डिजिटल प्‍लेटफॉर्म के माध्‍यम से बढ़ती जा रही है मिट्टी के बर्तन बनाने की लोकप्रियता

म्रिदभाण्ड से काँच व आभूषण
20-10-2022 12:21 PM
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डिजिटल प्‍लेटफॉर्म के माध्‍यम से बढ़ती जा रही है मिट्टी के बर्तन बनाने की लोकप्रियता

पिछले कुछ वर्षों से लोगों की मिट्टी के बर्तनों में रुचि बढ़ रही है, विशेष रूप से युवाओं के बीच, कुछ हद तक, युवा शौकिया रूप से एक कुम्‍हार के रूप में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (social media platform) पर अपने काम को प्रदर्शित करते हैं, साथ ही साथ कुछ सुंदर लेकिन कार्यात्मक बनाकर बच्‍चों की भांति अपनी खुशी को अभिव्‍यक्‍त करते हैं!
हस्तनिर्मित मिट्टी के बर्तनों को बनाना अपने आप में एक जादुई एहसास है। कई लोगों ने कोविड महामारी के दौरान मिट्टी के बर्तनों को चिकित्सीय और राहतजनक भी पाया, जो डिजिटल दुनिया के लिए एक आदर्श कारक है। शिल्प के लिए इस नए-नए प्यार ने मिट्टी के बर्तनों के अध्ययन को जन्म दिया है जहां कलाकार अकेले या छोटे समूहों में काम कर रहे हैं, जो सीमित मात्रा में मिट्टी के बर्तनों के विभिन्‍न रूप तैयार करते हैं।हम सभी के घर में सिरेमिक टेबल वेयर (ceramic tableware) होते हैं लेकिन हाथ से बने बर्तन की विशिष्टता से बढ़कर कुछ नहीं है। रचनात्मकता, कल्पना की उड़ान पर उच्च सवारी करती है और स्टूडियो (studio) कुम्हार के प्रशिक्षित हाथों से निष्पादित होने पर चमकती है। हालांकि, चूंकि कला के ये शानदार काम बड़े पैमाने पर महंगे स्थानों के महंगे स्टोरों में उपलब्ध हैं, इसलिए एक सीमित वर्ग के लोगों की ही इन तक पहुंच है। मिट्टी के बर्तन एक प्राचीन कला रूप है जिसका इतिहास भारतीय उपमहाद्वीप में सिंधु घाटी सभ्यता से उजागर होता है। मिट्टी के बर्तनों से तात्पर्य मिट्टी द्वारा या तो पहिया पर या हाथ से बनाई गई वस्तुओं से है, जिसे बाद में आग में पकाया जाता है। ये टेराकोटा, पत्थर और चीनी मिट्टी के बरतन का उपयोग करके बनाए जाते हैं। भारत में मिट्टी के बर्तनों की विभिन्न शैलियाँ हैं जैसे दिल्ली, खुर्जा और जयपुर की नीली मिट्टी के बर्तन, कांगड़ा और पूर्वोत्तर के काले मिट्टी के बर्तन, बिहार, बंगाल और गुजरात के मिट्टी के बर्तन। भारत के बाहर, तुर्की (Turkey) से इज़निक (Iznik), जापान (japan) के राकू (Raku), चीनी मिट्टी के पात्र और कोरिया (korea) के सेलाडॉन (celadon) मिट्टी के बर्तनों की परंपराएं भी काफी पूजनीय हैं।
स्टूडियो कुम्हार नलिनी धरन कहती हैं "लोग मिट्टी के बर्तनों के सौंदर्य मूल्य के प्रति जाग रहे हैं, जिसे हमेशा से ही अधिक उपयोगितावादी माना गया है। लोग प्लास्टिक से सिरेमिक की ओर बढ़ रहे हैं। यह किफायती भी है और यह खाद्य-सुरक्षित भी है। हम मिट्टी, ग्लेज़(glaze) और रंगों के माध्‍यम से काम करने के लिए बहुत सारे शोध करते रहते हैं। हम में से बहुतों ने सिरेमिक का अध्ययन किया है,” इनका अपना मिट्टी का स्टूडियो, क्लेकर्मा(claykarma) है। इनका कहना है कि इस माध्यम में बढ़ती दिलचस्पी ने कुछ पारंपरिक कुम्हारों को भी कुछ नया करने के लिए प्रेरित किया है। विभिन्न राज्यों के मिट्टी के बर्तनों की अलग-अलग शैलियाँ हैं जैसे भोपाल की मूर्तिकला मिट्टी के बर्तन, पुडुचेरी के सूक्ष्म रंग और बेंगलुरु के गैस से बने काम। नलिनी एक शौक़ीन कुम्हार थी, जो 2006 में एक पेशेवर कुम्हार बन गई और पांडिचेरी स्थित दीपिका तलवार और पुणे स्थित संदीप मांचेकर के अधीन प्रशिक्षित हुई। चाहे राजस्थान की मोलेला मुर्तिकला हो, कर्नाटक की बिदरीवेयर हो, पश्चिम बंगाल की टेराकोटा मिट्टी के बर्तन हों या गुजरात के खावड़ा मिट्टी के बर्तन हों, मिट्टी के बर्तनों का इतिहास मानव सभ्यता की शुरुआत से ही पता लगाया जा सकता है। जैसे-जैसे यह तकनीक फल-फूल रही है, यह प्राचीन शिल्प ग्रामीण नुक्कड़ और कोनों से शहरों तक पहुंच गयी है। सिरेमिक कला एक स्वदेशी शिल्प से एक सजावटी कलाकृति की ओर बढ़ गयी है। आज इसे अंततः अपनी रचनात्मक और उपयोगितावादी क्षमता के लिए पहचाना जा रहा है।
अपने रूप और डिजाइन में विकसित, इस भारतीय कला ने घर की सजावट, फैशन और आभूषणों में समान रूप से प्रवेश किया है और शहरी भीड़ और कुलीन वर्ग के बीच लोकप्रियता हासिल की है। टिकाऊ और सचेत जीवन के आदर्श बनने के साथ, अधिक से अधिक लोग इनके उपयोग के लिए रूचि ले रहे हैं और, एक तरह से, मिट्टी के बर्तनों के आकर्षण के प्रति जाग रहे हैं। सिरेमिक के साथ काम करने वाले कलाकारों और कारीगरों ने इस मरते हुए शिल्प के विकास में लगातार योगदान दिया है। क्लेबोटिक (clay botik), जयपुर की संस्थापक दीक्षा गुप्ता ने सिरेमिक उद्योग में अपनी यात्रा के बारे में बात करते हुए व्यक्त किया “अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करने के बाद, मैं अपने कलात्मक कौशल को उजागर करने के अवसर की तलाश में थी। मैंने अपना अधिकांश रचनात्मक समय विश्व कला के प्रति उत्साही लोगों के साथ सार्थक कलाकृतियाँ बनाने के लिए बिताया। उस समय, क्लेबोटिक अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के साथ कला सीखने और प्रयोग करने के साथ मिट्टी के बर्तनों की कार्यशाला का केंद्र था। आज, हमने जयपुर में पूरी तरह कार्यात्मक स्टूडियो स्थापित करने में एक लंबा सफर तय किया है। हस्तनिर्मित सिरेमिक डिनर वेयर सेट (¸), चमकीले रंग के हस्तनिर्मित सिरेमिक मग (ceramic mug), प्लेटर्स(platters) और सिरेमिक कटोरे के अद्भुत आकर्षक संग्रह से शुरू करते हुए, हम बढ़िया हस्तशिल्प सामान और कार्यात्मक सिरेमिक बर्तन डिजाइन करते हैं जो आपकी टेबल सेटिंग (table setting) में विशिष्टता की भावना को प्रदर्शित करते हैं।“
वीनाचंद्रन, सिरेमिक की लोकप्रियता पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा करती हैं, “हाल ही में सिरेमिक में अचानक उछाल आया है, विशेष रूप से टीवी पर रियलिटी कुकरी शो (reality cookery show) और फ़ूड ब्लॉगिंग इंस्टाग्राम चैनलों (food blogging instagram channels) के फलने-फूलने के साथ। कई लोगों ने सिरेमिक की आवश्यकता को समझना शुरू कर दिया है। सामग्री का सम्मान करने और उसे अपने दैनिक जीवन में उपयोग करने की प्रक्रिया भी बढ़ गई है। स्वाद निर्माताओं में वर्तमान में उनके लगभग सभी टेबलवेयर में सिरेमिक शामिल हैं; खुदरा पहल और इन उत्पादों को खरीदने की आसान पहुंच के कारण इसने उच्च मध्यम वर्ग के घरों का हिस्‍सा बनना भी शुरू कर दिया है। आपकी सुबह की कॉफी से लेकर स्वस्थ सलाद कटोरे तक, चीनी मिट्टी की चीज़ें कांच के बने पदार्थ और पॉलीइथाइलीन टेबलवेयर (polyethylene tableware) पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं।”

संदर्भ:
https://bit.ly/3T7tQBW
https://bit.ly/3rYH6Nt
https://bit.ly/3D0xCHJ

चित्र संदर्भ
1. ऑनलाइन मिट्टी के बर्तनों की बिक्री को दर्शाता एक चित्रण (google)
2. भारतीय उपमहाद्वीप में सिंधु घाटी सभ्यता से प्राप्त मिट्टी के बर्तनों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. टेराकोटा मिट्टी के बर्तन को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. सिरेमिक डिनर वेयर सेट एक चित्रण (wikimedia)

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