समुद्र की लवणता में एक छोटा सा परिवर्तन जलवायु और जल चक्र को काफी प्रभावित कर सकता है

समुद्र
16-09-2021 10:07 AM
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समुद्र की लवणता में एक छोटा सा परिवर्तन जलवायु और जल चक्र को काफी प्रभावित कर सकता है
FEAR (भय) :

महासागर पृथ्वी के जल चक्र का हृदय है, और वाष्पीकरण और वर्षा की दर में परिवर्तन समुद्र की सतह की सापेक्ष ताजगी या लवणता में परिलक्षित होता है। इसके अलावा, तापमान के साथ-साथ एक स्थान से दूसरे स्थान पर लवणता में अंतर, उन धाराओं को प्रेरित करता है जो भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर गर्मी को स्थानांतरित करती हैं।लवणता और समुद्री धाराओं में कोई भी परिवर्तन क्षेत्रीय जलवायु और समुद्री जीवन को प्रभावित कर सकता है। वहीं लवणता का स्तर दो कारणों से महत्वपूर्ण है। सबसे पहले, तापमान के साथ, वे सीधे समुद्री जल घनत्व (खारा पानी मीठे पानी की तुलना में सघन होता है) को प्रभावित करते हैं और इसलिए उष्णकटिबंधीय से ध्रुवों तक महासागरीय धाराओं का संचलन भी प्रभावित होता है। ये धराएं महासागरों के भीतर गर्मी को नियंत्रित करती हैं, जिससे ये अंततः दुनिया की जलवायु को नियंत्रित करने में सक्षम होतीहैं। समुद्र में नमक दो स्रोतों : भूमि से अपवाह और समुद्र तल में प्रस्फुटन से आता है।भूमि पर चट्टानें समुद्री जल में घुले लवणों का प्रमुख स्रोत हैं। भूमि पर गिरने वाली वर्षा का जल थोड़ा अम्लीय होता है, इसलिए यह चट्टानों का क्षरण कर देता है। जिस वजह से छोड़े गए अम्लीय आयनों (Ions)पानी के स्रोतों और नदियों में जा मिलते हैं, इसके बाद अंततः नदियों द्वारा पानी को समुद्र मेंले जाया जाता है। जहां पर जल में मौजूद आयन को समुद्री जीवों द्वारा पानी से अलग कर के उपयोग किया जाता है और उपयोग ना किए गये आयन समुद्र में वैसे ही काफी लंबे समय तक इकट्ठे हो जाते हैं, जिसकी समय के साथ सांद्रता बढ़ती रहती है।
समुद्र में लवण का एक अन्य स्रोत हाइड्रोथर्मल (Hydrothermal) तरल पदार्थ है, जो समुद्र तल के छिद्रों से आता है।समुद्र तल में दरारों में समुद्र का पानी रिसता है और पृथ्वी के मूल से मैग्मा (Magma) द्वारा गर्म किया जाता है। यहगर्मी रासायनिक प्रतिक्रियाओं की एक श्रृंखला का कारण बनती है। वहीं पानी ऑक्सीजन (Oxygen), मैग्नीशियम (Magnesium) और सल्फेट्स (Sulfates) को खो देता है, और आसपास की चट्टानों से लोहा, जस्ता और तांबा जैसी धातुओं को अवशोषित करता है। फिरगर्म पानी को समुद्र के तल में छिद्र के माध्यम से छोड़ा जाता है, जो धातुओं को अपने साथ ले जाता है। कुछ समुद्री लवण पानी के भीतर ज्वालामुखी विस्फोट से आते हैं, जो खनिजों कोसीधे समुद्र में छोड़ते हैं।साथ ही नमक के गुंबद भी समुद्र के खारेपन में योगदान करते हैं। ये गुंबद, नमक के विशाल भंडार जो भूगर्भीय समय-सीमा में बनते हैं, दुनिया भर में भूमिगत और पानी के नीचे पाए जाते हैं। वे मेक्सिको (Mexico) के उत्तर- पश्चिमी खाड़ी के महाद्वीपीय रेतीले किनारे पर आम हैं।समुद्री जल में सबसे अधिक प्रचलित दो आयन क्लोराइड (Chloride) और सोडियम (Sodium) हैं। साथ में, वे समुद्र में सभी विघटित आयनों का लगभग 85 प्रतिशत बनाते हैं। जबकि मैग्नीशियम और सल्फेट 10 प्रतिशत बनाते हैं। तथा अन्य आयन बहुत कम सांद्रता में पाए जाते हैं।समुद्री जल (लवणता) में नमक की सांद्रता तापमान, वाष्पीकरण और वर्षा के साथ बदलती रहती है।आमतौर पर भूमध्य रेखा और ध्रुवों पर लवणता कम होती है और मध्य अक्षांशों पर उच्च होती है। औसत लवणता लगभग 35 भाग प्रति हजार है। दूसरे तरीके से कहा जाए तो समुद्री जल के भार का लगभग 3.5 प्रतिशत घुले हुए लवणों से आता है। हमें यह तो पता चल गया है कि समुद्री जल खारा क्यों होता है, लेकिन हम इस बात से अनजान हैं कि समुद्र की सतह की लवणता में छोटा सा बदलाव जल चक्र और महासागर परिसंचरण पर नाटकीय प्रभाव डाल सकता है। यदि देखा जाएं तो जलवायु परिवर्तन, पृथ्वी के वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon dioxide) के बढ़ते स्तर, अतिरिक्त पोषक तत्व और कई अन्य रूपों में मानव द्वारा किया जा रहा प्रदूषण वैश्विक समुद्री भू- रसायन को बदल रहे हैं।कुछ पहलुओं के लिए परिवर्तन की दर ऐतिहासिक और हाल के भूवैज्ञानिक अभिलेख से बहुत अधिक है।प्रमुख प्रवृत्तियों में बढ़ती अम्लता, निकट-किनारे और खुले समुद्र के जल दोनों के उपसतह में ऑक्सीजन की कमी, तटस्थ नाइट्रोजन (Nitrogen) के स्तर में वृद्धि, और पारा और लगातार जैविक प्रदूषकों में व्यापक वृद्धि शामिल है।
इनमें से अधिकांश गड़बड़ी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मानव जीवाश्म ईंधन के ज्वलन, उर्वरक और औद्योगिक गतिविधि से जुड़ी हुई है। वहीं समुद्र के बायोटा (Biota) और अन्य समुद्री संसाधनों पर नकारात्मक प्रभावों के साथ आने वाले दशकों में सांद्रता बढ़ने का अनुमान लगाया जा रहा है।इसके सबसे महत्वपूर्ण लक्षणों में से एक महासागर अम्लीकरण है, जो कार्बन डाइऑक्साइड की उच्च वायुमंडलीय सांद्रता और उच्च तापमान से संबंधित महासागरों के बढ़े हुए कार्बन डाइऑक्साइड के कारण होता है, क्योंकि यह प्रवाल भित्तियों (Coral reefs), मोलस्क (Mollusk), इचिनोडर्म (Echinoderm) और कठिनि-विषयक (Crustacean) को गंभीर रूप से प्रभावित करता है।

संदर्भ :-
https://bit.ly/3tDieKZ
https://bit.ly/3EbCYi1
https://go.nasa.gov/391BjgB

चित्र संदर्भ
1. समुद्री नमक वाष्पीकरण में हेलोफाइल जीव लाल रंग प्रदान करते हैं, जिसका एक चित्रण (wikimedia)
2. सालार दे उयूनी, बोलीविया (Salar de Uyuni, Bolivia) में नमक के टीलों का एक चित्रण (wikimedia)
3. समुद्री कचरे को दर्शाता एक चित्रण (flickr)

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