भारत में सर्प मात्र एक शरीश्रृप के रूप में ही नही देखे जाते अपितु इनका आध्यात्मिक महत्व भी होता है। नाग पंचमी आदि त्योहार सर्प की महत्ता को प्रदर्शित करते हैं। भारत दुनिया में पाए जाने वाले समस्त सर्प के नस्लों का 10 प्रतिशत भाग अपनें में लिये हुए है। दुनियाँ में सबसे ज्यादा सर्पदंश भारत में ही देखे गए हैं। भारत में कुल 300 नस्लों के सर्प पाए जाते हैं। समस्त प्राप्त सांपों में किंग कोबरा, नाजा नाजा (नाग) डबोइया, पिट वाइपर, करैंत, धमन, पंडोल आदि हैं।
लखनऊ में कोबरा (नाजा नाजा, फेटार, नाग) सर्प पाया जाता है। यह सर्प भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे ज्यादा जहरीला सर्प माना जाता है। कई मदारी इस सर्प को पेटी में रखकर घूमते हैं जिन्हे लखनऊ के सड़कों पर देखा जा सकता है। इस सर्प का शिकार भी बड़े पैमाने पर किया जाता है जिस कारण आज यह सर्प विलुप्तता कि कगार पर आने लगा है। इस सर्प को इंडियन वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 के तहत सुरक्षित सर्प की श्रेणी में डाल दिया गया है।
लखनऊ मे दूसरा सबसे ज्यादा पाया जाने वाला सर्प है कॉमन करैत। यह सर्प इलापिडे परिवार में आता है तथा इसकी जाति है बंगरस। इसका वैज्ञानिक नाम बंगरस सेरुलिअस है। इसकी औसतन लम्बाई 0.9 मीटर होती है तथा नर सर्प मादा से लम्बा होता है। इनका सर चपटा होता है। इनकी आँखें छोटी और पुतलियाँ गोल होती हैं। इनका रंग ज़्यादातर काला या गहरा नीला होता है जिसके ऊपर सफ़ेद रंग की धारियाँ पड़ी होती हैं। यह सर्प खेतों, जंगलों तथा बसे हुए इलाकों में भी पाए जाते हैं और अक्सर इन्हें पानी वाले इलाकों में भी पाया जाता है।
कॉमन करैत का भोजन दूसरे प्रजाति के सर्प, दूसरे करैत सर्प, चूहे, छिपकली, मेंडक आदि होते हैं। दिन के समय यह सर्प ज़्यादातर अपने बिल में खुदको एक गेंद के आकार में मरोड़कर छिपे रहते हैं इसलिए कम देखने को मिलते हैं। परन्तु रात के समय यह सर्प काफी फुर्तीले और आक्रमक रहते हैं जिस कारण इनके काटने की घटनाएं अक्सर रात में ही घटती हैं। काटते वक़्त यह सर्प अपने शिकार में अपना जबड़ा ज़्यादा देर तक गढ़ा के रखते हैं ताकि शिकार के शरीर में ज़हर ज़्यादा मात्रा में फ़ैल सके। इसका ज़हर काफी ताकतवर होता है तथा इससे इंसान की मांसपेशियों में लकवा मार जाता है। इनके काटने से ज़्यादा दर्द नहीं होता जिसके कारण शिकार को सब ठीक होने का झूठा आश्वासन रहता है। कॉमन करैत के काटने के लक्षण हैं काटने के एक से दो घंटे में चेहरे की मांसपेशियों में अकड़न आना और देखने और बोलने की क्षमता खो बैठना। परन्तु कुछ देर बाद ही मांसपेशियां एंठने लगती हैं और सही इलाज के बिना चार से छः घंटे में घुटन के कारण मौत हो जाती है।
1. कॉमन इंडियन स्नेक्स: अ फील्ड गाइड- रोम्युलस व्हिटेकर
2. http://www.indiansnakes.org/content/common-krait