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भारत में रामायण एवं महाभारत महाकाव्य से भला कौन अवगत न होगा, और महाभारत से जुडी
साहसिक गाथाओं के साथ ही समाज को धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते रामायण के प्रसंग, देश
में बच्चे-बच्चे को मुँह जुबानी याद हैं। इन महाकाव्यों के प्रचार और लोकप्रियता का बड़ा श्रेय टेलीविजन
पर प्रसारित होने वाले महाभारत और रामायण के कार्यक्रमों को जाता है। और विशेष तौर उन कलाकारों
को भी जाता है, जिन्होंने अपने शानदार अभिनय से हिन्दू धर्म के पवित्र प्रसंगो को जिवंत कर दिया। उन
कलाकारों के लिए भला इससे बड़ा उपहार क्या होगा की, आज देश के अनगिनत लोग उन्हें भगवान राम
और कृष्ण के समतुल्य ही रखते हैं।
देश में धर्म के प्रति श्रद्धा और प्रभाव की जड़ें कितनी गहरी है, इसका असल अंदाज़ा कोरोना महामारी के
दौरान लगे लॉकडाउन अवधि में लगा, जब बचपन से हम सभी के चहेते रहे, दूरदर्शन चैनल पर कुछ वर्ष पूर्व
बेहद लोकप्रिय रहे, महाभारत और रामायण महाकाव्य के पुनः प्रसारण ने लोकप्रियता के नए रिकॉर्ड
स्थापित कर दिए, और दूरदर्शन तालाबंदी की एक निश्चित अवधि में देश का सर्वाधिक देखे जाने वाला
चैंनल बन गया।
इस दौरान दर्शकों की संख्या में अभूतपूर्व (लगभग 40, 000 प्रतिशत) की वृद्धि देखी
गई। यह आंकड़े ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (Broadcast Audience Research Council
(BARC) से प्राप्त है। लॉकडाउन अवधि में प्रसारित हुए इन कार्यक्रमों ने हर आयु वर्ग को अपना मुरीद बना
दिया, सोशल मीडिया पर भी इनके पुनः प्रसारण का सहर्ष स्वागत किया गया।
रामायण में प्रत्येक पात्र, जीवन को सर्वोत्तम स्तर पर जीने का सन्देश देता है। उदाहरण के लिए हम उस
नन्ही गिलहरी को ले सकते हैं, जिसने अपने छोटे-छोटे हाथों से लंका तक सेतु निर्माण में, निष्काम भावना
से श्री-राम की सहायता की। साथ ही यहाँ पर रामायण के एक अन्य प्रसंग की चर्चा करना भी बहुत ज़रूरी
है, जिसमे रावण द्वारा, माता सीता का हरण करने पर एक रीछ (जटायु) ने उससे साहसिक युद्ध लड़ा, और
इस लड़ाई में नारी की रक्षा के लिए अपना एक पंख भी खोया, और शीग्र ही प्राण भी गवा दिए। रामायण
और महाभारत के ऐसे ही प्रेरणादायी प्रसंग आज भी लोगों को जीवन जीने का मार्ग प्रदर्शित करते हैं।
हमारे देश के लोग भी अपनी श्रद्धा व्यक्त करने के लिए, विभन्न प्रकार के कलात्मक मार्गों का चुनाव
करते हैं, जिसका सबसे बड़ा और ठोस प्रमाण आपको केरल के कोल्लम जिले के चादयामंगलम (
'जटायुमंगलम' ) गाँव में चट्टान की चोटी पर स्थित, साहसी जटायु की एक पंख कटी भव्य प्रतिमा को
देखकर मिल जायेगा। इस शानदार प्रतिमा को प्रसंग के अनुरूप हूबहू निर्मित किया गया है, यह प्रतिमा
एक विशाल पक्षी को दर्शाती हैं, जो घायल होकर पीठ के बल लेटा है, तथा जिसके पंख 150 फीट तक फैले
हैं। इसका सर हवा में 70 फ़ीट तक ऊपर उठा हुआ है, यह भव्य जटायु रचनाकृति 1, 000 फीट ऊंचे
जटायुपारा के शीर्ष पर स्थित है।
वर्तमान में यह स्थान पहाड़ी साहसिक खेलों के लिए भी खुला हुआ है। इस
स्थान को जटायु अर्थ सेंटर (Jatayu Earth Center) अथवा जटायु नेचर पार्क (Jatayu Nature Park) या
जटायु रॉक (Jatayu Rock) के नाम से भी जाना जाता है, और यह समुद्र तल से 350 मीटर (1200 फीट)
की ऊंचाई पर स्थित है। बेहद कम समय में निर्मित इस पक्षी प्रतिमा को 17 अगस्त 2018 को आगंतुकों के
लिए खोल दिया गया। जटायु की इस भव्य प्रतिमा को विश्व की सबसे बड़ी पक्षी मूर्ती होने का गौरव भी
प्राप्त है, जिसे तराशने का श्रेय राजीव आंचल को जाता है, जिन्होंने रामायण में जटायु के साहस से प्रेरित
होकर दुनिया की सबसे विशाल जटायु मूर्ति की रचना कर दी। जटायु से सम्बंधित रामायण के इस प्रसंग
को एक प्रसिद्द भारतीय चित्रकार राजा रवि वर्मा ने भी अपनी एक शानदार पेंटिंग (चित्रकारी) में दर्शाया है)
हिंदू देवताओं के उनके धार्मिक चित्रण और भारतीय महाकाव्य, कविता और पुराणों के कार्यों को गहन
प्रशंसा मिली है।
विश्वभर में विशाल जटायु की ही भांति अन्य धर्मों से प्रेरित शानदार मूर्तियाँ देखने को मिल जाएँगी, और
जो काफ़ी लोकप्रिय भी हैं। जैसे:-
1. फ्लोरिडा के की लार्गो (Key Largo, Florida) में ईसा मसीह की 2.6 मीटर (8.6 फुट) जलमग्न कांस्य
प्रतिमा, जिसका वज़न 260 किलोग्राम है, और इसे 9 टन कंक्रीट बेस के साथ रखा गया है।
2. हांगकांग के तियान टैन बुद्ध (Tian Tan Buddha of Hong Kong) की विशाल कांस्य की प्रतिमा,
जिसके निर्माण कार्य को पूरा होने में 12 साल लगे। यह हांगकांग के पो लिन (Po Lin) मठ के बगल में
स्थित है, जिसे इस क्षेत्र का बौद्ध धर्म का केंद्र माना जाता है। तियान टैन बुद्ध प्रतिमा 34 मीटर (112
फीट) ऊँची है, जिसका वज़न 250 टन है और इसे मकाऊ जितनी दूर से देखा जा सकता है।
3. बोलीविया (Bolivia) में क्रिस्टो डे ला कॉनकॉर्डिया (The Cristo de la Concordia) दुनिया में यीशु की
दूसरी सबसे बड़ी तथा दक्षिणी गोलार्ध में तीसरी सबसे बड़ी मूर्ति है।
4.सेलांगोर, मलेशिया (Malaysia) में स्थित भगवान मुरुगन की मूर्ति, 42 मीटर (137 फीट) की ऊंचाई
वाली इस मूर्ति को हिंदू देवता का दुनिया का सबसे ऊंचा चित्रण कहा जाता है। मलेशिया की प्रसिद्ध बाटू
गुफाओं के बाहर भगवान मुरुगन की प्रतिमा को पूरा करने में तीन साल लगे,और तैयार उत्पाद-250 टन
स्टील, 1, 550 क्यूबिक मीटर कंक्रीट और 300 लीटर गोल्ड पेंट से बना है। जिसका 2006 में वार्षिक
थाईपुसम उत्सव के दौरान अनावरण किया गया था।
संदर्भ
https://bit.ly/3w4kKcU
https://cnn.it/3jptuHW
https://bit.ly/35Zmhq3
https://bit.ly/3hgkDWu
https://bit.ly/3yatgIZ
https://bit.ly/3h591GO
https://bit.ly/2TiqCSz
चित्र संदर्भ
1. जटायु नेचर पार्क (Jatayu Nature Park) में स्थापित जटायु प्रतिमा का एक चित्रण (flickr)
2. टेलीविजन पर रामायण के प्रमुख पात्रों का एक चित्रण (youtube)
3. कोल्लम जिले के चदयामंगलम में निर्माणाधीन जटायु नेचर पार्क का विहंगम दृश्य (wikimedia)
4. ईसा मसीह की 2.6 मीटर (8.6 फुट) जलमग्न कांस्य
प्रतिमा का एक चित्रण (flickr)
5. हांगकांग के तियान टैन बुद्ध (Tian Tan Buddha of Hong Kong) की विशाल कांस्य की प्रतिमा का एक चित्रण (flickr)
6. दुनिया में यीशु की दूसरी सबसे बड़ी तथा दक्षिणी गोलार्ध में तीसरी सबसे बड़ी मूर्ति का एक चित्रण (flickr)
7. मलेशिया (Malaysia) में स्थित भगवान मुरुगन की मूर्तिका एक चित्रण (flickr)
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