समयसीमा 229
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 963
मानव व उसके आविष्कार 757
भूगोल 211
जीव - जन्तु 274
Post Viewership from Post Date to 24- Oct-2022 (30th Day) | ||||
---|---|---|---|---|
City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
1757 | 10 | 1767 |
हड़प्पा संस्कृति की सबसे बड़ी कलात्मक कृतियाँ मुहरें हैं। हम सभी ने हड़प्पा की पशुपति
मुहर के बारे में सुना है। विद्वानों का स्पष्ट विश्वास है कि इसका शिव से कोई लेना-देना
नहीं है, भले ही इसे अभी भी लोकप्रिय पुस्तकों में प्रोटो-शिव के रूप में उल्लिखित किया गया
है। वेद में वर्णित पशुपति पशुओं, पालतू जानवरों के संरक्षक हैं, जबकि हड़प्पा में पशुपति
मुहर, जो 4,000 वर्ष पुरानी है, एक पुरुष या महिला को दर्शाती है, जो एक बाघ और एक गैंडे
सहित जंगली जानवरों से घिरा हुआ है।
सींग वाले देवता की दो मुहरें प्राप्त हुई हैं। लोकप्रिय मुहरें दिल्ली संघ्रालय में संरक्षित हैं
और इन पर जानवर उकेरे गए हैं। कम लोकप्रिय मुहरों को इस्लामाबाद में संरक्षित किया
गया है इन पर पशुओं की छवि नहीं दिखती है। इस्लामाबाद वाली मुहरों पर चिकने सींग
और शीर्ष पर एक पेड़ की शाखा दिखाई देती है। दिल्ली वाला इथिफैलिक (ithyphallic) (सीधा
लिंग) है, भगवान शिव के समान एक प्रतिरूप, लकुलिश की बाद की छवियों की तरह, जबकि
इस्लामाबाद की मुहर नीचे की ओर झुके हुए त्रिकोण को दर्शाती है जो योनि के इंगित करती
है। तो क्या यह छवि किसी पुरुष, महिला या शायद ट्रांसजेंडर (transgender) की है? दोनों हाथों
में चूड़ियां हैं। शिव के जिस रूप से हम परिचित हैं, उन्हें कभी भी सींग धारण किए हुए
दर्शाया गया है, हालांकि कुछ लोग अनुमान लगाते हैं कि यह अर्ध चन्द्र बना हुआ है।
एलीफेंटा गुफाओं की त्रिमूर्ति प्रसिद्ध तीन सिर वाले शिव वास्तव में पंचमुखी या पांच मुखी
शिव हैं, जिनका चौथा सिर पीछे और पांचवां सिर शीर्ष पर है।
हड़प्पा में सींग वाले देवताओं की अन्य मुहरें भी हैं जिन्हें अक्सर अनदेखा कर दिया जाता
है। कुछ को पूंछ के साथ दर्शाया गया गया है, एक धनुष धारण किए हुए है, एक को 'सींग
वाले' बाघ से लड़ते हुए दर्शाया गया है, और एक अर्ध बाघ है; ये ज्यादातर महिलाएं हैं। एक
पक्षी के सिर वाली देवी को, हालांकि उन पर सींग नहीं है, को बाघों से लड़ते हुए दर्शाया गया
है। कोई भी इन्हें पशुपति नहीं स्वीकारता है। हड़प्पा में हिंदू धर्म और वेदों का पता लगाने
की हमारी उत्सुकता और बाद की जांच खोज हमें इन कलाकृतियों के प्रति भ्रमित होती है।
जैसा भी हो, पालतू जानवरों की रक्षा करने वाले नायक या देवता का विचार भारतीय
लोककथाओं में एक सामान्य बात है। साधारणतया भारतीय लोक कला और विद्याएं पुरूषों
को समर्पित हैं जो कि चोरों और जंगली जानवरों लड़ते हैं और अपने मवेशियों की रक्षा करते
हैं। इस प्रक्रिया में मारे गए लोगों को देवता बना दिया जाता है, उनकी कहानियों को पत्थर
में उकेरा जाता है। फिर इनको गाँवों की सीमाओं पर, चरागाहों और जंगलों के बीच में रख
दिया जाता है, ताकि अभिभावक भावना गाँव की रक्षा कर सके। इन वीर पत्थरों पर हमें रोती
हुई और यहां तक कि नायक की चिता पर आत्मदाह करने वाली महिलाओं की छवियां
मिलती हैं, जो सती प्रथा का संकेत देती हैं।
हमें ऐसे नायक पत्थर कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र
प्रदेश, गोवा, महाराष्ट्र और राजस्थान में मिलते हैं। लोककथाओं में, इन नायकों को ब्रह्मचारी
माना जाता है, इसलिए वे शुद्ध होते हैं। एक ब्रह्मचारी की सती कैसे हो सकती है? कहानी
फिर एक अभिनव मोड़ लेती है, जैसा कि हम राजस्थान में पा.बूजी के महाकाव्य में पाते हैं,
जहां उन्हें मवेशियों की रक्षा के लिए बुलाया जाता है, जब उनकी शादी होने वाली होती है।
वह शादी पर सामाजिक कर्तव्य चुनता है और मारा जाता है। अर्धविवाहित दुल्हन फिर उसकी
सती हो जाती है और इस तरह कहानी पूरी होती है।
अब तक 3,500 से अधिक मुहरें मिल चुकी हैं। सबसे विशिष्ट सिंधु मुहर वर्गाकार की हैं,
जिसके शीर्ष पर प्रतीकों का एक समूह है, केंद्र में एक जानवर और नीचे एक या अधिक
प्रतीक हैं। मुहरों पर पाए जाने वाले जानवरों में गैंडा, हाथी और बैल शामिल हैं। इसके पृष्ठ
भाग में एक उभरा हुआ हिस्सा है, संभवतः मिट्टी जैसी अन्य सामग्रियों में मुहर को दबाते
समय छपा होगा। इन मोंहरों पर एक छिद्र भी बना होता था, धागे के माध्यम से इन मोहरों
को पहना या हार के रूप में ले जाया जा सकता था।
मुहर के शीर्ष पर प्रतीकों को सामान्यत: सिंधु घाटी भाषा की लिपि के रूप में माना जाता
है। इसी तरह के निशान बर्तनों और नोटिस बोर्ड सहित अन्य वस्तुओं पर भी पाए गए हैं। ये
इंगित करते हैं कि लोगों ने पहली पंक्ति को दाएं से बाएं, दूसरी पंक्ति को बाएं से दाएं, इसी
क्रम में लिखा था। लगभग 400 विभिन्न प्रतीकों को सूचीबद्ध किया गया है, लेकिन लिपि
अभी भी समझ में नहीं आई है। मुहरों पर शिलालेख व्यापारिक लेन-देन से संबंधित माने
जाते हैं, जो शायद व्यापारियों, निर्माताओं या कारखानों की पहचान का संकेत देते हैं।
मुहरें हमें व्यापार के बारे में क्या बता सकती हैं?
किसी जार (Jar) के मुंह को सील करने के लिए मुहरों को नरम मिट्टी में दबाया गया था
और इसके साथ ही कुछ मुहर के छापों के पीछे कपड़े की छाप भी दिखती है, संभवत: इनका
उपयोग राशन के बोरों पर छाप लगाने के लिए किया जाता था। सिंधु घाटी की मुहरें मध्य
एशिया में और अरब प्रायद्वीप के तट पर, उम्मा और उर शहरों में मेसोपोटामिया (वर्तमान
इराक) में दूर तक पाई गई हैं। पश्चिमी भारत में लोथल बंदरगाह पर बड़ी संख्या में मुहरें
मिली हैं। सिंधु घाटी के शहरों में मेसोपोटामिया के वजन की खोज इस बात की पुष्टि करती
है कि इन दो सभ्यताओं के बीच व्यापार हुआ था। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि
मेसोपोटामिया में सोने, तांबे और आभूषणों के व्यापार के लिखित रिकॉर्ड सिंधु घाटी की ओर
इशारा कर रहे हैं। यह स्पष्ट है कि सिंधु सभ्यता एक व्यापक लंबी दूरी के व्यापारिक नेटवर्क
का हिस्सा थी।
हड़प्पा काल की कुछ प्रसिद्ध मोहरें इस प्रकार हैं:
1. लिपि और गेंडा अंकित इंटैग्लियो मुहर (Intaglio Seal)
1997 में ट्रेंच (trench) 41NE में पाए गए मुहरों पर लिपि और गेंडे की तस्वीर अंकित है। यह
मुहर हड़प्पा काल 3B और 3C के बीच संक्रमण काल के समय लगभग 2200 ईसा पूर्व की है।
2. फ़ाइनेस बटन मुहर (Faience button seal)
हड़प्पा में टीले एबी की सतह पर एक कार्यकर्ता द्वारा ज्यामितीय आकृति (H2000-
491/9999-34) के साथ एक फ़ाइनेस बटन सील पाया गया था।
3. स्टीटाइट बटन सील (steatite button seal)
ट्रेंच 54 क्षेत्र (H2000-4432/2174-3) से चार संकेंद्रित वृत्त डिजाइनों के साथ स्टीटाइट बटन
सील को निकाला गया।
4. गेंडे वाली मुहर, मोहनजोदड़ो।
पृष्ठ पर छिद्रित बॉस (boss) के साथ बड़ी चौकोर गेंडे वाली मुहर। गेंडा सिंधु मुहरों पर
सबसे आम आकृति है और ऐसा लगता है कि एक पौराणिक जानवर का प्रतिनिधित्व करता
है जो ग्रीक और रोमन स्रोत से भारतीय उपमहाद्वीप में आए थे।
संदर्भ:
https://bit।ly/3S8eM6n
https://bit।ly/3SayluF
https://bit।ly/3SawVQT
चित्र संदर्भ
1. हड़प्पा संस्कृति से प्राप्त मुहरों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. हड़प्पा संस्कृति से प्राप्त पशुपति मुहर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. सिंधु घाटी सभ्यता "गिलगमेश" मुहर (2500-1500 ईसा पूर्व) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. सिंधु घाटी की मुहर पर सींग वाले देवता विवरण को दर्शाता एक चित्रण (Picryl)
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.