दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जानवरों की पारंपरिक कहानियां और दंतकथाएं, क्या है इनमें समानताएं?

विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा
10-03-2022 09:27 AM
Post Viewership from Post Date to 10- Apr-2022
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
3500 244 3744
दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जानवरों की पारंपरिक कहानियां और दंतकथाएं, क्या है इनमें समानताएं?

कुछ समय पहले लखनऊ के नवाब वाजिद अली शाह जूलॉजिकल गार्डन (Zoological Garden) में एक नुक्कड़ नाटक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें कई स्कूली बच्चों ने भाग लिया।गार्डन"सुनो सुनो पशुओं की कहानी, सुनो सुनो भाई हमारी जुबानी" की आवाज से गूंज रहा था, क्यों कि यहां जानवरों के बारे में कहानियां सुनाई जा रही थीं। कार्यक्रम चिड़ियाघर के शताब्दी समारोह के हिस्से के रूप में आयोजित किया गया था।पशु मानव जीवन का एक अभिन्न अंग है, जो हजारों वर्षों से न केवल मनुष्यों के दैनिक जीवन में बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पशु, पशु कथाओं का भी महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो प्राचीन समय से ही विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं में प्रचलित हैं।इन्हें हम परियों की कहानियों और दंतकथाओं के रूप में पहचान सकते हैं।परियों की कहानियां प्रसिद्ध लघु कथाएँ हैं जो सच्ची घटनाओं पर आधारित नहीं होती हैं। वे काल्पनिक कहानियाँ हैं,और इसलिए उनमें पौराणिक जीवों जैसे जानवरों, बौनों या गेंडा का मनुष्यों और जानवरों के बीच विविध परियों की कहानियों में दिखाई देना आम बात है।कुछ परियों की कहानियों में, जादू के तत्वभी शामिल होते हैं।परियों की कहानियों का लगभग हमेशा एक सुखद अंत होता है।ज्यादातर मामलों में, परियों की कहानियों का नैतिक अर्थ नहीं होता है,बल्कि उन्हें मुख्य रूप से बच्चों और यहां तक कि कुछ किशोरों और वयस्कों का मनोरंजन करने के लिए बनाया जाता है।दंतकथाएँ परियों की कहानियों से भी छोटी होती हैं।दंतकथाओं के पात्र हमेशा और केवल जानवर ही होते हैं।फलस्वरूप कोई भी पौराणिक जीव इसमें शामिल नहीं होता है। इसमें भी जादू के तत्व शामिल हो सकते हैं। दंतकथाओं का अंत सुखद नहीं होता है, इसका अंत हमेशा अशुभ होता है, क्योंकि यह अशुभ अंत नैतिकता को उजागर करता है, जिससे वह सबक प्राप्त होता है, जो दंतकथा सीखाना चाहती है।परियों की कहानियों और दंतकथाओं के अलावा, विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं में तथाकथित 'पशु कथाएँ' भी मौजूद हैं।जानवरों की कहानियां छोटी कहानियां हैं जो आम तौर पर परियों की कहानियों और दंतकथाओं के विपरीत होती हैं, जो काफी अज्ञात होती हैं और अल्पज्ञात लेखकों द्वारा लिखी जाती हैं। दंतकथाओं की तरह, जानवरों की कहानियों में केवल बात करने वाले जानवर ही पात्र होते हैं।
लेकिन ज्यादातर मामलों में, दंतकथाओं के विपरीत, जानवरों की कहानियां नैतिक नहीं होती हैं या उनसे कोई सीख नहीं मिलती है।आमतौर पर इनका उपयोग कुछ जानवरों के लक्षणों को समझाने के लिए किया जाता है, जैसे कि कछुओं का आवरण क्यों होता है,सांप के पैर क्यों नहीं होते हैं आदि।पशु कथा एक मनोरंजक कहानी है जिसमें जानवरों को भूमिकाएं दी जाती हैं, जो कथा को आकर्षक और रोचक बनाती है लेकिन हमेशा काल्पनिक होती है। पहली परियों की कहानियां और दंतकथाएं हजार साल से भी पहले सामने आई थीं। लगभग जब तक परियों की कहानियां मौजूद हैं, जानवर उनमें विशेष भूमिका निभाते हैं।जानवरों की कहानियों और दंतकथाएं पूरी दुनिया भर में मौजूद हैं।अंकल रेमस (Uncle Remus) की कहानियों के साथ-साथ दुनिया भर के कई अन्य संस्करणों में दो कहानियां “लायन इन द वेल” (Lion in the Well) और "स्टिकफास्ट" (Stickfast) मोटिफ सामने आए हैं।अधिकांश अमेरिकी युवा ईसप (Aesop’s) की दंतकथाओं और ला फोंटेन (La Fontaine) की कहानियों से परिचित हैं,लेकिन शायद कम ही लोग जानते हैं कि उन कहानियों में से कई की उत्पत्ति भारत में हुई थी। पंचतंत्र, जो जंगल में स्थापित पशु कथाओं का संग्रह है,राजनीति विज्ञान में निर्देश के रूप में इस्तेमाल किए जाते थे।कहा जाता है कि "पांच पुस्तकों" का यह संग्रह विष्णुशर्मा जो कि एक दरबार के ब्राह्मण थे, के द्वारा बनाया गया था, जब राजा ने उन्हें अपने तीन युवा, अकर्मण्य और मंदबुद्धि पुत्रों को राज्य कला सिखाने के लिए कहा। ब्राह्मण ने राजकुमारों को कहानियों के पांच चक्र बताए, जिनमें से प्रत्येक चक्र शासन के एक क्षेत्र को समर्पित था।वास्तव में विष्णुशर्मा ने स्वयं दंतकथाओं की कल्पना नहीं की थी,इनमें से कई किस्से पहले से ही राजनीतिक नेताओं, किसानों और व्यापारियों के बीच प्रचलन में थे।विष्णुशर्मा ने मौजूदा लोककथाओं को एक कलात्मक चक्रीय रूप में एकत्रित किया और प्रत्येक कहानी में शामिल किया।कई कहानियां बताती हैं कि कैसे कमजोर और शक्तिहीन लोग अपनी बुद्धि का उपयोग करके और अधिक शक्तिशाली लोगों के गर्व और अज्ञानता से खेलकर जीवित और समृद्ध हो सकते हैं।
यही कारण है कि ये कहानियांयुवा लोगों के लिए इतनी आकर्षक हैं। पिछले दो हज़ार वर्षों में पंचतंत्र आयरलैंड (Ireland) से इंडोनेशिया (Indonesia) तक अनेकों रूपों में व्यापक रूप से प्रसारित हुई हैं।बाइबल के बाद यह मानव इतिहास में सबसे अधिक पढ़ा जाने वाला साहित्य है। पंचतंत्र की कहानियां और अन्य हिंदू लोककथाओं की कहानी भारत से बाहर ग्रीक (Greek) अकादमियों, चीनी (Chinese) मठों, फारसी दरबारों,इंडोनेशियाई मंदिरोंऔर लगभग हर यूरोपीय (European) घरों में खोजी जा सकती हैं।अरबी (Arabic) काम कलिला (Kalila) और डिमना (Dimna) पंचतंत्र के कई संस्करणों में से एक है। इस्लामी सभ्यता के सुनहरे वर्षों के दौरान, कलिला और डिमना इस्लामी दुनिया में कुरान के बाद दूसरे स्थान पर थे। उस काम का पहला खंड पंचतंत्र की पहली पुस्तक "द लॉस ऑफ फ्रेंड्स" (The Loss of Friends) के समान है।जातक कथाएं भी पंचतंत्र के समान हैं, क्योंकि वे पीढ़ी से पीढ़ी तक मौखिक रूप से संचरित हुई हैं।वे नैतिक कथाएँ हैं जो लगभग 300 ईस्वी में पाली में लिखी गईं, और बाद में अन्य भाषाओं में अनुवादित की गईं।कहानियाँ मुख्य रूप से बुद्ध की उनके पिछले अवतारों की कहानियाँ हैं, और लोगों को उन मूल्यों को सिखाने के लिए हैं जो उन्हें पुनर्जन्म के प्रत्येक जीवन में आत्मज्ञान की स्थिति में प्रगति करने में मदद करेंगे। कुल मिलाकर पाँच सौ सैंतालीस कहानियां हैं और वे ज्यादातर जानवरों के रूप में उनके जीवन के बारे में हैं।जानवरों की दंतकथाएं और पशु कथाएं प्राचीन मिस्र (Egypt),ग्रीस और भारत में पाई जाती हैं, जिनमें कौवे और चीटियों, शेरों और बंदरों, काले कौवे और गधों का इस्तेमाल इंसानों की मूर्खताओं और बुराइयों पर व्यंग्य करने के लिए किया गया है।

संदर्भ:
https://bit.ly/3vLeSZv
https://bit.ly/37a21pH
https://bit.ly/35CK2b0
https://bit.ly/3vLENjO

चित्र संदर्भ   
1. लखनऊ चिडयाघर प्रवेश बोर्ड को दर्शाता एक चित्रण (prarang)
2. लखनऊ से जुडी प्राचीन चित्रकारी में इंसानों और जानवरों के सामंजस्य को दर्शाता चित्रण (prarang)
3. शेर से लड़ते योद्धा को दर्शाता चित्रण (prarang)
4. लखनऊ संग्रहालय में रखे लेखयुक्त अश्वमेध घोड़े को दर्शाता चित्रण (prarang)

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.