क्या मशीन लर्निंग सभी मानव अनुवादकों को लुप्तप्राय प्रजाति बना देगी?

ध्वनि 2- भाषायें
30-09-2022 10:26 AM
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क्या मशीन लर्निंग सभी मानव अनुवादकों को लुप्तप्राय प्रजाति बना देगी?

आज विश्व भर में अंतर्राष्ट्रीय अनुवाद दिवस (International Translation Day) मनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य अनुवाद पेशे के बारे में जागरूकता बढ़ाना है, ताकि उन भाषाओं के बारे में जागरूकता लाई जा सके जो हमारे समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इस दिन भाषा अनुवादकों के काम के लिए उन्हें सम्मान दिया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय अनुवाद दिवस भाषा पेशेवरों के काम को श्रद्धांजलि देने के अवसर के रूप में है, जो राष्ट्रों को एक साथ लाने, संवाद, समझ और सहयोग को सुविधाजनक बनाने, विकास में योगदान देने और विश्व शांति और सुरक्षा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
आधुनिक दुनिया में संचार बहुत ही महत्वपूर्ण है, जो साल दर साल तेजी से वैश्वीकृत होता जा रहा है। कंपनियां, व्यवसाय, सरकारी संगठन और व्यक्तिगत रूप से लोग एक दूसरे के साथ दैनिक आधार पर संवाद कर रहे हैं, इसके लिए हमेशा से अनुवाद और दुभाषिया सेवाएं मांग में रही हैं। अनुवाद एक व्याख्यात्मक प्रक्रिया है। अनुवाद की प्रकृति दस्तावेज़ की प्रकृति पर निर्भर करती है। एक सफल अनुवादक लक्षित दर्शकों की जरूरतों को ध्यान में रख कर पाठ के अर्थ के उचित तरीके से अनुवादन करता है। स्रोत भाषा और लक्ष्य भाषा में समान विशेषज्ञता रखने के अलावा, एक अच्छे अनुवादक के पास लक्ष्य भाषा को लिखने की क्षमता भी होनी चाहिए और उस संबंधी सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भ से परिचित होना चाहिए। एक सफल अनुवादक किसी पाठ का यांत्रिक अनुवादन नहीं करता, वह अपनी रचनात्मकता को पूरी हद तक लगाता है और पाठ की आत्मा में चला जाता है, यानी उसके शब्दों से ज्यादा उसके भावों को समझने की कोशिश करता है। लेकिन वर्तमान में ऐसी स्थिति आ गई है की मानव अनुवादन देखने को मिल ही नहीं रहा है इनकी जगह अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड मशीन लर्निंग (Artificial Intelligence and Machine Learning) तथा गूगल अनुवाद (Google Translation) ने ले ली है।
हम एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जो दिन-ब-दिन डिजिटल होती जा रही है। इसने देश के विभिन्न हिस्सों के लोगों के लिए व्यक्तिगत और पेशेवर रूप से करीब आने का मार्ग प्रशस्त किया है। इंटरनेट और संचार प्रौद्योगिकियों के विकास ने व्यवसायों को विभिन्न हिस्सों के लोगों से जुड़ने में सक्षम बनाया है। गूगल (Google), माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft), फेसबुक (Facebook) और कई अन्य अंतर्राष्ट्रीय कंपनियां भारत में फल-फूल रही हैं क्योंकि वे भारत के विभिन्न हिस्सों में लोगों तक पहुंचने के लिए भाषा अनुवाद सेवाओं का उपयोग कर रही हैं। जब गूगल अनुवाद 2006 में बनाया गया था, तब दुनिया भर के अनुवादकों के बीच में डर की लहर फैल गई थी। कई अनुवादकों को अपने करियर के चुनाव को लेकर आशंकाएं तथा चिंता होने लगी। इस लोकप्रिय ऑनलाइन अनुवाद उपकरण के अस्तित्व में आने से पहले, सभी लोग पेशेवर अनुवादक के माध्यम से अनुवाद का कार्य करवाते थे। लेकिन ऑनलाइन अनुवाद के आते ही लोगों ने दस्तावेज़ों का अनुवाद करने का एक त्वरित और आसान तरीके की ओर रुख किया, लेकिन पहले इस त्वरित उपकरण में उच्च गुणवत्ता नहीं थी जैसे की एक पेशेवर और परिष्कृत अनुवादक के काम में होती है। इस वजह से खराब गुणवत्ता वाले अनुवादों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिस कारण अनुवादन के कार्य में हानि हुई। परन्तु बाद में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड मशीन लर्निंग के जरिये गूगल अनुवाद में सुधार चलता रहा और लोग पेशेवर अनुवादकों के स्थान पर गूगल अनुवाद का उपयोग करने लगे, दखते ही देखते इस उपकरण के जरिये संपूर्ण वेबसाइटों तक का अनुवाद किया जाने लगा।
जल्द ही गूगल अनुवाद का उपयोग दुनिया भर के व्यक्तियों और व्यवसायों द्वारा लोकप्रिय बन गया जिस कारण अनुवादकों की प्रजाति को लुप्तप्राय मान लिया गया। हालांकि की अभी भी कई एजेंसी ऐसी है जो गुणवत्ता की वजह से पेशेवर अनुवादकों से ही अपना कार्य करवाते है। मशीनी अनुवाद हमेशा सटीक नहीं होते हैं। कई बार एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) सॉफ्टवेयर खराब होने का भी खतरा बना रहता है। मशीनी अनुवाद सॉफ़्टवेयर के लिए जटिल शब्दावली और उद्योग-विशिष्ट शब्द भी समस्याग्रस्त हो सकते हैं। मशीनी अनुवाद और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सॉफ्टवेयर को शब्दों, वाक्यांशों और भाषा पैटर्न का अनुवाद करने के लिए सिखाया और प्रोग्राम किया जा सकता है, हालाँकि, यह हास्य, कटाक्ष, मानवीय भावनाओं और विभिन्न अतिरिक्त-भाषाई बारीकियों को नहीं समझ सकता है जो किसी पाठ या भाषण के अर्थ को बदल सकते हैं। इस कारण भी कई लोग अभी भी पेशेवर और परिष्कृत अनुवादक से अपने कार्य को करवाना पसंद करते है।
परन्तु अधिकांश लोग तत्काल और मुफ्त अनुवाद के लिए गूगल अनुवादन का रुख करते है। गूगल के इंजीनियरिंग निदेशक, रे कुर्ज़वील का मानना ​​​​है कि 15 वर्षों के भीतर कंप्यूटर, सबसे बुद्धिमान मनुष्यों को भी मात देने में सक्षम होंगे, भाषा को समझना और अनुभव से सीखना भी इसमें शामिल है, क्यूंकि इसमें आत्म सुधार की क्षमता है। मानव अनुवादकों के दुनिया के सबसे बड़े नियोक्ताओं में से एक के सीईओ ने चेतावनी दी है कि यदि मशीन लर्निंग का उपयोग ऐसे ही बढ़ता रहा तो कई अनुवादक अपनी नौकरी गवा बैठेंगे। वन आवर ट्रांसलेशन (One Hour Translation) के सीईओ ओफ़र शोशन बताते है कि तीन वर्षों के भीतर, न्यूरल मशीन टेक्नोलॉजी (Neural Machine Technology-NMT) ने अनुवाद बाज़ार के 50% से अधिक कार्य को अपने कब्जे में रखा है जिससे मानव अनुवादकों को भारी नुकसान हुआ है। हाल के वर्षों में मशीनी अनुवाद की गुणवत्ता में भी तेजी से सुधार हुआ है, और यह सुधार इतना कारगर साबित हुआ है की आधे मिलियन मानव अनुवादक और 21,000 एजेंसियां इस क्षेत्र से खुद से ही बाहर हो गई हैं। 
ये तकनीकी प्रगति अनुवाद उद्योग का एक हिस्सा बन गई है, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को अन्य क्षेत्रों, जैसे स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, यात्रा, बैंकिंग, मनोरंजन, गेमिंग, खाद्य तकनीक, ई- कॉमर्स, खुदरा, रियल एस्टेट, और कई अन्य क्षेत्रों में लागू किया जा रहा है, जिस कारण कई लोगों की नौकरियों का ख़तरा मंडरा रहा है। क्योंकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीनी अनुवाद सेवाएं पिछले कुछ वर्षों में तेजी से लोकप्रिय हो गई हैं, और डेवलपर्स उन्हें सुधारने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं, तो यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि निकट भविष्य में मानव अनुवादकों की प्रजाति लुप्तप्राय घोषित कर दी जाएगी!

संदर्भ:
https://bit.ly/3BJcXpZ
https://bit.ly/3xN1g08
https://bit.ly/3flyZrn

चित्र संदर्भ
1. गूगल ट्रांसलेट के मुख्य पृष्ठ को दर्शाता एक चित्रण (google)
2. एक भाषा अनुवादक को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. गूगल ट्रांसलेट के इंटरफ़ेस को दर्शाता एक चित्रण (google)
4. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एआई और मशीन लर्निंग को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

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