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हमारे शहर लखनऊ के ‘किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय’ (King George’s Medical University) में हाल ही में शुरू हुई ‘मानव दूध बैंक’ (Human Milk Bank), उन माताओं को राहत दे रही है, जो चिकित्सकीय कारणों से अपने नवजात शिशुओं को स्तनपान कराने में असमर्थ हैं। यह उत्तर प्रदेश की ऐसी पहली ही दूध बैंक है। यहां माँ के दूध को जमा करने, प्रसंस्करण करने और वितरण करने का कार्य औपचारिक रूप से शुरू हो चुका है। यह बैंक एकत्रित दूध को संसाधित करने के बाद इसे उन नवजात शिशुओं के लिए उपलब्ध कराता है, जिन्हें किन्हीं चिकित्सकीय कारणों की वजह से माँ का दूध नहीं मिल पाता है। यह दूध जन्म के तुरंत बाद स्तनपान की सुविधा से वंचित रहने वाले नवजात शिशुओं को भी उपलब्ध कराया जाता है।
माँ के दूध में एंटीबॉडी (Antibody) और लिम्फोसाइट्स (Lymphocytes) होते हैं, जो बच्चे को प्रतिरक्षा सुरक्षा प्रदान करता है, संक्रमण और सामान्य बीमारियों से बचाता है और नवजात शिशुओं की मृत्यु दर को कम करने में मदद करता है। माँ के दूध में पोषक तत्व भी होते हैं, जो बच्चे के जीवित रहने और उचित विकास के लिए आवश्यक होते हैं। माँ का दूध बीमार बच्चों और समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों के लिए तो अत्यंत ही महत्वपूर्ण होता है, और उन्हें जीवित रहने का बेहतर मौका प्रदान करता है।
भारत में पहला ‘मानव दूध बैंक’ 27 नवंबर 1989 को सायन अस्पताल (Sion Hospital) के नाम से विख्यात ‘लोकमान्य तिलक म्युनिसिपल मेडिकल कॉलेज और सामान्य अस्पताल’ (Lokmanya Tilak Municipal Medical College and General Hospital) मुंबई में शुरु किया गया था। प्रत्येक वर्ष लगभग 3000 से 5000 बच्चे इस दूध बैंक की सेवाओं से लाभान्वित होते हैं। यहां दान किए गए दूध को पहले पाश्चराइज्ड (Pasteurised) किया जाता है, फिर दूध का परीक्षण किया जाता है, और फिर इसे फ्रीजर(Freezer) में संग्रहित किया जाता है और आवश्यकता के अनुसार बच्चों को उपलब्ध कराया जाता है।
हालांकि हमारे देश में मानव दूध बैंकिंग से जुड़े कई मिथक प्रचलित हैं। कुछ लोगों में यह मिथक प्रचलित है कि अतीत में दूध बैंक के दूध को “चुड़ैल का दूध” कहा जाता था। साथ ही, पौराणिक कथाओं में राक्षसों ने अपने दूध को जहर बनाकर देवी–देवताओं को मारने की कोशिश की है, इसलिए कई लोग ऐसे दूध को खराब मानते हैं। आप सब पूतना और बाल कृष्ण की किवदंती से तो परिचित ही हैं! कई धार्मिक समूह मानते हैं कि किसी अन्य स्त्री के दूध से अपने बच्चे का पालन करने से वे बच्चे उस स्त्री से ‘संबंधित’ हो जाते हैं। जबकि, बहुत से लोग मानते हैं कि बच्चे के इस प्रकार दूध को पीने से उस स्त्री के आनुवांशिक लक्षण बच्चे में संचारित हो सकते है। हालांकि, हमें इन मिथकों पर विश्वास नहीं करना चाहिए; बल्कि हमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण से किसी नवजात शिशु के लिए माँ के दूध की आवश्यकता और महत्त्व को समझना चाहिए, और अपने समाज से ऐसे मिथकों को दूर करना चाहिए।
क्या आप एक मानव दूध बैंक में दूध दान करने की प्रक्रिया जानते है? इसके लिए सबसे पहले, दाता माँ का पंजीकरण और फिर जांच की जाती है। इसके बाद दाता माँ द्वारा दूध का दान किया जाता है। बैंक में एक बार दूध जमा होने के बाद दूध को पाश्चराइज्ड किया जाता है और दूध का परीक्षण किया जाता है। परीक्षण के बाद दूध को फ्रीजर में संग्रहित और एकत्रित किया जाता है। जिसके बाद इसे, जरूरतमंद बच्चों को दिया जाता है।
वर्ष 2021 तक, भारत में 90 से अधिक मानव दूध बैंक स्थापित किए जा चुके हैं। मानव दूध बैंकिंग में हाल ही में हुई वृद्धि का श्रेय राष्ट्रीय और राज्य स्तरों पर व्यापक सरकारी समर्थन को जाता है। हालांकि सबसे पहले, अधिकांश दूध बैंक गैर-सरकारी संगठनों द्वारा स्थापित किए गए और उन्हीं के द्वारा चलाए जाते थे। किंतु अब भारत सरकार द्वारा नवजात शिशुओं की मृत्यु दर को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीति के रूप में मानव दूध तक पहुंच को प्राथमिकता दी जा रही है। अस्पतालों की वित्तीय सहायता के माध्यम से राज्य स्तर पर मानव दूध बैंकिंग के लिए वित्तीय निवेश भी किया गया है।
भारतीय संदर्भ में स्थानीय तकनीकी विशेषज्ञ समूह द्वारा, सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में विशिष्ट मार्गदर्शन और परिचालन प्रक्रियाओं की आवश्यकता के कारण, देश में स्तनपान प्रबंधन केंद्रों पर राष्ट्रीय दिशानिर्देश तैयार किए गए है। भारत के स्तनपान प्रबंधन केंद्र, माँ और बच्चे दोनों के लिए अनुकूल है। देश में मा के दूध तक हर बच्चे की सार्वभौमिक पहुंच को प्राथमिकता दी गई है। माँ द्वारा स्वयं स्तनपान कराने की, और आवश्यकता पड़ने पर ही वैधानिक दाता माँ के दूध के इस्तेमाल का समर्थन किया गया है। दूध बैंकों द्वारा मानव दूध बैंकिंग को नया रूप देने और अपनाने की क्षमता से भारत में मानव दूध बैंकिंग में तेजी से हो रही वृद्धि और सुगम हुई है। भारत में मानव दूध बैंकिंग के लिए साक्ष्य-आधारित प्रथाओं और वकालत को आगे बढ़ाने के लिए एक क्षेत्रीय तंत्र के रूप में ‘मानव दूध बैंकिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ (Human Milk Banking Association of India) की स्थापना भी की गई है।
हालांकि हमें आज, इस सिद्धांत और पहल के बारे में और अधिक जागरूकता लाने की जरूरत है, और दाता माताओं को दूध दान करने हेतु प्रोत्साहित करने की जरूरत है। साथ ही, हमें मानव दूध के व्यावसायीकरण को रोकना है।
संदर्भ
https://bit.ly/3N7Jgpu
https://bit.ly/42iGNMY
https://bit.ly/3N6heup
https://bit.ly/43fwFGj
https://bit.ly/42gqSin
चित्र संदर्भ
1. एक महिला को स्तनपान के महत्व को समझाती आशा कार्यकर्ता को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. बच्चे को स्तनपान कराती महिला को संदर्भित करता एक चित्रण (
Pxfuel)
3. मानव स्तन के दूध की दो पूरी बोतलों को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. स्तन के दूध के जमे हुए पैकेट को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. एक प्रसन्न माँ और बच्चे को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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