उत्तरप्रदेश के लोकप्रिय व्यंजन ताहिरी की साधारणता में ही इसकी विशेषता निहित है

स्वाद- खाद्य का इतिहास
15-10-2021 05:22 PM
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उत्तरप्रदेश के लोकप्रिय व्यंजन ताहिरी की साधारणता में ही इसकी विशेषता निहित है

दुनिया भर में ऐसे कई व्यंजन मौजूद हैं, जिन्हें अपने विशिष्ट स्वाद के लिए जाना जाता है। इन विशिष्ट व्यंजनों में से एक ताहिरी भी है, जो उत्तरप्रदेश के लोकप्रिय व्यंजनों की सूची में प्रमुख स्थान रखता है। दिलचस्प बात यह है, कि पूरे भारत में इस व्यंजन के विभिन्न रूप मौजूद हैं, जो दक्कन के पठार से लेकर कश्मीर के पहाड़ों तक फैले हुए हैं। यहां तक कि इस व्यंजन के विभिन्न रूप पाकिस्तान की सीमा को भी पार करते हैं। प्रत्येक संस्करण या रूप की अपनी एक आकर्षक मूल कहानी है।तो चलिए आज उत्तर प्रदेश के लोकप्रिय व्यंजन ताहिरी की उत्पत्ति, इसके इतिहास तथा भारत में इसकी लोकप्रियता के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं। कई लोगों के लिए ताहिरी एक पीला पुलाव है, जबकि अन्य कई लोगों के लिए यह एक प्रकार की शाकाहारी बिरयानी है। लेकिन वास्तव में देंखे तो ताहिरी इन दोनों में से कोई भी नहीं है।अवधी व्यंजनों के प्रदर्शनों की सूची में विशेष स्थान रखने वाले इस व्यंजन को बिरयानी या पुलाव के विकल्प के रूप में नहीं बनाया जाता है। इसे मुख्य रूप से केवल तब पकाया जाता है, जब वास्तव में किसी को ताहिरी खाने की इच्छा होती है! इस व्यंजन की उत्पत्ति के पीछे यह माना जाता है, कि इसे सबसे पहले अवध के दरबार में शाकाहारी हिंदू मुनीमों के लिए बनाया गया था। हालांकि, कुछ खाद्य इतिहासकारों और शोधकर्ताओं का मानना है, कि अभी तक कोई भी ऐसा दरबारी साहित्य नहीं मिला है, जो इसकी मूल कहानी की पुष्टि करता है। लोकप्रिय उपाख्यान के अनुसार, ताहिरी का जन्म शाही रसोई में हुआ था, जहाँ से यह कुलीन वर्ग तक और फिर अंततः आम लोगों तक पहुँचा। इसके अलावा यह भी माना जाता है कि जब एक कुलीन घर में एक रसोइया ने पुलाव के शाकाहारी संस्करण को बनाने का प्रयास किया, तब ताहिरी की उत्पत्ति हुई। माना जाता है कि इसे शाही रसोई के समृद्ध पुलाव और बिरयानी की कहानियों से प्रेरित होकर आम लोगों द्वारा बनाया गया हो सकता है। ताहिरी की उत्पत्ति के पीछे एक अन्य कहानी यह है, कि जब अकाल के समय मांस मिलना मुश्किल हो गया था, तब शाही रसोई के रसोइयों ने बिरयानी में पड़ने वाले मटन को आलू से बदल दिया, और इस तरह ताहिरी का जन्म हुआ।यह व्यंजन कायस्थ समुदाय के पारंपरिक व्यंजनों का मुख्य केंद्र है, जो मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश,झारखंड और बिहार सहित देश के उत्तरी क्षेत्र में निवास करते हैं। वर्तमान समय में ताहिरी शाकाहारी घरों का एक प्रमुख व्यंजन बन गया है। हालांकि ताहिरी को एक भव्य भोजन के रूप में अभिव्यक्त नहीं किया जा सकता, लेकिन इसे एक आरामदायक भोजन के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि इसे साधारण सामग्री के साथ बनाना आसान है, जिसका स्वाद संतोषजनक होता है। खड़ा मसाला (साबुत मसाले) इस व्यंजन की विशिष्टता है। इसकी सबसे अच्छी बात यह है कि इसका आनंद दिन के किसी भी समय और पूरे साल लिया जा सकता है। इस व्यंजन को बनाते समय आप अपनी रचनात्मकता का उपयोग कर सकते हैं, तथा मौसमी सब्जियों या अपनी पसंद की सब्जियों को भी इसमें शामिल कर सकते हैं।पुलाव या बिरयानी के विपरीत, ताहिरी न तो समृद्ध है और न ही औपचारिक। बल्कि यह आम लोगों के लिए एक साधारण भोजन है, और इस साधारणता में इसकी विशेषता निहित है। हालांकि इसे पूरे साल पकाया जा सकता है, लेकिन इसे खाने का विशेष मौसम वसंत में होता है। इस पकवान का असली रूप तब सामने आता है, जब इसमें आलू, मटर और फूलगोभी जैसी सामग्री मिलाई जाती है।इस पकवान को बनाने के लिए एक बड़े, मोटे तले वाले प्रेशर कुकर में तेल डालें और इसे तब तक पकाएं जब तक तेल में धुंआ न उठने लगे। जब तेल से धुंआ उठने लगे तो इसमें तेज पत्ते, जीरा और प्याज डालें और सभी सामग्रियों को एक साथ मिलाएं। जब प्याज पारदर्शी हो जाए तो उसमें आलू और फूलगोभी डालें। एक और दो मिनट के लिए हिलाएं और हल्दी, धनिया पाउडर और लाल मिर्च पाउडर डालें। जब सब्जियां हल्के भूरे रंग की हो जाएं, और मसाले पक जाएं, तो भीगे हुए चावल डालें और लगभग एक मिनट तक धीरे-धीरे चलांए, जब तक कि हर दाना तेल में न डूब जाए। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है, कि चावल टूटे नहीं। छिलके वाले मटर और पानी डालें। अंत में नमक, गरम मसाला और घी डालें और इसे फिर से चलाएँ। कुकर बंद कर दें। पहली सीटी आने के बाद गैस बंद कर दें और चावल को भाप में पकने दें तथा 10 मिनिट बाद कुकर खोलें। स्मोकी स्वाद के लिए कच्चे चावल को घी में अलग से भूनने की सलाह भी दी जाती है। इसी तरह, सब्जियों को भी भुने हुए चावल के साथ मिलाने से पहले तेल में तड़का लगाना चाहिए। इससे व्यंजन अत्यधिक स्वादिष्ट बनेगा तथा यह चावल को टूटने से बचाएगा।पकी हुई तेहरी में आखिर में एक चम्मच घी डाला जाता है और इसे दही, पुदीने-धनिया की चटनी या अचार, सलाद आदि के साथ खाया जाता है। ताहिरी को मुख्य रूप से तब पकाया जाता है,जब ताज़ी उपज की भरमार होती है। इसके अलावा यदि घर में केवल कुछ ही सब्जियाँ बची हों, तब भी यह व्यंजन बनाना फायदेमंद होता है।यह उन दिनों के लिए एकदम सही भोजन है, जब हम रसोई में ज्यादा समय नहीं बिताना चाहते, और एक स्वादिष्ट भोजन की कल्पना करते हैं।

संदर्भ:

https://bit.ly/3Bx2Cfh
https://bit.ly/3FBSdBq
https://bit.ly/3ltIzZN

चित्र संदर्भ
1. साधारण ताहिरी व्यंजन का एक चित्रण (youtube)
2. स्वादिष्ट आलू की ताहिरी व्यंजन का एक चित्रण (youtube)
3. धनिया डालकर सजाई गई ताहिरी का एक चित्रण (masalatv)

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