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>दुनिया भर में फैल चुकी कोरोनावायरस की महामारी से निपटने के लिए तरह-तरह के तरीकों को खोजा जा रहा है। इन्हीं में से एक है पराबैंगनी प्रकाश, दरसल कई दशकों से पराबैंगनी प्रकाश का कीटाणुनाशक के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है, ऐसे ही SARS-CoV-2 विषाणु पराबैंगनी प्रकाश के संपर्क में आते ही आसानी से हानिरहित हो जाते हैं।सवाल यह है कि जैसे लोग घर से कार्य, अध्ययन और खरीदारी कर रहे हैं, ऐसे में विषाणु के प्रसार से लड़ने और मानव स्वास्थ्य की रक्षा करने के लिए पराबैंगनी प्रकाश का उपयोग करने का सबसे अच्छा तरीका क्या है। हालांकि दशकों से अस्पतालों में रोगी के कमरे, ऑपरेटिंग (Operating) कमरे और अन्य क्षेत्रों में जहां जीवाणु संक्रमण फैल सकता है, में कीटाणुरहित रोबोट (Robot) का उपयोग किया जाता है जो यूवी-सी (UV-C) प्रकाश का उत्सर्जन करते हैं।ट्रू-डी (Tru-D) और ज़ेनेक्स (Xenex) को शामिल करने वाले ये रोबोट मरीजों के खाली कमरे में प्रवेश करते हैं और घूमकर उच्च-शक्ति पराबैंगनी विकिरणों से कमरे को कीटाणुरहित करते हैं।
एयरलाइंस (Airlines) विमानों में हवा को कीटाणुरहित करने के लिए यूवी तकनीक का उपयोग किया जा सकता है, या उपयोग के बीच बाथरूम (Bathroom) में पराबैंगनी रोशनी का उपयोग कर सकते हैं।ऐसे ही कल्पना कीजिए कि हम यूवी-सी प्रकाश से घिरे हुए हों और जैसे ही पराबैंगनी क्षेत्र में प्रवेश करते हैं तो एरोसोलिज्ड (Aerosolized)विषाणु को मार देगा या यदि आप संक्रमित हैं तो आपके नाक और मुंह से निकल रहे विषाणु को भी मार देगा। केवल इतना ही नहीं आपके द्वारा अपने हाथों से मुंह को छूने से पहले आपके हाथों को भी कीटाणुरहित कर देगा। हालांकि यह परिदृश्य अभी वास्तविक रूप से संचालित नहीं है, लेकिन भविष्य में यह एक दिन तकनीकी रूप से संभव हो सकता है, लेकिन इसके साथ आने वाले स्वास्थ्य जोखिम एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है। लेकिन सुदूर यूवी-सीतरंगदैर्ध्य को एक सुरक्षित सीमा से ऊपर उपयोग किया जाए तो यह हमारे लिए सुरक्षित होता है।
कोविड-19 (Covid-19) स्वास्थ्य संकट के दौरान घर पर रहने वाले लगभग 600 लोगों के एक त्वरित सर्वेक्षण ने पुष्टि की है कि हम में से कई लोग कुछ बातों को अनदेखा कर रहे हैं। प्राकृतिक प्रकाश और आमतौर पर चमकदार कृत्रिम प्रकाश के संपर्क में आने से हम अपनी नींद की गुणवत्ता और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं। सर्वेक्षण में दैनिक अंदरूनी और बाहरी प्रकाश से पड़ने वाले प्रभाव के बारे में कुछ प्रश्न पूछे गए, जिससे पता चला कि उज्जवल या अच्छी रोशनी वाले कमरे में रहने वाले लोग कम या बहुत मंद रोशनी में रहने वाले लोगों की तुलना में, नींद से संबंधित समस्या में कमी; चिंता और अवसाद में कमी; कम थकान या जलन महसूस करते हैं और वे पूरे दिन भर अधिक सकारात्मक महसूस करते हैं। जब लोग अपना अधिकांश समय उज्जवल स्थानों में बिताते हैं तो उनकी नींद की गुणवत्ता और मनोदशा में काफी सुधार होता है।एक घर में प्रकाश व्यवस्था कमरे की मनोदशा को बदल देता है।
नियोजन और प्रकार आंतरिक सजावट के महत्वपूर्ण पहलू हैं, और वे रंग चयन, कमरे के आकार, प्राकृतिक प्रकाश की उपलब्धता और फर्नीचर (Furniture) के चयन के साथ संयोजन के रूप में काम करते हैं और इसके साथ ही सही प्रकाश संयोजन प्राप्त करने पर एक साथ आने वाले तत्व कमरे को कार्यक्षमता और शैली के सहज संयोजन में बदल देते हैं।किसी भी घर या कमरे में रंग संयोजन एक महत्वपूर्ण बिंदु है। यदि किसी कमरे को गहरे रंग से रंगा गया हो तो वह कमरा छोटा और तंग महसूस होता है और वहीं हल्का रंग इसे विपरीत अनुभव कराता है। एक कमरे के सम्पूर्ण कोनों में यदि रोशनी पहुंचती है तो वह कमरा बड़ा और खुला हुआ प्रतीत होता है। ऐसे प्रकाश के लिए छत से लटका कर रोशनी करने की आवश्यकता होती है।इसके अलावा दीवारों आदि पर रखी गयीं या लगायी गयीं विभिन्न वस्तुओं जैसे कि पेंटिंग (Painting) आदि के लिए अलग प्रकाश का इंतज़ाम किया जा सकता है। इस प्रकार के प्रकाश को दिशा सूचक प्रकाश के संयोजन की संज्ञा दी जा सकती है। आतंरिक घर के प्रकाश संयोजन में विभिन्न प्रकाश के बल्बों (Bulb) आदि को ऐसी स्थिति में लगाया जाना चाहिए जो कि अपने निहित कार्य को पूरा कर सके बजाय उसके कि बिजली की बर्बादी हो। इस प्रकार के संयोजन में प्रकाश को एक प्रस्तुत दिशा में निर्देशित किया जाता है।
अध्ययनों से पता चला है कि लोग लगभग 10 मिलियन रंगों को भेद करने में सक्षम हैं। इन रंगों को तीन प्राथमिक रंगों में तोड़ा जा सकता है: पीला, लाल और नीला। आमतौर पर क्रोमोथेरेपी (Chromotherapy–क्रोमोथेरेपी में शारीरिक बीमारियों को ठीक करने के लिए रंगों और प्रकाश का उपयोग किया जाता है। बीमारी के स्थान और प्रकृति के आधार पर एक विशिष्ट रंग उसे कम कर सकता है।)
में, द्वितीयक रंग जोड़े जाते हैं, विशेष रूप से नारंगी, बैंगनी और हरे। इन रंगों में से प्रत्येक का एक निश्चित अर्थ है:
• लाल रंग ऊर्जा के लिए होता है तथा यह यौन इच्छाओं को भी बढ़ाता है। यह रंग अधिक ऊर्जा देता है और उन लोगों के लिए आदर्श है जो अक्सर थके हुए होते हैं।सक्रिय लोग मांसपेशियों और संयुक्त कठोरता को ठीक करने के लिए लाल प्रकाश चिकित्सा का उपयोग कर सकते हैं।
• पीला रंग मानसिक तनाव को दूर करता है।यह रंग पेट, जिगर और आंत से जुड़ा होता है। अवसाद से ग्रसित लोग भी पीले रंग की चिकित्सा से लाभान्वित हो सकते हैं।
• नीला रंग लोगों को शांत करता है तथा यह रक्तचाप को कम करता है। नीला प्रकाश माइग्रेन (Migraine) के इलाज में मदद कर सकता है।
• हरा रंग प्रकृति का रंग है। यह विकास के लिए आवश्यक होता है तथा हारमोन (Hormones) के निर्माण में यह अहम भूमिका निभाता है।यह हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को भी बढ़ाता है।
• बैंगनी रंग नींद और शांति का प्रतीक है। यह रंग मानसिक तनाव कम करता है तथा यह यौन इच्छाओं को कम करता है।
• नारंगी रंग रचनात्मक है, यह नए विचारों को प्रदान करता है तथा इसका सम्बन्ध श्वसन प्रक्रिया से भी है।
रंगीन प्रकाश व्यवस्था केवल एक निश्चित वातावरण नहीं बनाता है, बल्कि यह हमारे शरीर को भी प्रभावित करती है।स्थान का संयोजन भी प्रकाश के संयोजन में अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। ऑक्सफ़ोर्ड (Oxford) विश्वविद्यालय के एक शोध के अनुसार यह सामने आया है कि विभिन्न प्रकार के प्रकाश हमारी नींद पर भी विभिन्न प्रकार के प्रभाव डालते हैं। वहीं कलाकारों और आंतरिक वास्तुकारों ने बहुत पहले ही यह समझ लिया था कि रंग हमारी भावनाओं, मनोविकारों और मनोदशा को प्रभावित कर सकते हैं। यही कारण है कि एक अस्पताल में कमरे अक्सर हरे रंग के होते हैं और हरा रंग तनाव को कम करने में मदद करता है।
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