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वन हमारी पारिस्थितिकी का एक महत्वपूर्ण घटक हैं,तथा इसमें मैंग्रोव (mangroves)वनों की
भी एक महत्वपूर्ण भूमिका है। मैंग्रोव को अत्यधिक लवणीयता सहन करने वाले पेड़ों और
झाड़ियों के समूह के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो कि उष्णकटिबंधीय और
उपोष्णकटिबंधीय समुद्र तटों के जलमग्न क्षेत्रों में उगते हैं। वे उन जगहों पर उगते हैं जहां
मीठा या स्वच्छ जल समुद्री जल के साथ मिल जाता है,और गाद जमे हुए कीचड़ से बनी
होती है।
भारत में, मैंग्रोव वनों की उपस्थिति मुख्य रूप से 9 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में
सीमित है। भारत में ये वन लगभग 4,97म. वर्ग किलोमीटर भूमि में फैले हुए हैं, तथा
पश्चिम बंगाल और गुजरात भारत के दो ऐसे राज्य हैं, जहां मैंग्रोव वनों का सबसे अधिक
हिस्सा पाया जाता है। पश्चिम बंगाल में मैंग्रोव वन 2,112 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को
आवरित करते हैं, जबकि गुजरात में वे 1,177 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को आवरित करते
हैं।भारत में सबसे आश्चर्यजनक मैंग्रोव वन सुंदरवन वन, गोदावरी-कृष्णा मैंग्रोव,
भितरकनिका मैंग्रोव्स, कच्छ मैंग्रोव की खाड़ी (Gulf of Kutch Mangroves),पिचवरम
मैंग्रोव, ठाणे क्रीक मैंग्रोव्स, बारातंग द्वीप मैंग्रोव्स, चोराओ द्वीप मैंग्रोव हैं। सुंदरबन
10,000 वर्ग किलोमीटर भूमि में फैला हुआ है, और इसका लगभग 40% हिस्सा भारत में
है। यह अपनी उत्कृष्ट जैव विविधता के लिए जाना जाता है, हालांकि 2007 और 2021 के
बीच सुंदरबन का बहुत घना मैंग्रोव कवर अब कम हो गया है। 2020-2022 के दौरान पश्चिम
बंगाल वन विभाग द्वारा मैंग्रोव वृक्षारोपण भी किया गया था, किंतु यह प्रयास कुछ
महत्वपूर्ण परिवर्तन नहीं ला पाया।
गोदावरी-कृष्णा मैंग्रोव,आंध्र प्रदेश के पूर्व-गोदावरी जिले में गोदावरी नदी के डेल्टा में स्थित है
तथा यह भारत में सबसे आकर्षक मैंग्रोव वनों में से एक है जो आंध्र प्रदेश में 404 वर्ग
किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। भितरकनिका मैंग्रोव ओडिशा में ब्राह्मणी-बैतरनी नदियों के
डेल्टा क्षेत्र में स्थित है, जो भितरकनिका वन्यजीव अभयारण्य और भितरकनिका राष्ट्रीय
उद्यान को भी आवरित करता है। भितरकनिका मैंग्रोव्स 251 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में
फैला हुआ है, जहां मगरमच्छों की एक बड़ी आबादी देखने को मिलती है।
कच्छ मैंग्रोव की
खाड़ी में गुजरात राज्य के 70% से अधिक मैंग्रोव शामिल हैं, जिन्हें ग्रे मैंग्रोव के रूप में
जाना जाता है।एविसेनिया मरीना (Avicennia Marina) गुजरात में सबसे प्रमुख मैंग्रोव
प्रजाति है। पिचवरम मैंग्रोव वन तमिलनाडु के कुड्डालोर जिले में स्थित है, जो अलग-अलग
आकार के कई द्वीपों के साथ 11 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यहा वनस्पतियों की
एक प्रचुर मात्रा उपलब्ध है, जो कई देशी और प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करती है।ठाणे
क्रीक मैंग्रोव महाराष्ट्र में कोंकण क्षेत्र के छह जिलों ठाणे, मुंबई उपनगर, मुंबई शहर, रायगढ़,
सिंधुदुर्ग और रत्नागिरी में मौजूद है। 90 वर्ग किलोमीटर के कवरेज के साथ, दूसरा सबसे
बड़ा मैंग्रोव ठाणे में हैं और 121 वर्ग किलोमीटर के कवरेज के साथ,सबसे बड़ा मैंग्रोव रायगढ़
में है।बारातांग द्वीप मैंग्रोव अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर से
लगभग 100 किलोमीटर दूर स्थित हैं। भारत में सबसे खूबसूरत मैंग्रोव वनों में से एक,
चोराओ द्वीप मैंग्रोव राज्य की प्रमुख नदियों जुआरी, मंडोवी, चापोरा, गलजीबाग, साल,
तलपोना और तिराकोलके किनारे फैले हुए हैं।
मैंग्रोव के पौधों को आम तौर पर दो समूहों में विभाजित किया जाता है, पहली वास्तविक
मैंग्रोव प्रजातियां और दूसरी सम्बंधित मैंग्रोव प्रजातियां।मैंग्रोव प्रजातियाँ केवल मैंग्रोव
वातावरण में ही विकसित हो सकती हैं और स्थलीय पादप समुदाय में विकसित नहीं हो पाती
हैं। मैंग्रोव प्रजातियाँ लवणीय, जलभराव और अवायवीय जैसी परिस्थितियों का सामना करने
के लिए खुद को रूपात्मक, शारीरिक और प्रजनन रूप से तैयार कर लेती हैं। 27 जेनेरा
(Genera) में कुल 69 प्रजातियों (जो 20 परिवारों से संबंधित हैं) को वास्तविक मैंग्रोव
प्रजाति माना गया है। मैंग्रोव पर्यावरण अत्यधिक गतिशील और कठोर होता है, इसलिए
ऐसी पर्यावरणीय परिस्थितियों का सामना करने के लिए मैंग्रोव प्रजातियों में कुछ विशिष्ट
विशेषताएं होती हैं, जैसे श्वसनीय जड़ें, सिल्ट (Silt) जड़ें और विविपैरी (Vivipary)।
विविपैरी मैंग्रोव प्रजातियों में प्रजनन का वह तरीका है, जिसमें बीज अंकुरित होकर अंकुर में
विकसित होते हैं, हालांकि तब भी मूल पेड़ से जुड़े होते हैं।
हमारी पारिस्थितिकी के सुचारू रूप से संचालन में मैंग्रोव क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण भूमिका
है।यह मानव जीवन को प्रभावित करने वाली आपदाओं जैसे चक्रवाती तूफान, सुनामी आदि
को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह मिट्टी के कटाव को रोकता है तथा
तटीय जल की मत्स्य उत्पादकता को बढ़ाता है।यह व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण मछली,
झींगा और केकड़ों के लिए एक नर्सरी ग्राउंड के रूप में कार्य करता है।मैंग्रोव वन जैव
विविधता में भी समृद्ध हैं और वन्यजीवों के आवास के रूप में कार्य करते हैं। यह पक्षियों,
मछलियों, सरीसृपों और स्तनधारियों की विभिन्न प्रजाति को भोजन और आवास उपलब्ध
कराते हैं। ओस्प्रे (Osprey) और बाल्ड ईगल (Bald eagles) इन स्थानों से मछली और
कभी-कभी छोटे जानवरों का शिकार करते हैं। इसी प्रकार से स्पूनबिल्स (Spoonbills) और
आइबिस (Ibis) जैसी प्रजातियां यहां केकड़ों, झींगा और अन्य जलमग्न जीवों का शिकार
करती हैं। बड़ी वयस्क मछलियाँ भी छोटी मछलियों और अकशेरुकी जीवों के रूप में मैंग्रोव
प्रणालियों से अपना भोजन प्राप्त करती हैं।
मैंग्रोव आवासों में पाई जाने वाली कुछ मछलियों की प्रजातियों में स्नैपर (Snapper),
शीपशेड (Sheepshead), ग्रूपर (Grouper), टारपोन (Tarpon), गार (Gar) और रेड ड्रम
(Red drum) शामिल हैं।कई लुप्तप्राय या संकटग्रस्त प्रजातियां भी मैंग्रोव में निवास करती
है, जिसमें गोलियत ग्रूपर (Goliath grouper) और रेनबो पैरटफिश (Rainbow
parrotfish) शामिल है।
इसके अतिरिक्त, कई व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण प्रजातियां, जैसे
कि नीला केकड़ा (Blue crab), भी अपने अस्तित्व के लिए मैंग्रोव पर निर्भर हैं।बड़े शिकारी,
जैसे कि काले भालू और फ्लोरिडा पैंथर (Florida Panther), भी अपने शिकार के लिए
मैंग्रोव प्रणालियों पर निर्भर हैं।दुनिया भर में कई मगरमच्छ अपने आवास के लिए मैंग्रोव का
उपयोग करते हैं।उदाहरण के लिए, यूनाइटेड स्टेट्स फिश एंड वाइल्डलाइफ सर्विस (United
States Fish and Wildlife Service) मैंग्रोव दलदलों को परिहारकारी अमेरिकी मगरमच्छ
के लिए एक महत्वपूर्ण निवास स्थान मानती है। इसके अलावा इन अनोखे आवासों में सांप
और समुद्री कछुए की भी अनेकों प्रजातियां पाई जाती हैं।
संदर्भ:
https://bit.ly/3Ld2JCx
https://bit.ly/3LfYR3C
https://bit.ly/3Lhh0OH
https://bit.ly/3deb9wK
चित्र संदर्भ
1. सूर्यास्त के समय मेंग्रोव जंगल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. कच्छ मैंग्रोव की खाड़ी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. मेंग्रोव जंगल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. प्रवाल भित्तियों, मैक्रोएल्गे, समुद्री घास और मैंग्रोव आवासों के बीच मछली के प्रवास को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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