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वर्तमान में कोविड (COVID-19) से हुई तबाही ने नीति निर्माताओं को एक समन्वित शहरी नियोजन की
आवश्यकता पर फिर से सोचने के लिये मजबूर किया है। बात चाहे अस्पतालों की हो या सार्वजनिक स्थानों की
सभी कोरोना से प्रभावित हुये है और इनके ठोस समाधान के लिये एक शहरी नियोजन की जरूरत महसूस की
जा रही है।मानव इतिहास में कई ऐसी बीमारियां सामने आयी हैं, जिन्होंने लोगों के जीवन को बहुत बुरी तरह
से प्रभावित किया है। इन बीमारियों की रोकथाम के लिए शहरी नियोजन और प्रबंधन में कई महत्वपूर्ण विकास
किये गये जिसने शहरों को आकार दिया है।शहरी नियोजन और प्रबंधन में कुछ सबसे प्रतिष्ठित विकास, जैसे
कि 19 वीं शताब्दी के मध्य में स्वच्छता प्रणाली सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट “हैजा” के प्रकोप के कारण से
विकसित हुई। जिस प्रकार से 1918 के स्पेनिश फ्लू (Spanish flu) संक्रामक रोगों की इन सूची में शामिल
हुआ था, इसने विश्व में लाखों लोगों को प्रभावित किया था, ठीक उसी प्रकार से कोविड-19 (COVID-19) भी
इन रोगों की सूची में शामिल हो गया है।
ऐसा पहली बार हुआ है जब शहरी स्थान और वस्तुओं व लोगों की वैश्विक आवाजाही ने महामारी के खतरे को
जन्म दिया है, किंतु इससे पहले भी संक्रामक बीमारियां शहरों की कहानियों का हिस्सा रही हैं। या ये कहा जा
सकता है, कि संक्रामक बीमारियों से उभरना शहरीकरण का ही एक रूप है। 19वीं सदी के मध्य में फैला हैजा
का प्रकोप इसका महत्वपूर्ण उदाहरण है। इसके अलावा प्लेग (plague) से लेकर सार्स (SARS) और इबोला
(Ebola) तक इन बीमारियों के कुछ अन्य उदाहरण हैं।19वीं सदी के मध्य में हैजा के प्रकोप से बाहर निकलने
का रास्ता बनाने और उसका प्रबंधन करने के लिये कई नितियां बनाई गई थी। इसी प्रकार कोविड-19 भी एक
मौलिक चुनौती पेश करता है कि हमें शहरीकरण का प्रबंधन कैसे करना चाहिये। जैसे कि हांगकांग (Hong
Kong) में प्रति वर्ग मील 17,311 लोग हैं और इस महामारी से बचने के लिये वहां घनत्व प्रबंधन पर
पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।
परंतु जैसा की हम जानते ही हैं दुनिया दिन प्रति दिन अधिक शहरी होती जा रही है तथा शहरीकरण की यह
प्रक्रिया 18वीं शताब्दी में औद्योगिक क्रांति के बाद से जारी है। संयुक्त राष्ट्र (United Nations) का अनुमान
है कि शहरी केंद्रों में लगभग 3.19 बिलियन (3190 करोड़) लोग निवास करते हैं तथा अगले 30 वर्षों में
एशिया और अफ्रीका की शहरी आबादी में बड़ी वृद्धि होने की सम्भावना है। ऐसे में शहरीकरण वैश्विक स्वास्थ्य
और संक्रामक रोगों के विज्ञान के लिए कई चुनौतियों की ओर ले जाता है।एशिया और अफ्रीका की वर्तमान
शहरी आबादी क्रमशः 48% और 40% है तथा 2050 तक यह प्रतिशत क्रमशः 64% और 56% बढ़ने की
सम्भावना है। विकसित देश, जिन्हें परंपरागत रूप से उच्च आय वाले देश माना जाता है, पहले से ही शहरीकृत
हैं, तथा यह वृद्धि विकासशील देशों में अधिक तेजी से हो रही है। शहरीकरण वैश्विक स्वास्थ्य और व्यापक
रोग-विज्ञान के लिए कई चुनौतियों का कारण बनता है। नए महानगर नई महामारी के लिए इनक्यूबेटर
(incubator) हो सकते हैं, जो ज़ूनोटिक (zoonotic) रोगों के फैलने का कारण बन सकते हैं और दुनिया भर में
खतरा बन सकते हैं।इन शहरों में अधिकांश शहरी श्रमिक अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में अपनी आजीविका कमाते
हैं, इस कारण भी शहरों का आबादी घनत्व भी बढ़ जाता है। दुनिया भर के कई शहर, शहरी अनौपचारिक
आजीविका को सक्रिय रूप से कम कर रहे हैं।लेकिन वैश्विक स्वास्थ्य में सुधार और संचारी रोगों के बोझ को
कम करने के लिए पर्याप्त शहर नियोजन और प्रबंधन शक्तिशाली उपकरण हो सकते हैं, इसके लिये कुछ
सुझाव निम्नलिखित हैं:
1. बुनियादी सेवाओं तक पहुंच पर ध्यान: शहरी वातावरण में विभिन्न जोखिम कारक गरीब आवास,
अपर्याप्त जल आपूर्ति, स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन आदि हैं, जो क्षेत्र में रोगजनकों को अनुकूल
वातावरण प्रदान करते हैं। ये सभी कारक ग्रामीण क्षेत्रों में भी रोगजनकों के प्रसार को बढ़ाते हैं। शहरों
में रहने की स्थिति ग्रामीण परिवेश की तुलना में बेहतर है, चूंकि यहां बेहतर आवास, स्वच्छता,
वेंटिलेशन (ventilation) और सामाजिक सेवाएं अपेक्षाकृत अधिक हैं, किंतु प्रवासियों के तेजी से प्रवाह
के कारण स्थानीय सरकारें सुरक्षित आवास, पेयजल, और पर्याप्त सीवेज सुविधाएं (sewage
services) प्रदान करने में सक्षम नहीं हैं, जोकि संभावित स्वास्थ्य के लिए खतरे का कारण बनता है।
यद्यपि बुनियादी सेवा प्रदान करने में प्रगति हो जाये तो अधिकांश अनौपचारिक झुग्गी-झोपड़ियों या
अवैध बस्तियों में रहते वाले लोग अधिक सुरक्षित जीवन बीता पायेंगे। दुनिया के सभी शहरी केंद्रों में
कोविड-19 के प्रसार ने स्वस्थ घनत्व के बारे में सवाल खड़े कर दिए हैं। यह पानी, आवास और
स्वास्थ्य देखभाल जैसी आवश्यक सेवाओं तक पहुंच की कमी है, जिसने कई शहरों में कोविड-19 को
प्रभावी ढंग से बढ़ा दिया है। खराब पहुंच के कारण कुछ जगहों पर लॉकडाउन के आदेशों का पालन
करना असंभव हो जाता है। इन शहरी सेवाओं तक पहुंच शहरों के लिए प्राथमिकता होनी चाहिए।
कोविड के प्रभावों कों देखते हुये दिल्ली मास्टर प्लान 2041 (Delhi Master Plan 2041) की
तत्काल आवश्यकता है, जिसे वर्तमान में तैयार किया जा रहा है, विशेष रूप से औपचारिक शहर के
लिए योजना बनाने से लेकर अधिकांश शहरी श्रमिकों के लिए भी जो अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में
काम करते हैं और अनौपचारिक बस्तियों में रहते हैं। इस प्लान में महामारी के खतरों और सभी शहरी
नागरिकों के लिए एक समान जीवन स्तर प्रदान करने की महत्वपूर्ण आवश्यकताओं पर प्रकाश डाला
गया है।
2.किफायती आवास और सार्वजनिक स्थान: हम अपने शहरों की योजना कैसे बनाते हैं, यह काफी हद
तक निर्धारित करता है कि वे कितने लचीले हैं। पर्याप्त सार्वजनिक स्थानों या उचित किफायती आवास
प्रावधान के बिना जनसंख्या घनत्व समस्याओं को जन्म देगा। किफायती आवास और सार्वजनिक
स्थान लोगों के लिए सामाजिक दूर करने के दिशा-निर्देशों का पालन करना संभव बनाता है।इसके
अलावास्ट्रीट वेंडर (Street Vendors) सुविधाजनक और सुलभ स्थानों पर कई प्रकार की वस्तुओं और
सेवाओं की पेशकश करते हैं, और कम लागत वाले सामान की पेशकश करके गरीबों के लिए एक
आवश्यक सेवा में योगदान करते हैं।
3. एकीकृत हरे भरे स्थान: लॉकडाउन के दौरान यातायात में वृद्धि देखने को मिली, कई मजदूर शहरों से
अपने घर की ओर जाने लगे। इन सब को देखते हुये सुझाव दिया गया कि कुछ स्थानों में पार्क होने
चाहिये। शहर की योजना के लिए एक नये दृष्टिकोण में खुले स्थान, वाटरशेड (watersheds) , पार्क
आदि शामिल हैं।
4.आगे के लिये योजना का विकास: शहरों में जो भी क्रियाऐं होती है वो केवल शहरों तक नहीं रहती
बल्कि आसपास के क्षेत्रों को भी प्रभावित करती हैं यहां तक कि उत्पादन श्रृंखला भी इससे अछूती नहीं
रहती। इस लिये अगले संकट के लिए हमें बेहतर योजना के लिये सबक लेना चाहिए।
5.शहर के हर स्तर की बारीक जानकारी या डेटा (data) को रखना: डेटा या जानकारी मुख्य रूप से
राष्ट्रीय स्तर पर एकत्र की जाती है, जबकि किसी भी महामारी की रोकथाम के लिये कई निर्णय
स्थानीय स्तर पर किए जाते हैं। इसलिये हमें नियमित रूप से अद्यतन डेटा स्ट्रीम (updated data
streams) के साथ सशक्त बनाने की आवश्यकता है जो निर्णय लेने के लिए बेहतर जानकारी प्रदान
कर सकते हैं।
संदर्भ:
https://bit.ly/3wsJkEr
https://bit.ly/3k2Oyoa
https://bit.ly/3yFKldV
https://bit.ly/3yLCkV1
https://bit.ly/3hsQVi4
https://bit.ly/3k30uWY
चित्र संदर्भ
1. मुंबई में भीड़भाड़ वाले आवास और प्रदूषित जलमार्ग (flickr)
2. भारत में से बढ़ते शहरीकरण के प्रभाव को दर्शाता
एक चित्रण (flickr)
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