भारत में ओला और उबेर जैसें राइड हेलिंग ऐप्स का भविष्य

य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला
29-04-2022 09:17 AM
भारत में ओला और उबेर जैसें राइड हेलिंग ऐप्स का भविष्य

आमतौर पर हमारे लखनऊ जैसे बड़े शहरों में, अपने निजी धंधों और कार्यालयों को जाने वाले कर्मचारियों का एक-एक मिनट भी बेहद कीमती होता है। ऐसे में किसी बस या रेलवे स्टेशनों पर, घंटों वाहनों का इतंज़ार करना हमेशा से ही, एक बड़ी समस्या रही है। रात के अंधेरे में पैदल चलकर या कहीं पर खड़े होकर वाहनों का इंतजार करना, कई बार निजी सुरक्षा का मसला बन जाता है! कोरोना महामारी के दौरान तो, सार्वजनिक रूप से सवारी करना भी जान का जोखिम बन चुका था। लेकिन तकनीक के विस्तार के साथ आज यह सब समस्याएं पुराने दिनों की बातें बन चुकी हैं, क्यों की आज आप केवल अपने मोबाइल में एक एप की सहायता से अपने शहर के किसी भी कोने में किसी भी समय टैक्सी मंगा सकते हैं। चलिए जानते हैं की, वर्तमान में भारत में इस क्रांतिकारी परिवहन सुविधा की क्या स्थिति हैं?
मोबाइल फोन के माध्यम से कैब या बाइक टैक्सी बुक करने की प्रक्रिया, परिवहन क्षेत्र में क्रांतिकारी साबित हुई। परिवहन के क्षेत्र में आए इस नवाचार को देश में हाथोहाथ अपनाया गया, इसके बाद टैक्सी बुक करने के लिए राइड-हेलिंग ऐप (ride-hailing app) ने स्थानीय यात्रा को अनुकूल किराए प्रदान करके पूरे आवागमन बाजार को तेजी से बदलना शुरू कर दिया। आज ऐप की मदद से एक बटन के टैप द्वारा ही, जीपीएस (GPS) के माध्यम से सवारी बुक हो जाती, और उपयोगकर्ता कार्ड से लागत स्वचालित रूप से कट जाती थी। शुरुआत में जब इस उद्योग से कम वाहन जुड़े थे, उस दौरान एक ही समय में सवारी की अनेक मांगों को पूरा करना एक चुनौती थी। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, ड्राइवरों ने राइड-हेलिंग ऐप डाउनलोड करने के साथ ही, सवारी ढूँढने की स्वैच्छिक पहल करना शुरू कर दिया। आज की तस्वीर को देखते हुए, हम कह सकते हैं कि फोन के माध्यम से टैक्सी बुक करने और परिवहन करने से आसान कुछ भी नहीं है।
वर्तमान में दुनिया बड़े बदलावों का सामना कर रही है, चाहे वह वाहनों में ट्रांसमिशन वरीयता (transmission preference) हो या उनमें इस्तेमाल होने वाले ईंधन का प्रकार हो। इस संदर्भ में, बिजली अब एक महत्वपूर्ण ईंधन के रूप में उभरकर सामने आ रही है, जिसे सबसे कुशल और प्रकृति के अनुकूल ईंधन विकल्पों में से एक माना जाता है। टिकाऊ ऊर्जा का यह पुनरुत्थान न केवल हमारी जेब पर पड़ने वाले लागत भार को कम कर सकता है बल्कि प्रकृति को दूषित होने से भी रोकेगा।
ऑटोमोटिव कंपनियों द्वारा पहले ही कहा जा चुका है कि, आनेवाले समय में इलेक्ट्रिक वाहनों में परिवहन की कीमत आपको एक रुपये प्रति किलोमीटर से भी कम पड़ेगी। भारत जैसे तेज गति वाले देश में ईवी का उदय बहुत अपेक्षित माना जा रहा है। कंपनियां धीरे-धीरे अधिक तीव्रता के साथ इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना शुरू कर रही हैं, और इसके कारण जल्द ही, दहन ईंधन (combustion fuel) आधारित वाहनों की पूरी संरचना को बिजली से चलने वाले वाहनों से बदल दिया जाएगा, जो उपभोक्ताओं और ड्राइवरों दोनों को लाभान्वित करेगा। आज लोग स्टेशन पर खड़े होने और वाहन की तलाश करने के बजाय, ऑनलाइन बाइक और ऑटो टैक्सी बुकिंग के लिए अधिक इच्छुक देखे जा रहे हैं। गोल्डमैन साच्स (Goldman Sachs) द्वारा अनुमान लगाया गया है कि, 2030 तक वैश्विक राइड-हेलिंग उद्योग (global ride-hailing industry), आठ गुना बढ़कर 285 बिलियन डॉलर हो जाएगा, जिससे यह एक अविश्वसनीय रूप से आकर्षक बाजार बन जाएगा। हालांकि अपने अनेक लाभों के साथ, इस उद्योग के कुछ नुकसान भी देखने को मिल रहे हैं, जो इसके विकासक्रम में एक चुनौती खड़ी कर सकते हैं!
इस समस्या को एक प्रसंग से समझते हैं: उबर कैब (Uber) बुक करने वाले 36 वर्षीय विक्रम शुक्ला ने 10 मिनट के इंतजार के बाद देखा कि ड्राइवर ने उनकी सवारी रद्द कर दी है। शुक्ला को तुरंत कोई अन्य कैब नहीं मिली और उन्हें उबर के बराबर कीमत पर ऑटो की सवारी करनी पड़ी। इस दौरान उन्होंने अपने 15 मिनट बर्बाद किए। विक्रम शुक्ल की कहानी कोई इकलौता मामला नहीं है, क्योंकि लॉकडाउन के बाद कई अन्य राइडर्स (Riders) भी इसी अनुभव से गुजर रहे हैं, क्योंकि महामारी के बाद इन सेवाओं में गिरावट आई थी।
ये घटनाएं, सवारी बाजार में गहराते संकट की ओर इशारा कर रही हैं, जिसमें पिछले एक दशक में भारी वृद्धि देखी गई है। “कोविड महामारी ने बाजार को लंबे समय तक बाधित रखा है। मार्च 2020 के बाद चीजें बदल गईं और कंपनी ने ड्राइवरों के प्रॉफिट मार्जिन (profit margin) को और कम कर दिया। लोग कोविड के बाद हालात सुधरने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन आज भी बाजार में सुधार नहीं हुआ है, जिस कारण कई ड्राइवर इस उद्योग को छोड़ रहे हैं। बाजार में घटते रुझान का एक कारण यह भी है की, 2014-18 के बीच, जब बाजार में उछाल आया, उस दौरान ईंधन की कीमत कम थी। लेकिन आज कीमतें बढ़ गई हैं, और ड्राइवरों को बढ़ती कीमतों का दर्द सहना पड़ रहा है! इसके अलावा, 2015 के दौरान जब उबर, भारतीय बाजार में पैठ बना रही थी। उस समय उसने अपने बाजार का विस्तार करने के लिए ड्राइवरों को अच्छे प्रोत्साहन की पेशकश की। लेकिन अब चीजें काफी बदल गई हैं। फिनट्रैकर (fintracker) की एक रिपोर्ट के अनुसार, महामारी के बाद उबर ने अपनी विज्ञापन लागत में लगभग 50% की कटौती की थी। हाल ही में, कंपनी ने दिल्ली-एनसीआर में 12% और कुछ अन्य महानगरों में 15 प्रतिशत की वृद्धि की है, लेकिन इस संदर्भ में ड्राइवरों ने तर्क दिया कि बढ़े हुए यात्रा किराए से होने वाला लाभ कंपनी को ही जाएगा। संकट सिर्फ उबर जैसी बड़ी कंपनी पर ही नहीं है, बल्कि हर दूसरे कैब सर्विस प्रोवाइडर (cab service provider) को इसी तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
वर्तमान में, ऐप-आधारित टैक्सी सेवा प्रदाता जैसे ओला, उबर और रैपिडो आदि, आधुनिक जीवन शैली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए हैं। हालाँकि इस बीच ड्राइवरों द्वारा सवारी रद्द करने या डिजिटल के बजाय नकद भुगतान की मांग में वृद्धि हुई है। इसके अलावा, अन्य मुद्दों जैसे लंबे समय तक प्रतीक्षा करना, चालक दुर्व्यवहार, अत्यधिक वृद्धि शुल्क, और इन ऐप-आधारित टैक्सी सेवाओं के सुरक्षा प्रोटोकॉल की चुनौतियां भी सामने आई हैं। 2017 में, सुप्रीम कोर्ट द्वारा कहा गया कि, ऐप-आधारित परिवहन सेवा प्रदाताओं को विनियमित रहने और महिला यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना जरूरी है। जिसके बाद ओला और उबेर दोनों ने 24x7 सुरक्षा हेल्पलाइन पेश की थी। हालांकि,उपभोक्ताओं में टैक्सी एग्रीगेटर ऐप के लिए नकारात्मक भावनाएं अभी भी बनी हुई हैं, जिसमें प्रमुख चिंताओं के बीच सवारी रद्दीकरण, सर्ज मूल्य निर्धारण, ग्राहक सेवा और सुरक्षा शामिल है।
LocalCircles द्वारा किये गए एक सर्वें में भारत के 324 जिलों में रहने वाले ऐप टैक्सी उपयोगकर्ताओं से 65,000 से अधिक प्रतिक्रियाएं मिलीं। इनमें से 66% प्रतिभागी पुरुष थे जबकि 34% महिलाएं थीं। सर्वेक्षण में पहला सवाल उपभोक्ताओं से पूछा गया कि पिछले 12 महीनों में उन्होंने ऐप-आधारित टैक्सियों में कितनी बार यात्रा की। जवाब में, 2% ने कहा कि उन्होंने पिछले 12 महीनों में ऐप-आधारित टैक्सी में "100 से अधिक बार" यात्रा की है। 1% ने कहा कि उन्होंने "51-100 बार" यात्रा की है, 5% ने कहा "26-50 बार", 3 % ने "11-25 बार" कहा, 13% ने "6-10 बार" कहा, और 34% ने इस वर्ष "1-5 बार" कहा।
जबकि 42% ने कहा कि उन्होंने "इस साल ऐप-आधारित टैक्सी में यात्रा नहीं की है"। उत्तरदाताओं ने बताया कि पिछले 12 महीनों में उनके ऐप टैक्सियों का उपयोग करने का सबसे बड़ा कारण “सुविधा” है। पिछले 12 महीनों में ऐप टैक्सियों का उपयोग करने के शीर्ष कारणों के बारे में पूछे जाने पर, जवाब में, 27% उपभोक्ताओं ने कहा कि वे "सुरक्षा कारणों से सार्वजनिक परिवहन का उपयोग नहीं करना चाहते थे", और 17% के पास "व्यक्तिगत वाहन नहीं थे। 21% ने कहा कि उन्होंने "उन्हें सुविधाजनक पाया", और 23% ने उन्हें "सुरक्षित और सुविधाजनक" पाया। 10% ने "अन्य कारणों" का हवाला दिया। सर्वेक्षण के निष्कर्ष बताते हैं कि इनके उपयोग का "सुविधा" शीर्ष कारण है। अगले प्रश्न ने ऐप टैक्सी उपयोगकर्ताओं से पिछले 12 महीनों में ऐप-आधारित टैक्सी लेते समय आम अनुभव जसे मास्किंग,सामाजिक दूरी और स्वच्छता या स्वच्छता के COVID प्रोटोकॉल के अनुपालन के संबंध के बारे में पूछा गया। जवाब में, इस साल ऐप-आधारित टैक्सी लेने वाले 35% लोगों ने कहा कि मास्किंग, सामाजिक गड़बड़ी और स्वच्छता का अनुपालन "अच्छा" था, 11% ने कहा कि यह "औसत" था, और 7% ने कहा कि यह "खराब" था। कुल मिलाकर, पिछले 12 महीनों में 60% ऐप टैक्सी उपयोगकर्ता मास्किंग से खुश हैं। हालांकि ग्राहक ड्राइवरों के सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) अनुपालन में सुधार की मांग करते हैं।

संदर्भ
https://bit.ly/3xVttCQ
https://bit.ly/38qnlI3
https://bit.ly/3rXypn4
https://bit.ly/3MwwvSb

चित्र संदर्भ
1  मोबाइल फोन के माध्यम से बुक कैब या बाइक टैक्सी को दर्शाता एक चित्रण (pxhere)
2. उबेर कार को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. उबेर ग्राहक को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. ओला टुक-टुक को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. मास्क पहने ड्राइवर को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
6. कैब ड्राइवर को दर्शाता एक चित्रण (flickr)

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