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यदि पृथ्वी पर हमेशा से ही घनघोर अंधेरा रहता, तो क्या आप सोने और तांबे या कांच और हीरे के बीच किसी भी अंतर् के बारे में जान पाते ? शायद नहीं!, क्यों कि वास्तव में कीमत धातु की नहीं, बल्कि रौशनी की होती है, जो सोने को सोना और तांबे को तांबे के रूप में दिखाती है। घनघोर अँधेरे के बीच तेज़ नज़र रखने वाला व्यक्ति भी दृष्टहीन ही कहलाता है ।
सुंदरता की वास्तविक परिभाषा हमेशा से ही एक बड़ी बहस का विषय रही है। किंतु यदि वास्तव में, यह बहस कहीं अंजाम तक पहुंची है तो वह अम्बर्टो इको (Umberto Eco) द्वारा लिखी गई “ऑन ब्यूटी” (On Beauty) नामक एक पुस्तक में है, जिसने कई लोगों की सौंदर्यशास्त्र से जुड़ी अवधारणा को ही बदल कर रख दिया है । अम्बर्टो इको एक इतालवी प्रोफेसर हैं, जिनके द्वारा लिखी गई और सर्वाधिक बिकने वाली पुस्तक “द नेम ऑफ़ द रोज़” (The Name of the Rose) ने मध्यकालीन कला और संस्कृति के अध्ययन में कई लोगों की रूचि को जगा दिया था। इन सबके अलावा, वह टीवी और प्रकाशन में एक संपादक, अवांट गार्डे मासिक (Avant Garde Monthly) के लिए एक स्तंभकार और एक विपुल निबंधकार भी रहे हैं।
‘ऑन ब्यूटी’ नामक उनकी पुस्तक सुंदरता के संदर्भ में प्राचीन ग्रीस से लेकर आज तक की सुंदरता की छवियों और विचारों का एक विश्वकोश मानी जाती है। उनकी पुस्तक को कालक्रम के बजाय विभिन्न विषयों के अनुसार व्यवस्थित किया गया है। पुस्तक की शुरुआत में इको अपने परिचय में बताते हैं, “यह पुस्तक सौंदर्य का इतिहास है न कि कला (साहित्य या संगीत) का इतिहास!" इस पुस्तक के माध्यम से वह प्रश्न पूछते हैं कि “सौंदर्य का इतिहास केवल कला के कार्यों के माध्यम से ही क्यों प्रलेखित किया जाता है?"
इस सवाल का जवाब वह यह कहकर देते हैं कि “सदियों से कई कलाकारों, कवियों और उपन्यासकारों ने हमें केवल उन चीजों के बारे में बताया, जो उन्हें सुंदर लगती थीं और उन्होंने हमें उदाहरण भी अपनी ही पसंदीदा वस्तुओं के बारे में दिए।”
‘ऑन ब्यूटी’ पुस्तक में चित्रों और तस्वीरों के संग्रह के साथ-साथ प्लेटो (Plato), बोकाशियो (Boccaccio), सैन बर्नार्डो (San Bernardo), कांट (Kant) और हेइन (Heine) जैसे दार्शनिकों और लेखकों के उद्धरणों को विभिन्न विषयों के अनुसार व्यवस्थित किया गया है।
इको स्वीकार करते हैं कि सुंदरता की परिभाषा समय के साथ बदल गई है, और आज यह संस्कृति और व्यक्तिगत धारणा पर निर्भर करती है। हालाँकि, यह पुस्तक सुंदरता के संदर्भ में केवल पश्चिमी यूरोप (Europe) और हॉलीवुड फिल्मों के उदाहरण दर्शाती है, जो पुस्तक के मुख्य तर्क को सीमित और विरोधाभासी बनाते हैं ।
पुस्तक विभिन्न लेखकों द्वारा लिखे गए निबंधों का एक संग्रह है जो इस बात की जांच करती है कि विभिन्न संस्कृतियों और समय अवधि में सुंदरता को कैसे समझा और प्रस्तुत किया गया है। पुस्तक के उद्धरणों को दो खंडों में विभाजित किया गया है, जिसमें से पहला खंड, सुंदरता की शास्त्रीय यूनानी अवधारणा पर केंद्रित है, और दूसरा खंड पूरे इतिहास में प्रयुक्त उन तरीकों पर प्रकाश डालता है जिनके द्वारा पूरे इतिहास में सौंदर्य को या तो विकृत किया गया या चुनौती दी गई ।
पुस्तक का पहला खंड सुंदरता के शास्त्रीय यूनानी विचार को सद्भाव और अनुपात के आदर्श के रूप में खोजता है। इस खंड में लेखक इस बात पर चर्चा करते हैं कि इस आदर्श को मूर्तिकला, कविता और वास्तुकला जैसे विभिन्न कला रूपों में कैसे लागू किया गया था। वे शास्त्रीय सौंदर्य की पुनर्खोज और कला और संस्कृति पर इसके प्रभाव पर पुनर्जागरण के प्रभाव की भी जांच करते हैं।
पुस्तक में तर्क दिया गया है कि सुंदरता एक वस्तुपरक गुण नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और ऐतिहासिक संदर्भ का एक उत्पाद है। लेखक यह भी सुझाव देते हैं कि सुंदरता की अवधारणा लगातार विकसित हो रही है, और कलाकारों और आलोचकों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे इसे प्रासंगिक बनाए रखने के लिए सुंदरता की स्थापित धारणाओं को चुनौती दें।
संक्षेप में समझें, तो यह पुस्तक पूरे इतिहास में सुंदरता की अवधारणा का एक आकर्षक और सूचनात्मक अन्वेषण मानी जा सकती है। यह पुस्तक उन तरीकों की अंतर्दृष्टि प्रदान करती है जिनमें विभिन्न संस्कृतियों और समय अवधि में सौंदर्य को समझा और प्रतिनिधित्व किया गया है। साथ ही यह पुस्तक पाठकों को सुंदरता की प्रकृति और कला तथा संस्कृति में इसकी भूमिका के बारे में गंभीर रूप से सोचने की चुनौती भी देती है।
संदर्भ
https://bit.ly/3yCZ9Mu
https://bit.ly/3YHOf2x
चित्र संदर्भ
1. अम्बर्टो इको की पुस्तक ’ऑन ब्यूटी’: को संदर्भित करता एक चित्रण (amazon)
2. अम्बर्टो इको को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. पुस्तक ’ऑन ब्यूटी’ को संदर्भित करता एक चित्रण (amazon)
4. पुरुष और महिला समरूपता और आकर्षण। उच्च समरूपता वाले लोग निम्न की तुलना में अधिक आकर्षक होते हैं। को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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