समयसीमा 229
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 963
मानव व उसके आविष्कार 757
भूगोल 211
जीव - जन्तु 274
वाजिद अली शाह अवध का पांचवां राजा और अमजद अली शाह के पुत्र थे। वाजिद अवध राज्य (वर्तमान का लखनऊ) की दसवीं और अंतिम नवाब थे, जो वर्तमान में उत्तर प्रदेश में भारत में था। वे 1847 में अवध सिंहासन पर सिहासनारूढ हुये और नौ साल तक शासन किया। वाजिद एक कवि, नाटककार, नर्तक और कला के महान संरक्षक थे। यद्यपि उनका पेन-नाम कैसर था, उन्होंने अपनी कई रचनाओं के लिए उपनाम "अख्तरपीया" का इस्तेमाल किया। इस पेन के नाम के तहत, उन्होंने चालीस कामों के बारे में लिखा - कविताओं, गद्य और ठुमरी "दीवान-ए-अख्तर", "हुस-ए-अख्तर" में उनके गजल होते हैं। वाजिद अली शाह के समयकाल में ही लखनऊ में 1857 की क्रान्ती हुई और उन्होने आजादी पर कई गज़लें, कवितायें व शेरों का लेखन किया था। उन्ही गज़लों में से एक रूखसत ऐ अह्ल-ऐ-वतन निम्न दिया गया है। चित्र में अंग्रेजों की लड़ाई का अंकन किया गया है। शब अन्धो में रो-रो कर बसर करते हैं, दिन को किस रन्ज-ओ-तरदद में गुज़र करते हैं, नाला-ओ-आह गर्ज आठ पहर करते हैं, दर-ओ-दीवार पर हसरत से नज़र करते हैं, रुखसत ए अह्ल-ऐ-वतन हम तो सफर करते हैं। दोस्तो, शाद रहो तुमको खुदा को सौपना, कैसर बाग जो है उसको सबा को सौपना, हमने अपने दिले नाज़ुक को ज़फा को सौपना, दर-ओ-दीवार पर हसरत से नज़र करते हैं, रुखसत-ए-अहले वतन हम तो सफर करते हैं। शिकवा किससे करूँ, याँ दोस्तो ने मारा मुझको, जिस खुदा के नही अब कोई सहारा मुझको, नज़र आता नही बन जाये गुज़ारा मुझको, दर-ओ-दीवार पर हसरत से नज़र करते हैं, रुखसत-ए-अहले वतन हम तो सफर करते हैं। 1. वाज़िद अली शाह अख्तर, 2. वाज़िद अली शाह अख्तर, रेख्ता
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.