अवांछित व् खरपतवार लताओं की छंटाई कार्बन उत्सर्जन को करेगी कम, भारत में प्रचलित है छंटाई की ये तकनीक

जंगल
06-05-2023 10:35 AM
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अवांछित व् खरपतवार लताओं की छंटाई कार्बन उत्सर्जन को करेगी कम, भारत में प्रचलित है छंटाई की ये तकनीक

हाल ही में हुए एक नए शोध से पता चला है कि दुनिया के कुछ चुनिंदा घने जंगलों में पेड़ो पर चढ़ने वाली लताओं को काटने मात्र से ही 30 वर्षों में वातावरण से लगभग 800 मिलियन मीट्रिक टन (Metric ton) कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon dioxide) को हटाया जा सकता है। और इसके लिए हमें प्रति हेक्टेयर जंगल के लिए बस 1.50 डॉलर धन ही खर्च करना होगा । सनशाइन कोस्ट विश्वविद्यालय (University of the Sunshine Coast) के प्रोफेसर जैक पत्ज़ (Jack Putz) इस खोज से बहुत उत्साहित हैं। पत्ज़ तथा अन्य नौ अंतर्राष्ट्रीय सह-लेखकों द्वारा ऑस्ट्रेलिया (Australia) सहितअन्य सभी उष्णकटिबंधीय जंगलों वाले देशों को अपनी राष्ट्रीय कार्बन नीतियों में इस प्रक्रिया को शामिल करने की सलाह दी गई है।
शोध में बताया गया कि अगर हमें जल्द ही विश्व में जलवायु परिवर्तन से होने वाली तबाही से बचने हेतु प्राकृतिक जलवायु समाधानों के बारे में सोचना है, तो हमें प्रभावी, कम लागत वाली और कारगर प्रक्रियाओं की आवश्यकता है। हालांकि, जंगलों से लताएं हटाने की व्यापक स्वीकृति तभी संभव है, जब इसे देशों की राष्ट्रीय कार्बन नीति के ढांचे में शामिल किया जाएगा।
इस शोध से यह भी पता चलता है कि हमें लिआना (Liana), जो की कठोर लकड़ी वाली लताएं होती हैं, को क्यों काटना चाहिए। साथ ही इस शोध में यह भी बताया गया है कि लकड़ी उद्योग के माध्यम से पर्यावरण और अर्थव्यवस्था को लाभान्वित करने हेतु भूमि के सरकारी एवं निजी मालिक इस प्रक्रिया का कार्यान्वयन कैसे कर सकते हैं। दरअसल जंगलों में ये लताएं सूरज की रोशनी के लिए पेड़ों और अन्य वनस्पतियों के साथ प्रतिस्पर्धा करती हैं, जिसके कारण जंगलों में वृक्षों कोबढ़ने में समस्याएं आती है।
दुनिया के एक अरब हेक्टेयर में, चुनिंदा घने वनों के एक चौथाई हिस्से को इन लताओं का बढ़ना प्रभावित करता है। उष्णकटिबंधीय जंगलों में यह आम बात हैं। साथ ही, आज यह स्थिति मानव हस्तक्षेप और जलवायु परिवर्तन के साथ बढ़ती जा रही है। शोध के अनुसार, कम से कम, कटाई के लिए तैयार पेड़ों से लताओं को काटने से कार्बन पृथक्करण में वृद्धि होगी और स्थानीय आजीविका में सुधार हेतु लकड़ी की पैदावार में भी योगदान मिलेगा। साथ ही, जिन वन प्रबंधकों की कार्बन बाजारों तक पहुंच है, वे अपनी आय में विविधता ला सकते हैं। प्रत्येक टन कार्बन डाइऑक्साइड पृथक्करण के लिए 1 डॉलर से भी कम अनुमानित लागत के साथ, यह कई देशों के लिए अपने जलवायु परिवर्तन लक्ष्यों को पूरा करने का एक आकर्षक अवसर है। कार्बन पृथक्करण की वर्तमान समय की प्रति टन 10–20 डॉलर कीमतों को देखते हुए यह प्रक्रिया चुनिंदा वनों की आर्थिक क्षमता को भी बढ़ाता है। वनों में इस तरह के उपचार से जैव विविधता को भी लाभ मिल सकता है ।
लताओं को काटने की इस तकनीक के द्वारा न केवल घने जंगलों को लाभ हो सकता है बल्कि इस प्रक्रिया ने अंगूर उद्योग में भी लगभग क्रांति ला दी है, विशेष रूप से बीज रहित अंगूरों में जो अधिक स्वादिष्ट होते हैं। दरअसल लताओं को काटने की इस प्रक्रिया को छंटाई अथवा प्रूनिंग (Pruning) कहा जाता है। प्रूनिंग किसी पौधे को एक विशेष दिशा में या एक आवश्यक आकार में बढ़ने के लिए किए गए प्रयासों के बाद, पौधे के बचे हुए हिस्सों में बेल की गतिविधि को केंद्रित करने और बेंत के मध्य भाग में स्थित फलदार कलियों के अंकुरण को प्रेरित करने के लिए, जो अन्यथा अंकुरित नहीं होते है, एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। अंगूर की लताओं की फलदार कलियां अंकुरित हो, इस हेतु उत्तर भारत में जनवरी महीने में, पूरे वर्ष के लिए बेल की वृध्दि के दौरान केवल एक बार ही छंटाई की जाती है। जबकि, प्रायद्वीपीय भारत में, वर्ष में दो बार छंटाई की जाती है, एक बार गर्मियों में और दूसरी बार सर्दियों में; क्योंकि इस क्षेत्र में बेलें लगातार बढ़ती रहती हैं।
ग्रीष्मऋतु में अप्रैल महीने के दौरान छंटाई करके बेलों को आराम से बढ़ने दिया जाता है, जिससे फल वाली कलियों के बेहतर विभेदन में मदद मिलती है। साथ ही, छंटाई के समय को इस प्रकार समायोजित किया जाता है ताकि नई कलियों के विकास और फूलों के आगमन के समय वर्षा न हो। यह भी ध्यान रखा जाता है कि छंटाई के सिर्फ 8-10 दिनों के भीतर ही सर्दी का मौसम शुरू न हो। महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों में अप्रैल-मई के दौरान ग्रीष्म कालीन छटाईं (Back Pruning) की जाती है, जिसमें नई वनस्पति के विकास हेतु लता के तने को एक या दो कलियों के स्तर तक काटा जाता है। एक वर्ष की आयु वाली लताओं को सितंबर से नवंबर के दौरान सर्दियों की छंटाई (Forward Pruning) के लिए छोड़ा जा सकता है। इस छंटाई में, पूरे पत्तों और अपरिपक्व टहनियों को काट दिया जाता है, लेकिन छंटाई के स्तर, लता के तने की मोटाई के प्रकार एवं विविधता के साथ भिन्न होते हैं।

संदर्भ
https://bit.ly/3oKyg7w
https://bit.ly/40QmeXR
https://bit.ly/40QAKyK

चित्र संदर्भ
1. पेड़ों की छंटाई करती महिला को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. चंडीगढ़ में पेड़ों की छंटाई को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. चीड़ के पेड़ के अंकुर की छँटाई (फसली) को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
4. छंटाई के बाद पेड़ों को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
5. एवोकैडो की छँटाई को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

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