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लखनऊ नगर निगम ने शहर में नई प्रौद्योगिकियों को शुरू करने के लिए 'नवाचार और सर्वोत्तम
प्रथाओं के लिए सर्वश्रेष्ठ शहर' का पुरस्कार जीता है। स्वच्छ भारत सर्वेक्षण 2022 के तहत किए गए
मूल्यांकन के आधार पर शनिवार को केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा एक
समारोह में नागरिक निकाय को सम्मानित किया गया था। लखनऊ नगर निगम ने इस वर्ष लखनऊ-
वन ऐप (Lucknow-One app) और स्व-मूल्यांकन संपत्ति कर सॉफ्टवेयर (Software)शुरू किया है, जिसकी
मदद से लखनऊ को लगातार तीसरी बार पुरस्कार प्राप्त करने में मदद मिली।इसके अलावा, वायु
शोधक (Air purifiers) की स्थापना और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए कॉम्पेक्टर्स (Compactor) का
उपयोग करने से भी इसमें मदद मिली। यहां तक कि लखनऊ में के.डी. सिंह बाबू स्टेडियम और चौक
स्टेडियम को स्मार्ट सिटी योजना के तहत नवीनीकृत और इनमें तकनीकी उन्नयन किया जाएगा।
भारत सरकार विभिन्न पहलों के माध्यम से 122 भारतीय शहरों में बेहतर वायु गुणवत्ता के लिए
2019 में शुरू किए गए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) के माध्यम से अपनी भूमिका निभा रही
है।
1950 के दशक में दुनिया में कुछ हज़ार रसायन पंजीकृत थे, हालाँकि 90 के दशक के दौरान यह
संख्या काफी बढ़ गई, और आज उत्पादों के उत्पादन के लिए इस्तेमाल होने वाले रसायनों की संख्या
लगभग 350,000 है।अंत में इन उत्पादों की एक बड़ी संख्या हमारे घरों या कार्यालयों के अंदर आती
है जहां हम अपना 80% समय व्यतीत करते हैं। प्रत्येक रसायन समय के साथ अपनी प्रकृति की
वजह से विघटित होते हैं।जिस वजह से कई बार वे कण जो विघटित हो जाते हैं, हमारे द्वारा ली
जाने वाली हवा के साथ मिश्रित हो जाते हैं और इन गैसें को आमतौर पर वाष्पशील कार्बनिक यौगिक
(VOC) के रूप में जाना जाता है।विश्व स्वास्थ्य संगठन सहित प्रतिष्ठित संगठनों द्वारा किए गए कई
अध्ययन वाष्पशील कार्बनिक यौगिक के कैंसर की घटनाओं के साथ संबंध का संकेत देते हैं और यही
एक कारण है कि हमें हमारे द्वारा सांस लेने वाली हवा की गुणवत्ता के बारे में ध्यान रखना चाहिए।
वहीं वाष्पशील कार्बनिक यौगिक के अलावा अन्य प्रदूषक हैं जिन पर हमें ध्यान देने की आवश्यकता
है जो बाहरी कारकों पर निर्भर हैं।
वाहनों के यातायात के क्षेत्रों के करीब रहने वाले लोग वाहनों से
कार्बन मोनोऑक्साइड (Carbon monoxide) उत्सर्जन के संपर्क में आ सकते हैं, निर्माण क्षेत्र बहुत
अधिक धूल यानि कणि का तत्व (पीएम 2.5 / पीएम 10) उत्पन्न कर सकते हैं क्योंकि भारत में
अधिकांश स्थल सुरक्षात्मक प्रथाओं का पालन नहीं करती हैं, लोग विनिर्माण के स्थानों के करीब भारी
औद्योगिक क्षेत्रों में रहने वाले कई गैसों / रसायनों के संपर्क में आते हैं जो मनुष्यों के लिए बहुत
हानिकारक हो सकते हैं और दीर्घकालिक बीमारियों का कारण बन सकते हैं। कचरा डंप स्थान से
जहरीली गैसों का उत्सर्जन होता है, जो स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक होते हैं।यदि देखा जाएं तो
यह सूची असीमित है।
इसलिए आज जब एक युवा कार्यबल भारतीय कॉर्पोरेट परिदृश्य में प्रवेश करता है, तो वे काफी हटकर
मांग करते हैं, क्योंकि वे जान चुके हैं कि पर्यावरण को हमारे द्वारा भौतिक नुकसान पहुंचा दिया
गया है। इसलिए स्वच्छ हवा प्रदान करना एक आवश्यकता के रूप में अपेक्षित है और अधिकांश के
लिए इसे विलासिता नहीं माना जाता है। जिसको देखते हुए कई स्टार्टअप (Startup) वायु शोधन के
क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं और निगरानी और सफाई समाधानों के माध्यम से इन मुद्दों को हल करने
के लिए लागत प्रभावी और परिवर्तनात्मक समाधान प्रदान कर रहे हैं।
भारत सरकार विभिन्न पहलों के माध्यम से 122 भारतीय शहरों में बेहतर वायु गुणवत्ता के लिए
2019 में शुरू किए गए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के माध्यम से अपनी भूमिका निभा रही है।इन
मुद्दों को हल करने के लिए वायु शोधक की कई प्रौद्योगिकियां उपलब्ध हैं और प्रत्येक व्यक्ति को
अपनी आवश्यकताओं के अनुसार सावधानी से इसका चयन करना चाहिए। वायु शोधक में उपयोग की
जाने वाली प्रमुख निस्पंदन तकनीकें हैं फिल्टर (Filters - बड़े कणों के साथ-साथ बहुत छोटे कणों के
लिए), विषाणु या जीवाणु ले जाने वाले तैरते कणों पर सक्रिय रूप से हमला करने के लिए
आयनाइज़र (Ionizers), पराबैंगनी किरणें जो हवा/सतहों को साफ कर सकती हैं।
HEPA और MERV हवा
के निस्पंदन के लिए सबसे लोकप्रिय उद्योग हैं। कई ब्रांड (Brand)स्वयं के नेगेटिव आयन (Negative
ion)उत्पादक को वायु शोधन तकनीकों के रूप में आगे बढ़ा रहे हैं।लेकिन यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण
है कि इनमें से कुछ उत्पाद महत्वपूर्ण मात्रा में ओजोन (Ozone) का उत्पादन कर सकते हैं और लोगों
के फेफड़ों को प्रभावित कर सकते हैं। वहीं कई ब्रांड वायु शोधन तकनीकों को बेचते हैं जो सेंसर
(Sensor) का उपयोग करके प्रदूषकों को मापते या मापते नहीं हैं और इसलिए उपभोक्ता के लिए यह
जानना मुश्किल है कि क्या वे अपना काम कर रहे हैं। ज्यादातर मामलों में वे बिना फिल्टर के एक
कमरे के एक कोने में रखे रहते हैं क्योंकि उपभोक्ता अपने प्रदर्शन के बारे में सुनिश्चित नहीं होते
हैं।साथ ही आधुनिक समय के उपकरण डेटा संचालित होते हैं और उपभोक्ताओं द्वारा अपना काम
करते हुए भी आसानी से संचालित किए जा सकते हैं।
संदर्भ :-
https://bit.ly/3EriW5N
https://bit.ly/3T0CcLa
चित्र संदर्भ
1. लखनऊ नगर निगम की ईमारत को दर्शाता एक चित्रण (facebook)
2. डाउनटाउन न्यू लखनऊ में गोमती नदी को दर्शाता एक चित्रण (Wikimedia)
3. लखनंऊ की विभिन्न धरोहरों को दर्शाता एक चित्रण (Wikimedia)
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