लखनऊ में ब्रह्मोस मिसाइल के निर्माण से मिलेगा 15,000 युवाओं को रोजगार व रक्षा क्षेत्र में आत्म निर्भरता

हथियार व खिलौने
11-05-2023 09:30 AM
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लखनऊ में ब्रह्मोस मिसाइल के निर्माण से मिलेगा 15,000 युवाओं को रोजगार व रक्षा क्षेत्र में आत्म निर्भरता

हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ वासियों के लिए एक बहुत बड़ी खुशखबरी लेकर आई है, जो कई मायनों में हमारे लिए गर्व की बात भी है! आपको जानकर प्रसन्नता होगी कि साल 2024 के मध्य से हमारे अपने लखनऊ शहर में दुनिया की सबसे तेज गति वाली क्रूज मिसाइल (Cruise Missile) ‘ब्रह्मोस’ (Brahmos) का उत्पादन किया जाएगा, जिसकी बदौलत राज्य की राजधानी में 15,000 लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।
भारत सरकार द्वारा पिछले कुछ वर्षों में रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने हेतु स्वदेशी रक्षा उपकरणों के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। इन पहलों में भारत में बनी वस्तुओं की खरीद को प्राथमिकता देना, लाइसेंसिंग प्रक्रिया (Licensing Process) को सरल बनाना, विदेशी निवेश की अनुमति देना, स्टार्ट-अप (Startup) और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को शामिल करके रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार योजना का शुभारंभ करना, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में दो रक्षा औद्योगिक गलियारों (Defence Industrial Corridor) को स्थापित करना और सैन्य आधुनिकीकरण के साथ रक्षा बजट के आवंटन में उत्तरोत्तर वृद्धि करना आदि शामिल हैं। इन पहलों के परिणामस्वरूप, भारत अब टैंकों (Tanks), लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों (Helicopters), युद्धपोतों, मिसाइलों (Missiles) और गोला-बारूद जैसे उच्च श्रेणी के हथियारों का निर्माण अपने देश में हीकर सकता है। देश में कई अत्याधुनिक हथियारों का उत्पादन किया भी जाने लगा है, जिनमें 155 मिमी आर्टिलरी गन सिस्टम (Artillery Gun System) ‘धनुष', हल्के कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (Light Combat Aircraft) ‘तेजस' और जमीन से हवा में मार करने वाली प्रणाली (Surface To Air Missile System) ‘आकाश' शामिल हैं। रक्षा और एयरोस्पेस उद्योग (Aerospace Industry) में नवाचार तथा प्रौद्योगिकी विकास को प्रोत्साहित करने के लिए 2018 में ‘रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार’ (The Innovation For Defence Excellence (iDEX) योजना भी शुरू की गई है, जिसके तहत स्टार्टअप्स, व्यक्तिगत इनोवेटर्स (Individual Innovators) और अनुसंधान संस्थानों को अनुदान दिया जाता है। इन क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करने के लिए अक्टूबर 2022 तक, भारत सरकार द्वारा रक्षा क्षेत्र में कार्यरत 366 कंपनियों को कुल 595 औद्योगिक लाइसेंस (Industrial Licenses) जारी किए गए हैं और देश में एक व्यापक रक्षा विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने के लिए दोनों कॉरिडोर (Corridors) में 24,000 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। सरकार ने ‘रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया’ (Defense Acquisition Process (DAP) 2020 के अनुसार, घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने वाली पूंजीगत खरीद की विभिन्न श्रेणियों के तहत लगभग 2,46,989.38 करोड़ रुपये के 163 प्रस्तावों को स्वीकृति भी प्रदान की है।
इन्हीं पहलों में से एक ब्रह्मोस मिसाइल है ।ब्रह्मोस, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (BrahMos, Defence Research and Development Organisation (DRDO) के महानिदेशक और ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड (Brahmos Aerospace Pvt Ltd) नामक कंपनी के सीईओ और एमडी (CEO & MD) अतुल दिनकर राणे, के अनुसार “आज की तारीख में ब्रह्मोस मिसाइल पहले की तुलना में अधिक स्वदेशी हो गई है।” 2004 में जब पहली बार मिसाइल लॉन्च की गई थी तब मिसाइल के अंदर केवल 13% भारतीय सामग्री का उपयोग होता था, लेकिन अब यह संख्या 75% तक पहुंच गई है! साथ ही भारतीय सामग्री का उपयोग अधिक होने के कारण मिसाइल की कीमत भी बहुत कम हो गई है। हालांकि राणे के अनुसार, हम हर चीज को भारतीय नहीं बना सकते हैं और इस परियोजना पर रूस (Russia) के साथ मिलकर काम करने की जरूरत है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस भारत के ‘रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन’ और रूस के ‘मिलिट्री इंडस्ट्रियल कंसोर्टियम' के बीच एक संयुक्त उद्यम है, जिसके तहत दोनों देशों के वैज्ञानिकों की एक टीम इन मिसाइलों को बनाने के लिए मिलकर काम करती है। आपको जानकर प्रसन्नता होगी कि ब्रह्मोस एयरोस्पेस नामक यह कंपनी सरकार की मदद से अब हमारे लखनऊ में भी ब्रह्मोस मिसाइलें बनाने की योजना बना रही है। कंपनी की योजना 2024 के मध्य से हर साल 80 से 100 नई मिसाइल बनाने की है। इसका फायदा सीधे हमारे शहर लखनऊ में रोजगार की तलाश कर रहे युवाओं को मिलेगा, क्योंकि कंपनी के इस कदम से जिले में लगभग 15,000 नए रोजगार सृजित होंगे! ब्रह्मोस मिसाइलें बेहद तेज़ होती हैं और उन्हें पनडुब्बी, जहाज, विमान या जमीन कहीं से भी प्रक्षेपित अर्थात लॉन्च (Launch) किया जा सकता है। कंपनी इन मिसाइलों का नवीनतम संस्करण बनाने जा रही है, जिसे ब्रह्मोस-एनजी (Brahmos-NG) कहा जा रहा है।
यह मिसाइल तुलनात्मक रूप से छोटी और हल्की होगी और इसे अधिक आधुनिक सैन्य उपकरणों पर भी इस्तेमाल किया जा सकेगा। यह मिसाइल भारत की सेना को और भी अधिक मजबूत और लचीला बनाएगी। मिसाइलों के निर्माण हेतु कंपनी, लखनऊ में एक नई निर्माण इकाई अर्थात मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी (Manufacturing Facility) बना रही है। यह इकाई बेहद आधुनिक और हाईटेक (High Tech) होगी। इस परियोजना में ‘रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन’ भी कंपनी की मदद कर रहा है। इस योजना के तहत लगभग 500 इंजीनियरों और तकनीशियनों (Technicians) के लिए प्रत्यक्ष रूप से और 5,000 लोगों के लिए अप्रत्यक्ष रूप से संबंधित व्यवसायों के माध्यम से रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। इसके अलावा रक्षा उद्योग से जुड़ी सहायक इकाइयों की स्थापना से करीब 10 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। इससे न केवल लखनऊ बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश को रक्षा उपकरण निर्माण का हब बनने में मदद मिलेगी। भारत के प्रधानमंत्री द्वारा भी ब्रह्मोस मिसाइल में बहुत भरोसा जताया गया है।
हालांकि, कंपनी प्रत्येक वर्ष में कितनी मिसाइलें बनाएगी, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि उन्हें कितने ऑर्डर (Order) मिलते हैं। कुल मिलाकर यह भारत और उसकी अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अनुसार, नाईट सफारी (Night Safari) और मिसाइल निर्माण जैसी योजनाएं शहर के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगी। इन योजनाओं से सृजित नई नौकरियों से हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा और नई मिसाइलें भारत की रक्षा प्रणाली को मजबूत भी बनाएंगी।

संदर्भ
https://rb.gy/hc9h1
https://rb.gy/c30yf
https://rb.gy/g9f6d
https://rb.gy/n4yad

चित्र संदर्भ
1. ब्रह्मोस मिसाइल का निरीक्षण करते युवाओं को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. रॉकेट के इंजन को दर्शाता एक चित्रण (Rawpixel)
3. ब्रह्मोस पैविलियन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. DRDO ब्रह्मोस मिसाइलों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. निर्माण इकाई अर्थात मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

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