कर्ण भेदन के पीछे सिर्फ धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक कारण भी है

स्पर्शः रचना व कपड़े
09-07-2022 09:02 AM
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कर्ण भेदन के पीछे सिर्फ धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक कारण भी है

हिंदू धर्म में किए जाने वाले 16 संस्कारों में से कर्णवेध भी एक है,कर्ण भेदन यानि कान छेदना या कान भेदन करना, यह कान छिदवाने की एक प्रथा है (जिसे आधुनिक युग में हम पियर्सिंग (Ear Piercing) भी कहते है) और यह एक बच्चे के लिए किए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण संस्कारों में से एक है। इसलिए, इसका एक व्यक्ति के जीवन में बहुत बड़ा सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है। शास्त्रों के अनुसार,शिशु की बौद्धिक उन्नति और शैक्षणिक विकास के लिए उपनयन संस्कार से पहले कर्णवेधन संस्कार करवाया जाता है।माना जाता है कि कर्णभेदन संस्कार से बच्चे के जीवन में आने वाली नकारात्मकता और समस्याएं दूर होती हैं।
भारतीयों, विशेषकर हिंदुओं में कान और नाक छिदवाने की परंपरा है।पाया गया है कि कान और नाक की पियर्सिंग न केवल एक परंपरा है, बल्कि इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं, विज्ञान यह है कि कान छिदवाने से बुद्धि के विकास, सोचने की शक्ति और निर्णय लेने में मदद मिलती है। आयुर्वेद में, इयरलोब (earlobe) को मानव शरीर का सूक्ष्म जगत भी माना जाता है और इसलिए, कान छिदवाने से कई चिकित्सीय लाभ भी मिलते हैं। नाक छिदवाने के भी कई फायदे होते हैं, हमारे देश के नाक छिदवाने को परंपरा और संस्कृति से जोड़कर देखा जाता है। भारत की महिलाओं के अलावा दुनियाभर के कई समुदायों में महिलाओं और पुरूषों की नाक छिदवाने की परंपरा मौजूद है। नाक छिदवाने का सकारात्मक पहलु यह है कि इससे सेहत को कई तरह के फायदे मिलते हैं। कई वैज्ञानिक समूहों में नाक को छिदवाना रोगों को सही करने की वैकल्पिक प्रक्रिया के तौर माना जाता है। नाक के बाएं नथुने की कई नसें महिला के प्रजनन अंगों से जुड़ी होती हैं। आयुर्वेद में यह माना जाता है कि इस स्थिति में नाक छिदवाने से प्रसव में आसानी होती है।
पियर्सिंग एक परंपरा है जो सदियों से चली आ रही है - विशेष रूप से इयरलोब और निचले होंठ (Ear Lobe and Lower Lip) की पियर्सिंग। दुनिया की कई जनजातियों के लिए, यह एक आवश्यक शारीरिक संशोधन भी है। उत्तरी अमेरिका (North America), अमेज़ॅन (The Amazon), एशिया (Asia), अफ्रीका (Africa), पोलिनेशिया (Polynesia) और न्यूजीलैंड (New Zealand)जैसे विविध स्थानों में ये परंपरा स्वतंत्र रूप से उभरी है। शायद कान की इयरलोब पियर्सिंग मनुष्य का पहला प्रयास था जब उसने शारीरिक संशोधन का प्रयास किया होगा। छेदे हुए कानों और विस्तारित इयरलोब (7-11 मिमी व्यास) के साथ पाया जाने वाला सबसे पुराना ममीकृत शरीर ऑस्ट्रियाई ग्लेशियर में जमे हुए पाया गया था, और परीक्षणों से पता चलता है कि यह 5,000 साल से अधिक पुराना है। माना जाता है की आदिम जनजातियों के बीच पहली बार कान छिदवाने का उदय इस धारणा से हुआ होगा कि कान छिदवाने से राक्षसों और बुरी आत्माओं के प्रवेश को रोका जा सकता है। कई नाविकों ने अपनी दृष्टि में सुधार करने के लिए अपने कान छिदवाए थे, और नाविक ये भी मानते थे कि अगर वे मर गये तो कान के आभूषण उनको दफन करने के लिए काम में आ सकते हैं। कई समाजों में, कान छिदवाने को यौवन का संकेत देने वाले एक अनुष्ठान के रूप में किया जाता है, जिसमें माता-पिता एक कान छिदवाते हैं, जो बच्चे की उन पर निर्भरता का प्रतीक है।
प्राचीन मिस्र वासियों के ममीकृत शरीर में फैले हुए कानलोब पाए जाते हैं। वे खुद को विस्तृत रूप से सजाना भी पसंद करते थे। एक दिलचस्प तथ्य यह है कि केवल फिरौन (pharaoh) को ही अपनी नाभि छिदवाने की अनुमति थी और कोई भी ऐसा करता तो उसे मार दिया जाता था। मिस्र के लोग अपने धन को प्रदर्शित करने और अपनी सुंदरता को दर्शाने के लिए झुमके भी पहनते थे। प्राचीन रोमन में निपल्स पियर्सिंग (Nipples Piercing) के माध्यम से ताकत और पौरूष को दर्शाया जाता था। यह वास्तव में सम्मान का एक प्रतिक था जो रोमन साम्राज्य के प्रति उनके समर्पण को प्रदर्शित करता था।
पियर्सिंग करवाना सदियों से भारत में एक परंपरा रही है। हमारे पूर्वजों ने कभी नहीं सोचा होगा कि हमारी पारंपरिक प्रथाएं एक दिन फैशन की प्रवृत्ति बन जाएंगी या कुछ लोगों के लिए विद्रोह का कार्य करेगी, खासकर पश्चिम के लोगों के लिये। पश्चिम देशों की कई कंपनी में कार्यस्थल पर पियर्सिंग और टैटू अभी भी वर्जित हैं। यदि आप नौकरी चाहते हैं तो टैटू और चेहरे पर पियर्सिंग करना वर्जित है। पियर्सिंग के प्रति अभी भी कई लोगों में नकारात्मक दृष्टिकोण हैं। कुछ देशों में नाबालिगों को शरीर में पियर्सिंग करने के लिए माता-पिता की अनुमति की आवश्यकता होती है। स्कॉटलैंड (Scotland) में 16 साल से कम उम्र के युवाओं के लिए माता-पिता की सहमति की आवश्यकता होती है। यू.एस. (U.S.) में कई राज्यों में भी नाबालिगों को पियर्सिंग के लिए माता-पिता की सहमति की आवश्यकता होती है, कुछ राज्यों में तो पियर्सिंग के दौरान माता-पिता की उपस्थिति भी आवश्यकता होती है। 2006 के टैटू और बॉडी पियर्सिंग के अनुसार, कॉर्पोरेट ड्रेस कोड भी पियर्सिंग को सख्ती से सीमित कर सकते हैं। उस समय, स्टारबक्स (Starbucks) ने पियर्सिंग को कान तक और छोटे गहनों तक सीमित कर दिया था। वॉल्ट डिज़नी पार्क और रिसॉर्ट्स (Walt Disney Parks and Resorts) के कर्मचारियों को पियर्सिंग प्रदर्शित करने की बिल्कुल भी अनुमति नहीं थी। हालांकि इसके बाद 2006 में ही संयुक्त राज्य अमेरिका में रोजगार भेदभाव के मामलों की एक श्रृंखला के बीच, यह स्पष्ट हो गया कि इन ड्रेस कोड की वैधता, पियर्सिंग की व्यापक सामाजिक स्वीकृति पर निर्भर करती है। 2011 की शुरुआत में, कुछ प्रबंधन साहित्य ने स्वीकार किया कि पियर्सिंग करने पर कार्यस्थल से निषेध करना मानव संसाधन विकास को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है, और पियर्सिंग के आधार पर रोजगार भेदभाव अवैध हो सकता है।
कुछ धर्मों में पियर्सिंग को शरीर के लिए विनाशकारी माना जाता है। बाइबल (Bible) के कुछ अंशों की व्याख्या पियर्सिंग को प्रतिबंधित करने के रूप में की गई है क्योंकि शरीर को ईश्वर की संपत्ति माना जाता है। हालांकि बदलते समय के साथ टैटू और पियर्सिंग के प्रति लोगों का नजरिया बदल रहा हैं, रेड हैट ( Red Hat)के अध्यक्ष और सीईओ (CEO) जिम व्हाइटहर्स्ट (Jim Whitehurst) कहते हैं, "रेड हैट एक खुला संगठन है, जो सभी लोगों को स्वीकार करता है और उन्हें खुद को व्यक्त करने का मौक़ा देता है, चाहे आपके पास टैटू हों या पियर्सिंग।बहुत से लोग ऐसी कंपनियों की तलाश करते हैं जो टैटू और पियर्सिंग को अनुमति देती हैं, क्योंकि फैशन के इस दौर में हर कोई टैटू या पियर्सिंग करवा रहा है। 2012 में 21 प्रतिशत लोगों ने टैटू या पियर्सिंग करवाया था।18 से 29 वर्ष की आयु के लोगों में यह संख्या बढ़कर 40 प्रतिशत के करीब पहुंच गई। डेविडसन (Davidson) कहते हैं,कार्यस्थल की पारदर्शिता के लिए कुछ वर्जित करना खतरनाक हो सकता है। हम अक्सर कर्मचारियों की प्रतिक्रिया देखते हैं कि जब वे अपने आप को काम पर आने के लिये सहज महसूस करते हैं, या प्रामाणिक होने के लिए स्वतंत्र महसूस करते हैं तो उनमें रचनात्मकता और नवाचार को बढ़ावा मितला हैं जो उच्चतम गुणवत्ता वाले काम के उत्पादन के लिए आवश्यक है।

संदर्भ:
https://bit.ly/3yMscOy
https://bit.ly/3ORbbYZ
https://bit.ly/3OLCJz3
https://bit.ly/3AFbMch

चित्र संदर्भ
1. एक बच्चे के कर्णभेदन संस्कार को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. तमिलनाडु के पारंपरिक कर्णभेदन संस्कार, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. अपतानी आदिवासी महिलाएं, जीरो को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. मानव कान पर छिदवाने की स्थिति को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. एक नाभि वक्र जिसका उपयोग कान की बाली के रूप में किया जाता है जिसके ऊपर एक हरे रंग का रत्न शामिल होता है, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

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