हमारे लखनऊ में फलों के राजा का सम्मान! भारत का पहला आम संग्रहालय यहां आ रहा है

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हमारे लखनऊ में फलों के राजा का सम्मान! भारत का पहला आम संग्रहालय यहां आ रहा है

हम भारतीयों में से कई की बचपन की कोई ना कोई याद आम के पेड़ों से जुड़ी हुयी है, जिसमें आम की शाखाओं में झूलना और इन मायावी आमों को तोड़ने के लिए कई असफल प्रयास करना शामिल है। गर्मियों के आगमन के साथ ही पेड़ों पर आम्र मंजरी आ जाती हैं और मध्‍य गर्मियां तक पके हुए आमों की खूशबू हवाओं में फैल जाती है और घरों में आमों से विभिन्‍न व्‍यंजन तैयार किए जाते हैं। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि आम को सही मायने में फलों का राजा कहा जाता है। यदि आप आम-प्रेमी हैं, तो जल्द ही इसके स्वाद से ऊपर उठकर फलों के राजा के बारे में इतिहास, उत्पादों और अन्य कम ज्ञात तथ्यों को करीब से जान सकेंगे। अब हमारे लखनऊ में होगा'फलों के राजा' का सम्मान! भारत का पहला आम संग्रहालय शहर में आ रहा है।भारत और दुनिया भर के आमों की लगभग 800 किस्में यहां एक मॉडल या तस्वीर के रूप में प्रदर्शित की जाएंगी!
लखनऊ स्थित आईसीएआर (ICAR) प्रयोगशाला केंद्रीय उपोष्णकटिबंधीय बागवानी संस्थान (सीआईएसएच) (CISH) आम की किस्मों के अपने विशाल संग्रह को प्रदर्शित करने के लिए एक संग्रहालय विकसित कर रहा है। इसमें फलों की अंतरराष्ट्रीय किस्में भी प्रदर्शित की जाएंगी। लगभग 80 देशों ने आमों पर डाक टिकट जारी किए हैं। आगामी संग्रहालय में डाक टिकट संग्रह में रुचि रखने वाले लोगों के लिए एक कोने में डाक टिकट भी प्रदर्शित किए जाएंगे। यह संग्रहालय बच्चों और कृषि के प्रति उत्साही तथा किसानों को समान रूप से आकर्षित करते हुए, अपने आगंतुकों को फलों की किस्मों, औषधीय मूल्य, उत्पादों, इतिहास और अन्य अल्पज्ञात तथ्यों के बारे में जानने में मदद करेगा। दुनिया में आमों की लगभग 1500 किस्में हैं या यह तथ्य कि इनमें से आधे से अधिक हमारे शहर के इस विशेष संग्रहालय में प्रदर्शित होंगे। सीआईएस के निदेशक राजन ने कहा, "संग्रहालय में फाइटोकेमिकल्स (phytochemicals) के औषधीय गुणों के विवरण वाले डेटाबेस (database) तक पहुंचा जा सकता है। आम से बने महत्वपूर्ण उत्पादों और फलों के राजा के पोषक मूल्य का विवरण भी चित्रित किया जाएगा।" आगे वे कहते हैं, "आम (पेड़) को कुछ एंटी-वायरल (anti-viral), एंटी-बैक्टीरिया (anti-bacterial), एंटी-कार्सिनोजेनिक बायोएक्टिव (anti- carcinogenic bioactive) यौगिक का स्‍त्रोत माना जाता है और उनमें से कुछ को कोरोनोवायरस (coronavirus) के खिलाफ प्रतिरक्षा-बढ़ाने में प्रभावी पाया गया है।
" इस बीच, सीआईएसएच यह सुनिश्चित करने के लिए श्रव्‍य-दृश्‍य साधनों का भी उपयोग करेगा,इसका उद्देश्‍य सभी जानकारी को खोजने में दिलचस्प बनाना और डाटा को लंबे समय तक आसानी से संग्रहित करना है। इस केंद्र को देश और दुनिया के प्रमुख आम उत्पादक क्षेत्रों की जानकारी के भंडार के रूप में विकसित किया जाएगा। संग्रहालय के एक हिस्से में आम पर हमला करने वाले कई कीटों और बीमारियों को भी दर्शाया जाएगा। हालाँकि, जहाँ भारतीय इस रसदार फल की खेती 4000 से अधिक वर्षों से कर रहे हैं, वहीं पश्चिमी दुनिया ने पिछले 400 वर्ष पहले ही इसका स्वाद चखा है!आम की उत्‍पत्ति भारत से ही मानी जाती है, वैज्ञानिक जीवाश्म साक्ष्य इंगित करते हैं कि आम सर्वप्रथम 25 से 30 मिलियन वर्ष पहले पूर्वोत्तर भारत, म्यांमार और बांग्लादेश में दिखाई दिए थे, जहां से इसे दक्षिण भारत ले जाया गया।आम को दिया गया पहला नाम अमरा-फल था। इसे प्रारंभिक वैदिक साहित्य में रसला और सहकार के रूप में भी जाना जाता है, और इसके बारे में बृहदारण्यक उपनिषद और पुराणों में लिखा गया है, इनमें आम के पेड़ों की कटाई की निंदा की गयी है। दक्षिण भारत पहुंचने के बाद इसे यहां आम-काय (तमिल) के नाम से पुकारा गया जो बाद में अपभ्रंशित होकर माम्काय बन गया। मलयाली लोगों ने इसे आगे बदलकर मांगा कर दिया। केरल में आगमन पर पुर्तगाली इस फल से मोहित हो गए और इसे आम के रूप में दुनिया के सामने पेश किया।
बौद्ध धर्म के उदय के साथ, इसके अनुयायियों के बीच आम विश्वास और समृद्धि का प्रतिनिधित्व करने लगा, क्योंकि बुद्ध और आम के पेड़ों के बारे में कई किंवदंतियाँ थीं। बौद्ध शासकों के बीच, आमों का आदान-प्रदान उपहार के रूप में किया जाता था और यह कूटनीति का एक महत्वपूर्ण उपकरण बन गया। इस अवधि के दौरान, बौद्ध भिक्षु फल को लोकप्रिय बनाने के लिए जहां भी जाते थे, अपने साथ आम ले जाते थे।प्राचीन भारत के शुरुआती यात्री मेगस्थनीज (Megasthenes) और ह्वेन-त्सांग ने लिखा है कि कैसे प्राचीन भारतीय राजाओं, विशेष रूप से मौर्यों ने अपनी समृद्धि के प्रतीक के रूप में सड़कों और राजमार्गों के किनारे आम के पेड़ लगाए। उन्होंने फल के अविश्वसनीय स्वाद के बारे में भी लिखा, आम को भारत के बाहर के लोगों के समक्ष प्रस्‍तुत किया। मुंडा आदिवासियों और स्वामी चक्रधर के दत्तराय संप्रदाय ने भी इस फल को प्राचीन भारत की जनता तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। मध्ययुगीन काल में, अलाउद्दीन खिलजी आम के पहले संरक्षक बने। मुगल सम्राट का आम के प्रति लगाव अछ्भूत था। आम के प्रति जुनूनी प्रेम, वास्तव में, एकमात्र विरासत थी जो मुगल वंश में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक हस्‍तांतरित होती रही।प्रसिद्ध फ़ारसी कवि अमीर खुसरो ने आम को नग़ज़ा तारिन मेवा हिंदुस्तान कहा, अर्थात यह हिंदुस्तान का सबसे अच्छा फल है।जहांगीर और शाहजहाँ ने आम पन्ना, आम का लौज़ और आम का मीठा पुलाव जैसी अनूठी कृतियों के लिए अपने खानसामा को पुरस्कृत किया। नूरजहाँ ने अपनी प्रसिद्ध मदिरा बनाने के लिए आम और गुलाब के मिश्रण का इस्तेमाल किया। पीले-सुनहरे चौसा आम को हुमायूँ पर शेर शाह सूरी की जीत का जश्न मनाने के लिए पेश किया गया था, जबकि सुस्वादु दशहरी आम का जन्म रोहिल्ला सरदारों के लिए हुआ था।
मराठों के पेशवा रघुनाथ पेशवा ने मराठा वर्चस्व के संकेत के रूप में 10 मिलियन आम के पेड़ लगाए। लोककथाओं में कहा गया है इन्‍हीं पेड़ों में आमों के राजा, प्रसिद्ध अल्फांसो का जन्‍म हुआ। यूरोपीय (european) लोगों के आगमन ने आम की स्थिति को प्रभावित किया, जो साम्राज्य निर्माता की अपनी स्थिति से गिरकर केवल एक फल बन गया - कूटनीति के मामलों में अंग्रेजों के लिए इसका कोई उपयोग नहीं था। हालांकि इसने अपने स्वाद की श्रेष्ठता को बरकरार रखा, कई किस्में दृश्य से गायब हो गईं जबकि कई नई उभरीं। कालांतर में, आम एक घरेलू फल बन गया और इसकी स्तुति में गीत गाए जाने लगे थे। रवींद्रनाथ टैगोर आमों के बेहद शौकीन थे और उन्होंने आम के सुगंधित फूलों के बारे में कई कविताएँ लिखी हैं, जिनमें बहुप्रसिद्ध आमेर मंजरी भी शामिल है। महान उर्दू कवि मिर्जा असदुल्ला खान गालिब भी आम के शौकीन थे; उसने उन लोगों का तिरस्कार किया जिन्होंने फल के लिए उसकी लत को साझा नहीं किया।आज, आम की सुडौल आकृति, जो लंबे समय से बुनकरों और डिजाइनरों के आकर्षण का केंद्र रही है, एक प्रतिष्ठित भारतीय आदर्श बन गई है। आम को सौभाग्य और समृद्धि के प्रतीक के रूप में देखा जाता है और भारत के कई हिस्सों में आम के पत्तों को घरों के सामने के दरवाजे पर तोरण के रूप में लटकाया जाता है ।

संदर्भ:
https://bit।ly/393mWM7
https://bit।ly/3rYlNMz
https://bit।ly/3KZzTED

चित्र संदर्भ
1.हाथ में आमों को पकडे किसान को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. लखनऊ स्थित आईसीएआर (ICAR) प्रयोगशाला को दर्शाता एक चित्रण (Max Pixel)
3. आम विक्रेता को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. खेतों में आम तोड़ती मुग़ल महिलाओं को दर्शाता एक चित्रण (facebook)
5. कटे हुए आमों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

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