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यदि आपसे कहा जाए की मगरमच्छ की खेती करना, अथवा उनको पालना आपको आर्थिक रूप से
सम्पन्न बना सकता है, तो निश्चित तौर पर आपके दिमाग में पहला प्रश्न यही आएगा की, मोटी
खाल और नुकीले दांतों वाला यह उभयचर जीव भला किस काम आ सकता है? लेकिन क्या आप
जानते हैं, की अकेले लुइसियाना (Louisiana) में, मगरमच्छ की खेती $60 से $70 मिलियन
डॉलर का उद्योग है!
दुनियांभर में बड़े पैमाने पर मगरमच्छों की कई प्रजातियों की खेती अर्थात मगरमच्छ फार्म बनाए
गए हैं। दरअसल विश्व की विभिन्न संस्कृतियों में मगरमच्छ के मांस को बेहद पसंद किया जाता
है, साथ ही इसकी खाल से निर्मित चमड़े की भी बहुत मांग है।
इसके अलावा मगरमच्छ फार्म
पर्यटकों को भी अपनी ओर आकर्षित करते हैं। जिस कारण इसकी खेती को दुनियाभर में फायदे का
सौदा माना जाता है। कई देशों में मांस उद्पादों और सेवा क्षेत्र में इनकी मांग, आपूर्ति से अधिक हो
जाती है। आंकड़े बताते हैं कि मगरमच्छ का मांस 1990 से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 400 टन प्रति
वर्ष बिक जाता है।
मगरमच्छ वास्तव में मूल रूप से पालतू जानवर नहीं हैं, माना जाता है की संभवतः 20 वीं शताब्दी
की शुरुआत में फार्मों में पहली बार मगरमच्छों का प्रजनन शुरू किया गया।1893 में सेंट
ऑगस्टाइन एलीगेटर फार्म जूलॉजिकल पार्क (St. Augustine Alligator Farm Zoological
Park) उन शुरुआती फार्मों में से थे, जहां पर्यटकों के आकर्षण के लिए मगरमच्छों को पाला गया।
1973 के लुप्तप्राय प्रजाति अधिनियम से जल्द ही मगरमच्छ की खाल चमड़े के उत्पादन के लिए
सबसे व्यवहार्य विकल्प बन गई। तब इसके ज्यादातर उद्दोग दक्षिणी अमेरिकी राज्यों
लुइसियाना, फ्लोरिडा और जॉर्जिया (Louisiana, Florida and Georgia) में केंद्रित थे, लेकिन
धीरे-धीरे यह अभ्यास दुनियां के अन्य देशों में भी फैल गया। आज अमेरिकी और चीनी, दोनों
मगरमच्छों की गहन रूप से खेती की जाती है। नील मगरमच्छ पूरे अफ्रीका में खेतों में पाया जाता
है, और खारे पानी के मगरमच्छ को ऑस्ट्रेलिया (Australia) और अन्य क्षेत्रों में पाला जाता है।
खाल की मांग को देखते हुए मगरमच्छों की खेती ने तेज़ी से लोकप्रियता हासिल की जिसके
फलस्वरूप प्रत्येक को सैकड़ों डॉलर मिल सकते थे। लेकिन धीरे-धीरे पश्चिमी देशों में मगमच्छ का
मांस (विशेषकर काजुन व्यंजन, Cajun) भी लोकप्रिय होने लगा, जिसकी आपूर्ति एशियाई और
अफ्रीकी देशों से भेजे गए मांस के की जाने लगी। पारंपरिक चीनी चिकित्सा में मगर के मांस को
सर्दी और कैंसर की रोकथाम के लिए एक उपचारात्मक भोजन माना जाता है, हालांकि इसका
समर्थन करने के लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।
वाणिज्यिक मगरमच्छ पालन व्यवसाय एक जटिल उद्योग का हिस्सा है। यह बहुत लाभदायक है,
लेकिन न्यूनतम 3 से 4 वर्षों तक बड़ी मात्रा में प्रारंभिक निवेश की आवश्यकता होती है।
अंतरराष्ट्रीय बाजारों में मगरमच्छों की खाल या मांस बेचने के लिए ढेर सारे पैसे खर्च करने की
आवश्यकता पड़ती है। मगरमच्छ की खेती बहुत महंगी है, हालाँकि मुनाफा भी बहुत अधिक है।
मगरमच्छ बहुत ही खतरनाक जानवर होते हैं, इसलिए कमर्शियल क्रोकोडाइल फार्म
(commercial crocodile farm) बनाना इतना आसान भी नहीं है। चूँकि मगरमच्छ मूलतः एक
जंगली जानवर हैं, इसलिए उन्हें व्यावसायिक रूप से पालने के लिए लाइसेंस प्राप्त करने की
आवश्यकता होती है। भारत में मगरमच्छ की खेती कानूनी है, भारत में इस लाइसेंस को प्राप्त
करने के लिए आप अपने निकटतम वन्यजीव सेवा केंद्र से संपर्क कर सकते हैं, और उनसे इस
व्यवसाय को शुरू करने के लिए लाइसेंस प्राप्त करने की प्रक्रिया के बारे में भी पूछ सकते हैं।
जंगली जानवर होने के कारण मगरमच्छों को कड़ी और लम्बी ट्रेनिंग की भी आवश्यकता पड़ती है।
आप यदि इसकी खेती के बारे में विचार करें तो यदि संभव हो तो, कुछ फार्मों पर स्वयंसेवक के रूप
में काम करें ताकि इस व्यवसाय की स्थापना प्रणाली, लाभ और समस्याओं के बारे में अधिक
जानकारी प्राप्त हो सके।
मगरमच्छ पालन व्यवसाय शुरू करने के लिए ऐसा क्षेत्र चुनें जहां जंगली मगरमच्छ प्राकृतिक रूप
से रह रहे हों। साथ ही जहां पर प्रजनन और आपात स्थिति से नपटने के लिए परिवहन सुविधा
आसानी से मिल जाए। ऐसी भूमि चुनने का प्रयास करें जो मगरमच्छों के प्रजनन और बढ़ने के
लिए उपयुक्त हो। परिवहन की अच्छी व्यवस्था सुनिश्चित करें, ताकि आपात स्थिति में आपको
हर प्रकार की सहायता मिल सके। मगरमच्छों को प्रायः 86° से 88° फ़ारेनहाइट के लगातार
तापमान की आवश्यकता होती है, इसलिए इलेक्ट्रिक हीटिंग कॉइल (electric heating coil) का
उपयोग भी कर सकते हैं।
अब इनके उचित विकास के लिए, स्वस्थ भोजन भी बेहद ज़रूरी होता है, इसलिए हमेशा ताजा
खाना (आमतौर पर बीफ, चिकन, हिरण, मछली, घोड़े का मांस) आदि, वाणिज्यिक मगरमच्छों की
खेती के व्यवसाय के लिए उपयोग किया जा सकता है। उन्हें हमेशा पर्याप्त भोजन दें, लेकिन उन्हें
अधिक मात्रा में न खिलाएं। क्योंकि ज्यादा खाने से मगरमच्छों में गाउट हो सकता है। मगरमच्छ
प्राकृतिक रूप से अच्छे प्रजनक भी होते हैं। तनाव में रहने वाले मगरमच्छ को ब्राउन स्पॉट
(brown spot) रोग हो सकता है, इस रोग में मगरमच्छ की खाल पर फीके धब्बे पड़ जाते हैं और
उसकी कीमत कम हो जाती है। इसलिए उन्हें तनाव मुक्त रखा जाना चाहिए जिसके लिए उन्हें
बाहरी शोर से जितना अधिक हो सके दूर रखें।
संदर्भ
https://bit.ly/3ncN7VG
https://bit.ly/3yS2eGd
https://en.wikipedia.org/wiki/Crocodile_farm
https://www.quora.com/Is-crocodile-farming-legal
चित्र संदर्भ
1. सफ़ेद अमेरिकन एल्बिनो (American albino) मगरमच्छ का एक चित्रण (wikimedia)
2. मगरमच्छ के चमडे से निर्मित वस्त्र पहनी महिला का एक चित्रण (flickr)
3. मगरमच्छ फार्म (Crocodile Farm) का एक चित्रण (flickr)
4. अपने पसंदीदा भोजन मछली को खाते मगरमच्छ का एक चित्रण (flickr)
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