लखनऊ, इलेक्ट्रिक वाहन के पायलट प्रोजेक्ट के लिए चिन्हित दस शहरों में से एक है

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07-02-2022 09:54 AM
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लखनऊ, इलेक्ट्रिक वाहन के पायलट प्रोजेक्ट के लिए चिन्हित दस शहरों में से एक है

वर्तमान में भारतीय सड़कों पर 877,000 इलेक्ट्रिक (Electric) वाहन हैं, और उत्तर प्रदेश, दिल्ली और कर्नाटक इलेक्ट्रिक वाहन के लिए मुख्य तीन राज्यों के रूप में उभरे हैं। राज्य सरकार, अपनी ईवी नीति (EV Policy) के तहत, वर्तमान में इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के लिए 100% कर छूट और अन्य इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए लगभग 75% कर छूट प्रदान करती है।इसके अलावा, पहले 1,000 ईवी चार्जिंग स्टेशनों (Charging stations) के लिए भूमि पर छूट और प्रलोभन प्रदान कर रही है। राज्य ने इलेक्ट्रिकवाहन निर्माताओं के लिए प्रोत्साहन आवंटित किया जिसके माध्यम से 50,000 नई नौकरियां उत्पन्न होने की उम्मीद है।एक मजबूत ऑटोमोबाइल क्षेत्र के साथ उत्तरप्रदेश भारत का सबसे बड़ा उपभोक्ता आधार है।
राज्य भारत में फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वहइक्लेस(Faster Adoption and Manufacturing of Hybrid & Electric Vehicles) कार्यक्रम का तीसरा सबसे बड़ा लाभार्थी रहा है और इसके लगभग 1,39,000 पंजीकृत इवी चार्जर हैं, जो भारत में सबसे अधिक है।नीति का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी इकोसिस्टम (Electric mobility ecosystem) में 400 बिलियन रुपये से अधिक के निवेश को आकर्षित करना है।नीति के अन्य सिद्धांतों में 2030 तक दस निर्धारित शहरों में 1,000 इलेक्ट्रिक बसों को लॉन्च (Launch) करने और विशिष्ट हरित मार्गों के साथ 70% इलेक्ट्रिक सार्वजनिक परिवहन प्राप्त करने की योजना शामिल है।इन दस शहरों में शामिल हैं:नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ, मथुरा, आगरा, कानपुर, लखनऊ, इलाहाबाद, गोरखपुर और वाराणसी। नोएडा को पहले चरण में 2020 तक सभी नई गतिशीलता पहल के लिए एक प्रारंभिक शहर के रूप में चुना गया।सरकारी निगमों, बोर्डों और सरकारी एम्बुलेंस के तहत आने वाले वाहनों सहित सरकारी वाहनों को 2024 तक इलेक्ट्रिक वाहनों में बदल दिया जाएगा। साथ ही 2024 तक वाहनों के सभी खंडों में लगभग एक मिलियनईवी वाहनों को लाने की योजना बनई गई है।
जेएमके रिसर्च (JMK Research) द्वारा विश्लेषण किए गए विवरण से पता चलता है कि नवंबर 2021 में ईवी पंजीकरण बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिक दुपहिया गाड़ी और यात्री अनुकूल इलेक्ट्रिक तीन पहिये द्वारा संचालित थे,जो एक साथ महीने में कुल पंजीकरण का 92% हिस्सा था।इन श्रेणियों के शेयरों के बाद कार्गो-टाइप इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर्स (Cargo-type electric three-wheelers - 3.9%), ई-कार (E-car - 3.7%) का नंबर आता है।सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में, उत्तर प्रदेश नवंबर 2021 में भारत में कुल ईवी बिक्री में 20% हिस्सेदारी के साथ अधिकतम मासिक पंजीकृत ईवी बिक्रीको बनाए हुए है। महाराष्ट्र की दूसरी सबसे अधिकईवी बिक्री 11% हिस्सेदारी के साथ है, इसके बाद कर्नाटक (9%), राजस्थान का स्थान है। (9%), दिल्ली (9%), और राजस्थान (8%)का योगदान है।भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए, केंद्र ने 2015 में इलेक्ट्रिक वाहनों के तेजी से अपनाने और विनिर्माण योजना की शुरुआत की।वहीं अप्रैल 2019 में, इसने 10,000 करोड़ रुपये के कुल बजटीय समर्थन के साथ पांच साल के लिए योजना के दूसरे चरण की शुरुआत करी।यह चरण सार्वजनिक और साझा परिवहन के विद्युतीकरण का समर्थन करने पर केंद्रित है और सब्सिडी के माध्यम से लगभग 7,000 ई-बसों, पांच लाख ई-थ्री व्हीलर, 55,000 ई-फोर-व्हीलर यात्री कारों और 10 लाख ई- टू व्हीलर को समर्थन देने का लक्ष्य रखती है।वहीं12 मई, 2021 को सरकार ने भारत में एडवांस केमिस्ट्री सेल (Advance Chemistry Cell)के बैटरी स्टोरेज (Battery Storage) के लिए5 साल के लिए 18,100 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 50 गीगा वाट घंटे की कुल विनिर्माण क्षमता के साथ विनिर्माण सुविधाओं की स्थापना के लिए एक प्रोडक्टशन लिंक्ड इन्सेनटिव (Production Linked Incentive) योजना को मंजूरी दी।साथ ही पिछले वर्ष दिल्ली सरकार द्वारा चार्जिंग स्टेशनों के लिए पहले 30,000 आवेदकों को 6,000 रुपये की सब्सिडी प्रदानकी गई।ईवी परिवहन को भविष्य में अधिक से अधिक देखे जाने की संभावनाएं बनी हुई है क्योंकि अधिक से अधिक लोग धीरे-धीरे बैटरी से चलने वाले वाहनों का उपयोग करना शुरू करने पर विचार कर रहे हैं। आने वाले दिनों में, इन वाहनों को सड़कों पर अधिक संख्या में देखा जाएगा क्योंकि सरकार इसे आसानी से अपनाने के लिए बुनियादी ढांचे का विकास कर रही है। जिससे लोग आसानी से इस तकनीक का इस्तेमाल कर सकेंगे। बैटरी से चलने वाले गतिशील विकल्पों के बारे में लोगों के बीच जागरूकता भी एक महत्वपूर्ण पहलू है। ऐसे समय में जब ईंधन की कीमतें काफी अधिक हैं, ईवी वाहनों के स्पष्ट लाभ दिखाई देते हैं जो एक से अधिक तरीकों से मेल खाते हैं।वैश्विक तेल की कीमतों में वृद्धि के साथ, कार्बन उत्सर्जन में वृद्धि जो यात्रियों के बीच स्वास्थ्य और पर्यावरण जागरूकता के लिए खतरनाक है, जो निश्चित रूप से लोगों को ईवी के उपयोग के लिए प्रोत्साहित करेगी।

संदर्भ :-
https://bit.ly/3uIrRLl
https://bit.ly/34DzgjG
https://bit.ly/34E17k5
https://bit.ly/34AuEei

चित्र संदर्भ   
1. चार्ज होती इलेक्ट्रिक कार को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन को दर्शाता एक चित्रण (istock)
3. सड़को पर ई-रिक्सा को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

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