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हाल ही में शुक्रवार 14 जनवरी के दिन श्री सोमनाथ ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन
(इसरो) के नए प्रमुख के रूप में पदभार ग्रहण किया। इसी के साथ भारतीय अंतरिक्ष
अनुसंधान संगठन ने जो महत्वाकांक्षी एजेंडा पहले सामने रखा है, वह है मानव अंतरिक्ष यान
को फिर से पटरी पर लाने का।कोविड-19 महामारी और चंद्रयान 2 चंद्र मिशन के लैंडर
(Lander) घटक की 2019 की विफलता की वजह से गगनयान मानव अंतरिक्ष यान कार्यक्रम
में जो समस्याएं आई हैं,इसरो उन्हें ठीक करने में मदद कर रहा है। इसरो के नए प्रमुख चुने
गए श्री सोमनाथ को देश के अत्यधिक सफल पीएसएलवी (PSLV) रॉकेट के विकास के लिए
जाना जाता है। वे इससे पहले इसरो के एक प्रमुख रॉकेट और अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र, विक्रम
साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक थे। उन्हें "लॉन्च वाहनों की सिस्टम इंजीनियरिंग के क्षेत्र
में एक विशेषज्ञ माना जाता है।पिछले कुछ वर्षों में, भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने कुछ
उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं और पूरी दुनिया में अंतरिक्ष अन्वेषण में अपनी
तकनीकी क्षमता का प्रदर्शन किया है।भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा शुरू
किए गए मिशनों ने ब्रह्मांड, विशेष रूप से चंद्रमा और मंगल जैसे आकाशीय पिंडों के बारे में
हमारी समझ को आगे बढ़ाने के लिए डेटा तैयार किया है। कोरोना महामारी के कारण
नियोजित मिशनों में अनेकों विलंब होने के बाद इसरो 2022 में कई महत्वाकांक्षी मिशनों के
साथ आगे बढ़ रहा है। पिछले साल, इसरो के पास केवल दो सफल PSLV मिशन थे, जिसमें
इसकी वाणिज्यिक शाखा न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (New Space India Limited) द्वारा एक
समर्पित वाणिज्यिक मिशन शामिल था तथा दूसरा GSLV-F10 मिशनक्रायोजेनिक (Cryogenic)
चरण विसंगति के कारण विफल हो गया था।फिर भी, 2021 में, इसरो ने कई प्रमुख
प्रौद्योगिकी विकास पहलें की और आगामी अंतरिक्ष मिशनों की योजना बनाई। इसरो ने
2021 और 2023 के बीच विभिन्न उपग्रहों को लॉन्च करने के लिए चार देशों के साथ
मिलकर छह अंतरिक्ष समझौतें किए हैं, जो 111 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व प्रदान
करता है। आइए इस साल लॉन्च किए जाने वाले संभावित मिशनों पर एक नज़र डालते हैं!
लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (Small Satellite Launch Vehicle - SSLV):इसे 2022 की पहली
तिमाही में प्रक्षेपण के लिए निर्धारित किया गया है।SSLV को 500 किलोग्राम पेलोड
(Payload) को 500 किलोमीटर तक की ऊंचाई तक ले जाने के लिए बनाया गया है। SSLV एक
तीन-चरणीय, पूर्ण रूप से मजबूत वाहन है जो कई उपग्रहों जैसे नैनो (Nano), माइक्रो (Micro)
आदि को वहन कर सकता है।इस परियोजना के विकास के लिए लगभग 160 करोड़ रुपये
स्वीकृत किए गए हैं।
रडार इमेजिंग उपग्रह(Radar Imaging Satellite - RISAT-1A) (EOS-4): रडार इमेजिंग उपग्रह को
2022 की शुरुआत में लॉन्च किया जाएगा। यह इसरो द्वारा विकसित RISAT उपग्रहों की
श्रृंखला में छठा होगा। यह सुदूर संवेदन उपग्रह भू-भागों का नक्शा बनाने और पृथ्वी के
विभिन्न भूमि क्षेत्रों और महासागरों का अध्ययन करने के लिए बनाया गया है।
आदित्य एल1 (Aditya L1): इसरो ने 2022 के मध्य तक शानदार सूर्य का अध्ययन करने के
लिए अपना पहला मिशन शुरू करने की योजना बनाई है। आदित्य-एल 1 नाम का यह सौर
मिशन पहले 2020 की पहली छमाही के लिए निर्धारित किया गया था, लेकिन कोरोना
महामारी के कारण इसे आगे बढ़ादिया है।2008 में घोषित किया गया यह मिशन सूर्य के
वातावरण का अध्ययन करने के लिए इसरो द्वारा नामित पहला मिशन है।इसरो ने आदित्य
उपग्रह कोपृथ्वी और सूर्य के बीचस्थापित करने के लिएL1 या लैग्रैन्जियन पॉइंट 1
(Lagrangian point 1) को चुना है।
चंद्रयान 3 (Chandrayaan3):इस महत्वाकांक्षी चंद्र मिशन को 2022 की तीसरी तिमाही के
दौरान लॉन्च किया जाएगा। तीसरा चंद्र मिशन भी 2020 की दूसरी छमाही के लिए निर्धारित
किया गया था। अपने दूसरे प्रयास में, अंतरिक्ष एजेंसी का लक्ष्य चंद्र सतह के दक्षिणी ध्रुव पर
एक सुविधाजनक लैंडिंग हासिल करना है, जो कि चंद्रमा का अब तक का सबसे कम खोजा
गया क्षेत्र है। अपने पूर्ववर्ती के विपरीत, चंद्रयान 3 एक ऑर्बिटर नहीं ले जाएगा - लेकिन
इसमें चंद्र सतह का अध्ययन करने के लिए एक लैंडर और एक रोवर (Rover) शामिल होगा।
गगनयान (Gaganyaan): इसरो 2022 में गगनयान मिशन के तहत अपना पहला मानव रहित
मिशन लॉन्च करने की भी तैयारी कर रहा है। पहला क्रूड (Crewed) गगनयान मिशन 2023
में लॉन्च होने की संभावना है, जिससे अमेरिका (US), रूस (Russia) और चीन (China) के बाद
भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा।भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा
पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान प्रक्षेपण से पहले दो चालक रहित उड़ानें निर्धारित हैं। चालक
रहित उड़ानों में से एक में, इसरो ने व्योमित्र नामक एक ह्यूमनॉइड रोबोट (Humanoid robot)
को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजने की योजना बनाई है। अंतिम मिशन से पहले सभी
संभावित चुनौतियों का आकलन करने के लिए रोबोट मानव उड़ान मिशन के लिए निर्धारित
अंतरिक्ष चालक दल की गतिविधियों का अनुकरण करेगा।इसरो द्वारा 2022 में ओशनसैट -3
(Oceansat-3 - EOS-6) और माइक्रोसैट (Microsat- EOS-2) जैसे अन्य उपग्रहों को लॉन्च करने
की भी उम्मीद है। इसरो के पूर्व प्रमुख डॉ सिवन ने तीन नए अंतरिक्ष विज्ञान मिशनों की भी
घोषणा की थी, जिनमें दिशा (DISHA -एक जुड़वां एरोनॉमी उपग्रह मिशन), तृष्णा (TRISHNA -
भूमि की सतह के तापमान के सटीक मानचित्रण के लिए), और शुक्र मिशन शामिल है।
सबसे कठिन परिस्थितियों में भी अंतरिक्ष उद्योग में काम हमेशा जारी रहा है। मिशनों की
योजना बनाने और उन्हें लॉन्च करने में सालों लगते हैं। कठिन परिस्थितियों के बाद भी
नवाचार होते रहे हैं तथा मिशन हमेशा जारी रहे हैं।कोरोना महामारी ने भले ही इस क्षेत्र के
समक्ष एक बड़ी चुनौती उत्पन्न की, लेकिन फिर भी कुछ देश इस परिस्थिति का मजबूती से
सामना कर रहे हैं।मेलबोर्न (Melbourne) स्थित कंपनी प्लैनेट इनोवेशन (Planet Innovation),
एकमात्र ऑस्ट्रेलियाई (Australian) निर्माता थी जिसे नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी
(NASA’s Jet Propulsion Laboratory) द्वारा एक अभिनव कोविड वेंटिलेटर बनाने के लिए चुना
गया था।ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी (Australian National University),नेशनल स्पेस टेस्ट
फैसिलिटी (National Space Test Facility) को अंतरिक्ष उपकरण के एक महत्वपूर्ण हिस्से का
परीक्षण करने के लिए पहली गैर-कोविड संबंधित अनुसंधान सुविधा के रूप में चुना गया
था।नेशनल स्पेस टेस्ट फैसिलिटी खुलने के बाद से ऑस्ट्रेलियाई मिशनों के लिए अन्य अंतरिक्ष
घटकों का लगातार परीक्षण कर रहा है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3tNz7or
https://bit.ly/3fOMkFn
https://bit.ly/35gNYh9
https://bit.ly/342YRTb
चित्र संदर्भ
1. अध्यक्ष, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), डॉ के शिवान को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. रडार इमेजिंग उपग्रह को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. आदित्य एल1 को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. चंद्रयान को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. गगनयान को संदर्भित करता एक चित्रण (aajtak)
7. प्री-लॉन्च परीक्षणों के दौरान पृथ्वी अवलोकन सैटेलाइट माइक्रोसेट-टीडी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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