भगवान विष्णु के दशावतारों में निहित वैज्ञानिक दृष्टिकोण, होलिका दहन की प्रथा से सम्बन्ध

विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)
17-03-2022 11:14 AM
Post Viewership from Post Date to 17- Apr-2022
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2586 289 2875
भगवान विष्णु के दशावतारों में निहित वैज्ञानिक दृष्टिकोण, होलिका दहन की प्रथा से सम्बन्ध

" यदा-यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥"
उक्त श्लोक के अनुसार महाभारत के रणक्षेत्र में दुखी और विलाप करते अर्जुन को, ढांढस बंधाते हुए भगवान कृष्ण कहते हैं कि "जब-जब इस पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है, विनाश अपने चरम पर होता है और अधर्म आगे बढ़ता है, तब-तब मैं इस पृथ्वी पर आता हूँ और इस पृथ्वी पर अवतार लेता हूँ।"
और अपने इन कथनों को कृष्ण के रूप में भगवान विष्णु ने समय-समय पर अपने दस अवतारों से सिद्ध भी किया। श्री हरी के इन दस अवतारों को शास्त्रों में दशावतार से सम्बोधित किया जाता है। तीनों त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) में भगवान विष्णु को ब्रह्मांड का रक्षक माना जाता है। और उनके द्वारा इस भूमिका के अनुरूप, आवश्यकता पड़ने पर धरती पर अवतार (मुख्य रूप से दस) भी लिए हैं, जिनकी सूची एवं विशेषताएँ निम्नवत दी गई हैं। 1. मत्स्य या मछली अवतार: भगवान विष्णु का पहला अवतार मत्स्य अवतार माना जाता है, जहाँ उन्होंने एक मछली का रूप धारण किया। किंवदंती के अनुसार जब दुष्ट असुर राजा हयग्रीव के अत्याचार बढ़ने लगे, तो भगवान विष्णु ने एक छोटी मछली का रूप धारण किया, और राजा सत्यव्रत (मनु) के कुंडलम (पानी के कटोरे) में प्रवेश किया। लेकिन उस मछली का आकार बड़ी तेज़ी से, असामान्य रूप से बढ़ने लगा। मछली के आकार को असामान्य रूप से बढ़ता देख राजा चकित रह गए गए।
फिर उन्होंने इस मछली को एक बड़े पानी के बर्तन में स्थानांतरित कर दिया, फिर एक तालाब में, लेकिन अंत में उन्होंने पाया की इस विशालयकाय मछली को तो केवल समुद्र ही संभाल सकता है। जब उन्हें मछली की दिव्यता का आभास हो गया तो, श्री हरी विष्णु ने मनु के समक्ष अपना असली रूप प्रकट किया। जिसके पश्चात् उन्होंने मनु से कहा कि सृष्टि के अगले चक्र में प्रवेश का समय आ गया है। अतः उन्होंने मनु को पृथ्वी पर सभी प्रजातियों के एक उदाहरण और सात महान ऋषियों (सप्तऋषि) और नागों के राजा, वासुकी को एक साथ इकट्ठा करने का निर्देश दिया। एक सप्ताह के भीतर एक भयंकर बाढ़ आएगी, जो पृथ्वी को डुबोने के लिए पर्याप्त होगी। हरी के कथनों के अनुरूप ही एक भयंकर भारी बाढ़ आई और भगवान ने असुर हयग्रीव को मार डाला। फिर, विष्णु ने मनु के पास एक बड़ी नाव भेजी, जिस पर मनु, सप्तऋषि और सभी प्रजातियाँ सवार हो गई।
विष्णु के अवतार मछली के सींग से नाव को बाँधने के लिए वासुकी ने रस्सी का काम किया। इस प्रकार, भगवान विष्णु ने बुराई को समाप्त कर दिया और पृथ्वी पर जीवन के एक नए चक्र के फलने-फूलने का मार्ग प्रशस्त किया। आज विज्ञान ने भी साबित किया है कि, पृथ्वी पर सबसे पहले जीवन जलीय रूप में था। इस प्रकार भगवान विष्णु के इस प्रथम अवतार के साथ मानव विकास की प्रक्रिया शुरू होती है। 2. कूर्म अर्थात कछुए अवतार: एक बार जब इंद्र सहित सभी देवता, असुरों के अत्याचारों से प्रताड़ित होकर भगवान विष्णु के पास गए, तो भगवान ने उन्हें दिव्य महासागर का मंथन करने का सुझाव दिया। ऐसा करने से उन्हें अमृत का घड़ा मिल जायेगा, जिसे पीने से वे अजेय हो जाते और असुरों को परास्त कर सकते थे। लेकिन देवता जानते थे कि वे अकेले समुद्र मंथन नहीं कर सकते, इसलिए उन्हें असुरों की मदद लेनी पड़ी। जिसके बदले में देवताओं ने आधा अमृत असुरों को देने का वादा किया।
भोले-भाले असुर तुरंत राजी हो गए। मंडेरा पर्वत की सहायता से समुद्र मंथन किया गया और देवों और असुरों ने नागों के राजा वासुकी को पर्वत में लपेटकर समुद्र का मंथन करने का फैसला किया। लेकिन यह पहाड़ बिना किसी आधार के समुद्र में डूब सकता था, इसलिए भगवान विष्णु ने विशाल कछुआ का रूप धारण कर लिया, और समुद्र के नीचे जाकर पर्वत को अपनी पीठ पर टिका लिया। समुद्र मंथन के परिणामस्वरूप विभिन्न वस्तुएँ प्रकट हुईं, जिनमें घातक विष हलाहल, दिव्य गाय कामधेनु, दिव्य वृक्ष कल्पवृक्ष आदि शामिल थे। अंत में, दिव्य वैद्य धन्वंतरि, हाथ में अमृत के बर्तन के साथ प्रकट हुए। अमृत पीने को लेकर देवों और असुरों में लड़ाई छिड़ गई। यहाँ फिर से, भगवान विष्णु एक सुंदर अप्सरा मोहिनी बनकर आए और उन्होंने सुझाव दिया कि आधा अमृत पहले देवों में बांट दिया जाए, जबकि असुरों को शेष आधा दिया जायेगा। लेकिन मोहिनी का रूप धारण किये भगवान विष्णु ने सारा अमृत देवताओं में बाँट दिया और देवता अमर हो गए। मछली के अवतार में, भगवान एक मछली बन गए, जबकि इस अवतार में, वह एक कछुआ है। इस प्रकार एक जलीय जीव से उभयचर का अगला चरण प्राप्त कर लिया गया है। यही आधुनिक विकासवाद सिद्धांत प्रस्तावित करता है। 3.वराह या सूअर अवतार: दानव हिरण्याक्ष को ब्रह्मा से शक्तिशाली वरदान प्राप्त था, और अब वह तीनों लोकों पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने में व्यस्त था। एक बार जब भगवान ब्रह्मा सो रहे थे, तो असुर वेदों और सभी पवित्र ग्रंथों को धरती माता (पृथ्वी) सहित समुद्र के तल में ले गए। असहाय होकर सभी देवता पृथ्वी को वापस लाने के लिए भगवान विष्णु के पास गए। इसलिए भूदेवी को समुद्र से बाहर निकालने के लिए भगवान ने एक सूअर का रूप धारण किया। और जैसे ही वह उन्हें लाने के लिए गए तो हिरण्याक्ष, वराह को ललकारने लगा, जिसके परिणाम स्वरूप भगवान विष्णु ने इस वराह अवतार में हिरण्याक्ष को मार डाला, इस प्रकार दुनिया को उसके बुरे कर्मों से मुक्त कर दिया। वैज्ञानिक संदर्भ में भगवान विष्णु एक सूअर का रूप धारण करते हैं, जो विकास क्रम के तीसरे चरण में एक स्तनपायी है। 4-नरसिंह या आधा आदमी / आधा सिंह अवतार: असुर राज हिरण्यकश्यप ने अपने विष्णु भक्त पुत्र प्रह्लाद को मारने के कई प्रयास किये। जिसमें उसने एक बार अपने पुत्र को अपनी बहन होलिका जिसे आग में नहीं जलने का वरदान था, के साथ जिंदा जलाने का प्रयास किया। किंतु भगवान विष्णु का परमभक्त होने के कारण प्रह्लाद के बजाय स्वयं होलिका उस अग्नि में जलकर भस्म हो गई। तभी से इस घटना के संदर्भ में होली अथवा होलिका दहन की प्रथा प्रचलित हुई, जो आज सनातन धर्म में एक लोकप्रिय त्यौहार है। हिरण्यकश्यप ने सभी विष्णु भक्तों सहित अपने पुत्र प्रहलाद को भी बेहद प्रताड़ित किया। चूंकि हिरण्यकश्यप को वरदान था कि उसे कोई भी मानव या जानवर नहीं मार सकता, इसलिए भगवान विष्णु मनुष्य के शरीर और शेर के सिर और पंजों के साथ एक मानवरूपी अवतार के रूप में अवतरित हुए। उन्होंने अंततः हिरण्यकश्यप का वध कर दिया और अपने भक्त प्रह्लाद सहित सभी ऋषियों पर होने वाले उत्पीड़न को समाप्त कर दिया। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अवतार को देखते हुए, चौथे चरण में भगवान एक पूर्ण मानव बनने की ओर अग्रसर हैं, और पशु अवस्था से विकसित होने लगे हैं। 5.वामन या बौना अवतार: प्रह्लाद के पोते, राजा बली, अपनी भक्ति और तपस्या के बल पर स्वयं इंद्र को भी हराने में सक्षम थे। देवता बलि की इस क्षमता से भयभीत हो गए, और उन्होंने भगवान विष्णु से अपनी और स्वर्ग की रक्षा की गुहार लगाई। जिसके पश्चात विष्णु वामन बालक के रूप में अवतरित हुए। राजा बली एक महान दानी भी थे, इसलिए भगवान विष्णु ने वामन रूप में उनसे तीन पग भूमि मांगी। बली इस बात पर आसानी से सहमत हो गए। लेकिन बौने वामन के रूप में, विष्णु के अवतार ने अपना आकार एक विशाल त्रिविक्रम रूप में बदल दिया। अपने पहले कदम के साथ उन्होंने सांसारिक क्षेत्र को माप लिया, दूसरे के साथ उन्होंने स्वर्गीय क्षेत्र को माप लिया, जिसमें प्रतीकात्मक रूप से सभी जीवित प्राणियों के निवास को माना गया। इसके बाद उन्होंने समस्त ब्रह्माण्ड के लिए तीसरा कदम उठाया। लेकिन राजा बली को अब अहसास हो गया था कि वह वामन वास्तव में विष्णु अवतार थे। अतः उनके सम्मान में, राजा ने वामन को अपना पैर रखने के लिए तीसरे स्थान के रूप में अपना सिर दे दिया। विष्णु अवतार ने ऐसा ही किया और उन्हें पातळ में धंसा दिया तथा इस प्रकार बली को विष्णु ने अमरता प्रदान की एवं वहाँ का शाशक बना दिया। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इस चरण में, भगवान विष्णु एक जानवर से मनुष्य के रूप में विकसित हुए हैं, भले ही वे बौनी अवस्था में हों। 6-परशुराम: भगवान विष्णु ने अपना अगला अवतार योद्धा परशुराम के रूप में लिया। वह जमदग्नि और रेणुका के पुत्र थे। उनको शिव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर एक कुल्हाड़ी को वरदान के रूप में दिया था। वह हिंदू धर्म में पहले ब्राह्मण-क्षत्रिय, या योद्धा-ऋषि हैं, जिन्हें ब्राह्मण और क्षत्रिय दोनों के धर्म का पालन करना पड़ा। यहाँ हम देखते हैं कि यह अवतार एक प्रारंभिक व्यक्ति से मिलता-जुलता है, जो क्रूर और योद्धा जैसा है, खानाबदोश जीवन जीता है और प्रकृति में बर्बर है। अतः छठे चरण में अब वह बौना आकार-मानव (वामन) रूप से एक सामान्य इंसान के रूप में विकसित हो गया है। 7-राम: राम अवतार के रूप में विष्णु को नैतिकता और नियमों के अवतार, अयोध्या के राजकुमार और राजा के रूप में दर्शाया जाता है। वह हिंदू धर्म में आमतौर में सर्वाधिक पूजे जाने वाले अवतार हैं और अवतार होने के बावजूद, अथाह शक्तियों के बिना एक सामान्य राजकुमार के आदर्श के रूप में जीवन व्यतीत करते है। उन्होंने राक्षस राजा रावण को मारकर, सीता को बचाया। भगवान विष्णु के इस अवतार से, भगवान राम एक परिष्कृत, सुसंस्कृत, सरल, ईमानदार और धर्मी इंसान के रूप में देखे जाते हैं। सातवें चरण में वह एक ऐसे युग से ताल्लुक रखते हैं जहाँ सभी को न्याय मिलता था। 8: बलराम: कुछ स्थानों में कृष्ण के बड़े भाई, बलराम को आम तौर पर शेष के आठवें और कृष्ण को नौवें अवतार के रूप में माना जाता है। दोनों भाइयों का पालन-पोषण ग्रामीण पृष्ठभूमि से हुआ है। जैसा कि बलराम को हमेशा हल के साथ चित्रित किया जाता है, जिससे यह स्पष्ट है कि वह कृषक समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो मानव विकास का अगला महत्त्वपूर्ण चरण था। 9.कृष्ण अवतार: कृष्ण देवकी और वासुदेव के आठवें पुत्र तथा यशोदा और नंद के पालक-पुत्र थे। वह हिंदू धर्म में सर्वाधिक पूजे जाने वाले देवताओं में से एक हैं। वह विभिन्न किंवदंतियों, विशेष रूप से कंस-वध और महाभारत के नायक हैं, तथा प्रेम, कर्तव्य, करुणा और चंचलता जैसे कई गुणों का प्रतीक हैं। कृष्ण को आमतौर पर उनके हाथ में एक बांसुरी के साथ चित्रित किया जाता है। महाभारत, भागवत पुराण और भगवद गीता में भी कृष्ण एक केंद्रीय पात्र हैं। नौंवे चरण में भगवान कृष्ण, आधुनिक समय के रणनीतिकार और चालाक योजनाकार के प्रतीक हैं। 10.कल्कि: कल्कि को विष्णु के अंतिम अवतार के रूप में वर्णित किया गया है, जो कलियुग के अंत में प्रकट होते हैं। कल्कि अवतार सभी दशावतार में सबसे शक्तिशाली माना जाता है। जो बात इसे और अधिक दिलचस्प बनाती है वह यह है कि अवतार अभी तक धरती पर जन्मा नहीं है! कल्कि अवतार का सबसे पहला वर्णन, भारत के महान महाकाव्य महाभारत में मिलता है। ऋषि मार्कंडेय सबसे वरिष्ठ पांडव युधिष्ठिर से कहते हैं कि कल्कि ब्राह्मण माता-पिता से पैदा होंगे। वह शिक्षा, खेल और युद्ध में उत्कृष्ट होगा और इस तरह एक बहुत ही बुद्धिमान और शक्तिशाली युवक बन जाएगा। यह परशुराम अवतार के समान है, जहाँ भगवान विष्णु ने अत्याचारी क्षत्रिय शासकों का वध किया था। कल्कि अवतार कलयुग, अंधकार युग के अंत में आने वाला है और सत युग की शुरुआत को चिह्नित करेगा। कल्कि अवतार दशावतार के वैज्ञानिक पहलू को पूरी तरह से पूरा करता है।
विष्णु के सभी अवतारों का वैज्ञानिक दृष्टिकोण क्रमानुसार निम्नवत है:
मत्स्य (मछली-जलीय) -> कूर्म (कछुआ-उभयचर) -> वराह (सूअर-स्तनपायी) -> नरसिंह (आधा जानवर-आधा आदमी) -> वामन (बौना-मानव) -> परशुराम (प्रारंभिक व्यक्ति) -> राम (धर्मी व्यक्ति) -> बलराम (किसान / ग्रामीण) -> कृष्ण (आधुनिक सैन्य रणनीतिकार) -> कल्कि (अल्ट्रा मॉडर्न / आधुनिक योद्धा)

संदर्भ
https://bit.ly/34Gtn5Z
https://en.wikipedia.org/wiki/Dashavatara

चित्र सन्दर्भ
1. भगवान विष्णु के दशावतारों को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. मत्स्य या मछली अवतार को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. कूर्म अर्थात कछुए अवतार को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. उदयगिरि की गुफा, विदिष गुप्त साम्राज्य की प्राचीन राजधानी से मिला शिलाचित्र, भगवान वाराह भू देवी को दाँतों पर रखे हुए दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. 4-नरसिंह या आधा आदमी / आधा सिंह अवतार को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
6. वामन या बौना अवतार को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
7. परशुराम अवतार को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
8. राम अवतार को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
9. बलराम को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
10. कृष्ण अवतार को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
11. कल्कि अवतार को दर्शाता चित्रण (wikimedia)

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.