कौन से हैं हमारे लखनऊ शहर के प्रसिद्ध, 100 वर्ष से अधिक पुराने कॉलेज?

सिद्धान्त 2 व्यक्ति की पहचान
15-01-2022 06:36 AM
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कौन से हैं हमारे लखनऊ शहर के प्रसिद्ध, 100 वर्ष से अधिक पुराने कॉलेज?

भारत के लखनऊ शहर में‚ एक सदी की विरासत के रूप में‚ आज 100 वर्ष से भी अधिक पुराने कई कॉलेज मौजूद हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय की शैक्षणिक यात्रा 1921 में शुरू हुई थी‚ लेकिन इससे सम्बंधित कुछ कॉलेज इससे भी बहुत पहले अस्तित्व में आ चुके थे। लखनऊ के 100 साल से अधिक पुराने कॉलेजों की सूची में “लखनऊ क्रिश्चियन कॉलेज” (Lucknow Christian College) सबसे पुराना है। 1862 में स्थापित‚ लखनऊ क्रिश्चियन डिग्री (पी.जी.) कॉलेज (Lucknow Christian Degree (P.G.) College)‚ गोलागंज में स्थित एक स्नातकोत्तर कॉलेज है‚ जिसे अग्रणी शिक्षाविद् धर्म-प्रचारक‚ रेवरेंड जेएच मेसमोर (Reverend JH Messmore) द्वारा हुसैनाबाद में एक छोटे से स्कूल के रूप में स्थापित किया गया था और बाद में इसे इनायत बाग में स्थानांतरित कर दिया गया। कॉलेज का एक लंबा और गौरवपूर्ण इतिहास रहा है‚ 1889 से 1921 तक कॉलेज कलकत्ता विश्वविद्यालय से सम्बंधित था‚ जब तक कि ये लखनऊ विश्वविद्यालय के अस्तित्व में नहीं आया‚ अब ये कॉलेज परिसर का एक हिस्सा है। इसे 1882 में हाई स्कूल के स्तर तक बढ़ा दिया गया था‚ और सात साल बाद कॉलेज को कला और विज्ञान में अपनी पहली डिग्री कक्षाएं शुरू करने की अनुमति दी गई थी। हालांकि‚ बी.एससी. (B.Sc.) और बी.ए. (B.A.) की कक्षाएं क्रमशः 1946 और 1956 में बहाल की गईं और 1973 में कॉलेज के स्नातक कार्यक्रम में वाणिज्य संकाय (faculty of commerce) को भी जोड़ दिया गया था। 1922 में जब कॉलेज‚ लखनऊ विश्वविद्यालय के अस्तित्व में आया‚ तब डिग्री कक्षाओं को लखनऊ विश्वविद्यालय के कैनिंग कॉलेज (Canning College) में स्थानांतरित कर दिया गया। इसमें कला‚ वाणिज्य और विज्ञान में स्नातक पाठ्यक्रम तथा रसायन विज्ञान‚ अंग्रेजी और वाणिज्य में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम शामिल हैं। 1906 की एक ऐतिहासिक स्मारिका के अनुसार‚ कॉलेज को शुरू में ‘रीड क्रिश्चियन कॉलेज’ (Reid Christian College) के नाम से जाना जाता था‚ बाद में इसका नाम बदल दिया गया। व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए 1932 में शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय (Teachers’ Training College) की स्थापना की गई और इसका नाम क्रिश्चियन ट्रेनिंग कॉलेज (Christian Training College) रखा गया‚ उसी वर्ष उत्तर भारत में शारीरिक शिक्षा के अग्रणी श्री ईडब्ल्यू टेड मुंबी (E. W. Ted Mumby) के नेतृत्व में क्रिश्चियन कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन (Christian College of Physical Education) की स्थापना की गई। अपने अस्तित्व के 100 से अधिक वर्षों की अवधि में कॉलेज ने अपने प्रभावशाली पूर्व छात्रों के साथ भारतीय समाज में बहुत योगदान दिया है‚ जिसमें शिक्षाविद‚ राजनेता‚ अधिकारी और अन्य प्रतिष्ठित नागरिक शामिल हैं। यह लखनऊ क्रिश्चियन कॉलेज सोसाइटी (Lucknow Christian College Society) नामक एनजीओ (N.G.O) द्वारा संचालित एक संस्थान है। लखनऊ क्रिश्चियन कॉलेज‚ अपने कॉमर्स फैकल्टी के लिए जाना जाता है। 2004 में इसे इंडिया टुडे पत्रिका (India today magazine) द्वारा वाणिज्य के लिए शीर्ष 10 कॉलेजों की सूची में 9वां स्थान दिया गया था।
“इसाबेला थोबर्न कॉलेज” (Isabella Thoburn College) भारत में मेथोडिस्ट चर्च (Methodist Church) की इसाबेला थोबर्न सोसाइटी (Isabella Thoburn Society) द्वारा चलाया जाता है‚ जो लखनऊ विश्वविद्यालय का एक संधिबद्ध कॉलेज है। 1870 में लालबाग में छह लड़कियों के लिए एक कमरे वाला ‘स्कूल हाउस’‚ 1884 में एक हाई स्कूल बन गया और 1886 तक एक डिग्री कॉलेज में स्नातक हो गया। यह 18 अप्रैल 1870 को मेथोडिस्ट चर्च के एक अमेरिकी मिशनरी (American Missionary) मिस थोबर्न (Miss Thoburn) द्वारा एक छोटे से स्कूल के रूप में शुरू किया गया था‚ जिन्होंने कहा था कि “कोई भी व्यक्ति एक व्यक्ति के रूप में उस बिंदु से ऊपर नहीं उठ सकता जिस बिंदु तक वे अपनी महिलाओं को शिक्षित करते हैं” उनका दृष्टिकोण नेतृत्व के लिए भारतीयमहिलाओं को शिक्षित और सशक्त बनाना था। यह दक्षिण एशिया (South Asia) में महिलाओं के लिए पहला ईसाई कॉलेज (Christian college) था‚ जो पहले
इलाहाबाद विश्वविद्यालय (Allahabad University) से संबद्ध था। इसने 1927 में महात्मा गांधी‚ 1949 में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन और यूपी की पहली राज्यपाल सरोजिनी नायडू सहित कई प्रख्यात नागरिकों की मेजबानी की है। इनके अलावा पहली महिला आईएएस अधिकारी ईशा बसंत जोशी‚ राष्ट्रीय महिला आयोग की पहली अध्यक्ष मोहिनी गिरी और तेजतर्रार लेखिका इस्मत चुगताई भी शामिल हैं। 24 अक्टूबर 1918 को अमेरिकी लेखक हेलेन केलर (Helen Keller)‚ जो बीए की डिग्री हासिल करने वाले पहले बधिर-अंधे व्यक्ति थे‚ ने यहां के छात्रों के लिए एक प्रेरणा पत्र भी लिखा था। स्कूल 1886 में एक कॉलेज बन गया और पिछले 100 से अधिक वर्षों में मिशनरियों‚ शिक्षाविदों‚ प्रशासकों और छात्रों की पीढ़ियों ने इस महान संस्थान के माध्यम से समाज और राष्ट्र को समृद्ध किया है। लखनऊ कॉलेज के ललित कला संकाय को लोकप्रिय रूप से “गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ़ आर्ट एंड क्राफ्ट” (Government College of Arts and Crafts (GCAC)) के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा इसे लखनऊ कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स (Lucknow College of Arts and Crafts (LCAC)) और कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स (College of Arts and Crafts (CAC)) के रूप में भी जाना जाता है। लखनऊ विश्वविद्यालय से सम्बंधित यह विश्वविद्यालय से लगभग एक दशक पहले अस्तित्व में आया था‚ जिसे 1911 में स्थापित किया गया था। 18वीं शताब्दी में यह औद्योगिक डिजाइन का एक मामूली स्कूल था‚ जिसे यूरोप (Europe) में औद्योगिक क्रांति (Industrial Revolution) के मद्देनजर 1 नवंबर 1892 को स्कूल ऑफ इंडस्ट्रियल डिज़ाइन (School of Industrial Design) के रूप में स्थापित किया गया था। शुरुआत में स्कूल को 1892 में विंगफील्ड मंजिल (Wingfield Manzil)‚ जिसे वर्तमान में बनारसी बाग या लखनऊ प्राणी उद्यान के रूप में जाना जाता है‚ में स्थापित किया गया था। टैगोर मार्ग पर अपने वर्तमान पते पर स्थापित होने से पहले इसे अमीनाबाद और बाद में बांस मंडी में स्थानांतरित कर दिया गया था। वर्तमान भवन की नींव‚ एक उद्देश्य-निर्मित संरचना 1909 में रखी गई थी और 1911 में इसका उद्घाटन किया गया था‚ जिसके बाद कॉलेज ने काम करना शुरू कर दिया था। इसके पहले प्रिंसिपल नथानिअल हर्ड (Nathanial Herd) थे। 1917 में स्कूल का नाम बदलकर “गवर्नमेंट कॉलेज स्कूल ऑफ आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स” (“Government College School of Arts and Crafts”) कर दिया गया था। भारतीय चित्रकला विद्यालय को 1925 में पाठ्यक्रम में लाया गया था और 1963 में ग्राफिक कला (graphic arts) पाठ्यक्रम शुरू किए गए थे। 1975 में कॉलेज को एक संघटक कॉलेज के रूप में लखनऊ विश्वविद्यालय में मिला दिया गया और इसके तीन राष्ट्रीय डिप्लोमा पाठ्यक्रमों को डिग्री पाठ्यक्रमों में परिवर्तित कर दिया गया। “श्री जय नारायण मिश्रा पीजी कॉलेज” (Shri Jai Narain Misra Post Graduate College)‚ जो कन्या कुब्जा कॉलेज (Kanya Kubja College) या केकेसी (KKC) के रूप में लोकप्रिय है‚ इसे 1917 में एक मामूली एंग्लो-संस्कृत स्कूल (Anglo-Sanskrit school) के रूप में स्थापित किया गया था। उत्तर प्रदेश का यह प्रमुख संस्थान तब से ताकत से ताकत की ओर बढ़ रहा है। इसे 1918 में एक माध्यमिक विद्यालय (middle school)‚ 1920 में हाई स्कूल (high school)‚ 1923 में एक इंटरमीडिएट कॉलेज (intermediate college)‚ 1946 में एक डिग्री कॉलेज (degree college) और 1954 में कला‚ विज्ञान और वाणिज्य के साथ एक पूर्ण डिग्री कॉलेज के रूप में अपग्रेड किया गया था। आज यह लखनऊ विश्वविद्यालय का सबसे बड़ा संबद्ध कॉलेज है‚ जो 400 से अधिक कर्मचारियों के साथ कला‚ विज्ञान‚ वाणिज्य‚ कानून (Law)‚ बीएड (BEd)‚ बीबीए (आईबी) (BBA(IB)) और बीपी एड (B P. Ed.) जैसे संकायों के साथ स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर लगभग 10‚000 छात्रों की जरूरतों को पूरा करता है। कॉलेज का आदर्श वाक्य है “विद्यामृतुमशनुते” (“Vidyamratumshanute”)‚ अर्थात: ज्ञान अमृत की तरह है‚ जो एक व्यक्ति को अमर बनाता है। पंडित दीन दयाल मिश्रा की दयालु उदारता द्वारा पर्याप्त धन के साथ‚ यह दिवंगत न्यायमूर्ति गोकर्ण नाथ मिश्रा के विशेषज्ञ मार्गदर्शन में एक बेहतरीन संस्थान के रूप में विकसित हुआ। स्वर्गीय मिश्रा ब्रदर्स‚ रावरजा श्याम बिहारी और सुखदेव बिहारी मिश्रा‚ जिन्हें “मिश्रा बंधु” के नाम से जाना जाता है‚ ने इसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। स्वर्गीय रायसाहिब पं जय नारायण मिश्रा (काकाजी) इस संस्था के शुरू से ही सचिव प्रबंधक थे‚ जिन्हें बाद में सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुना गया। वास्तव में वे इस संस्था के प्रमुख वास्तुकार और पिता-तुल्य थे‚ जो अपनी दृढ़ता और अतुलनीय भक्ति के लिए जाने जाते थे। प्रसिद्ध परोपकारी “काकाजी”‚ कई ट्रस्टों और समाजों के संरक्षक-संत थे‚ जो लखनऊ में शिक्षा के लिए समर्पित थे। स्वाभाविक रूप से उनके नाम पर कॉलेज का नामकरण किया गया था। पूर्व में इसे कन्या कुब्जा कॉलेज के रूप में जाना जाता था‚ कन्या कुब्जा वह नाम था जिससे प्राचीन भारत में उत्तर प्रदेश को जाना जाता था।

संदर्भ:
https://bit.ly/3zNgGRL
https://bit.ly/3nglBG5
https://bit.ly/3JYUetD
https://bit.ly/33amGbx
https://bit.ly/3txykbp
https://bit.ly/3r5RIJz

चित्र संदर्भ   
1. लखनऊ क्रिश्चियन कॉलेज परिसर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. लखनऊ क्रिश्चियन कॉलेज के बड़े क्षेत्र को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. भारत के 2012 के टिकट पर इसाबेला थोबर्न कॉलेज को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4.लखनऊ विश्वविद्यालय को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
5. श्री जय नारायण मिश्रा पीजी कॉलेज प्रांगण को दर्शाता एक चित्रण (youtube)

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