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हाल ही में हमारे शहर लखनऊ के ‘नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान’ में “किशन" नाम के एक बाघ की लम्बी बीमारी के बाद मृत्यु हो गई। अधिकारियों ने कैंसर को बाघ की मौत का प्रमुख कारण बताया है। हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं है, जब हमने अपनी बहुमूल्य वन्य जीव संपदा को कैंसर जैसे दुर्भाग्यपूर्ण कारणों से खो दिया हो। इसलिए ऐसे सभी दुर्लभ जानवरों की रक्षा के लिए यह बेहद जरूरी हो जाता है कि इंसानों की भांति ही इन मूक जानवरों के स्वास्थ्य को भी समान स्तर पर अहमियत दी जाए।
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि कई जानवरों को कैंसर होता ही नहीं है, या अगर होता भी है तो उनका शरीर इस बीमारी से लड़ने के संदर्भ इंसानों की तुलना में बहुत अधिक कारगर साबित होता है। जानवरों का यही गुण इंसानों को भी कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से बचने के उपाय सुझा सकता है।
जानवरों और मनुष्यों में कैंसर की समानताओं तथा अंतर का अध्ययन तुलनात्मक कैंसर विज्ञान (Comparative Oncology) नामक एक चिकित्सा क्षेत्र के भीतर किया जाता है। तुलनात्मक कैंसर विज्ञान एक प्रकार से स्तनधारियों में कैंसर का अध्ययन है, जिसमें मुख्यतः जानवरों में कैंसर का तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है। जानवरों में होने वाला कैंसर मनुष्यों में होने वाले कैंसर के साथ कई विशेषताएं साझा करता है, जिसमें ऊतक विज्ञान, ट्यूमर आनुवंशिकी, आणविक लक्ष्य, जैविक व्यवहार और चिकित्सीय प्रतिक्रिया आदि शामिल हैं।
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि सभी जानवरों में से कुत्तों में कैंसर होने की संभावनाएं काफी अधिक होती हैं। 2 वर्ष से अधिक उम्र के लगभग 4 कुत्तों में से 1 की कैंसर से मृत्यु हो जाती है। संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) में प्रतिवर्ष 1.66 मिलियन से अधिक मनुष्यों के साथ 4.2 मिलियन से अधिक कुत्तों में भी कैंसर का निदान किया जाता है। कुत्तों एवं मनुष्यों में समान रूप से होने वाले कैंसर में घातक लसीका प्रणाली का कैंसर - लिम्फोमा (Lymphoma), हड्डियों का कैंसर - ओस्टियो सार्कोमा (Osteosarcoma), मूत्राशय का कैंसर, मस्तिष्क का ट्यूमर (Tumor) और त्वचा कैंसर शामिल हैं । स्तन ग्रंथि जैसे ट्यूमर के विकास को कैनाइन कैंसर (Canine Cancer) कहा जाता है। कैनाइन कैंसर विभिन्न प्रकार के कारकों के कारण हो सकता है, जिसमें आनुवंशिकी, जीवन शैली और कुछ विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आना शामिल है। कैनाइन कैंसर मानव कैंसर के साथ कई विशेषताएं साझा करता है, जिसमें ऊतक विज्ञान, ट्यूमर आनुवंशिकी, आणविक लक्ष्य, जैविक व्यवहार और चिकित्सीय प्रतिक्रिया आदि शामिल हैं। कैनाइन ऊतक विज्ञान (Histology) में ओस्टियोसार्कोमा (Osteosarcoma), मेलेनोमा (Melanoma), ल्यूकेमिया (Leukemia), स्तन तथा फेफड़े का कैंसर, सिर तथा गर्दन का कैंसर, और मूत्राशय का कैंसर शामिल हैं।
तुलनात्मक कैंसर विज्ञान का अध्ययन उन आनुवंशिकी और जीनोमिक कारकों (Genomic Factors) की जांच करता है, जो ट्यूमर के विकास में योगदान करते हैं। इसलिए कैंसर विज्ञान के तुलनात्मक अध्ययन से यह उम्मीद की जाती है कि यह मनुष्यों और जानवरों दोनों को लाभान्वित करेगा ।
तुलनात्मक कैंसर विज्ञान का एक अन्य पहलू बड़े स्तनधारियों में कैंसर से लड़ने वाले अद्वितीय जीन का अध्ययन भी है। चूंकि, कैंसर आम तौर पर एक कोशिका में उत्परिवर्तन के रूप में शुरू होता है, इसलिए जीव में कोशिकाओं की संख्या के साथ कैंसर के जोखिम को भी बढ़ना चाहिए,जैसे कि हाथी जिनमें मनुष्यों की तुलना में 100 गुना अधिक कोशिकाएं होती हैं, जबकि व्हेल (Whale) में हाथियों की तुलना में दस गुना अधिक कोशिकाएं होती है। दोनों को मनुष्यों की तुलना में उच्च कैंसर दर का अनुभव करना चाहिए। लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इन प्रजातियों में कैंसर होने की संभावनाएं बेहद कम होती है।
शोध से पता चला है कि लगभग 50 मिलियन वर्ष पहले, स्तनधारियों ने समुद्र में रहना शुरू किया था, जिनमें से एक जीव, व्हेल के रूप में विकसित हुआ। जैसे-जैसे व्हेल का आकार बढ़ता गया, वैसे-वैसे इसमें ट्यूमर-दबाने वाले जीन की संख्या और प्रभाव में भी वृद्धि हुई। उदाहरण के लिए, हंपबैक व्हेल (Humpback Whales) में ट्यूमर-दबाने वाले 33 जीन की पहचान की गई है। इनमें एटीआर (ATR) शामिल है, जो डीएनए को होने वाले नुकसान का पता लगाता है, कोशिका विभाजन को रोकता है, कोशिका वृद्धि को धीमा करता है, और मेटास्टेसिस ट्यूमर के फैलाव (Metastasis) को सीमित करता है। हंपबैक में जीन की कई प्रतियाँ होती हैं जो एपोप्टोसिस (Apoptosis) को बढ़ावा देती हैं। एपोप्टोसिस एक प्रकार की कोशिका मृत्यु है जो नियंत्रित और विनियमित तरीके से होती है। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो क्षतिग्रस्त, संक्रमित या अनावश्यक कोशिकाओं को हटाकर जीवों के विकास और रखरखाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
हाथियों में कैंसर से लड़ने वाला एक अद्वितीय जीन, ‘टी पी 53’ (tp53) होता है, जो एपोप्टोसिस-उत्प्रेरण प्रोटीन ‘पी 53’ (p53) को कूटबद्ध करता है। मनुष्य के पास टी पी 53 की दो प्रतियाँ हैं। यदि एक प्रति बेकार हो जाती है, तो मनुष्यों में कैंसर के साथ ली-फ्रामेनी सिंड्रोम (Li-Fraumeni syndrome) जैसे आनुवंशिक विकार भी उत्पन्न हो जाते हैं। इसके विपरीत, हाथी के गुणसूत्रों में ‘टी पी 53’ की 40 प्रतियाँ होती हैं। हाथियों में पाए जाने वाला ‘पी 53’ अपने मानव समकक्ष से अधिक शक्तिशाली प्रतीत होता है।
स्तनधारियों में कैंसर का अध्ययन करने के अलावा, तुलनात्मक कैंसर विज्ञान अन्य जानवरों की प्रजातियों में भी कैंसर की दर की जांच करती है, जिनमे नग्न तिल चूहे, मगरमच्छ और पक्षी शामिल हैं। विभिन्न जानवरों में कैंसर प्रतिरोध के विकास और तंत्र में अंतर्दृष्टि प्राप्त करने के लिए शोधकर्ता 13,000 से अधिक पशु प्रजातियों और 170,000 से अधिक नमूनों का अध्ययन कर रहे हैं।
हालांकि, जानवरों के साम्राज्य में भी कैंसर एक व्यापक बीमारी है, जहां यह घोंघे , मछली, सरीसृप, पक्षियों और स्तनधारियों को बुरी तरह से प्रभावित करता है। जानवरों की कुछ प्रजातियां मनुष्यों के समान ही कैंसर विकसित करती हैं, जबकि कई अन्य संक्रामक रूप से प्रभावित होती हैं।
उदाहरण के लिए, समुद्री शंख और कॉकल जैसे समुद्री जीवों को नियोप्लाजिया (Neoplasia) नामक एक संक्रामक कैंसर हो सकता है, जो मानव ल्यूकेमिया (Leukemia) के समान होता है। इस रोग के कारण समुद्री शंख का रक्त गाढ़ा हो जाता है और थक्के बन जाते हैं। यह समुद्री जल के माध्यम से एक जीव से दूसरे जीव में फैल सकता है और शंख की पूरी आबादी को मिटा सकता है। शोधकर्ता इस संक्रामक कैंसर और मानव ल्यूकेमिया के बीच समानता और अंतर को समझने की कोशिश कर रहे हैं।
इसी प्रकार तस्मानी वनबिलाव (Tasmanian Devil) और कुत्ते भी कैंसर की चपेट में आ सकते हैं। शोधकर्ताओं ने दो तस्मानी वनबिलावों , एक कुत्ते और बाकी द्विकपाट घोंघे में अब तक आठ अलग-अलग प्रकार के संक्रामक कैंसर पाए हैं। संक्रामक कैंसर का एक रूप आवारा कुत्तों की आबादी को भी प्रभावित करता है, जिसे कैनाइन ट्रांसमिसिबल वेनेरियल ट्यूमर (Canine Transmissible Venereal Tumors (CTVT) कहा जाता है , तथा जिसके बारे में हम पूर्व में विस्तार से चर्चा कर चुके हैं।
किंतु इसके विपरीत बोहेड व्हेल (Bowhead Whale) जैसे जीवो को कैंसर नहीं होता है। बोहेड व्हेल सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाले स्तनधारी हैं और वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि वे 200 वर्षों से अधिक जीवित रह सकते हैं। वे सबसे बड़े स्तनधारियों में से भी हैं, लेकिन इतनी सारी कोशिकाओं के साथ भी, प्रत्येक में व्हेल के जीनोम की एक प्रति होती है, जो कैंसर के लिए प्रतिरोधी प्रतीत होती हैं। इस घटना को 'पेटो का विरोधाभास (Peto's Paradox)' कहा जाता है। वैज्ञानिक यह समझने के लिए बॉहेड व्हेल जीनोम का अध्ययन कर रहे हैं कि वे बीमारियों से अप्रभावित रहते हुए इतने लंबे समय तक कैसे जीवित रह सकते हैं ।
साथ ही नग्न-तिल चूहे (Naked Mole-Rat) भी कैंसर के प्रतिरोधी होते हैं। वे 30 साल तक जीवित रह सकते हैं, जबकि एक समान आकार का चूहा केवल चार साल तक ही जीवित रह सकता है। ऐसा माना जाता है कि उनके कैंसर प्रतिरोध का तंत्र हाथियों से बिल्कुल अलग होता है। शोधकर्ता यह समझने के लिए उनके जीनोम का अध्ययन कर रहे हैं कि इन जीवों में कैंसर ना होने का क्या कारण है ।
लखनऊ के ‘नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान’ में किशन नामक बाघ भी हिमैंजियोसरकोमा (Hemangiosarcoma) नामक कैंसर से पीड़ित था। अधिकारियों के अनुसार किशन को 1 मार्च 2009 को ‘किशनपुर टाइगर रिजर्व’ से बचाकर लखनऊ के ‘नवाब वाजिद अली शाह पार्क’ लाया गया था। गंभीर रूप से बीमार बाघ दूसरे जंगली जानवरों का शिकार नहीं कर सकता था। वह 13 साल से अधिक समय से लखनऊ के ‘वाजिद अली शाह पार्क’ में रह रहा था। बीमारी के कारण किशन अपने अंतिम दिनों में सामान्य रूप से खाना नहीं खा पाता था। किशन की की मौत के बाद अब चिड़ियाघर प्रशासन का पूरा ध्यान एक दूसरे बाग “कजरी” पर केन्द्रित है। उसकी भी उम्र अब अधिक हो चुकी है, लेकिन अच्छी बात यह है कि वह सामान्य रूप से खा रहा है।
कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने और लोगों को इसका पता लगाने और इलाज के लिए प्रोत्साहित करने लिए आज के ही दिन प्रतिवर्ष विश्व कैंसर दिवस भी मनाया जाता है। कैंसर के कई मामलों को रोका जा सकता है । अगर इस बीमारी का जल्दी पता चल जाए, तो इसका इलाज भी किया जा सकता है और कईयों को ठीक भी किया जा सकता है। रोकथाम, शीघ्र पहचान और उपचार के लिए सही तरीकों का उपयोग करके हम कई लोगों की जान बचा सकते हैं। हम अब कैंसर के बारे में बहुत कुछ जानते हैं और अनुसंधान और नवाचारों के साथ, हम जोखिम को कम करने, कैंसर को रोकने और उपचार और देखभाल में सुधार करने में और भी अधिक प्रगति कर सकते हैं।
संदर्भ
https://bit.ly/3XLEaSq
https://bit.ly/3kNWs75
https://bit.ly/3RfKZsZ
https://bit.ly/3jaF3F9
चित्र संदर्भ
1. एक बीमार बाघ को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
2. जबड़े के कैंसर के साथ 10 वर्षीय मादा बीगल, को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. ओस्टियोसार्कोमा कैंसर को दर्शाता एक चित्रण (Collections)
4. हंपबैक व्हेल (मेगाप्टेरा नोवाएंग्लिया) को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. कॉकल को संदर्भित करता एक चित्रण (Max Pixel)
6. नग्न-तिल चूहे (Naked Mole-Rat) भी कैंसर के प्रतिरोधी होते हैं। को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. बीमार बाघ को संदर्भित करता एक चित्रण (Flickr)
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