययन से पता चलता है कि ए-आई, निर्माण क्षेत्र या आर्किटेक्ट्स (Architects) को पूरी तरह से प्रतिस्थापित नहीं कर सकती है, लेकिन इसके आ जाने से इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव देखे जाएंगे। आज कंप्यूटर (Computer), बार-बार दोहराए जाने वाले कार्यों को करने में सक्षम हो गए हैं, और आने वाले समय में वास्तुशिल्प परियोजनाओं के तकनीकी पहलुओं को भी सीख लेंगे, जिसके कारण ये बड़ी संख्या में होनहार वास्तुकारों की नौकरियों का सफाया कर सकते हैं। हालांकि, इसके सकारात्मक पहलू भी हैं जैसे, एआई विभिन्न तरीकों से वास्तुकारों को लाभ भी पंहुचा सकती है। यह बड़ी मात्रा में निर्माण और डिजाइन डेटा (Design Data) का तेजी से विश्लेषण कर सकती है, सुझाव दे सकती है और डिजाइन प्रक्रिया में सुधार भी कर सकती है। इसकी मदद से वास्तुकार एक समय में एक साथ अनेक योजनाओं पर शोध और परीक्षण कर सकते हैं। एआई, वास्तुकारों की, शहरों और डिज़ाइन विविधताओं के बारे में विशिष्ट डेटा एकत्र करने में भी मदद कर सकती है।
नीचे कुछ तरीके दिए गए हैं, जिनकी मदद से एआई वास्तुकला को प्रभावित कर रही है, या कर सकती है:
१. संवादी एआई और आईओटी एकीकरण (Conversational AI And IoT Integration): वास्तुकार इंटरनेट ऑफ थिंग्स (Internet Of Things (IoT) के साथ संवादी एआई को जोड़कर, स्मार्ट बिल्डिंग (Smart Building) बन सकते हैं। इस तकनीक की मदद से आपके घर के बल्ब, दरवाजे, तापमान और इलेक्ट्रोनिक (Electronic) उपकरण आपके इशारे पर चलने लगते हैं।
२. कम लागत वाली और बिजली-कुशल सेंसर तकनीक (Low-Cost And Power-Efficient Sensor Technology): वास्तुकार और इंजीनियर अधिक प्रभावी और टिकाऊ भवन बनाने के लिए सेंसर तकनीक का उपयोग कर सकते हैं। ये सेंसर अनुकूलित ऊर्जा दक्षता के साथ-साथ तापमान, अधिभोग, और प्रकाश स्तर जैसे कारकों की निगरानी कर सकते हैं। वे संभावित स्वास्थ्य खतरों का पता लगाने के साथ-साथ आपके घर के अंदर की वायु गुणवत्ता का आकलन भी कर सकते हैं। यहां तक कि, ए-आई से लैस ये सेंसर भवन संरचनाओं (दीवारों, फर्श और नीवं) की मजबूती का भी आंकलन कर सकते हैं।
३. क्लाउड कंप्यूटिंग प्लेटफॉर्म (Cloud Computing Platform): क्लाउड कंप्यूटिंग प्लेटफॉर्म का उपयोग इमारतों से एकत्र किए गए डेटा को स्टोर (Store) और विश्लेषण करने के लिए किया जा रहा है। इस डेटा का उपयोग इमारतों के डिजाइन, संचालन और रखरखाव में सुधार के लिए किया जा सकता है।
४. बिल्डिंग सूचना मॉडलिंग (Building Information Modeling (BIM): बीआईएम इमारतों के डिजिटल मॉडल (Digital Model) बनाने की एक प्रक्रिया है। एआई का उपयोग बीआईएम को बेहतर बनाने के लिए किया जा रहा है, जिससे मॉडल बनाना और उसे अपडेट (Update) करना आसान हो जाता है। इसकी मदद से इमारतों के प्रदर्शन के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान की जाती है। हालांकि ए-आई के आगमन से बहुत अधिक उत्साहित होने या घबराने से पहले आपको, वास्तुकला के क्षेत्र में इस तकनीक के इतिहास से भी अवगत होना चाहिए! इतिहास में सीएडी और बीआईएम (CAD And BIM) जैसे नवाचारों ने मैनुअल ड्राफ्टिंग (Manual Drafting) अर्थात हाथ से किए जाने वाले आलेखन कार्य का स्थान लेकर, इस उद्योग को पहले भी प्रभावित किया था। हालांकि, हर नई तकनीक लंबे समय तक प्रभावी नहीं रहती है। उदाहरण के लिए, 3डी प्रिंटिंग (3d Printing) के बारे में भी यह माना जा रहा था कि यह आने वाले समय में, निर्माण क्षेत्र को पूरी तरह से बदल देगी, लेकिन इस तकनीक को आज भी व्यापक रूप से लागू नहीं किया जा सका है। यदि देखा जाए, तो किसी भी नई तकनीक के सफल होने के लिए, इसे आवश्यक कौशल, हार्डवेयर उपलब्धता (Hardware Availability), सुलभ, अनुकूलनीय और समर्थित होना जरूरी है। प्रत्येक तकनीकी उपकरण का अपना दायरा और उद्देश्य होता है। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि एआई में वास्तुकला में क्रांति लाने की क्षमता है। लेकिन एआई की मदद-से पूरी की पूरी संरचनाओं का निर्माण कर देना, अभी भी दूर का लक्ष्य है।

संदर्भ
https://shorturl.at/mwCQ9
https://shorturl.at/eRT38
https://shorturl.at/abvO7

 चित्र संदर्भ
1. ए-आई की मदद से 3D प्रिंटेड घर को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. ए-आई छवि को संदर्भित करता एक चित्रण (Pixabay)
3. प्रोफेसर रवींद्र भान, भारत में लैंडस्केप आर्किटेक्चर के क्षेत्र में अग्रणी व्यक्ति को दर्शाता चित्रण (World Architecture Community)
4. एक 3D प्रिंटिंग सेटउप को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
5. एक वास्तुकार को संदर्भित करता एक चित्रण (Pixabay)
6. ए-आई की मदद से 3D प्रिंटेड फर्नीचर को दर्शाता एक चित्रण (flickr)

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.