आखिर क्‍यों होती हैं जानवरों के शरीर में धारियां?

निवास स्थान
23-06-2021 08:28 PM
आखिर क्‍यों होती हैं जानवरों के शरीर में धारियां?

बाघ शिकारी जीव हैं जिन्हें जीवित रहने के लिए मांस की आवश्‍यकता होती है जिसके लिए उन्‍हें शिकार करना होता है। जब बाघ अपने शिकार का पीछा करते हैं, सामान्‍यत: शाम या भोर की धुंधली रोशनी में, वे लगभग अदृश्य हो जाते हैं। चाहे वे घास के मैदानों या जंगलों में रहते हों, बाघ नारंगी रंग के होते हैं जिनमें गहरे रंग की धारियां होती हैं। अब प्रश्‍न उठता है इतने गहरे चमकीले रंग का जानवर शिकार के दौरान अदृश्‍य कैसे हो सकता है? जूलॉजिस्ट्स (Zoologists ) ने इस तथ्‍य की खोज करने के लिए कई साल बिताए हैं कि बाघों की धारियां क्यों होती हैं। जिसमें उन्‍होंने पाया कि इसके पीछे का प्रमुख कारण शिकार के दौरान छलावरण है।बाघ में मौजूद धारियां उन्‍हें शिकार की नजरों से बचाते हुए उनके करीब ले जाने में मदद करती हैं। उनका नारंगी रंग उन्हें घास और मैदान के रंग के साथ घुलने-मिलने में मदद करता है। और उनकी काली धारियाँ रंग को छिपाने में मदद करती हैं और उन्हें पहचानना कठिन हो जाता है।जंगलों के अधिकांश जानवरों को मनुष्‍य की भांति रंग और आयाम नहीं दिखाई देते हैं, इसलिए एक ठोस वस्तु को देखना बहुत आसान होता है। बाघों की धारियों का काला, सफ़ेद और धूसर रंग कुछ शिकार को छाया की भांति प्रतीत होता है।एक अच्छे छलावरण पैटर्न (pattern) के साथ बाघ का भ्रांतचित शिकार कौशल जंगल में उसे हराना बहुत कठिन बना देता है।
यदि बाघ दोपहर के भोजन की तलाश में है तो अधिकांश जानवरों के जीवित रहने का मौका नहीं होता है। इसी प्रकार आपने जेब्रा (Zebras)में भी काली मोटी धारियां देखी होंगी, अब प्रश्‍न उठता है कि जेब्रा में धारियां क्‍यों बनीं होती हैं? एक नए अध्ययन से पता चला है कि जेब्रा (Zebras) की मोटी, काली धारियां इन जीवों को दोपहर की अफ्रीकी (African) गर्मी में ठंडा रहने में मदद करने के लिए विकसित हुई हैं। कई अफ्रीकी जानवरों के शरीर पर कुछ धारियां होती हैं, लेकिन इनमें से किसी का भी पैटर्न ज़ेबरा की भांति नहीं है। शोधकर्ता ज़ेबरा के अनूठे काले और सफेद कोट के उद्देश्य को समझाने के लिए लंबे समय से प्रयास कर रहे हैं। कुछ लोगों के अनुसार ज़ेबरा की धारियां इन्‍हें शिकारियों से बचाने में भी मदद करती हैं, इसके साथ ही बीमारी फैलाने वाली मक्खियों के काटने से भी बचाती हैं।जब प्रकाश और गहरे रंग की धारियां अलग-अलग दरों पर गर्म होती हैं, तो ज़ेबरा के शरीर पर छोटे पैमाने पर हवा उत्‍पन्‍न होती है जो उसके शरीर की गर्मी को नियंत्रित करती है। कई लोगों का तर्क है कि पट्टियां उद्देश्यों का एक जटिल मिश्रण प्रदान करती हैं।चार्ल्स डार्विन (Charles Darwin) द्वारा जानवरों में धारियों के कारण पर पहली बार प्रकाश डालने के बाद कई अलग और प्रशंसनीय परिकल्पनाएं प्रस्तावित की गई हैं। वर्षों से, विभिन्न वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया है कि धारियां या तो ज़ेबरा को छिपाने में मदद करती हैं या शिकारियों को भ्रमित करने में। अन्य विचार शरीर के तापमान को कम करने, कीड़ों को दूर भगाने या उन्हें एक दूसरे के साथ सामूहीकरण करने में मदद करने के लिए थे। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, डेविस (University of California, Davis) की एक टीम द्वारा किए गए एक अध्ययन ने इन सभी परिकल्पनाओं को एक-दूसरे के विरूद्ध खड़ा कर दिया है और एकत्र किए गए आंकड़ों का अध्ययन किया। उनके सांख्यिकीय विश्लेषणों के माध्‍यम से यह दर्शाने का प्रयास किया गया है कि जेब्रा में धारियों का प्रमुख उद्देश्‍य मक्खियों को ज़ेबरा को काटने से रोकना था। हालांकि सांख्यिकीय अनुसंधान सही है, कई वैज्ञानिक इसको सही साबित करने का दावा करते हैं, जब तक कि कोई नया अधिक स्‍पष्‍ट शोध सामने नहीं आ जाता है।मक्खियों की अधिकांश प्रजातियाँ गति, आकार और यहाँ तक कि रंग का भी पता लगा सकती हैं। हालांकि, वे अपनी आंखों में शंकु (cones) और छड़ (rods) का उपयोग नहीं करती हैं। इसकी बजाय, उन्होंने ओमेटिडिया (ommatidia) नामक छोटे व्यक्तिगत दृश्य रिसेप्टर्स (receptors ) विकसित किए हैं। मक्खी की आंख में हजारों ओमेटिडिया होते हैं जो मक्खी के लिए दृष्टि का एक बहुत व्यापक क्षेत्र बनाते हैं।मक्खी की आँख स्थिर होती है और वे गति नहीं कर सकती हैं। इसके बजाय, प्रत्येक ओमेटिडियाविभिन्न दिशाओं से जानकारी एकत्र और संसाधित करता है। इसका मतलब है कि मक्खी एक साथ कई अलग-अलग दिशाओं में देख सकती है और उसका दिमाग एक ही समय में इस सारी जानकारी को प्रोसेस (process) करता है।ज़ेबरा का धारीदार पैटर्न मक्खी की आंख के लिए एक प्रकार का ऑप्टिकल भ्रम (optical illusion) है जो इनको जैब्रा के पैटर्न पर ध्‍यान केंद्रित करने में असमर्थ बनाता है। इस प्रकार धारियां जहां बाघ को शिकार प्राप्‍त करने में सहायता प्रदान करती हैं वहीं जेब्रा को शिकार होने से बचाती हैं फिर चाहे शिकारी मक्खियां ही क्‍यों ना हो।
इस भांति की धारियां अन्‍य कई जीवों में पायी जाती हैं जो भिन्‍न-भिन्‍न उद्देश्‍यों की पूर्ति के लिए उनके शरीर में मौजूद होती हैं। वर्तमान समय में बाघ संकटग्रस्‍त स्थिति में खड़े हैं, उन्‍हें संररक्षण देने के लिए विभिन्‍न प्रयास किए जा रहे हैं।उत्तरी उत्तर प्रदेश, के दलदली घास के मैदानों के तराई बेल्ट में दुधवा राष्ट्रीय उद्यान स्थित है। यह खीरी और लखीमपुर जिलों में दुधवा टाइगर रिजर्व (tiger reserve) का हिस्सा है। यह लखीमपुर खीरी जिले में भारत-नेपाल (Indo- Nepal) सीमा पर स्थित है, और उत्तरी और दक्षिणी किनारों पर आरक्षित वन क्षेत्रों के बफर (buffer) हैं। यह विविध और उत्पादक तराई पारिस्थितिकी तंत्र के कुछ शेष क्षेत्रों में से एक का प्रतिनिधित्व करता है, कई लुप्तप्राय प्रजातियों का समर्थन करता है। 1 फ़रवरी सन् 1977 ईस्वी को दुधवा के जंगलों को राष्ट्रीय उद्यान बनाया गया। दुधवा उद्यान जैव विविधता के मामले में काफी समृद्ध माना जाता है। पर्यावरणीय दृष्टि से इस जैव विविधता को भारतीय संपदा और अमूल्य पारिस्थितिकी धरोहर के तौर पर माना जाता है। इसके जंगलों में मुख्यतः साल और शाखू के वृक्ष बहुतायत में मिलते है।1987 में, पार्क को टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था और 'प्रोजेक्ट टाइगर' (Project Tiger) के दायरे में लाया गया था। किशनपुर वन्यजीव अभयारण्य और कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य के साथ मिलकर यह दुधवा टाइगर रिजर्व (Dudhwa Tiger Reserve) बनाते हैं।

संदर्भ:
https://nyti.ms/3qg2YCq
https://bit.ly/3vIOxI6
https://bit.ly/3vMReIp
https://bit.ly/3gKVgfc
https://bit.ly/3wIcOz7
https://bit.ly/3iWGLro
https://bit.ly/3cWsIOv

चित्र संदर्भ
1. दौड़ लगाते हुए ज़ेब्रा का एक चित्रण (flickr)
2. भारत के राष्ट्रीय पशु बाघ का एक चित्रण (flickr)
3. विविधता के साथ लकड़बग्घों का एक चित्रण (wikimedia)

पिछला / Previous

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.