जोखिम भरे कार्यों में लगे कर्मचारियों के लिए व्यावसायिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होना ज़रूरी है

नगरीकरण- शहर व शक्ति
26-06-2021 10:18 AM
जोखिम भरे कार्यों में लगे कर्मचारियों के लिए व्यावसायिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होना ज़रूरी है

मानव इतिहास में सेहत को हमेशा से सबसे बड़ी पूंजी के रूप में देखा गया है। यदि कोई व्यक्ति पर्याप्त मात्रा में धन कमाता है, परंतु उसका काम उसकी सेहत को प्रभावित करता है, तो शायद उस व्यक्ति की संपत्ति निरर्थक ही साबित हो सकती है। अनेक ऐसे व्यवसाय अथवा नौकरियाँ है, जिनको पूरा करने के लिए स्वास्थ्य तथा सुरक्षा सम्बंधी जोखिम लेना बेहद ज़रूरी हो जाता है, परंतु जिन्हे करना सामाजिक हितों के लिए भी अति आवश्यक होता है। यही कारण है कि भारत में व्यावसायिक (अर्थात काम के दौरान आपकी निजी सुरक्षा अथवा स्वास्थ्य) को विशेष महत्त्व दिया जाता है। व्यावसायिक स्वास्थ्य कार्यस्थल पर स्वास्थ्य और सुरक्षा के सभी पहलुओं से सम्बंधित है। इसका मुख्य उद्देश्य व्यवसायों और काम के दौरान में प्राथमिक स्तर के खतरों की रोकथाम सुनिश्चित करने का है। 2016 में भारत की अनुमानित जनसँख्या तकरीबन 1.324 बिलियन रही, जहाँ सकल राष्ट्रीय प्रति व्यक्ति आय (Gross National Per Capita Income) 6490 डॉलर है, और प्रत्येक व्यक्ति का स्वास्थ्य पर किया जाने वाला कुल व्यय $75 डॉलर है।
कुछ वर्ष पूर्व उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक सीवर की सफ़ाई के दौरान दो लोगों की मौत हो गई, चूँकि सफ़ाई के दौरान उन्हें कोई भी सुरक्षा उपकरण उपलब्ध नहीं कराया गया था, इसलिए सीवर के भीतर ज़हरीली गैसों में दम घुटने के कारण उनकी जान चली गयी। दरसल सीवरों में अधिकांशतः मौतें हाइड्रोजन सल्फाइड (Hydrogen Sulphide) जैसी विषाक्त गैसों के शरीर में प्रवेश करने के कारण होती हैं। यह गैस अपशिष्ट की गंध तथा कार्बनिक पदार्थ की सड़न से उत्पन्न होती हैं। हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S) को मनुष्यों के लिए बेहद घातक गैस माना जाता है, हमारे शरीर में अधिक मात्रा में प्रवेश पर यह गैस जानलेवा साबित हो सकती है। यह गैस हमारी चेतना को प्रभावित करती है, और अधिक मात्रा में प्रवेश करने पर यह ह्रदय गति को मंद कर देती है। यह आमतौर पर पुराने सीवरों/नालियों, कुछ प्रकार के लुगदी और कागज उत्पादन, और किसी भी प्रकार के कार्बनिक पदार्थ के क्षय से उत्पन्न होती है। इस विषाक्त गैस की खोज सर्वप्रथम फ्रांसीसी वैज्ञानिक बर्नार्डिनो रामाजिनी (Bernardino Ramazzini) द्वारा 1700 के दशक में की गई थी।
उनकी पुस्तक (डी मोर्बिस आर्टिफिशम डायट्रीब - द डिजीज ऑफ वर्कर्स) व्यावसायिक चिकित्सा के परिपेक्ष्य में एक महत्वपूर्ण पुस्तक बन गई है। विश्व भर में अनेक कारणों से काम के दौरान व्यावसायिक दुर्घटनाएँ होती हैं, भारत में व्यावसायिक स्वास्थ्य कानून के तहत श्रमिकों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए श्रमिकों को कुछ संवैधानिक प्रावधान हैं। इनमे तीन प्रमुख लेख हैं:
1. अनुच्छेद (24) : यह 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों के नियोजन पर रोक लगाता है।
2. अनुच्छेद (39) : (E और F) में कहा गया है कि पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य की रक्षा की जानी चाहिए और बच्चों के स्वास्थ्य विकास के लिए अवसर और सुविधा दी जानी चाहिए तथा शोषण से उनकी रक्षा की जानी चाहिए।
3. अनुच्छेद (42): में कहा गया है कि काम पर मानवीय स्थिति और मातृत्व राहत प्रदान की जानी चाहिए।
व्यावसायिक स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के उद्देश्य से 1970 में गुजरात के अहमदाबाद में राष्ट्रीय व्यावसायिक स्वास्थ्य संस्थान (NIOH) की स्थापना की गई, जो कि (WHO) की सहयोगी संस्था है। यह संस्थान व्यावसायिक और पर्यावरणीय महामारी विज्ञान, विष विज्ञान, पर्यावरण प्रदूषण, महिला स्वास्थ्य, कृषि स्वास्थ्य और मानव संसाधन विकास जैसे क्षेत्रों में कार्यरत है, साथ ही इनके प्रमुख उद्द्येश्य भी निर्धारित किए गए।
1. कार्यस्थल पर तनाव का मूल्यांकन करने के लिए गहन शोधों को बढ़ावा देना।
2. शोधों के परिणामों के आधार पर, व्यावसायिक स्वास्थ्य की उच्चतम गुणवत्ता को बनाए रखना, तथा अनुसंधान के माध्यम से प्रौद्योगिकियों को विकसित करना और स्वास्थ्य कार्यक्रमों को नियंत्रित करना।
इंडियन एसोसिएशन ऑफ ऑक्यूपेशनल हेल्थ (IAOH) 3000 से अधिक सदस्यों का एक संघ है, जिसमें पेशेवर स्वास्थय कर्मी, औद्योगिक स्वच्छताविद, पेशेवर सुरक्षा कर्मी, सामाजिक कार्यकर्ता इत्यादि शामिल हैं। जिनका लक्ष्य आधुनिक तकनीकी अथवा पारंपरिक उपायों द्वारा व्यावसायिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना है, जिसमें प्रशिक्षण पाठ्यक्रम, कार्यशालाएँ और सम्मेलन आयोजित करना, विभिन्न वैज्ञानिक लेखों के साथ एक पत्रिका तैयार करना, अनुसंधान गतिविधियों का संचालन करना, क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ सहयोग करना और व्यावसायिक स्वास्थ्य की राष्ट्रीय रजिस्ट्री तैयार करना इत्यादि शामिल है।
विभन्न जोखिम भरे नौकरी पेशा लोगों के लिए लखनऊ नगर निगम (Lucknow Municipal Corporation (LMC) और जल संस्थान भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) द्वारा, कम से कम 50 सीवर ओवरफ्लो हॉटस्पॉट की पहचान करके, उन्हें साफ़ करने के लिए जेटिंग मशीनों का उपयोग किया जायेगा। यह मशीने स्वच्छता कर्मचारियों को स्वास्थ्य सम्बंधी खतरों से बचाने के लिए मैनुअल स्कैवेंजिंग (manual scavenging) से यांत्रिक सफ़ाई करेंगी। इसके साथ ही हमारा शहर लखनऊ भी गैर-यांत्रिक प्रणालियों से अधिक यांत्रिक और स्वचालित प्रणालियों की ओर बढ़ रहा है। सफ़ाई कर्मचारियों को स्वास्थ्य सम्बंधी खतरों से बचाने के लिए नालों और सीवेज की सफ़ाई के लिए नवीनतम उपकरण पेश किए जा रहे हैं।
वर्तमान में, 525 से अधिक कर्मचारी सीवरों की सफ़ाई में लगे हुए हैं, जिनको उन्नत सफ़ाई मशीनों को संचालित करने के लिए प्रशिक्षित भी किया जा रहा है। मौजूदा व्यावसायिक स्वास्थ्य सम्बंधी सुविधाओं और कानूनों में कई बदलाव किए जा सकते हैं, जिससे इनकी सुरक्षा और स्वास्थ्य सुनिश्चित किया जा सके। जैसे नियोक्ताओं, कर्मचारियों, सांसदों, श्रमिक संगठनों (जैसे ट्रेड यूनियनों) , गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) और आम जनता जैसे: सभी हितधारकों के बीच व्यावसायिक स्वास्थ्य सम्बंधी मुद्दों के बारे में जागरूकता फैलाई जा सकती है और प्रशिक्षित व्यावसायिक स्वास्थ्य नर्सों की भी भर्ती की जा सकती है। कार्यस्थलों पर सुरक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण पर राष्ट्रीय नीति (2009) को तत्काल लागू किया जा सकता है।

संदर्भ
https://bit.ly/2SYfKt6
https://bit.ly/3h9brTP
https://bit.ly/3gVA8Ed
https://bit.ly/3qr9uGz
https://bit.ly/3gVAivj
https://bit.ly/3zZMN0s

चित्र संदर्भ
1. सीवर के सफाई कर्मचारी का एक चित्रण (flickr)
2. हाइड्रोजन सल्फाइड के चेतावनी चिन्ह का एक चित्रण (flickr)
3. जरूरी सुरक्षा उपकरण पहने कर्मचारी का एक चित्रण (youtube)

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