समयसीमा 229
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 963
मानव व उसके आविष्कार 757
भूगोल 211
जीव - जन्तु 274
Post Viewership from Post Date to 21- Nov-2021 (5th Day) | ||||
---|---|---|---|---|
City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
272 | 129 | 401 |
आपने यह अवश्य पढ़ा, सुना अथवा सोशल मीडिया पर देखा तो ज़रूर होगा की, बत्तख के बच्चे
अपनी माँ मादा बत्तख के बजाय,किसी इन्सान, कछुए अथवा किसी भी अन्य जानवर के पीछे-पीछे
चलने लगते हैं, या कई बार सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो भी बेहद वायरल होते हैं जिनमें, कोई
पक्षी अथवा जानवर किसी दूसरे जानवर की भांति व्यवहार करने लगता है। दरसल पशु पक्षियों
और जानवरों की ऐसी हरकतों के पीछे के विज्ञानं को "इंप्रिंटिंग (imprinting)" के नाम से जाना
जाता है।
जब भी कोई जानवर, मनुष्य अथवा पक्षी धरती पर जन्म लेता है, तो वह प्राकृतिक रूप से अपनी
एक पहचान हासिल करना चाहता है, और अधिकांश मामलों में उस पहचान को वह अपने माता-
पिता से प्राप्त करता है। वास्तव में, इंप्रिंटिंग सीखने का एक रूप है, जिसमें एक जानवर अपनी
समझ का प्रयोग करके अपनी प्रजातियों की पहचान की हासिल करता है। जैसे शेर का बच्चा स्वतः
ही यह सीखता है की वह शेर का बच्चा है, और उसकी क्षमताएं और सीमायें क्या है? लेकिन पक्षियों
को स्वचालित रूप से पता नहीं होता है, कि जब वे अंडे से निकले तो वे वास्तव में क्या हैं! वे अंडे से
निकलने के पश्चात् पहले जीवन या हिलती डुलती वस्कोतु को अपनी प्रजाति अथवा माँ समझ बैठते हैं। वे
जिसे पहली बार में देखते हैं, उसी के साथ ही वह अपनी प्रजाति की पहचान स्थापित कर देते हैं। यह
आमतौर पर जीवन की शुरुआत में, एक महत्वपूर्ण अवधि के दौरान होता है।।
इंप्रिंटिंग की प्रक्रिया एक विरासत में मिली वृत्ति के कारण होती है।बाल विकास में, इंप्रिंटिंग शब्द
का प्रयोग उस प्रक्रिया को संदर्भित करने के लिए किया जाता है, जिसके द्वारा एक बच्चा सीखता है
कि उसके माता और पिता कौन हैं। इस प्रक्रिया को गर्भ में शुरुआत के रूप में पहचाना जाता है, जब
अजन्मा बच्चा अपने माता-पिता की आवाज को पहचानना शुरू कर देता है।
जंगली पक्षियों के लिए इंप्रिंटिंग उनके तत्काल और दीर्घकालिक अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण होती
है। उदाहरण के लिए, प्रीकोशियल बेबी बर्ड्स (precocial baby birds) (जैसे बत्तख, गीज़ और
टर्की) अंडे से निकलने के तुरंत बाद इंप्रिंटिंग की प्रक्रिया शुरू करते हैं, ताकि वे जीने के लिए जरूरी
नियमों का पालन कर सकें, जो उन्हें सुरक्षा प्रदान कर सके। पहले कुछ घंटों और दिनों में इंप्रिंटिंग
होती है। 1900 की शुरुआत तक इस घटना का कोई वैज्ञानिक अध्ययन नहीं किया गया था।
हालंकि ऑस्ट्रियाई प्रकृतिवादी कोनराड लोरेन्ज़ (Konrad Lorenz), इंप्रिंटिंग की प्रक्रिया के पीछे
के विज्ञान को संहिताबद्ध करने और स्थापित करने वाले पहले व्यक्ति बने।
इंप्रिंटिंग बच्चों को उनकी प्रजातियों के लिए उपयुक्त व्यवहार और स्वरों को समझने की अनुमति
देती है, और पक्षियों को उनकी प्रजातियों के अन्य सदस्यों के साथ बिना आँखों के भी पहचानने में
मदद करती है।
इंप्रिंटिंग चरण का समय प्रजातियों से प्रजातियों में भिन्न होता है, और पक्षियों की कुछ प्रजातियां
पूरी तरह से इसके प्रति अतिसंवेदनशील होती हैं। यदि अण्डों से निकले पक्षी मनुष्यों से इंप्रिंटिंग
अथवा अपनी पहचान हासिल करते हैं, तो वे जीवन के लिए मनुष्यों के साथ अपनी पहचान बना
लेते हैं। चूँकि इंप्रिंटिंग की प्रक्रिया को उलटना असंभव है इसलिए पक्षी जीवन भर के लिए मनुष्यों
से जुड़ जाते और अपनी प्रजातियों के बजाय मनुष्यों के साथ पहचान करते है। हालांकि इसका यह
मतलब नहीं है कि पक्षी मनुष्यों के प्रति "दोस्ताना" होंगे, न ही इसका मतलब यह है कि वे मनुष्यों
के निकट रहने में आनंदित होंगे। दरअसल मनुष्य को अपनी प्रजाति समझने वाले, अथवा इम्प्रिंट
हो जाने वाले पक्षियों को उनकी प्रजाति के अन्य पक्षियों की भांति, लोगों का कोई डर नहीं होगा,
और डर की यह कमी कभी-कभी मनुष्यों के प्रति आक्रामकता का कारण बन सकती है। मानव से
इम्प्रिंट हुए पक्षियों को अक्सर अपनी प्रजातियों के अन्य पक्षियों के साथ संवाद करने में मुश्किल
होती है।
उदाहरण के तौर पर स्वर, मुद्राएं, और मनुष्यों का डर होने जैसे सभी गुण पक्षी अपने माता-पिता,
भाई-बहनों और अन्य पक्षियों से सीखते हैं। चूंकि मानव इम्प्रिंट पक्षी, अजीब व्यवहार प्रदर्शित
करते हैं, जिस कारण उनके भीतर ठीक से संवाद करने की क्षमता की भी कमी होती है।
मानव जाति द्वारा सदियों से जानवरों और मुर्गी पालन में इंप्रिंटिंग का उपयोग किया जाता रहा है।
रोम में, पहली शताब्दी ईसा पूर्व में, कृषिविद् लुसियस मॉडरेटस कोलुमेला (the agronomist
Lucius Moderatus Columella) ने कृषि प्रथाओं पर एक ग्रंथ लिखा और सुझाव दिया कि "कोई
भी व्यक्ति जो जंगली मुर्गी पालन करना चाहता है, उसे मार्च में जंगली मुर्गी के अंडे एकत्र करने
चाहिए, और उन्हें खेत की घरेलु मुर्गियों के नीचे रख देना चाहिए। जब वे वे इस प्रकार पाले जाते हैं
तो वे अपने जंगली स्वभाव को छोड़ देते हैं।
संदर्भ
https://to.pbs.org/31Otx9p
https://bit.ly/30nCplz
https://www.nature.com/articles/s41599-019-0271-4
https://en.wikipedia.org/wiki/Imprinting_(psychology)
चित्र संदर्भ
1. अपनी माँ के पीछे चल रहे बत्तख के बच्चों का एक चित्रण (wikimedia)
2. हाथ में उठाये गए बत्तख के बच्चों को दर्शाता एक चित्रण (istock)
2. अंडे से निकले चूज़े, को दर्शाता एक चित्रण (backyardpoultry)
5. अपने बच्चों को दाना देती चिड़िया को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.