समयसीमा 229
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 963
मानव व उसके आविष्कार 757
भूगोल 211
जीव - जन्तु 274
Post Viewership from Post Date to 23- Sep-2021 (30th Day) | ||||
---|---|---|---|---|
City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
1446 | 69 | 1515 |
किसी भी देश की राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और सामाजिक आर्थिक विकास में पशुपालन और
डेयरी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पशुपालन उत्पादन देश के कृषि उत्पादन का
लगभग 30 प्रतिशत है। दुनिया का सबसे बड़े एकीकृत डेयरी विकास कार्यक्रम “ऑपरेशन
फ्लड” (Operation Flood) ने अपने उल्लिखित उद्देश्यों को प्राप्त करने में काफी प्रगति
की है। देश में 2014-15 के दौरान 132.43 मिलियन टन दूध का उत्पादन हुआ, और प्रति
व्यक्ति 296 ग्राम प्रति दिन उपलब्धता अंकित की गई।
1, 2-3, और 4 और उससे अधिक संख्या में गायों और भैंसों वाले पशुधन मालिकों को क्रमशः
छोटे, मध्यम और बड़े पशुधन मालिकों के रूप में वर्गीकृत किया गया था। विभिन्न सर्वेक्षणों
के परिणामों से पता चला कि, पशुधन के भरण-पोषण के पीछे कुल औसत लागत 17685.29
रुपये प्रति गाय और 21739.73 प्रति भैंस रही। गाय और भैंस में प्रति लीटर दूध उत्पादन
की लागत क्रमशः 12.77 रुपये प्रति गाय और 14.70 रुपये प्रति भैंस रही। विश्व के कुल
दुग्ध उत्पादन में भारत का योगदान 17 प्रतिशत है, जो की 2015-16 के दौरान दुग्ध
उत्पादन 137.97 मिलियन टन के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। इस प्रकार डेयरी में लगे 70
मिलियन ग्रामीण परिवारों जिसमे से 70 प्रतिशत कार्यबल महिलाओं के लिए दुग्ध
उद्पादन आय का एक महत्वपूर्ण माध्यमिक स्रोत बन गया है।
वर्ष 1919 से देश भर में समय-समय पर पशुधन की गणना की जाती रही है। जनगणना में
आमतौर पर सभी पालतू जानवरों को शामिल किया जाता है। राज्य सरकारों और केंद्र
शासित प्रदेशों के प्रशासन की भागीदारी में अभी तक कुल 19 पशुधन गणनाएं की जा चुकी
हैं। अंतिम 20वीं पशुधन गणना अक्टूबर, 2018 के महीने के दौरान भारत के ग्रामीण और
शहरी दोनों क्षेत्रों में की गई थी। जानवरों की विभिन्न प्रजातियां (मवेशी, भैंस, मिथुन, याक,
भेड़, बकरी, सुअर, घोड़ा, टट्टू, खच्चर, गधा, ऊंट, कुत्ता, खरगोश और हाथी) / कुक्कुट (मुर्गी,
बत्तख और अन्य कुक्कुट पक्षी आदि इस गणना में शामिल थे। 20वीं पशुधन गणना में
पहली बार पशुधन डेटा ऑनलाइन एकत्र किया गया। डेटा एकत्र करने के लिए टैबलेट
कंप्यूटर जैसी आधुनिक तकनीक को अपनाया गया। 20वीं पशुधन गणना में, डेटा पैरा-पशु
चिकित्सकों द्वारा एकत्र किया गया था। इस पूरी पशुधन गणना के सुचारू संचालन के
लिए 80,000 से अधिक फील्ड स्टाफ (Field Staff) को तैनात किया गया था। यह पशुधन
गणना देश भर के लगभग 6.6 लाख गांवों और 89 हजार शहरी वार्डों में की गई थी, जिसमें
27 करोड़ से अधिक परिवारों को शामिल किया गया था।
20वीं पशुधन गणना के कुछ प्रमुख परिणाम निम्नवत दिए गए हैं
1. देश की कुल पशुधन आबादी 535.78 मिलियन दर्ज की गई, जो 2012 की पशुधन गणना
की तुलना में 4.6% अधिक है।
2. 2019 में कुल गोजातीय आबादी ( भैंस, मिथुन और याक) 302.79 मिलियन दर्ज किये
गए जो पिछली जनगणना की तुलना में 1.0% की वृद्धि दर्शाती है।
3. 2019 में देश में पालतू मवेशियों की कुल संख्या 192.49 मिलियन आंकी गई, जो पिछली
2012 की जनगणना की तुलना में 0.8% अधिक है।
4.मादा मवेशी (गायों की आबादी) 145.12 मिलियन है, जो पिछली जनगणना (2012) की
तुलना में 18.0% अधिक है।
5. भारत में विदेशी और स्वदेशी/गैर-वर्णित मवेशियों की आबादी क्रमशः 50.42 मिलियन
और 142.11 मिलियन है।
6. देश में कुल भैंसों की संख्या 109.85 मिलियन है जो पिछली जनगणना की तुलना में
लगभग 1.0% अधिक है।
7. गायों और भैंसों में कुल दुधारू पशु (दूध में और सूखे) 125.34 मिलियन हैं, जो पिछली
जनगणना की तुलना में 6.0% अधिक है।
8. 2019 तक देश में कुल अड़तालीस हजार याक दर्ज किये गए , जो पिछली जनगणना की
तुलना में 24.67% कम है।
9. देश में गधों की कुल आबादी 1.2 लाख दर्ज की गई है, जो पिछली जनगणना की तुलना में
61.23% कम है।
10. 2019 में देश में ऊंटों की कुल आबादी 2.5 लाख है, जो पिछली जनगणना की तुलना में
37.1% कम है।
11. 2019 में देश में कुल मुर्गी पालन (poultry) 851.81 मिलियन है, जो पिछली जनगणना
की तुलना में 16.8% अधिक है।
12. 2019 में देश में कुल वाणिज्यिक मुर्गी पालन 534.74 मिलियन दर्ज किये गए है, जो
पिछली जनगणना की तुलना में 4.5% अधिक है।
उक्त दिए गए आंकड़ों में से अधिकांशतः सकारात्मक हैं। किंतु इन आंकड़ों के प्रकाशित होने
के बाद वर्ष 2020 से कोविड -19 महामारी और लंबे समय से लॉकडाउन ने भारत और कई
अन्य देशों में कृषि और अन्य संबद्ध उप-क्षेत्रों सहित विभिन्न क्षेत्रों पर महत्वपूर्ण प्रतिकूल
प्रभाव डाला है। भारत में इस तालाबंदी ने विशेष रूप से पशुधन और मुर्गी पालन के विभिन्न
उप-क्षेत्रों पर बहुत बड़ी बाधा उत्पन्न कर दी है। बाज़ारों के लंबे समय तक बंद रहने से इन
विभिन्न डेयरी उद्पादों की मांग में भारी कमी देखी गई है। महामारी और लॉकडाउन ने न
केवल लाखों गरीब और सीमांत किसानों को अपनी फसलों और पशुधन को बचाने के लिए
भारी संकट पैदा किया है, बल्कि समग्र मुर्गी पालकों, डेयरी और अन्य पशुधन उत्पादन
प्रणालियों और संबद्ध मूल्य को भी प्रभावित किया है। लाखों गरीब और सीमांत किसानों के
सामने अपनी फसल और/या पशुधन को बचाने और इस तरह अपनी आजीविका सुनिश्चित
करने का संकट खड़ा हो गया है।
भारत में डेयरी उद्योग को देश में लगभग 25-30% की समग्र मांग में कमी के कारण काफी
नुकसान हुआ है। एनडीडीबी (NDDB) की 18 अप्रैल, 2020 की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार,
कोविड-19 (16 मार्च से 16 अप्रैल, 2020) के बाद की अवधि के दौरान तरल दूध की खरीद
का प्रतिशत, कोरोना महामारी से पहले की तुलना में केवल 8.8% कम हुआ ।
भारत वर्तमान में मात्रा के हिसाब से दुनिया का चौथा सबसे बड़ा कुक्कुट(poultry) उत्पादक
है। अनुमान है कि 2019 के कैलेंडर वर्ष के दौरान देश में लगभग 3.8 मिलियन टन मुर्गी के
मांस की खपत हुई, जिसका मूल्य लगभग 85,000 करोड़ रुपये रहा। इस दौरान देश में
लगभग 109 अरब अंडों के उद्पादन का अनुमान लगाया गया था, जिसकी कीमत लगभग
45,000 करोड़ रुपये दर्ज की गई। कोविड-19 महामारी की घटनाओं ने इस क्षेत्र पर एक
अभूतपूर्व प्रभाव डाला। देश में महामारी का पहला मामला दर्ज होने से पहले ही, पोल्ट्री
पक्षियों के वायरस के संभावित वाहक के रूप में सोशल मीडिया में व्यापक रूप से प्रसारित
होने की अफवाहों के कारण देश के कई हिस्सों में चिकन मांस की मांग कम हो गई थी।
कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए हजारों जीवित पक्षियों को दफनाने जैसी कई चौंकाने
वाली घटनाएं; पक्षियों को सामूहिक रूप से मारना और जलाना; और सिर्फ उन्हें मुफ्त में देने
की वजह से देश के अलग-अलग जगहों से बिक्री में गिरावट की खबरें आती रही हैं। अनुमान
के अनुसार महामारी से लॉकडाउन के दौरान लगभग 10 लाख मुर्गी पालक किसान प्रभावित
हुए और अप्रैल 2020 के अंत तक, इसके कारण लगभग 27,000 करोड़ का नुकसान होने
का अनुमान लगाया गया। साथ ही कई स्थानों पर, जीवित पक्षियों की कीमत 10-30 रुपये
प्रति किलोग्राम तक कम हो गई। हालांकि अब बाजार के खुलने से धीरे-धीरे उपज और
प्रासंगिक मूल्य वर्धित उत्पादों की मांग में वृद्धि देखी जा रही है।
संदर्भ
https://bit.ly/3B3h7ag
https://bit.ly/3j7wTe3
https://bit.ly/3B83Tcl
https://bit.ly/3D8ng6M
चित्र संदर्भ
1. गायों के झुंड का एक चित्रण (t3.ftcdn)
2. उत्तरप्रदेश में पशुओं की संख्या का एक चित्रण (Navbharat Times)
3. भारत में मुर्गी फार्म का एक चित्रण (flickr)
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.