लखनऊ स्थित गन्ना अनुसंधान संस्थान मापता है भारत में गन्ना उत्पादन के प्रभाव व् रोजगार

साग-सब्जियाँ
26-03-2022 11:12 AM
Post Viewership from Post Date to 01- May-2022
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1768 199 1967
लखनऊ स्थित गन्ना अनुसंधान संस्थान मापता है भारत में गन्ना उत्पादन के प्रभाव व् रोजगार

गन्ना‚ भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है‚ क्योंकि यह चीनी‚ कागज‚ रसायन और पशु चारा के साथ साथ शराब बनाने वाले उद्योगों के लिए भी कच्चा माल प्रदान करता है। गन्ने की खेती का सबसे महत्वपूर्ण और आवश्यक घटक मानव श्रम को माना जाता है‚ इसलिए मानव श्रम कानूनों के संचालन की निगरानी करने के लिए एक विशेष प्रणाली का निर्माण किया जाना चाहिए। विभिन्न उद्योगों में गन्ने और उसके बहुउद्देश्यीय उपयोग के कारण गन्ने के उत्पादन में वृद्धि की मांग बढ़ रही है।
भारत गन्ना उत्पादन में रोजगार के अवसर भी प्रदान करता है। भारत में 50 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गन्ने की खेती कुल फसल क्षेत्र के लगभग 2.57 प्रतिशत पर की जाती है। यह लगभग 60 लाख गन्ना उत्पादकों को रोजगार और आजीविका प्रदान करता है‚ साथ ही इससे जुड़े उद्योगों में लाखों लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार भी मिलता है। भारत में गन्ने की खेती के क्षेत्र में लगातार विकास होता आ रहा है। 1950-51 में फसल क्षेत्रफल केवल 17.07 लाख हेक्टेयर था लेकिन‚ 2018-19 में फसल क्षेत्रफल में वृद्धि हुई और यह 51.11 लाख हेक्टेयर हो गया। 70 के दशक के मध्य तक गन्ने का उत्पादन लगभग 123.86 मिलियन टन था‚ जो 2018-19 में बढ़कर 400.15 मिलियन टन तक पहुंच गया। भारत देश में सबसे अधिक मात्रा में गन्ने का उत्पादन उत्तरप्रदेश राज्य में होता है‚ इसीलिए उत्तर प्रदेश को देश का प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्य कहा जाता है‚ जो लगभग 22 लाख हेक्टेयर गन्ने की खेती के लिए संदर्भित है। इसके बाद दूसरे स्थान पर सबसे अधिक गन्ना उत्पादन करने वाला राज्य महाराष्ट्र है‚ जो लगभग 8.98 लाख हेक्टेयर फसल का उत्पादन करता है। कर्नाटक‚ तमिलनाडु‚ गुजरात और आंध्र प्रदेश जैसे उष्णकटिबंधीय क्षेत्र अन्य प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों में शामिल हैं। उत्तरप्रदेश के अलावा उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्र में बिहार‚ हरियाणा‚ उत्तराखंड और पंजाब गन्ने के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं। गन्ना लंबी अवधि की श्रम प्रधान फसल है‚ जिसके लिए उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्र में प्रति हेक्टेयर 150-180 श्रम दिवस और उष्णकटिबंधीय दक्षिण क्षेत्र में लगभग 250-300 श्रम दिवस की आवश्यकता होती है। गन्ने की खेती में अधिकांश कार्य मानविक रूप से किए जाते हैं और मशीनरी का उपयोग अधिकांश किसानों द्वारा केवल खेत की मिट्टी को तैयार करने जैसे कार्यों तक ही सीमित है। हालांकि मशीनीकरण होने से कृषि सहित अन्य कई क्षेत्रों में विकास हुआ है‚ लेकिन मशीनीकरण को एक प्रमुख श्रम-विस्थापन तकनीकी परिवर्तन माना जाता है‚ क्योंकि मशीनीकरण होने से लगभग हर क्षेत्र में मानव का कार्य अब मशीन को सौंप दिया गया है और मशीन ने मानव को विस्थापित कर दिया है तथा मानव अब बेरोजगारी की तरफ अग्रसर है‚ लेकिन इसके साथ ही सिंचाई/जल-बचत और रोपण विधियों में मशीनों को श्रम-वृद्धि परिवर्तन के रूप में भी माना जाता है‚ क्योंकि प्रौद्योगिकी द्वारा सहायता प्राप्त होने से उत्पादकता में सुधार‚ बेहतर रोपण विधियों जैसे ट्रेंच प्लांटिंग (Trench Planting)‚ ड्रिप सिंचाई (Drip Irrigation) और मशीनीकृत कटाई जैसी कई अन्य मुख्य आवश्यकताओं में विकास हुआ है‚ जिससे उत्पादन की गति में वृद्धि होती है। गन्ना एक महत्वपूर्ण औद्योगिक फसल है जो देश के कुल कृषि उत्पादन का लगभग 7 प्रतिशत हिस्सा है इसकी फसल लगभग सभी राज्यों में उगायी जाती है।
भारत में चीनी उद्योग एक बड़ा और महत्वपूर्ण व्यवसाय है‚ जिसका उत्पादन प्राचीन काल से ही होता चला आ रहा है। भारत में अधिकांश चीनी उत्पादन स्थानीय सहकारी चीनी मिलों में होता है। पिछले पेराई सत्र में लगभग 525 मिलों ने 30 मिलियन टन से अधिक चीनी का उत्पादन किया गया था। गन्ना चीनी के निर्माण के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण स्त्रोत है। गन्ने के उत्पादन में वृद्धि होने पर चीनी के उत्पादन में भी वृद्धि होती है। यह कपड़े के बाद दूसरे सबसे बड़े कृषि आधारित उद्योग के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराता है। चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक ब्राजील (Brazil) है तथा उसके बाद चीनी के सबसे बड़े उत्पादक के रूप में दूसरा स्थान भारत का है। विश्व में गन्ना उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय दोनों जलवायु में 120 से अधिक देशों में उगाया जाता है। संपूर्ण विश्व में गन्ने के कुल उत्पादन का लगभग 63 प्रतिशत क्षेत्र और 64 प्रतिशत उत्पादन ब्राजील‚ भारत और चीन (China) से होता है। गन्ने का उत्पादन वर्ष 1961 में 110 मिलियन टन से बढ़कर वर्ष 2019 में 405 मिलियन टन हो गया था। गन्ना वर्ष 1961 में 2413 हजार हेक्टेयर कृषि क्षेत्रफल में उगाया गया था और वर्ष 2019 में इसे 5061 हजार हेक्टेयर कृषि क्षेत्रफल में उगाया गया। गन्ने के उत्पादन के साथ साथ गन्ने की गुणवत्ता में भी वृद्धि होती है। भारत में चीनी का उत्पादन “भारतीय चीनी मिल संघ” (Indian Sugar Mills Association‚ (ISMA))‚ “अखिल भारतीय चीनी व्यापार संघ” (All India Sugar Trade Association‚ (AISTA))‚ “राष्ट्रीय शर्करा संस्थान” (National Sugar Institute‚ (NSI))‚ “द शुगर टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन ऑफ इंडिया” (The Sugar Technologists Association of India‚ (STAI)) आदि जैसे बड़े बड़े कारखानों में किया जाता है।
चीनी का निर्यात अगस्त माह की शुरुआत में 50 लाख टन को पार कर गया‚ जिसमें इंडोनेशिया (Indonesia) सबसे अधिक मात्रा में गन्ने का खरीदार रहा। 2022 में चीनी के सीजन के लिए गन्ने का “उचित और लाभकारी मूल्य” (Fair and Remunerative Price) बढ़कर 290 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। हालांकि‚ इसके मूल्य का मुद्दा काफी महत्वपूर्ण बना हुआ है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी (Credit Rating Agency) इंफोमेरिक्स वैल्यूएशन एंड रेटिंग (Infomerics Valuation & Rating) द्वारा गुरुवार को एक रिपोर्ट जारी की गई‚ जिसमें कहा गया है कि चीनी उद्योग का भविष्य बहुत लाभकारी लग रहा है‚ लेकिन चीनी की रिपोर्ट के अनुसार कुछ स्थायी चिंताओं पर तुरंत ध्यान देने की बहुत आवश्यकता है‚ जिसमें कहा गया है कि सरकार इसके आकार को ध्यान में रखते हुए सक्रिय और सहायक रही है और आगे भी रहेगी‚ लेकिन इससे जुड़ी आजीविकाओं की संख्या तथा “उचित और लाभकारी मूल्य”‚ “न्यूनतम समर्थन मूल्य” (Minimum Support Price) और गन्ना बकाया के संबंध में समस्याओं के समाधान पर बहुत ज्यादा ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी के सीजन 2021 के लिए चीनी का उत्पादन 310 लाख मीट्रिक टन था। 2020-21 के लिए गन्ने का उत्पादन 3993 लाख टन होने का अनुमान है‚ जबकि गन्ना राजस्व पिछले एक दशक में दोगुना से अधिक हो गया है‚ जो 2011 के चीनी के सीजन में 1391 रुपये प्रति टन से बढ़कर 2021 के चीनी के सीजन में 2850 रुपये प्रति टन हो गया है।
सरकार चीनी उद्योग के लिए ‘उचित और लाभकारी मूल्य’ तथा ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ बढ़ाने और इथेनॉल (Ethenol) के लिए ईंधन उत्पादन के कुशल तरीकों को बढ़ावा देने में काफी हद तक सहायता कर रही है। सरकार ने गन्ने का उत्पादन करने वाले किसानों के हितों का काफी ध्यान रखा है‚ लेकिन साथ ही चीनी मिलों की चिंताओं को भी दूर करने की आवश्यकता है। उद्योग संगठन “इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन” (Indian Sugar Mills Association‚ (ISMA)) सरकार पर चीनी का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) मौजूदा 31 रुपये प्रति किलो से बढ़ाकर 35 रुपये प्रति किलो करने का दबाव बना रहा है।

संदर्भ:
https://bit.ly/3Nenyhs
https://bit.ly/3iv75r9
https://bit.ly/3Lt2HFF
https://bit.ly/3NkykTu

चित्र संदर्भ
1. लखनऊ स्थित गन्ना अनुसंधान संस्थान को दर्शाता एक चित्रण (facebook)
2. भारत में राज्यों के अनुसार प्रति मिलियन टन गन्ने के उद्पादन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. चीनी मिल में गन्ने की तुलाई को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. “अखिल भारतीय चीनी व्यापार संघ” (All India Sugar Trade Association‚ के लोगो को दर्शाता एक चित्रण (aista)
5. 2016 में गन्ना उद्पादन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

पिछला / Previous

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.