भारत में चुनावी प्रक्रिया एवं संयुक्त राज्य अमेरिका से इसकी तुलना

आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक
01-12-2021 09:10 AM
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भारत में चुनावी प्रक्रिया एवं संयुक्त राज्य अमेरिका से इसकी तुलना

चुनावों का समय निकट आते की देशभर में राजनीति से जुड़े लोगों और यहां तक की आम जनता की धड़कने भी बढ़ जाती हैं! देशभर की जनता बड़ी बेसब्री से चुनाव के नतीजों का इंतज़ार कर रही होती है। भारत में चुनावों से पहले के कुछ महीनों का माहौल लम्बे अरसे तक चलने वाले किसी त्यौहार से कम नहीं होता। हालांकि हम सभी चुनाओं के दौरान पूरी की जाने वाली अधिकाशं औपचारिकताओं से भली भांति परिचित हैं, किंतु पर्दे के पीछे भी, अर्थात राजनितिक और संवैधानिक स्तर पर भी चुनाव कई प्रक्रियाओं से होकर गुजरता है। इस पोस्ट में आगे हम इन्हीं चुनावी औपचरिकताओं के बारे में सविस्तार पढ़ेंगे। साथ ही संयुक्त राज्य अमेरिका की चुनावीप्रक्रियाओं से भी इनकी तुलना करेंगे।
लोकतांत्रिक भारत में संसदीय प्रणाली कार्य करती है, जिसके द्वारा परिभाषित संविधान में केंद्र सरकार और राज्यों के बीच शक्ति वितरित की गई है। भारत में राष्ट्रपति देश के सभी रक्षा बलों के लिए सर्वोच्च कमांडर-इन-चीफ एवं औपचारिक प्रमुख के तौर पर नियुक्त होते है। भारत में लोकसभा के राष्ट्रीय चुनावों में बहुमत वाले दल या राजनीतिक गठबंधन के नेता को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में चुना जाता है। प्रधानमंत्री भारत सरकार की कार्यकारी शाखा का नेता होने के साथ ही राष्ट्रपति का मुख्य सलाहकार और केंद्रीय मंत्रिपरिषद का प्रमुख भी होता है। हमारा देश भारत भौगोलिक रूप से राज्यों (और केंद्र शासित प्रदेशों) में विभाजित है, और प्रत्येक राज्य में मुखिया के रूप में एक मुख्यमंत्री होता है, जो क्षेत्रीय चुनावों में बहुमत हासिल करने वाली पार्टी या राजनीतिक गठबंधन का नेता होता है। अन्यथा राज्य विधानसभा परिषद् (केंद्र शाषित) के अधीन होता है, जो उस राज्य में कार्यकारी शक्तियों का प्रयोग करता है। संबंधित राज्य के मुख्यमंत्री के पास राज्य के भीतर कार्यकारी शक्तियां होती हैं जो भारत के प्रधान मंत्री या उनके मंत्रियों के साथ संयुक्त रूप से काम करती हैं, जिन पर राज्य और केंद्र दोनों ध्यान देने की आवश्यकता होती है। भारत के राष्ट्रपति प्रत्येक राज्य में अपने नियुक्त राज्यपालों के माध्यम से कानून के शासन की निगरानी करते हैं। यदि राज्य सरकार के निर्वाचित प्रतिनिधि शांतिपूर्ण वातावरण बनाने में विफल होते हैं, और यदि आवश्यक हो तो भारत के राष्ट्रपति मौजूदा राज्य सरकार को भंग कर सकते हैं, जिसके बाद पुनः नया चुनाव आयोजित किया जाता है। भारत में चुनावों का आयोजन भारतीय संविधान के अंतर्गत निर्मित, भारतीय निर्वाचन आयोग (election Commission of India) द्वारा किया जाता है। चुनाव आयोग बिना किसी पक्षपात के स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होता है। एक बार चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद कोई भी अदालत चुनाव आयोग द्वारा परिणाम घोषित किये जाने तक किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं कर सकती है। चुनावों के दौरान, चुनाव आयोग को सभी ठोस अधिकार सौंप दिए जाते हैं, और जरूरी होने पर यह सिविल कोर्ट के रूप में भी कार्य कर सकता है। चुनाव आयोग द्वारा यह सुनिश्चित किया जाता है की सभी सदस्यों की चुनाव प्रक्रिया, चुनाव से पूर्व, चुनाव के दौरान और चुनाव के बाद वैधानिक कानून के अनुसार सम्पन्न हो। चुनाव से संबंधित सभी विवादों को चुनाव आयोग द्वारा ही नियंत्रित किया जाता है। सुकुमार सेन भारत के पहले चुनाव आयुक्त थे। चुनाव से पूर्व सर्वप्रथम नामांकन, मतदान और मतगढना की तिथियों की घोषणा की जाती है। चुनावों की तिथि की घोषणा के साथ ही देश में आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है। भारत में कोई भी राजनितिक पार्टी चुनाव प्रचार के लिए सरकारी संसाधनों का प्रयोग नहीं कर सकती। आचार संहिता के नियमों के अंतर्गत मतदान के दिन से 48 घंटे पहले से ही किसी भी प्रकार से चुनाव प्रचार नहीं किया जा सकता। भारतीय आचार संहिता के अंतर्गत चुनाव प्रचार के लिए प्रत्याशी 10 चौपिहया वाहन ही रख सकता है, जबकि मतदान वाले दिन 3 चौपहिया वाहन रखने की अनुमति है।
मतदान के दिन से एक दिन पहले चुनाव प्रचार समाप्त हो जाना चाहिए। मतदान केंद्र; वोट देने के लिए निर्धारित स्थान के लिए सरकारी स्कूलों और कॉलेजों को प्रयोग में लिया जाता है। जिले के जिलाधिकारी के ऊपर मतदान सम्पन्न कराने की अहम् जिम्मेदारी होती है। चुनाव के दौरान बहुत से सरकारी कर्मचारियों को मतदान केंद्रों में लगाया जाता है। हालांकि पहले वोट देने के लिए कागज की पर्ची (मतपत्र, मत - पर्ची) का प्रयोग किया जाता था, लेकिन अब देशभर में चुनाव में धोखाधड़ी रोकने के लिए मतदान पेटियों के बजाय इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) का प्रयोग अधिक मात्रा में किया जाता है। 1962 के आम चुनाव के बाद से फर्जी मतदान रोकने के लिए मैसूर पेंट्स और वार्निश लिमिटेड (Mysore Paints and Varnish Limited) द्वारा तैयार एक अमिट स्याही (indelible ink) का प्रयोग आमतौर पर मतदान के संकेत के रूप में मतदाता के बाईं तर्जनी अंगुली पर निशान लगाने के लिए किया जाता है। चुनाव के दिन के बाद, ईवीएम को भारी सुरक्षा के बीच एक स्थान पर एकत्र किया जाता है। चुनाव के विभिन्न चरण पूरे होने के बाद, मतों की गिनती का दिन निर्धारित किया जाता है। आमतौर पर वोट की गिनती में कुछ घंटों के भीतर विजेता का पता चल जाता है। सबसे अधिक वोट प्राप्त करने वाले उम्मीदवार को निर्वाचन क्षेत्र का विजेता घोषित किया जाता है। चुनावों में सर्वाधिक सीटें प्राप्त करने वाली पार्टी या गठबंधन को राष्ट्रपति द्वारा नई सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया जाता है। किसी भी पार्टी या गठबंधन को सदन में वोटों का साधारण बहुमत (न्यूनतम 50%) प्राप्त करके विश्वास मत के दौरान सदन (लोक सभा) में अपना बहुमत साबित करना आवश्यक होता है। भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका दुनिया के सबसे विशाल और सबसे प्राचीन लोकतंत्र माने जाते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका 1789 से और भारत 1947 से औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता हासिल करके लोकतांत्रिक देश रहा है। लोकतांत्रिक देश में जनता द्वारा चुनाव में उम्मीदवारों को वोट देकर यह तय किया जाता है कि कौन सत्ता में काबिज़ होगा। अमेरिका और भारत में चुनावी प्रक्रिया कई मायनों में भिन्न होती है। संयुक्त राज्य अमेरिका के राजनीतिक परिदृश्य में दो मुख्य दल डेमोक्रेटिक पार्टी और रिपब्लिकन पार्टी (Democratic Party and the Republican Party) शामिल हैं। यद्यपि यहाँ लिबर्टेरियन पार्टी (Libertarian Party), ग्रीन पार्टी (Green Party) और अन्य छोटी पार्टियां भी मौजूद हैं, लेकिन उन्हें स्वतंत्र संस्था माना जाता है। क्योंकि वे बाहरी हैं और दो प्रमुख पार्टियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में असमर्थ हैं। इसके विपरीत भारत में कई राजनितिक पार्टियां अथवा दल मौजूद हैं जिनमे से अधिकांश राज्य स्तर पर काम करते हैं और केवल कुछ ही हैं जो राष्ट्रीय स्तर पर सफलतापूर्वक काम करते हैं। भारत में दो सबसे बड़े दल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका के समान, इनकी विचारधाराएं काफी हद तक भिन्न होती हैं, जो मतदाताओं को चुनाव के दौरान एक विकल्प के साथ प्रस्तुत करती हैं भारत में क्षेत्रीय दल कई योग्य उम्मीदवारों की आपूर्ति करते हैं। अधिकांश राज्यों में एक प्रमुख क्षेत्रीय दल होता है। राष्ट्रीय दलों को बहुमत और लोगों के पक्ष को बनाए रखने के लिए गठबंधन भी करना पड़ता है। भारत में मतदान के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का उपयोग किया जाता है। वहीं यदि आप मतदान करने में असमर्थ हैं तो यह आपकी ओर से एक प्रॉक्सी (अपने मताधिकार का प्रयोग करना), निवास स्थान से ही को वोट करने की अनुमति भी देता है। भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) ने विदेशी मतदाताओं के लिए ई-मतदान की संभावना को खोल दिया है, लेकिन इस पद्धति का अब तक व्यापक रूप से उपयोग नहीं किया गया है। दूसरी ओर, संयुक्त राज्य अमेरिका के लचीले मतदान तंत्र में आपको अपना वोट डालने के लिए कई तरीकों को मंजूरी दी जाती है। उदाहरण के लिए, एक मतदाता मतदान केंद्र तक जाकर वोट डाल सकता है, मेल के माध्यम से अनुपस्थित मतदान कर सकता है, हालांकि, संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत में स्कैनिंग और वोटों की गिनती काफी हद तक समान है। भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका दोनों राष्ट्रों में स्वतंत्र और स्वायत्त चुनाव निकाय मौजूद हैं, जो चुनावों के आयोजन के लिए जिम्मेदार हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में दो संघीय निकाय हैं जिन्हें संघीय चुनाव आयोग (Federal Election Commission) और अमेरिकी चुनाव सहायता आयोग (American Election Assistance Commission) कहा जाता है। हालाँकि, इन संस्थाओं को नियंत्रण करने की स्वतंत्रता नहीं है, क्योंकि उनकी भूमिका ज्यादातर अभियान वित्त नियमों को स्थापित करने तक ही सीमित है। दूसरी ओर, भारत में चुनाव आयोग (Election Commission of India (ECI) के पास चुनाव की स्थापना, वोटों की गिनती, वित्तीय नियम स्थापित करने, मतदान को बनाए रखने के लिए घरेलू सैन्य बलों की पुलिस की सेवा को सूचीबद्ध करने से संबंधित सभी ठोस अधिकार प्राप्त हैं। जो चुनावों को यथासंभव पारदर्शी और त्रुटिरहित प्रक्रिया बनाने का काम करती है। भारत का मतदाता मतदान, लगभग 65-66 प्रतिशत है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका के 61.4% की तुलना में अधिक है। हालांकि संयुक्त राज्य अमेरिका के मतदाता वर्ग में मुख्य रूप से 65 वर्ष से अधिक आयु के लोग शामिल हैं। जो अपनी युवा पीढ़ी, यानी 18-24 वर्षीय आबादी की तुलना में 25% अधिक वोट देते हैं। भारत के चुनाव आयोग द्वारा घोषित परिणामों की वैधता पर कभी संदेह नहीं किया गया - यहां तक ​​कि सिर्फ एक वोट से हारने वाले उम्मीदवारों ने भी कभी भी चुनाव आयोग पर सवाल नहीं उठाया।

संदर्भ
https://bit.ly/3D5TL46
https://bit.ly/3xxJbSz
https://bit.ly/3libbVp
https://bit.ly/3I6hgxJ
https://en.wikipedia.org/wiki/Elections_in_India

चित्र संदर्भ   

1. भारत में वोट दे चुके जोड़े एवं अमेरिकी वोट को दर्शाता एक चित्रण ( JSTOR Daily,nbcnews)
2. भारत के राष्ट्रपति मानकों (1950-1971) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. भारतीय निर्वाचन आयोग के बोर्ड को दर्शाता एक चित्रण (.onmanorama)
4. EVM मशीन और तर्जनी ऊँगली में स्याही के निशान को दर्शाता एक चित्रण (vidhilegalpolicy)

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